9 “गेहन्ना”—पूरी तरह विनाश की निशानी
यूनानी, γέεννα (गेएन्ना); लैटिन, गेहन्ना इब्रानी, גי הנם (गेहिन्नोम, “हिन्नोम घाटी”)
“गेहन्ना” का मतलब है “हिन्नोम की घाटी।” यह इब्रानी शब्द गेहिन्नोम से निकला यूनानी शब्द है। यहोशू 18:16 में, जहाँ “हिन्नोम की घाटी” लिखा है, वहाँ सेप्टुआजेंट बाइबल में “गेहन्ना” शब्द आता है। शब्द “गेहन्ना” मसीही यूनानी शास्त्र में 12 बार आता है, और इनमें से पहली आयत है, मत्ती 5:22. नयी दुनिया अनुवाद में इन सब जगहों पर इसका अनुवाद “गेहन्ना” किया गया है। ये आयतें हैं, मत्ती 5:22, 29, 30; 10:28; 18:9; 23:15, 33; मरकुस 9:43, 45, 47; लूका 12:5; याकूब 3:6.
हिन्नोम की घाटी प्राचीन यरूशलेम शहर के पश्चिम और दक्षिण की तरफ थी। (यहोशू 15:8; 18:16; यिर्मयाह 19:2, 6) यहूदा के बाद के राजाओं के वक्त में इस घाटी में मोलेक देवता की मूरत पूजी जाती थी, जो दूसरी जातियों का देवता था। इस मूरत के आगे, इंसानों को आग में जलाकर बलि चढ़ाया जाता था। (2 इतिहास 28:3; 33:6, यिर्मयाह 7:31, 32; 32:35) मगर राजा योशिय्याह ने, जो परमेश्वर का वफादार सेवक था, इन धार्मिक कामों पर रोक लगाने के लिए इस घाटी को अपवित्र कर दिया, खासकर घाटी के उस हिस्से को जिसे तोपेत कहा जाता था।—2 राजा 23:10.
यहूदी टीकाकार डेविड किमहाइ (1160?-1235?) ने भजन 27:13 के बारे में टिप्पणी देते वक्त “गेहिन्नोम” के इतिहास के बारे में यह जानकारी दी: “यह यरूशलेम से सटी हुई एक जगह है, और बेहद घिनौनी जगह है। यहाँ लोग गंदी चीज़ें और लाशें फेंकते हैं। इतना ही नहीं, यहाँ लगातार आग जलती रहती है ताकि गंदी चीज़ें और लाशों की हड्डियाँ भस्म हो जाएँ। इसलिए दुष्टों को मिलनेवाली सज़ा को लाक्षणिक मायने में गेहिन्नोम की सज़ा कहा गया है।”
बाद में, हिन्नोम की घाटी यरूशलेम शहर का कूड़ा-करकट फेंकने और जलाने की जगह बन गयी। जानवरों की लाशें इस घाटी में फेंक दी जाती थीं, जहाँ गंधक डाला जाता था ताकि आग जलती रहे। इसके अलावा, जिन अपराधियों को मौत के घाट उतारा जाता था और जिन्हें इज़्ज़त से दफनाने के लायक नहीं समझा जाता था, उनकी लाशें भी इस घाटी में फेंक दी जाती थीं। अगर ये लाशें आग में जा पड़ती थीं, तो भस्म हो जाती थीं, लेकिन अगर इस गहरी घाटी की ढलान पर किसी चट्टान पर जा गिरती थीं तो उनके सड़ते हुए माँस में कीड़े पड़ जाते थे। ये कीड़े तब तक नहीं मरते थे जब तक कि वे सारा माँस न खा लें। इसके बाद सिर्फ कंकाल बच जाता था। इसलिए, किसी की लाश को गेहन्ना में फेंकना, सबसे बुरी सज़ा समझा जाता था। गेहन्ना जो सचमुच की एक जगह थी और इसके जो मायने थे, उसी के आधार पर बाइबल में लाक्षणिक मायने में ‘आग की झील’ का भी ज़िक्र किया गया है ‘जो गंधक से जलती रहती है।’—प्रकाशितवाक्य 19:20; 20:10, 14, 15; 21:8.
गेहन्ना में कभी-भी ज़िंदा जानवर या इंसान नहीं फेंके जाते थे, ताकि वे ज़िंदा जलाए जाएँ या उन्हें यातना दी जाए। इसलिए, बाइबल में गेहन्ना का मतलब ऐसी अनदेखी जगह नहीं हो सकता जहाँ इंसानों को मरने के बाद हमेशा-हमेशा तक सचमुच की आग में तड़पाया जाता हो या जहाँ ऐसे कीड़े उन पर हमला करते रहते हों, जो कभी नहीं मरते। किसी मुरदे का स्मारक कब्र में रखा जाना, इस बात की निशानी होता था कि जो मर चुका है उसके फिर से जी उठने की उम्मीद है। मगर जिनके बारे में माना जाता था कि उनके दोबारा जी उठने की उम्मीद नहीं है, उन्हें इज़्ज़त के साथ दफनाया नहीं जाता था बल्कि गेहन्ना में फेंक दिया जाता था। इसलिए जब यीशु और उसके चेलों ने गेहन्ना शब्द का इस्तेमाल किया, तो उनका मतलब था, हमेशा का विनाश यानी परमेश्वर के बनाए विश्व से मिटा दिया जाना, या “दूसरी मौत” यानी पूरी तरह वजूद मिट जाना।
गेहन्ना के बारे में ये सारी सच्चाइयाँ इस बात से मेल खाती हैं कि यहोवा प्यार करनेवाला और न्याय का परमेश्वर है।—निर्गमन 34:6, 7; 1 यूहन्ना 4:8 से तुलना करें।