वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • bi7 1 तीमुथियुस 1:1-6:21
  • 1 तीमुथियुस

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • 1 तीमुथियुस
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
1 तीमुथियुस

तीमुथियुस के नाम पहली चिट्ठी

1 मैं पौलुस, हमारे उद्धारकर्त्ता परमेश्‍वर और मसीह यीशु की आज्ञा से, मसीह यीशु का एक प्रेषित* हूँ, जो हमारी आशा है। 2 प्यारे तीमुथियुस के नाम, जो विश्‍वास में मेरा सच्चा बेटा है:

तुझे परमेश्‍वर हमारे पिता और हमारे प्रभु मसीह यीशु की तरफ से महा-कृपा, दया और शांति मिले।

3 जब मैं मकिदुनिया जाने पर था, तो मैंने तुझे इफिसुस में रहने का बढ़ावा दिया था। अब भी मैं तुझे यही बढ़ावा देता हूँ, ताकि तू वहाँ ऐसे कुछ लोगों को जो अलग किस्म की शिक्षाएँ दे रहे हैं, आज्ञा दे कि वे ऐसा न करें 4 और झूठी कहानियों पर और वंशावलियों पर ध्यान न दें जिनसे कोई फायदा नहीं होता। उनसे खोजबीन के लिए सवाल उठते हैं और परमेश्‍वर की तरफ से ऐसा कुछ हासिल नहीं होता जिससे विश्‍वास मज़बूत हो। 5 वाकई इस आदेश का मकसद यह है कि हम एक साफ दिल और साफ ज़मीर से और ऐसे विश्‍वास के साथ प्यार करें जिसमें कोई कपट न हो। 6 इनसे भटककर कुछ लोग फिज़ूल की बातों में लग गए हैं। 7 वे कानून के सिखानेवाले तो बनना चाहते हैं मगर जो बातें वे कहते हैं या जिन बातों के बारे में बड़े यकीन के साथ दावा करते हैं, उन्हें समझते नहीं।

8 हम जानते हैं कि मूसा का कानून बढ़िया है, बशर्ते इसे सही तरह से काम में लाया जाए। 9 इस सच्चाई को ध्यान में रखते हुए कि कानून नेक इंसान के लिए नहीं बल्कि ऐसों के लिए जारी किया जाता है जो दुराचारी और बागी हैं, भक्‍तिहीन और पापी हैं, जो वफादार नहीं होते,* पवित्र बातों को ठुकराते हैं, माता-पिता का कत्ल करनेवाले, हत्यारे, 10 व्यभिचारी, पुरुषों के साथ संभोग करनेवाले पुरुष, अपहरण करनेवाले, झूठे, कसम तोड़नेवाले और ऐसा हर काम करनेवाले हैं जो खरी* शिक्षा के खिलाफ है। 11 यह खरी शिक्षा, आनंदित परमेश्‍वर की उस शानदार खुशखबरी के मुताबिक है जिसे सुनाने की ज़िम्मेदारी मुझे सौंपी गयी है।

12 हमारे प्रभु मसीह यीशु का मैं एहसान मानता हूँ जिसने मुझे शक्‍ति दी है क्योंकि उसने मुझे विश्‍वासयोग्य मानकर एक सेवा के लिए ठहराया है, 13 हालाँकि पहले मैं परमेश्‍वर की तौहीन करनेवाला और ज़ुल्म ढानेवाला गुस्ताख था। फिर भी मुझ पर दया की गयी क्योंकि मैंने यह सब अविश्‍वास की दशा में, अनजाने में किया था। 14 मगर मैंने हमारे प्रभु की महा-कृपा बढ़-चढ़कर, बहुत ज़्यादा पायी और मसीह यीशु में विश्‍वास और प्यार भी पाया। 15 यह बात सच और पूरी तरह मानने लायक है कि मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिए दुनिया में आया। और इन पापियों में सबसे बड़ा मैं हूँ। 16 फिर भी, मुझ पर इसलिए दया की गयी कि मुझ सबसे बड़े पापी के ज़रिए मसीह यीशु अपनी सारी सहनशीलता दिखा सके ताकि मैं उन सबके लिए एक नमूना बनूँ जो हमेशा की ज़िंदगी पाने के लिए उस पर विश्‍वास रखनेवाले हैं।

17 युग-युग के राजा, अनश्‍वर, अदृश्‍य और एकमात्र परमेश्‍वर का आदर और उसकी महिमा हमेशा-हमेशा के लिए होती रहे। आमीन।

18 मेरे बेटे तीमुथियुस, जो भविष्यवाणियाँ साफ तौर पर तेरे बारे में की गयी थीं, उन्हीं के मुताबिक मैं तुझे यह आदेश देता हूँ कि तू इनके मुताबिक अच्छी लड़ाई लड़ता रह। 19 और विश्‍वास को थामे रह और साफ ज़मीर बनाए रख, जिसे कुछ लोगों ने दरकिनार किया है और इस वजह से उनका विश्‍वास ऐसे तहस-नहस हो गया है जैसे समंदर में जहाज़ टूटकर तहस-नहस हो जाता है। 20 हुमिनयुस और सिकंदर ऐसे ही लोगों में से हैं और मैंने इन्हें शैतान के हवाले कर दिया है ताकि वे अनुशासन पाकर यह सीख हासिल करें कि परमेश्‍वर की तौहीन न करें।

2 इसलिए सबसे पहले मैं उकसाता हूँ कि सब किस्म के लोगों के लिए मिन्‍नतें, प्रार्थनाएँ, दूसरों की खातिर बिनतियाँ और धन्यवाद की प्रार्थनाएँ की जाएँ। 2 राजाओं और उन सभी के लिए जो ऊँची पदवी रखते हैं प्रार्थनाएँ की जाएँ, ताकि हम चैन के साथ शांत जीवन बिता सकें और पूरी गंभीरता के साथ परमेश्‍वर की भक्‍ति कर सकें। 3 यह बात हमारे उद्धारकर्त्ता परमेश्‍वर की नज़र में अच्छी है और उसे यह मंज़ूर भी है। 4 उसकी यही मरज़ी है कि सब किस्म के लोगों का उद्धार हो और वे सच्चाई का सही ज्ञान हासिल करें। 5 परमेश्‍वर एक है और परमेश्‍वर और इंसानों के बीच एक ही बिचवई है, यानी एक इंसान, मसीह यीशु 6 जिसने सबकी खातिर फिरौती का बराबर दाम चुकाने के लिए खुद को दे दिया। और इस बात की गवाही तय वक्‍त पर ज़रूर दी जाएगी। 7 यही गवाही देने के लिए मुझे एक प्रचारक और प्रेषित ठहराया गया। मैं सच कह रहा हूँ, झूठ नहीं बोलता कि मुझे विश्‍वास और सच्चाई के बारे में गैर-यहूदियों का शिक्षक ठहराया गया है।

8 इसलिए मैं चाहता हूँ कि हर जगह वफादार पुरुष हाथ उठाकर प्रार्थना में लगे रहें और क्रोध और बहसबाज़ी से बचें। 9 इसी तरह मैं चाहता हूँ कि स्त्रियाँ सलीकेदार कपड़ों से, मर्यादा के साथ और स्वस्थ मन से अपना सिंगार करें। वे खास तरीकों से बाल गूंथने, और सोने या मोतियों या महँगे-महँगे कपड़ों से नहीं 10 बल्कि भले कामों से अपना सिंगार करें, क्योंकि परमेश्‍वर की भक्‍ति करने का दावा करनेवाली स्त्रियों को यही शोभा देता है।

11 एक स्त्री पूरी अधीनता दिखाते हुए शांत रहकर सीखे। 12 मैं स्त्री को सिखाने या पुरुष पर अधिकार चलाने की इजाज़त नहीं देता, इसके बजाय उसे शांत रहना चाहिए। 13 इसलिए कि आदम पहले बनाया गया था, उसके बाद हव्वा बनायी गयी थी। 14 और आदम छला नहीं गया था, बल्कि स्त्री पूरी तरह से छलावे में आ गयी और पाप में पड़ गयी। 15 मगर वह बच्चों को जन्म देने से सुरक्षित रहेगी, मगर ज़रूरी है कि वह अपना विश्‍वास, प्यार, पवित्रता और स्वस्थ मन बनाए रखे।

3 यह बात विश्‍वास के योग्य है।

अगर कोई आदमी निगरानी के पद की ज़िम्मेदारी पाने की कोशिश में आगे बढ़ता है, तो वह एक बढ़िया काम करने की चाहत रखता है। 2 एक निगरान को ऐसा होना चाहिए जिस पर कोई आरोप न हो, उसकी एक ही पत्नी हो, वह हर बात में संयम बरतता हो, स्वस्थ मन रखनेवाला हो, कायदे से चलता हो, मेहमान-नवाज़ी दिखानेवाला हो, सिखाने की काबिलीयत रखता हो, 3 नशे में झगड़ा करनेवाला न हो, किसी को चोट पहुँचानेवाला न हो, मगर लिहाज़ दिखानेवाला हो, झगड़ालू न हो, पैसे का लालची न हो, 4 अपने घरबार की अगुवाई करते हुए अच्छी देखरेख करता हो, जिसके बच्चे पूरी गंभीरता के साथ उसके अधीन रहते हों, 5 (वाकई अगर कोई आदमी अपने घरबार की देखरेख करना नहीं जानता, तो वह परमेश्‍वर की मंडली* की देखभाल कैसे कर पाएगा?) 6 नया विश्‍वासी न हो कि कहीं वह घमंड से फूल न जाए और वही दंड न पाए जो शैतान* ने पाया है। 7 यही नहीं, बाहर के लोग भी उसके बारे में अच्छा कहते हों, ताकि उसकी बदनामी न हो और वह शैतान के फंदे में न फँसे।

8 इसी तरह, सहायक सेवक को भी गंभीर होना चाहिए। वह दोगली बातें बोलनेवाला, बहुत ज़्यादा शराब पीनेवाला और बेईमानी की कमाई का लालची न हो। 9 और साफ ज़मीर के साथ मसीही विश्‍वास, यानी पवित्र रहस्य को थामे रहता हो।

10 यही नहीं, पहले ये परखे जाएँ कि योग्य हैं या नहीं, इसके बाद इन्हें सेवकों का काम दिया जाए, क्योंकि ये निर्दोष पाए गए हैं।

11 इसी तरह, स्त्रियों को गंभीर होना चाहिए। वे दूसरों को बदनाम करनेवाली न हों, हर बात में संयम बरतनेवाली हों, सब बातों में विश्‍वासयोग्य हों।

12 सहायक सेवक एक ही पत्नी का पति हो, अपने बच्चों और घरबार की अगुवाई करते हुए अच्छी देखरेख करनेवाला हो। 13 इसलिए कि जो अच्छी तरह से सेवा करते हैं वे अच्छा नाम कमाते हैं और मसीही विश्‍वास के बारे में बेझिझक बोलने की बड़ी हिम्मत पाते हैं।

14 हालाँकि मैं तुझे ये बातें लिख रहा हूँ फिर भी मैं तेरे पास जल्द आने की उम्मीद कर रहा हूँ। 15 लेकिन अगर मुझे आने में देर हुई तो भी तुझे पता रहेगा कि परमेश्‍वर के घराने में तुझे किस तरह पेश आना चाहिए। यह घराना जीवित परमेश्‍वर की मंडली है और सच्चाई के लिए खंभा और सहारा है। 16 वाकई, परमेश्‍वर के लिए भक्‍ति का यह पवित्र रहस्य बहुत महान है: ‘यीशु हाड़-माँस के शरीर में ज़ाहिर किया गया, उसे आत्मिक शरीर में नेक करार दिया गया, वह स्वर्गदूतों के सामने प्रकट हुआ, दूसरे राष्ट्रों के बीच उसका प्रचार किया गया, दुनिया में उस पर यकीन किया गया और महिमा में उसे स्वर्ग उठा लिया गया।’

4 परमेश्‍वर की प्रेरणा* से कहे गए वचन साफ-साफ कहते हैं कि आगे ऐसा वक्‍त आएगा जब कुछ लोग, गुमराह करनेवाले प्रेरित वचनों और दुष्ट स्वर्गदूतों की शिक्षाओं पर ध्यान देने की वजह से विश्‍वास को छोड़ देंगे। 2 यह इसलिए होगा क्योंकि वे ऐसे कपटियों की झूठी बातों में आ जाते हैं, जिनका ज़मीर ऐसे सुन्‍न हो गया है जैसे गर्म लोहे से दागा गया हो। 3 ये लोग शादी न करने की शिक्षा देंगे, और कुछ चीज़ें खाने से मना करेंगे जिन्हें परमेश्‍वर ने इसलिए बनाया है कि जो विश्‍वास रखते हैं और सच्चाई को सही-सही जानते हैं, वे धन्यवाद देकर उन्हें खा सकें। 4 इसकी वजह यह है कि परमेश्‍वर की हर सृष्टि बढ़िया है और ऐसी कोई चीज़ नहीं जो ठुकराने लायक हो, बशर्ते उसे धन्यवाद के साथ खाया जाए। 5 इसलिए कि परमेश्‍वर के वचन से और उस पर की गयी प्रार्थना से वह पवित्र हो जाती है।

6 भाइयों को इन बातों की सलाह देने से तू मसीह यीशु का एक बढ़िया सेवक ठहरेगा, जो विश्‍वास के वचनों से और उस उत्तम शिक्षा से अपने मन का पोषण करता है, जिस पर तू बड़े ध्यान से चलता आया है। 7 मगर झूठी कथा-कहानियों को ठुकरा दे जो पवित्र बातों के खिलाफ हैं और जो बूढ़ियाँ सुनाया करती हैं। इसके बजाय, परमेश्‍वर की भक्‍ति के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए खुद को प्रशिक्षण देता रह। 8 इसलिए कि शरीर की कसरत सिर्फ कुछ हद तक फायदेमंद होती है, मगर परमेश्‍वर की भक्‍ति सब बातों के लिए फायदेमंद है। क्योंकि इसके साथ आशीषों का वादा जुड़ा हुआ है, न सिर्फ आज की ज़िंदगी के लिए बल्कि आगे मिलनेवाली ज़िंदगी के लिए भी। 9 यह बात विश्‍वास के योग्य और पूरी तरह मानने लायक है। 10 इसी लक्ष्य को पाने के लिए हम कड़ी मेहनत करते हुए संघर्ष कर रहे हैं, क्योंकि हमने एक जीवित परमेश्‍वर पर अपनी आशा रखी है जो सब किस्म के लोगों का उद्धार करानेवाला परमेश्‍वर है, खासकर उनका जो विश्‍वासयोग्य हैं।

11 इन बातों की आज्ञा देता रह और इनके बारे में सिखाता रह। 12 कोई भी तेरी कम उम्र की वजह से तुझे नीची नज़रों से न देखे। इसके बजाय, बोलने में, चालचलन में, प्यार में, विश्‍वास में और शुद्ध चरित्र बनाए रखने में विश्‍वासयोग्य लोगों के लिए एक मिसाल बन जा। 13 जब तक मैं न आऊँ, तब तक लोगों के सामने पढ़कर सुनाने, सीख देकर उकसाने और सिखाने में जी-जान से लगा रह। 14 अपने उस वरदान की तरफ लापरवाह न हो जो तुझे उस वक्‍त दिया गया था जब भविष्यवक्‍ताओं ने तेरे बारे में भविष्यवाणी की थी और प्राचीनों के दल ने तुझ पर अपने हाथ रखे थे। 15 इन बातों के बारे में गहराई से सोचता रह और इन्हीं में लगा रह, ताकि तेरी तरक्की सब लोगों पर ज़ाहिर हो। 16 खुद पर और अपनी शिक्षा पर लगातार ध्यान देता रह। इन्हीं बातों को थामे रह, क्योंकि इससे तू खुद अपना और तेरी बात सुननेवालों का भी उद्धार करेगा।

5 किसी बुज़ुर्ग की सख्ती से आलोचना न कर। इसके बजाय, उसे अपना पिता समझकर प्यार से समझा, नौजवानों को अपने भाई समझकर, 2 बुज़ुर्ग स्त्रियों को माँ समझकर और कम उम्र की स्त्रियों को बहनें समझकर सारी पवित्रता के साथ समझा।

3 जो विधवाएँ वाकई ज़रूरतमंद हैं, उनका आदर कर और उनकी देखभाल कर। 4 लेकिन अगर किसी विधवा के बच्चे या नाती-पोते हैं, तो ये बच्चे परमेश्‍वर की भक्‍ति दिखाते हुए पहले अपने ही घर के लोगों की देखभाल करना सीखें और अपने माता-पिता और उनके माता-पिता को उनका हक अदा करते रहें, क्योंकि परमेश्‍वर इससे खुश होता है। 5 जो विधवा सचमुच ज़रूरतमंद है और जिसका देखनेवाला कोई नहीं है, वह परमेश्‍वर पर आशा रखती है और रात-दिन मिन्‍नतों और प्रार्थनाओं में लगी रहती है। 6 मगर जो भोग-विलास में पड़ जाती है वह ज़िंदा होते हुए भी मर गयी है। 7 इसलिए ये आज्ञाएँ उन्हें देता रह ताकि कोई उन पर उंगली न उठा सके। 8 बेशक अगर कोई अपनों की, खासकर अपने घर के लोगों की देखभाल नहीं करता, तो वह विश्‍वास से मुकर गया है और अविश्‍वासी से भी बदतर हो गया है।

9 उसी विधवा का नाम मदद की सूची में लिखा जाए जो साठ साल से कम की न हो, एक ही पति की पत्नी रही हो, 10 जिसके भले कामों की लोग गवाही देते हों कि उसने अपने बच्चों को अच्छी परवरिश दी है, मेहमान-नवाज़ी दिखायी है, पवित्र जनों के पाँव धोए हैं, जो मुसीबत में थे उन्हें राहत पहुँचायी है और हर भला काम करने में मेहनत की है।

11 दूसरी तरफ, कम उम्र की विधवाओं को जो शादी करना चाहती हैं, सूची में शामिल न कर। क्योंकि जब उनकी यौन-इच्छाएँ उनके और मसीह की सेवा के बीच आ जाती हैं, 12 तो वे दोषी ठहरती हैं, क्योंकि उन्होंने विश्‍वास की वजह से पहले जो इरादा ज़ाहिर किया था अब वे उसके खिलाफ जाती हैं। 13 साथ ही उन्हें खाली रहने और घर-घर घूमने की आदत पड़ जाती है। हाँ, वे न सिर्फ खाली रहती हैं बल्कि उन्हें गप्पे लड़ाने की आदत पड़ जाती है और वे दूसरों के मामलों में दखल देती रहती हैं। वे ऐसी बातों के बारे में बोलती हैं जो उन्हें नहीं बोलनी चाहिए। 14 इसलिए मैं यही चाहता हूँ कि कम उम्र की विधवाएँ शादी करें, बच्चे पैदा करें और घर-गृहस्थी संभालें ताकि विरोधियों को हमारे बारे में बुरा-भला कहने का मौका न दें। 15 दरअसल, कुछ तो भटककर शैतान के पीछे हो भी चुकी हैं। 16 अगर किसी विश्‍वासी स्त्री के परिवार में विधवाएँ हैं, तो वह उनकी देखभाल करे और मंडली पर उनका बोझ न डाले। तब मंडली ऐसी विधवाओं की देखभाल कर पाएगी जो वाकई ज़रूरतमंद हैं।

17 जो प्राचीन बढ़िया तरीके से अगुवाई करते हैं, वे दुगुने आदर के योग्य समझे जाएँ। खासकर वे जो बोलने और सिखाने में कड़ी मेहनत करते हैं। 18 इसलिए कि शास्त्रवचन कहता है: “अनाज की दँवरी करनेवाले बैल का मुँह न बाँधना” और यह भी कि “काम करनेवाला अपनी मज़दूरी पाने का हकदार है।” 19 किसी भी प्राचीन के खिलाफ लगाए गए इलज़ाम को तब तक स्वीकार न करना, जब तक दो या तीन गवाह इसका सबूत न दें। 20 जो पाप में लगे रहते हैं, उन्हें सब देखनेवालों के सामने ताड़ना दे, ताकि बाकी लोग भी पाप करने से डरें। 21 मैं तुझे परमेश्‍वर और मसीह यीशु और चुने हुए स्वर्गदूतों के सामने पूरी गंभीरता के साथ यह हुक्म देता हूँ कि पहले से कोई राय कायम किए बिना तू यह सब कर और पक्षपात की भावना से कुछ न कर।

22 किसी भी आदमी को ज़िम्मेदारी के पद पर ठहराने में* कभी जल्दबाज़ी न कर। न ही दूसरों के पापों का हिस्सेदार बन, अपना चरित्र साफ बनाए रख।

23 अब से पानी मत पीया कर,* बल्कि अपने पेट के लिए और बार-बार की बीमारी की वजह से थोड़ी दाख-मदिरा पिया कर।

24 कुछ लोगों के पाप तो सरेआम ज़ाहिर हो जाते हैं जिससे उन्हें फौरन सज़ा मिलती है, मगर दूसरों के पाप भी ज़ाहिर होते हैं, चाहे बाद में ही सही। 25 इसी तरह अच्छे काम भी सरेआम ज़ाहिर होते हैं और जो अच्छे काम ज़ाहिर नहीं होते, वे भी छिपाए नहीं जा सकते।

6 जितने भी दास हैं,* वे सब अपने मालिकों को पूरे आदर के लायक समझा करें ताकि परमेश्‍वर के नाम और मसीही शिक्षाओं की कभी कोई तौहीन न कर सके। 2 और जिन दासों के मालिक विश्‍वासी हैं, वे अपने मालिकों को नीची नज़र से न देखें क्योंकि वे विश्‍वास में उनके भाई हैं। इसके बजाय, वे और भी खुशी से उनकी सेवा करें क्योंकि जो उनकी अच्छी सेवा से फायदा पा रहे हैं वे उनके संगी विश्‍वासी और प्यारे भाई हैं।

यही बातें सिखाता रह और सीख देकर उकसाता रह। 3 अगर कोई आदमी इससे अलग शिक्षा देता है और हमारे प्रभु यीशु मसीह की खरी शिक्षा से सहमत नहीं होता, न ही उस शिक्षा से सहमत होता है जो परमेश्‍वर की भक्‍ति के मुताबिक है, 4 तो वह घमंड से फूल गया है और कोई समझ नहीं रखता। बल्कि उसे वाद-विवाद करने और शब्दों पर बहसबाज़ी करने का मानसिक रोग है। इन्हीं बातों से ईर्ष्या, झगड़े, गाली-गलौज और बैर-भाव से शक करने की शुरूआत होती है 5 और ये उन लोगों में छोटी-छोटी बातों पर झगड़े पैदा करती हैं जिनका दिमाग भ्रष्ट हो गया है और जो सच्चाई से दूर हैं। वे सोचते हैं कि परमेश्‍वर की भक्‍ति, कमाई करने का एक साधन है। 6 असल में, परमेश्‍वर की भक्‍ति ही अपने आप में बड़ी कमाई है, बशर्ते कि जो हमारे पास है हम उसी में संतोष करें। 7 क्योंकि हम न तो दुनिया में कुछ लाए हैं, न ही यहाँ से कुछ ले जा सकते हैं। 8 इसलिए अगर हमारे पास खाना, कपड़ा और सिर छिपाने की जगह है, तो उसी में संतोष करना चाहिए।

9 लेकिन जो लोग हर हाल में अमीर बनना चाहते हैं, वे परीक्षा और फंदे में फँस जाते हैं और मूर्खता से भरी और खतरनाक ख्वाहिशों में पड़ जाते हैं जो इंसान को विनाश और बरबादी की खाई में धकेल देती हैं। 10 पैसे का प्यार तरह-तरह की बुराइयों की जड़ है और इसमें पड़कर कुछ लोग विश्‍वास से भटक गए हैं और उन्होंने कई तरह की दुःख-तकलीफों से खुद को छलनी कर लिया है।

11 मगर हे परमेश्‍वर के बंदे, तू इन बातों से दूर भाग। इसके बजाय, नेकी, परमेश्‍वर की भक्‍ति, विश्‍वास, प्यार और धीरज जैसे गुण और कोमल स्वभाव पैदा करने में लगा रह। 12 विश्‍वास की अच्छी लड़ाई लड़, हमेशा की ज़िंदगी पर अपनी पकड़ मज़बूत कर जिसके लिए तुझे बुलाया गया था और जिसके बारे में अपने विश्‍वास का तू ने बहुत-से गवाहों के सामने ऐलान किया था।

13 सबको जीवन देनेवाले परमेश्‍वर को और मसीह यीशु को हाज़िर जानते हुए, जिसने पुन्तियुस पीलातुस के सामने सरेआम बढ़िया गवाही दी थी, मैं तुझे ये आदेश देता हूँ 14 कि जो आज्ञा तुझे दी गयी है, उसे बेदाग और निर्दोष रहते हुए हमारे प्रभु यीशु मसीह के ज़ाहिर होने तक मानता रह। 15 प्रभु यीशु मसीह तय किए गए वक्‍त पर खुद को ज़ाहिर करेगा। वही धन्य और एकमात्र शक्‍तिमान सम्राट, राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु है। 16 सिर्फ उसी के पास अमरता है, वह उस रौशनी में रहता है जिस तक कोई पहुँच नहीं सकता, और जिसे इंसानों में से किसी ने न तो देखा है और न ही देख सकता है। आदर और हमेशा तक बनी रहनेवाली शक्‍ति उसी की हो। आमीन।

17 जो इस ज़माने* में दौलतमंद हैं, उन्हें आदेश दो कि वे अभिमानी न बनें और अपनी आशा उस धन पर न रखें जो आज है और कल नहीं रहेगा, बल्कि उस परमेश्‍वर पर रखें जो सब चीज़ों का लुत्फ उठाने के लिए हमें सबकुछ भरपूर देता है। 18 उन दौलतमंदों को यह आदेश दे कि वे ऐसे काम करें जो दूसरों के लिए अच्छे हैं, भले कामों में धनी बनें, दरियादिल हों और जो उनके पास है वह दूसरों में बाँटने के लिए तैयार रहें। 19 और अपने लिए ऐसा खज़ाना जमा करें, जो सही-सलामत रहेगा और भविष्य के लिए एक बढ़िया नींव बन जाएगा ताकि वे असली ज़िंदगी पर मज़बूत पकड़ हासिल कर सकें।

20 मेरे प्यारे तीमुथियुस, तुझे जो अमानत सौंपी गयी है, उसकी हिफाज़त कर। उन खोखली बातों से दूर रह जो पवित्र बातों के खिलाफ हैं और उस ज्ञान से दूर रह जिसे झूठ ही ज्ञान कहा जाता है। 21 ऐसे ज्ञान का दिखावा करने की वजह से कुछ लोग विश्‍वास की राह से भटक गए हैं।

परमेश्‍वर की महा-कृपा तुम लोगों पर होती रहे।

1तीमु 1:1 या, “भेजा गया।” यूनानी में “अपोस्टोलोस।”

1तीमु 1:9 या, “अटल-कृपा नहीं दिखाते।”

1तीमु 1:10 शाब्दिक, “स्वास्थ्यकर।”

1तीमु 3:5 मत्ती 16:18 दूसरा फुटनोट देखें।

1तीमु 3:6 यूनानी में “दियाबोलोस,” जिसका मतलब है “निंदा करनेवाला।”

1तीमु 4:1 यूनानी नफ्मा। अतिरिक्‍त लेख 7 देखें।

1तीमु 5:22 या, “पर हाथ रखने में।”

1तीमु 5:23 यह दूषित पानी पीने के बारे में कहा गया था, जो तीमुथियुस की बीमारी की वजह थी।

1तीमु 6:1 या, “दासता के जूए के नीचे हैं।”

1तीमु 6:17 या, “दुनिया की व्यवस्था।”

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें