क7-झ
यीशु की ज़िंदगी की खास घटनाएँ—यरूशलेम में यीशु की सेवा के आखिरी दिन (भाग 2)
वक्त |
जगह |
घटना |
मत्ती |
मरकुस |
लूका |
यूहन्ना |
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नीसान 14 |
यरूशलेम |
यीशु, यहूदा को गद्दार बताकर बाहर भेज देता है |
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प्रभु के संध्या-भोज की शुरूआत करता है (1कुरिं 11:23-25) |
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बताता है कि पतरस उसे जानने से इनकार करेगा और प्रेषित तितर-बितर हो जाएँगे |
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मददगार को भेजने का वादा करता है; सच्ची बेल की मिसाल; प्यार करने की आज्ञा; प्रेषितों के साथ आखिरी प्रार्थना |
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गतसमनी |
बाग में दुख से तड़पना; यीशु के साथ विश्वासघात और उसकी गिरफ्तारी |
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यरूशलेम |
हन्ना पूछताछ करता है; महासभा में कैफा मुकदमा चलाता है; पतरस यीशु का इनकार करता है |
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गद्दार यहूदा फाँसी लगा लेता है (प्रेषि 1:18, 19) |
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पहले पीलातुस के, फिर हेरोदेस के और दोबारा पीलातुस के सामने लाया जाता है |
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पीलातुस उसे रिहा करना चाहता है मगर यहूदी, बरअब्बा को छोड़ने की माँग करते हैं; यातना के काठ पर मार डालने की सज़ा सुनायी जाती है |
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(दोपहर करीब 3 बजे, शुक्रवार) |
गुलगुता |
यातना के काठ पर दम तोड़ता है |
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यरूशलेम |
यीशु की लाश यातना के काठ से उतारकर गुफा में रखी गयी |
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नीसान 15 |
यरूशलेम |
याजक और फरीसी उसकी कब्र पर पहरा बिठाते हैं और उसका द्वार अच्छी तरह बंद करवाते हैं |
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नीसान 16 |
यरूशलेम और उसके आस-पास; इम्माऊस |
यीशु ज़िंदा हो गया; पाँच बार चेलों को दिखायी देता है |
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नीसान 16 के बाद |
यरूशलेम; गलील |
और भी कई बार चेलों को दिखायी देता है (1कुरिं 15:5-7; प्रेषि 1:3-8); हिदायतें देता है; चेला बनाने का काम सौंपता है |
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अय्यार 25 |
बैतनियाह के पास जैतून पहाड़ पर |
ज़िंदा होने के 40वें दिन यीशु स्वर्ग जाता है (प्रेषि 1:9-12) |