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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
हबक्कूक

हबक्कूक

1 यह संदेश भविष्यवक्‍ता हबक्कूक* को दर्शन में मिला:

 2 हे यहोवा, मैं कब तक पुकारता रहूँगा और तू अनसुना करता रहेगा?+

मैं कब तक दुहाई देता रहूँगा और तू मुझे हिंसा से नहीं बचाएगा?+

 3 तू क्यों मुझे बुराई दिखाता है?

क्यों अत्याचार होने देता है?

मेरे सामने विनाश और हिंसा क्यों हो रही है?

लड़ाई-झगड़े क्यों बढ़ते जा रहे हैं?

 4 कानून का डर किसी में नहीं रहा

और कहीं इंसाफ नहीं होता।

नेक इंसान दुष्टों से घिरा हुआ है,

तभी तो न्याय का खून हो रहा है।+

 5 “राष्ट्रों को देखो और ध्यान दो!

हैरानी से ताको और दंग रह जाओ!

क्योंकि तुम्हारे दिनों में कुछ ऐसा होनेवाला है

कि अगर तुम्हें बताया भी जाए तब भी तुम यकीन नहीं करोगे।+

 6 मैं तुम्हारे खिलाफ कसदियों को लानेवाला हूँ,+

हाँ, उस बेरहम और उतावले राष्ट्र को।

वे लोग धरती के दूर-दूर के इलाकों से होकर जाते हैं

और परायों की ज़मीन हथिया लेते हैं।+

 7 वे बहुत भयानक और डरावने हैं,

वे अपने कानून खुद बनाते हैं और धौंस जमाते हैं।+

 8 उनके घोड़े, चीते से भी तेज़ दौड़ते हैं।

वे लोग रात को निकलनेवाले भेड़ियों से ज़्यादा खूँखार हैं।+

उनके जंगी घोड़े धड़धड़ाते हुए आते हैं,

उनके घोड़े दूर से आते हैं।

वे लोग उकाब की तरह अपने शिकार पर झपट पड़ते हैं।+

 9 सब-के-सब खून के प्यासे हैं,+

वे एक-साथ ऐसे आते हैं जैसे पूरब से गरम हवा आती है+

और वे बंदियों को रेत के किनकों की तरह उठा ले जाते हैं।

10 वे राजाओं का मज़ाक उड़ाते हैं,

बड़े-बड़े अधिकारियों पर हँसते हैं,+

सब मज़बूत गढ़ों पर ठहाके मारते हैं+

और मिट्टी का टीला बनाकर उन पर कब्ज़ा कर लेते हैं।

11 फिर वे तेज़ झोंके की तरह देश में से होकर जाते हैं।

लेकिन उन्हें दोषी ठहराया जाएगा,+

क्योंकि वे अपनी ताकत का श्रेय अपने देवता को देते हैं।”*+

12 हे यहोवा, तू हमेशा से वजूद में है,+

हे मेरे परमेश्‍वर, मेरे पवित्र परमेश्‍वर, तू कभी नहीं मरता।*+

हे यहोवा, अपना फैसला सुनाने के लिए तूने उन्हें ठहराया है,

हे मेरी चट्टान,+ हमें सज़ा देने* के लिए तूने उन्हें चुना है।+

13 तेरी आँखें इतनी शुद्ध हैं कि तू बुराई नहीं देख सकता,

दुष्टता तुझसे बरदाश्‍त नहीं होती।+

तो फिर तू छल करनेवालों को क्यों बरदाश्‍त कर रहा है?+

जब दुष्ट किसी नेक जन को निगल जाता है, तो तू क्यों खामोश रहता है?+

14 तूने इंसान को समुंदर की मछलियों जैसा क्यों बना दिया है?

समुंदर के जीव-जंतुओं जैसा क्यों बना दिया है, जिन पर कोई शासक नहीं होता?

15 वह* उन सबको मछली पकड़ने के काँटे से खींच लेता है,

बड़े जाल में उन्हें फँसा लेता है,

मछली के जाल में इकट्ठा करके खूब खुश होता है।+

16 इसलिए वह अपने बड़े जाल के लिए बलिदान चढ़ाता है,

मछली के जाल के आगे धूप जलाता है,

क्योंकि इन्हीं से उसे चिकना-चिकना भोजन मिलता है

और वह बढ़िया-बढ़िया खाना खाता है।

17 क्या वह अपना बड़ा जाल यूँ ही भरता और खाली करता रहेगा?*

क्या वह तरस खाए बिना राष्ट्रों को मारता रहेगा?+

2 मैं अपने पहरे की चौकी पर खड़ा रहूँगा,+

दीवार* पर तैनात रहूँगा।

मैं इंतज़ार करूँगा कि वह मुझे क्या संदेश देता है,

देखूँगा कि जब वह मुझे सुधारेगा तो मैं क्या जवाब दूँगा।

 2 फिर यहोवा ने मुझसे कहा,

“जो बातें तू दर्शन में देखनेवाला है,

उन्हें पटियाओं पर साफ-साफ लिख ले+

ताकि पढ़कर सुनानेवाला इसे आसानी से पढ़ सके,+

 3 क्योंकि यह दर्शन अपने तय वक्‍त पर पूरा होगा,

वह समय बड़ी तेज़ी से पास आ रहा है,

यह दर्शन झूठा साबित नहीं होगा।

अगर ऐसा लगे भी कि इसमें देर हो रही है, तब भी इसका इंतज़ार करना!+

क्योंकि यह ज़रूर पूरा होगा, इसमें देर नहीं होगी!

 4 उस आदमी को देखो जो घमंड से फूला हुआ है,

वह मन से सीधा-सच्चा नहीं।

लेकिन जो नेक है, वह अपने विश्‍वास से ज़िंदा रहेगा।+

 5 सच, दाख-मदिरा धोखा देती है,

तभी घमंडी इंसान अपना लक्ष्य नहीं पा सकेगा।

वह अपनी भूख कब्र के समान बढ़ा लेता है,

मौत की तरह उसका पेट कभी नहीं भरता,

वह सब राष्ट्रों और देश-देश के लोगों को अपने लिए इकट्ठा करता है।+

 6 वे सब उसके खिलाफ कहावतें कहेंगे,

पहेलियों में बात करेंगे और व्यंग कसेंगे।+

वे कहेंगे, ‘वह कब तक दूसरों की चीज़ों से अपना खज़ाना भरता रहेगा?

धिक्कार है उस पर! क्योंकि वह अपना कर्ज़ बढ़ा रहा है।

 7 क्या तेरे देनदार तुझ पर अचानक नहीं टूट पड़ेंगे?

वे उठेंगे और तुझे बुरी तरह झँझोड़ देंगे,

वे तुझे लूट लेंगे।+

 8 तूने बहुत-से राष्ट्रों को लूटा है,

इसलिए उनके बचे हुए लोग तुझे लूटेंगे।+

तूने कितनों का खून बहाया है,

धरती और शहरों को तबाह किया है,

वहाँ रहनेवालों को मार डाला है।+

 9 धिक्कार है उस पर, जो बेईमानी की कमाई से अपना घर भरता है,

मुसीबत की मार से बचने के लिए अपना घोंसला ऊँचाई पर बनाता है।

10 देश-देश के लोगों को मिटाकर तूने अपने ही खिलाफ पाप किया है,

तेरी साज़िशों से तेरे ही घर की बदनामी हुई है।+

11 तेरे खिलाफ दीवार का पत्थर चिल्लाएगा

और छत की शहतीर भी बोलेगी।

12 धिक्कार है उस पर, जिसने खून-खराबे से शहर को खड़ा किया है

और दुष्ट कामों से नगर की नींव डाली है।

13 देखो! देश-देश के लोग जिसके लिए जतन करते हैं, वह आग की भेंट चढ़ जाता है,

राष्ट्र जिसके लिए खुद को थका लेते हैं, वह बेकार साबित होता है।

क्या यह सब सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा का काम नहीं?+

14 पृथ्वी यहोवा की महिमा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी,

जैसे समुंदर पानी से भरा रहता है।+

15 धिक्कार है उस पर, जो अपने साथियों को जाम पिलाता है,

उसमें गुस्सा और क्रोध मिलाकर उन्हें धुत्त कर देता है

ताकि उनका नंगापन देखे।

16 तू आदर के बजाय अनादर से भर जाएगा।

अब तू भी पीने के लिए और अपना खतनारहित हाल दिखाने* के लिए तैयार हो जा!

यहोवा के दाएँ हाथ से प्याला पीने की तेरी बारी आ गयी है,+

बदनामी तेरी शान को ढक लेगी।

17 लबानोन के साथ तूने जो ज़्यादती की है वह तुझे आ घेरेगी

और तबाही लाकर तूने जानवरों में जो आतंक फैलाया, वही तबाही तुझ पर आ पड़ेगी।

क्योंकि तूने कितनों का खून बहाया है,

धरती और शहरों को तबाह किया है,

वहाँ रहनेवालों को मार डाला है।+

18 मूरत बनानेवाले को उस मूरत से क्या फायदा, जिसे उसने खुद बनाया है?

वह बस एक ढली हुई मूरत है और झूठ सिखाती है,

फिर भी उसका बनानेवाला उस पर भरोसा करता है,

बेज़ुबान और निकम्मी मूरतें बनाता जाता है।+

19 धिक्कार है उस पर जो लकड़ी के टुकड़े से कहता है, “जाग!”

गूँगे पत्थरों से कहता है, “उठ और हमें सिखा!”

देखो, वे सोने-चाँदी से मढ़ी तो हैं,+ पर उनमें साँस नहीं!+

20 लेकिन यहोवा अपने पवित्र मंदिर में है।+

हे सारी पृथ्वी, उसके सामने चुप रह!’”+

3 भविष्यवक्‍ता हबक्कूक की प्रार्थना जो शोकगीतों की तरह है:

 2 “हे यहोवा, मैंने तेरे चर्चे सुने हैं,

हे यहोवा, तेरे कामों ने मुझे विस्मय से भर दिया है।

हमारे समय में* एक बार फिर ये काम कर,

हमारे समय में* एक बार फिर उन्हें दिखा

और जब तू कहर ढाए तो दया करना मत भूलना।+

 3 परमेश्‍वर तेमान से आया,

पवित्र परमेश्‍वर पारान के पहाड़ से आया।+ (सेला )*

उसका प्रताप पूरे आसमान में छा गया+

और उसकी तारीफ से पृथ्वी गूँज उठी।

 4 उसका तेज, दिन के उजाले जैसा था।+

दो किरणें उसके हाथ से निकल रही थीं,

जिसमें उसकी ताकत छिपी थी।

 5 महामारी उसके आगे-आगे फैलती गयी+

और तेज़ बुखार उसके पीछे-पीछे।

 6 उसके रुकने पर पृथ्वी हिल उठी,+

उसकी एक नज़र से राष्ट्र काँप उठे,+

युग-युग से खड़े पहाड़ चकनाचूर हो गए,

सदियों से खड़ी पहाड़ियाँ झुक गयीं।+

उसकी राहें बीते ज़माने से ऐसी ही रही हैं।

 7 मैंने देखा, कूशान के तंबू संकट में हैं,

मिद्यान के तंबुओं के कपड़े थरथरा उठे।+

 8 हे यहोवा, क्या तू नदियों से गुस्सा है?

क्या तेरा क्रोध नदियों पर भड़का है?

या तेरी जलजलाहट सागर के खिलाफ है,+

जो तू घोड़ों पर सवार होकर आया+

और तेरे रथों ने जीत* दिलायी?+

 9 तू अपनी कमान निकालकर उसको तैयार करता है,

तेरी शपथ पूरी करने के लिए छड़* ठहरे हुए हैं।* (सेला )

तू नदियों से पृथ्वी को चीर डालता है।

10 तुझे देखकर पहाड़ों की कँपकँपी छूट गयी,+

मूसलाधार बारिश से बाढ़ आ गयी,

ज़मीन की गहराइयों में पानी गरज उठा+

और ऐसे फूट पड़ा मानो उसने हाथ ऊपर उठाया हो।

11 तेरे छूटते तीरों की चमक से,+

चमचमाते भाले की रौशनी से,

सूरज और चाँद अपने ऊँचे ठिकानों से बाहर नहीं निकले।+

12 अपनी जलजलाहट में तू धरती पर से होकर गुज़रा,

तूने अपने क्रोध में राष्ट्रों को रौंद डाला।

13 तू अपने लोगों का उद्धार करने, अपने अभिषिक्‍त जन को बचाने निकला।

तूने दुष्ट के घर के अगुवे को मसल दिया

और घर को ऊपर* से लेकर नींव तक उजाड़ दिया। (सेला )

14 उसके योद्धा आँधी की तरह मुझे तितर-बितर करने आए,

क्योंकि उन्हें दुखियारे को चोरी-छिपे उजाड़ने में खुशी मिलती है,

पर तूने उनके हथियार* उन्हीं के सिर में घोंप दिए।

15 अपने घोड़ों को साथ लिए तू समुंदर को,

हाँ, उफनती धाराओं को चीरता हुआ आया।

16 यह सुनते ही मैं अंदर तक काँप उठा,

खबर मिलते ही मेरे होंठ थरथराने लगे,

मेरी हड्डियाँ गल गयीं+

और मेरे पैर लड़खड़ाने लगे।

लेकिन मैं शांत होकर संकट के दिन का इंतज़ार करूँगा,+

क्योंकि यह दिन उन पर टूट पड़ेगा जो हम पर हमला करते हैं।

17 चाहे अंजीर के पेड़ पर फूल न लगें

और अंगूरों की बेल पर अंगूर न आएँ,

चाहे जैतून की फसल न आए

और खेत में अनाज न उगे,

चाहे बाड़े से भेड़-बकरियाँ गायब हो जाएँ

और छप्पर में गाय-बैल न रहें,

18 फिर भी मैं यहोवा के कारण खुशी मनाऊँगा,

अपने उद्धारकर्ता, अपने परमेश्‍वर के कारण मगन होऊँगा।+

19 सारे जहान का मालिक यहोवा मेरी ताकत है,+

वह मेरे पैरों को हिरन की सी तेज़ी देगा

और मुझे ऊँची जगहों में ले चलेगा।”+

निर्देशक के लिए हिदायत: यह गीत मेरे तारोंवाले बाजे बजाकर गाया जाए।

शायद इसका मतलब है, “प्यार से गले लगाना।”

या शायद, “उनकी ताकत ही उनका देवता है।”

या शायद, “हम नहीं मरेंगे।”

या “सुधारने।”

यानी उनके दुश्‍मन, कसदी।

या शायद, “अपनी तलवार ताने रहेगा?”

शा., “सुरक्षा की ढलान।”

या शायद, “और लड़खड़ाने।”

शा., “इन सालों के दौरान।”

शा., “इन सालों के दौरान।”

शब्दावली देखें।

या “उद्धार।”

या शायद, “तीर।”

या शायद, “गोत्रों ने शपथ खायी है।”

शा., “गले।”

शा., “छड़ें।”

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