12 पृथ्वी पर यीशु की ज़िंदगी की खास घटनाएँ
खुशखबरी की चार किताबों में दर्ज़ घटनाएँ जिस क्रम में घटीं
यीशु की सेवा से पहले तक की घटनाएँ
वक्त |
जगह |
घटना |
आयत |
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ई.पू. 3 |
यरूशलेम का मंदिर |
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के जन्म की भविष्यवाणी जकर्याह को सुनायी गयी |
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करीब ई.पू. 2 |
नासरत; यहूदिया |
मरियम को यीशु के जन्म की भविष्यवाणी सुनायी गयी; वह इलीशिबा से मिलने जाती है |
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ई.पू. 2 |
यहूदिया का पहाड़ी इलाका |
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का जन्म; बाद में, वीराने में उसकी ज़िंदगी |
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ई.पू. 2, करीब अक्टू. 1 |
बेतलेहेम |
यीशु का जन्म (वह वचन, जिसके ज़रिए दूसरी सभी चीज़ें वजूद में आयीं) जो अब्राहम और दाविद का वंशज था |
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बेतलेहेम के पास |
स्वर्गदूत खुशखबरी सुनाता है; चरवाहे यीशु को देखने आते हैं |
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बेतलेहेम; यरूशलेम |
यीशु का खतना किया गया (8 वें दिन), मंदिर में पेश किया गया (40वें दिन) |
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ई.पू. 1 या ई.स. 1 |
यरूशलेम; बेतलेहेम; नासरत |
ज्योतिषी; मिस्र भागना; शिशुओं का कत्ल; यीशु की वापसी |
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ई.स. 12 |
यरूशलेम |
बारह साल का यीशु, फसह के त्योहार पर; घर जाता है |
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29, वसंत |
वीराना, यरदन |
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले की सेवा |
यीशु की सेवा की शुरूआत
वक्त |
जगह |
घटना |
आयत |
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29, पतझड़ |
यरदन नदी |
यीशु का बपतिस्मा और अभिषेक। एक इंसान के रूप में दाविद के वंश में पैदा हुआ मगर जिसके बारे में यह घोषणा हुई कि वह परमेश्वर का बेटा है |
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यहूदिया का वीराना |
यीशु का निराहार रहना और उसकी परीक्षा |
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यरदन पार का बैतनिय्याह |
यीशु के बारे में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले की गवाही |
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ऊपरी यरदन घाटी |
यीशु के पहले चेले |
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गलील का कसबा काना; कफरनहूम |
यीशु का पहला चमत्कार; वह कफरनहूम जाता है |
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30, फसह |
यरूशलेम |
फसह का त्योहार मनाना; लेन-देन करनेवालों को मंदिर से बाहर खदेड़ना |
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यरूशलेम |
नीकुदेमुस के साथ यीशु की बातचीत |
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यहूदिया; एनोन |
यीशु के चेले बपतिस्मा देते हैं; यूहन्ना को घटना है |
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तिबिरियास |
यूहन्ना कैद में; यीशु, गलील के लिए रवाना होता है |
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सामरिया का सूखार |
गलील जाते वक्त, रास्ते में यीशु सामरियों को सिखाता है |
गलील में बड़े पैमाने पर यीशु की सेवा
वक्त |
जगह |
घटना |
आयत |
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30, फसह |
गलील |
पहले यह ऐलान करता है, “स्वर्ग का राज पास आ गया है” |
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नासरत; काना; कफरनहूम |
लड़के को चंगा करता है; जिस काम के लिए भेजा गया वह पढ़कर बताता है; ठुकराया जाता है; कफरनहूम चला जाता है |
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गलील की झील कफरनहूम के पास |
शमौन और अन्द्रियास, याकूब और यूहन्ना को बुलावा |
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कफरनहूम |
दुष्ट स्वर्गदूत के वश में पड़े हुए को, साथ ही पतरस की सास और बहुतों को चंगा करता है |
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गलील |
गलील का पहला दौरा, उन चारों चेलों के साथ जिन्हें बुलावा मिल चुका है |
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गलील |
कोढ़ी चंगा किया गया; भारी तादाद में लोग यीशु के पास आते हैं |
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कफरनहूम |
लकवे के मारे को चंगा करता है |
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कफरनहूम |
मत्ती को बुलावा; कर-वसूलनेवालों के साथ दावत |
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यहूदिया |
यहूदिया के सभा-घरों में प्रचार करता है |
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31, फसह |
यरूशलेम |
दावत में हाज़िर; आदमी को चंगा करता है; फरीसियों को फटकारता है |
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यरूशलेम से लौटता है (?) |
चेले, सब्त के दिन अनाज की बालें तोड़ते हैं |
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गलील; गलील की झील |
सब्त के दिन हाथ चंगा करता है; झील के किनारे चला जाता है; चंगाई करता है |
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कफरनहूम के पास पहाड़ पर |
12 चेले, प्रेषित होने के लिए चुने जाते हैं |
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कफरनहूम के पास |
पहाड़ी उपदेश |
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कफरनहूम |
सेना-अफसर के नौकर को चंगा करता है |
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नाईन |
विधवा के बेटे को ज़िंदा करता है |
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गलील |
कैद में पड़ा यूहन्ना, यीशु के पास अपने चेले भेजता है |
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गलील |
शहरों को धिक्कारता है; नन्हे-मुन्नों पर प्रकट; जूआ आरामदायक |
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गलील |
एक पापिन उसके पैरों पर तेल मलती है; कर्ज़दारों की मिसाल |
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गलील |
गलील में प्रचार का दूसरा दौरा, 12 प्रेषितों के साथ |
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गलील |
दुष्ट स्वर्गदूत के वश में पड़े आदमी को चंगा किया; बालज़बूल के साथ साँठ-गाँठ का इलज़ाम |
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गलील |
शास्त्री और फरीसी निशानी देखना चाहते हैं |
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गलील |
मसीह के नज़दीकी रिश्तेदार उसके चेले |
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गलील की झील |
बीज बोनेवाले की, जंगली पौधे की और दूसरी मिसालें; और उन्हें समझाना |
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गलील की झील |
झील पार करते वक्त आँधी को शांत करना |
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गदारा, गलील की झील के दक्षिण-पूर्व में |
दो आदमी जिनमें दुष्ट स्वर्गदूत समाए थे, चंगे किए गए; दुष्ट दूत सूअरों में समा गए |
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शायद कफरनहूम |
याईर की बेटी ज़िंदा की गयी; स्त्री चंगी की गयी |
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कफरनहूम (?) |
दो अंधों को और दुष्ट स्वर्गदूत के वश में पड़े गूंगे को ठीक करता है |
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नासरत |
जिस शहर में पला-बढ़ा वहाँ फिर से जाता है और उसे फिर से ठुकराया जाता है |
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गलील |
गलील का तीसरा और भी बड़ा दौरा, क्योंकि प्रेषित भेजे गए |
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तिबिरियास |
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का सिर काट दिया गया; दोषी महसूस करने की वजह से हेरोदेस का डर |
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32, फसह के त्योहार के आस-पास (यूह 6:4) |
कफरनहूम (?); गलील झील के उत्तर-पूर्व में |
प्रचार के दौरे से प्रेषित लौटते हैं; 5,000 को खाना खिलाया |
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गलील की झील के उत्तर-पूर्व में; गन्नेसरत |
यीशु को राजा बनाने की कोशिश; वह झील पर चलता है; चंगा करता है |
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कफरनहूम |
“ज़िंदगी देनेवाली रोटी” कौन है बताता है; बहुत-से चेले उसे छोड़ जाते हैं |
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32, फसह के बाद |
शायद कफरनहूम फीनीके; दिकापुलिस |
परंपराएँ जिनकी वजह से परमेश्वर का वचन रद्द किया जाता है |
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सोर और सीदोन के पास; फिर दिकापुलिस जाना |
4,000 को खाना खिलाया |
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मगदन |
सदूकी और फरीसी फिर एक निशानी देखना चाहते हैं |
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गलील की झील के उत्तर-पूर्व में; बैतसैदा |
फरीसियों के खमीर के खिलाफ चेतावनी देता है; अंधे को चंगा करता है |
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कैसरिया फिलिप्पी |
यीशु जो मसीहा है; अपनी मौत के बारे में और फिर से जी उठने के बारे में भविष्यवाणी करता है |
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शायद हर्मोन पहाड़ |
पतरस, याकूब और यूहन्ना के सामने उसका रूप बदलता है |
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कैसरिया फिलिप्पी |
दुष्ट स्वर्गदूत के वश में पड़े लड़के को चंगा करता है जो चेले नहीं कर पाते |
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गलील |
अपनी मौत और फिर से जी उठने के बारे में दोबारा भविष्यवाणी करता है |
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कफरनहूम |
कर का पैसा चमत्कार से दिया गया |
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कफरनहूम |
राज में सबसे बड़ा कौन; मामलों को निपटाना; दया |
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गलील; सामरिया |
झोंपड़ियों के त्योहार के लिए गलील से रवाना होता है; सेवा का काम करने के लिए सबकुछ दरकिनार करना |
यहूदिया में यीशु की बाद की सेवा
वक्त |
जगह |
घटना |
आयत |
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32, झोंपड़ियों का त्योहार |
यरूशलेम |
झोंपड़ियों के त्योहार पर यीशु सरेआम लोगों को सिखाता है |
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यरूशलेम |
त्योहार के बाद सिखाता है; अंधे को ठीक करता है |
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शायद यहूदिया |
70 चेलों को प्रचार करने भेजता है; वे लौटकर अपने प्रचार की रिपोर्ट देते हैं |
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यहूदिया; बैतनिय्याह |
मददगार पड़ोसी साबित होनेवाले सामरी के बारे में बताता है; मारथा और मरियम के घर पर |
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शायद यहूदिया |
प्रार्थना का नमूना फिर से सिखाता है; माँगते रहना |
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शायद यहूदिया |
झूठे इलज़ाम को गलत साबित करता है; दिखाता है कि यह पीढ़ी सज़ा के लायक है |
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शायद यहूदिया |
फरीसी के यहाँ दावत पर यीशु कपटियों को धिक्कारता है |
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शायद यहूदिया |
परमेश्वर कितनी परवाह करता है, इस पर भाषण; विश्वासयोग्य प्रबंधक |
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शायद यहूदिया |
सब्त के दिन एक अपाहिज स्त्री को चंगा करता है; तीन मिसालें |
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32, समर्पण का त्योहार |
यरूशलेम |
समर्पण के त्योहार पर यीशु; अच्छा चरवाहा |
यरदन नदी के पूरब में यीशु की बाद की सेवा
वक्त |
जगह |
घटना |
आयत |
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32, समर्पण का त्योहार |
यरदन पार |
बहुतेरे यीशु पर विश्वास करते हैं |
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पेरिया (यरदन पार) |
यरूशलेम जाते हुए शहरों और गाँवों में सिखाता है |
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पेरिया |
राज में दाखिल होना; हेरोदेस की धमकी; घर छोड़ा जाता है |
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शायद पेरिया |
नम्रता; शाम के खाने की आलीशान दावत की मिसाल |
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शायद पेरिया |
चेला होने की कीमत आँकना |
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शायद पेरिया |
मिसालें: खोयी हुई भेड़, खोया सिक्का, उड़ाऊ बेटा |
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शायद पेरिया |
मिसालें: बेईमान प्रबंधक, अमीर आदमी और लाज़र |
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शायद पेरिया |
माफी और विश्वास; निकम्मे दास |
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बैतनिय्याह |
यीशु, मरे हुए लाज़र को ज़िंदा करता है |
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यरूशलेम; इफ्राइम |
यीशु के खिलाफ कैफा की सलाह; यीशु वीराने में चला जाता है |
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सामरिया; गलील |
सामरिया और गलील से होते हुए रास्ते में चंगाई और सिखाने का काम करता है |
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सामरिया या गलील |
मिसालें: बार-बार दुहाई देनेवाली विधवा, फरीसी और कर-वसूलनेवाला |
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पेरिया |
पेरिया से होता हुआ निचले भाग में आता है; तलाक पर शिक्षा देता है |
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पेरिया |
बच्चों से मिलकर उन्हें आशीष देता है |
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पेरिया |
अमीर नौजवान; अंगूर के बाग के मज़दूरों की मिसाल |
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शायद पेरिया |
यीशु अपनी मौत और फिर से जी उठने के बारे में तीसरी बार भविष्यवाणी करता है |
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शायद पेरिया |
राज में बैठने के बारे में याकूब और यूहन्ना की गुज़ारिश |
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यरीहो |
यरीहो से गुज़रते हुए, वह दो अंधों को चंगा करता है; जक्कई से मिलता है; चाँदी के दस टुकड़ों की मिसाल |
यरूशलेम में यीशु की सेवा का अंतिम चरण
वक्त |
जगह |
घटना |
आयत |
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निसान 8, 33 |
बैतनिय्याह |
फसह के त्योहार से छ: दिन पहले बैतनिय्याह पहुँचता है |
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निसान 9 |
बैतनिय्याह |
शमौन कोढ़ी के घर दावत; मरियम यीशु के सिर पर तेल डालकर अभिषेक करती है; यहूदी, यीशु और लाज़र को देखने आते हैं |
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बैतनिय्याह-यरूशलेम |
मसीह का यरूशलेम में विजयी प्रवेश |
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निसान 10 |
बैतनिय्याह-यरूशलेम |
बिना फल का अंजीर का पेड़; दूसरी बार मंदिर की सफाई |
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यरूशलेम |
प्रधान याजक और शास्त्री यीशु को मार डालने की साज़िश रचते हैं |
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यरूशलेम |
यूनानियों के साथ चर्चा; यहूदियों का अविश्वास |
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निसान 11 |
बैतनिय्याह-यरूशलेम |
बिना फल का अंजीर का पेड सूखा हुआ पाया गया |
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यरूशलेम, मंदिर |
मसीह के अधिकार पर सवाल उठाया गया; दो बेटों की मिसाल |
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यरूशलेम, मंदिर |
दुष्ट बागबानों, शादी की दावत की मिसालें |
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यरूशलेम, मंदिर |
यीशु को फँसाने के इरादे से, कर, पुनरुत्थान, आज्ञा के बारे में पूछे गए सवाल |
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यरूशलेम, मंदिर |
मसीहा के वंश के बारे में सवाल पूछकर यीशु दुश्मनों का मुँह बंद करता है |
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यरूशलेम, मंदिर |
शास्त्रियों और फरीसियों की तीखे शब्दों में निंदा |
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यरूशलेम, मंदिर |
विधवा के दो छोटे सिक्के |
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जैतून पहाड़ |
यरूशलेम के नाश; यीशु की मौजूदगी और व्यवस्था के अंत की भविष्यवाणी |
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जैतून पहाड़ |
दस कुंवारियों, तोड़ों, भेड़ों और बकरियों की मिसालें |
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निसान 12 |
यरूशलेम |
धर्मगुरु यीशु की मौत की साज़िश रचते हैं |
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यरूशलेम |
यीशु को धोखे से पकड़वाने के लिए यहूदा, याजकों के साथ सौदा करता है |
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निसान 13 (गुरुवार दोपहर) |
यरूशलेम में और उसके आस-पास |
फसह की तैयारियाँ |
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निसान 14 |
यरूशलेम |
बारहों के साथ फसह की दावत खायी |
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यरूशलेम |
यीशु अपने प्रेषितों के पैर धोता है |
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यरूशलेम |
एक गद्दार के रूप में यहूदा की पहचान और उसे बाहर निकालना |
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यरूशलेम |
ग्यारह चेलों के साथ स्मारक के भोजन की शुरूआत की गयी |
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यरूशलेम |
पतरस के इनकार करने और प्रेषितों के बिखरने की भविष्यवाणी की गयी |
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यरूशलेम |
मददगार; आपसी प्यार; दुख-तकलीफें यीशु की प्रार्थना |
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गतसमनी |
बाग में दु:ख से तड़पना; यीश का धोखे से पकड़वाया जाना और गिरफ्तारी |
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यरूशलेम |
हन्ना, कैफा, महासभा की पूछताछ; पतरस इनकार करता है |
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यरूशलेम |
विश्वासघाती यहूदा खुद को फाँसी देता है |
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यरूशलेम |
पहले पीलातुस के, फिर हेरोदेस के और फिर दोबारा पीलातुस के सामने लाया गया |
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यरूशलेम |
पीलातुस उसे रिहा करने की कोशिश करता है, फिर उसे मार डालने के लिए सौंप देता है |
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(क. दोपहर 3 बजे, शुक्रवार) |
गुलगुता, यरूशलेम |
यातना की सूली पर यीशु की मौत और उनके साथ-साथ की घटनाएँ |
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यरूशलेम |
यीशु का शव यातना की सूली से उतारकर दफन किया जाता है |
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निसान 15 |
यरूशलेम |
याजक और फरीसी उसकी कब्र पर पहरा बिठाने का इंतज़ाम करवाते हैं |
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निसान 16 |
यरूशलेम और उसके आस-पास |
यीशु जी उठता है और उस दिन की घटनाएँ |
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यरूशलेम; गलील |
यीशु मसीह अलग-अलग मौकों पर लोगों को दिखायी देता है |
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इय्यार 25 |
जैतून पहाड़, बैतनिय्याह के पास |
जी उठने के बाद 40वें दिन यीशु का स्वर्ग जाना |