10 “पुराना नियम” और “नया नियम”
2 कुरिंथियों 3:14—यूनानी, एपी ती अनाग्नोसीतिस पालेयास दायतेकेस
बाइबल की जो किताबें इब्रानी और अरामी भाषा में लिखी गयी थीं, उन्हें आज आम तौर पर “पुराना नियम” कहा जाता है। और ऐसा कहने के लिए 2 कुरिंथियों 3:14 का हवाला दिया जाता है, जहाँ लिखा है: “मगर उनकी सोचने-समझने की शक्ति मंद पड़ गयी थी। इसलिए कि आज के दिन तक पुराने करार [“पुराने नियम,” ओ.वी.] के पढ़े जाने के वक्त उनके मनों पर वही परदा पड़ा रहता है, क्योंकि वह परदा सिर्फ मसीह के ज़रिए दूर किया जाता है।”
लेकिन सच तो यह है कि इस आयत में प्रेषित पौलुस इब्रानी शास्त्र की उन सारी किताबों की बात नहीं कर रहा था, जो इब्रानी और अरामी भाषा में लिखी गयी थीं। न ही पौलुस यह कह रहा था कि मसीह के आने के बाद, बाइबल की जो किताबें ईश्वर-प्रेरणा से लिखी गयीं, वे एक “नया नियम” हैं। दरअसल पौलुस उस पुराने कानून के करार की बात कर रहा था, जिसे मूसा ने बाइबल की शुरू की पाँच किताबों में लिखा है। इन पाँच किताबों को पेन्टट्यूक कहा जाता है। और ये किताबें मसीह से पहले लिखी गयी बाइबल की किताबों का बस एक छोटा-सा हिस्सा हैं। यही वजह है कि पौलुस ने नए करार की बात कहने के बाद अगली आयत में यह कहा: “जब कभी मूसा के लेख पढ़कर सुनाए जाते हैं।”
इसलिए इब्रानी और अरामी भाषा में लिखी बाइबल की सारी किताबों को मिलाकर “पुराना नियम” कहना और मसीही यूनानी शास्त्र की किताबों को “नया नियम” कहना सही नहीं है, क्योंकि ऐसा कहने के लिए कोई पक्का सबूत नहीं है। खुद यीशु मसीह ने सभी पवित्र लेखों को “शास्त्र” कहा था। (मत्ती 21:42, मरकुस 14:49; यूहन्ना 5:39) और प्रेषित पौलुस ने इन लेखों को “पवित्र शास्त्र” और “शास्त्र” कहा था। (रोमियों 1:2; 15:4; 2 तीमुथियुस 3:15) इसलिए इन ठोस सबूतों को ध्यान में रखते हुए बाइबल की उत्पत्ति से लेकर मलाकी तक की किताबों को “इब्रानी शास्त्र” और मत्ती से लेकर प्रकाशितवाक्य तक की किताबों को “मसीही यूनानी शास्त्र” कहना ज़्यादा सही है।