गलातियों के नाम चिट्ठी
1 यह चिट्ठी मुझ पौलुस की तरफ से है। मुझे न इंसानों की तरफ से और न किसी इंसान के ज़रिए प्रेषित ठहराया गया बल्कि परमेश्वर हमारे पिता+ ने मुझे यीशु मसीह के ज़रिए प्रेषित ठहराया,+ जिसे उसने मरे हुओं में से ज़िंदा किया था। 2 मैं और मेरे साथ के सभी भाई गलातिया प्रांत की मंडलियों को यह चिट्ठी लिख रहे हैं:
3 तुम्हें परमेश्वर हमारे पिता की तरफ से और प्रभु यीशु मसीह की तरफ से महा-कृपा और शांति मिले। 4 हमारे परमेश्वर और पिता की मरज़ी+ के मुताबिक मसीह ने हमारे पापों के लिए खुद को दे दिया+ ताकि हमें इस दुष्ट दुनिया की व्यवस्था*+ से छुटकारा दिलाए। 5 परमेश्वर की महिमा हमेशा-हमेशा तक होती रहे। आमीन।
6 मुझे ताज्जुब होता है कि तुम इतनी जल्दी उस परमेश्वर से मुँह मोड़ रहे हो जिसने तुम्हें मसीह की महा-कृपा दिखाकर बुलाया था और अब तुम किसी और तरह की खुशखबरी की तरफ जा रहे हो।+ 7 मगर कोई और खुशखबरी है ही नहीं। सच तो यह है कि वहाँ कुछ ऐसे लोग हैं जो तुम्हारे लिए मुश्किल पैदा कर रहे हैं+ और मसीह के बारे में खुशखबरी को बिगाड़ना चाहते हैं। 8 लेकिन चाहे हम या स्वर्ग का कोई दूत भी, उस खुशखबरी के नाम पर जो हमने तुम्हें सुनायी थी, कोई और खुशखबरी सुनाए तो वह शापित ठहरे। 9 मैं एक बार फिर वही बात कहता हूँ जो हमने अभी-अभी कही है, तुमने जो खुशखबरी स्वीकार की थी उसके नाम पर अगर कोई कुछ और सिखाता है तो वह शापित ठहरे।
10 अब मैं इंसानों को कायल करने की कोशिश कर रहा हूँ या परमेश्वर को? या क्या मैं इंसानों को खुश करने की कोशिश कर रहा हूँ? अगर मैं अब भी इंसानों को खुश करने में लगा हूँ, तो मैं मसीह का दास नहीं। 11 मेरे भाइयो, यह जान लो कि मैंने तुम्हें जो खुशखबरी सुनायी थी वह इंसानों की तरफ से नहीं है।+ 12 क्योंकि मैंने इसे न तो किसी इंसान से पाया है, न ही किसी इंसान से सीखा है, बल्कि खुद यीशु मसीह ने इसे मुझ पर प्रकट किया था।
13 बेशक तुमने सुना है कि जब मैं पहले यहूदी धर्म मानता था तो मेरा बरताव कैसा था।+ मैं परमेश्वर की मंडली को बुरी तरह सताता था और उसे तबाह करता था।+ 14 और मैं यहूदी धर्म में अपने राष्ट्र और अपनी उम्र के कई लोगों से ज़्यादा तरक्की कर रहा था, क्योंकि मैं अपने पुरखों की परंपराओं को मानने में सबसे जोशीला था।+ 15 लेकिन परमेश्वर, जिसने मुझे इस दुनिया में पैदा किया और मुझ पर महा-कृपा करके मुझे बुलाया,+ उसे यह अच्छा लगा 16 कि वह मेरे ज़रिए अपने बेटे को प्रकट करे ताकि मैं गैर-यहूदियों को उसके बेटे की खुशखबरी सुनाऊँ।+ तब मैं फौरन किसी इंसान के पास इस बारे में सलाह-मशविरा करने नहीं गया, 17 न ही मैं यरूशलेम में उनके पास गया जो मुझसे पहले से प्रेषित थे, मगर मैं अरब देश चला गया और बाद में दमिश्क+ लौट आया।
18 फिर तीन साल बाद मैं कैफा*+ से मिलने यरूशलेम गया+ और 15 दिन तक उसके साथ रहा। 19 वहाँ मैं प्रभु के भाई याकूब+ से भी मिला। उनके अलावा मैं किसी और प्रेषित से नहीं मिला। 20 परमेश्वर इस बात का गवाह है कि जो बातें मैं तुम्हें लिख रहा हूँ वे झूठी नहीं हैं।
21 इसके बाद, मैं सीरिया और किलिकिया+ के इलाकों में गया। 22 मगर यहूदिया की मसीही मंडलियों ने मुझे पहले कभी नहीं देखा था। 23 वे मंडलियाँ सिर्फ मेरे बारे में सुना करती थीं, “जो आदमी पहले हम पर ज़ुल्म ढाता था,+ वह अब इसी विश्वास के बारे में खुशखबरी सुना रहा है जिसे वह पहले तबाह करता था।”+ 24 इसलिए वे मेरी वजह से परमेश्वर की महिमा करने लगे।
2 इसके 14 साल बाद, मैं बरनबास+ के साथ एक बार फिर यरूशलेम गया और मैंने तीतुस को भी अपने साथ लिया।+ 2 मैं वहाँ इसलिए गया क्योंकि मुझ पर प्रकट किया गया था कि मुझे वहाँ जाना है। वहाँ मैंने बताया कि मैं गैर-यहूदियों को क्या खुशखबरी सुनाता हूँ। यह बात मैंने अकेले में सिर्फ उन भाइयों को बतायी जिनका बहुत सम्मान किया जाता है। मैंने उन्हें इसलिए बताया ताकि ऐसा न हो कि मैंने सेवा में अब तक जो दौड़-धूप की थी या कर रहा था, वह बेकार साबित हो। 3 मगर तीतुस+ को जो मेरे साथ था, यूनानी होने पर भी खतना कराने के लिए मजबूर नहीं किया गया था।+ 4 यह मुद्दा उन झूठे भाइयों की वजह से उठा था जो मंडली में चुपचाप घुस आए थे।+ वे चोरी-छिपे हमारी जासूसी करने आए थे ताकि मसीह यीशु के चेले होने के नाते हमें जो आज़ादी+ मिली है उसे छीनकर हमें पूरी तरह अपने गुलाम बना लें।+ 5 लेकिन हम एक पल के लिए भी उनके आगे नहीं झुके,+ न ही उनके अधीन हुए ताकि खुशखबरी की जो सच्चाई तुमने पायी है वह तुम्हारे साथ रहे।
6 मगर वे भाई जिन्हें खास समझा जाता था,+ हाँ, बाकियों से बड़े समझे जानेवाले उन भाइयों ने मुझे ऐसा कुछ भी नहीं बताया जो मेरे लिए नया हो। उन्हें चाहे जो भी समझा जाता था, उससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि परमेश्वर किसी की तरफदारी नहीं करता। 7 इसके बजाय, उन भाइयों ने देखा कि मुझे गैर-यहूदियों* को खुशखबरी सुनाने के लिए ठहराया गया है,+ ठीक जैसे यहूदियों को* खुशखबरी सुनाने के लिए पतरस को ठहराया गया था। 8 इसलिए कि जिसने पतरस को यहूदियों के लिए प्रेषित-पद की ज़िम्मेदारी निभाने की ताकत दी, उसी ने मुझे गैर-यहूदियों के लिए यह ज़िम्मेदारी निभाने की ताकत दी है।+ 9 उन्होंने यह भी समझ लिया कि किस तरह मुझ पर महा-कृपा की गयी।+ तब याकूब,+ कैफा* और यूहन्ना ने जो मंडली के खंभे समझे जाते थे, मुझसे और बरनबास से+ अपना दायाँ हाथ मिलाकर जताया कि हम सब साझेदार हैं और हम दूसरी जातियों के पास जाएँ, जबकि वे यहूदियों के पास जाएँगे। 10 हमसे यह भी कहा गया कि हम गरीब भाइयों को भी याद रखें। मैंने जी-जान से ऐसा ही करने की कोशिश की है।+
11 लेकिन जब कैफा*+ अंताकिया+ आया तो मैंने सबके सामने उसका विरोध किया क्योंकि यह साफ था कि वह दोषी है। 12 याकूब+ के भेजे गए कुछ लोगों के आने से पहले तक, कैफा गैर-यहूदियों के साथ खाया-पीया करता था,+ मगर जब वे भाई आए तो उसने खतना किए गए लोगों के डर से गैर-यहूदियों से किनारा कर लिया और उनसे दूर-दूर रहने लगा।+ 13 बाकी यहूदी भी उसकी देखा-देखी यही ढोंग करने लगे। यहाँ तक कि बरनबास भी उनके जैसा ढोंग करने लगा। 14 मगर जब मैंने देखा कि वे खुशखबरी की सच्चाई के मुताबिक नहीं चल रहे हैं,+ तो मैंने सबके सामने कैफा* से कहा, “जब तू एक यहूदी होकर गैर-यहूदियों जैसा बरताव कर रहा है न कि यहूदियों जैसा, तो तू गैर-यहूदियों को यहूदियों की रीतियाँ मानने के लिए कैसे मजबूर कर सकता है?”+
15 हम जो जन्म से यहूदी हैं और पापी गैर-यहूदियों में से नहीं, 16 हम जानते हैं कि एक इंसान कानून में बताए काम करने से नहीं बल्कि सिर्फ यीशु मसीह पर विश्वास करने से नेक ठहराया जाता है।+ इसलिए हमने मसीह यीशु पर विश्वास किया है ताकि हमें मसीह पर विश्वास करने की वजह से नेक ठहराया जाए, न कि कानून में बताए कामों के आधार पर क्योंकि मूसा के कानून में बताए कामों के आधार पर कोई भी इंसान नेक नहीं ठहर सकता।+ 17 अगर हम मसीह के ज़रिए नेक ठहरने की कोशिश करते हुए पापी कहलाएँ, तो क्या इसका यह मतलब है कि मसीह पाप का सेवक है? हरगिज़ नहीं! 18 मैं जिसे एक बार ढा चुका हूँ, अगर उसे दोबारा बनाने लगूँ, तो खुद को एक गुनहगार साबित करूँगा। 19 कानून के हिसाब से मैं मर गया+ ताकि परमेश्वर के लिए जी सकूँ। 20 मैं मसीह के साथ काठ पर ठोंक दिया गया हूँ।+ इसलिए अब मैं खुद के लिए नहीं जी रहा,+ बल्कि ऐसी ज़िंदगी जी रहा हूँ जो मसीह के साथ एकता में है।* अब मैं इंसान के नाते जो ज़िंदगी जी रहा हूँ वह सिर्फ उस विश्वास से जी रहा हूँ जो मुझे परमेश्वर के बेटे पर है,+ जिसने मुझसे प्यार किया और खुद को मेरे लिए दे दिया।+ 21 मैं परमेश्वर की महा-कृपा को नहीं ठुकराता*+ इसलिए कि अगर कानून को मानने से एक इंसान नेक ठहरता, तो असल में मसीह का मरना बेकार गया।+
3 अरे गलातिया के नासमझ लोगो, किसने तुम्हें भरमा लिया है?+ तुम्हें तो साफ-साफ समझाया गया था कि क्यों यीशु मसीह को काठ पर ठोंक दिया गया।+ 2 मैं तुमसे बस एक बात पूछना* चाहता हूँ। तुम्हें पवित्र शक्ति, कानून में बताए काम करने से मिली थी या खुशखबरी सुनकर विश्वास करने से?+ 3 क्या तुम इतने नासमझ हो? तुमने पवित्र शक्ति के मुताबिक चलते हुए शुरूआत की थी, अब अंत में क्या इंसानी तरीके से चलना चाहते हो?+ 4 क्या तुमने इतने दुख बेकार ही सहे थे? नहीं, वे बेकार नहीं थे। 5 इसलिए जो तुम्हें पवित्र शक्ति देता है और तुम्हारे बीच शक्तिशाली काम करता है,+ क्या वह इसलिए करता है कि तुम कानून में बताए गए काम करते हो या इसलिए कि तुमने खुशखबरी सुनकर उस पर विश्वास किया था? 6 अब्राहम ने भी “यहोवा* पर विश्वास किया और इस वजह से उसे नेक समझा गया।”+
7 बेशक तुम यह जानते हो कि जो विश्वास से चलते हैं सिर्फ वे ही अब्राहम के वंशज हैं।+ 8 शास्त्र ने पहले से यह देखकर कि परमेश्वर विश्वास के आधार पर गैर-यहूदियों को नेक ठहराएगा, अब्राहम को यह खुशखबरी बता दी, “तेरे ज़रिए सभी जातियाँ आशीष पाएँगी।”+ 9 इसलिए जो विश्वास से चलते हैं, वे अब्राहम की तरह ही आशीष पाते हैं जिसमें विश्वास था।+
10 जितने भी कानून में बताए कामों पर भरोसा करते हैं, वे शाप के अधीन हैं क्योंकि लिखा है, “जो कोई कानून की किताब में लिखी सब बातों को नहीं मानता, वह शापित है।”+ 11 इसके अलावा, यह बात साफ है कि कानून के आधार पर किसी को भी परमेश्वर की नज़र में नेक नहीं ठहराया जा सकता+ क्योंकि लिखा है, “जो नेक है, वह अपने विश्वास से ज़िंदा रहेगा।”+ 12 कानून का विश्वास से कोई नाता नहीं था। उसमें सिर्फ यह कहा गया था, “जो कोई ये काम करता है वह ज़िंदा रहेगा।”+ 13 मसीह ने हमें खरीदकर+ कानून के शाप से छुड़ाया+ और खुद हमारी जगह शापित बना क्योंकि लिखा है, “हर वह इंसान जो काठ पर लटकाया जाता है वह शापित है।”+ 14 यह इसलिए हुआ कि अब्राहम को जो आशीष मिली थी वह मसीह यीशु के ज़रिए दूसरे राष्ट्रों को भी मिले+ और हम अपने विश्वास के ज़रिए वह पवित्र शक्ति पाएँ+ जिसका वादा किया गया था।
15 भाइयो, मैं रोज़मर्रा ज़िंदगी की एक मिसाल से समझाता हूँ: कोई भी करारनामा, फिर चाहे वह इंसान का ही क्यों न हो, एक बार जब पक्का कर दिया जाता है, तो उसे न रद्द किया जा सकता है न ही उसमें कुछ जोड़ा जा सकता है। 16 अब जो वादे थे वे अब्राहम और उसके वंश* से किए गए थे।+ शास्त्र यह नहीं कहता, “और तेरे वंशजों* से,” मानो वह बहुतों की बात कर रहा हो, बल्कि वह सिर्फ एक के बारे में बात कर रहा था, “और तेरे वंश* से,” जो मसीह है।+ 17 मैं यह भी कहता हूँ: परमेश्वर ने जो करार या वादा पहले से किया था, उसे वह कानून रद्द नहीं कर देता जो 430 साल बाद आया था।+ 18 इसलिए कि अगर विरासत कानून के आधार पर दी जाती, तो फिर यह वादे की वजह से नहीं दी जाती। मगर सच तो यह है कि परमेश्वर ने मेहरबान होकर यह विरासत अब्राहम को एक वादे के ज़रिए दी है।+
19 तो फिर कानून क्यों दिया गया? यह पापों को ज़ाहिर करने के लिए+ बाद में इसलिए दिया गया ताकि यह तब तक रहे जब तक कि वह वंश* न आए+ जिससे वादा किया गया था। यह कानून स्वर्गदूतों के ज़रिए एक बिचवई+ के हाथों पहुँचाया गया था।+ 20 जहाँ सिर्फ एक पक्ष होता है वहाँ बिचवई की ज़रूरत नहीं होती। परमेश्वर अकेला वह पक्ष है जिसने यह वादा किया है। 21 तो फिर, क्या कानून परमेश्वर के वादों के खिलाफ है? हरगिज़ नहीं! क्योंकि अगर ऐसा कानून दिया जाता जो ज़िंदगी दिला सकता, तो एक इंसान कानून को मानकर ही नेक ठहर सकता था। 22 मगर शास्त्र ने सबको पाप की हिरासत में सौंप दिया ताकि वह वादा जो यीशु मसीह पर विश्वास करने पर निर्भर है, उनके लिए हो जो उस पर विश्वास करते हैं।
23 मगर विश्वास के आने से पहले, हम कानून की हिफाज़त में थे और उसकी हिरासत में सौंपे गए थे और उस विश्वास का इंतज़ार कर रहे थे जो प्रकट होनेवाला था।+ 24 इस तरह कानून हमें मसीह तक ले जाने के लिए हमारी देखरेख करनेवाला* बना+ ताकि हम विश्वास की वजह से नेक ठहराए जाएँ।+ 25 अब विश्वास आ पहुँचा है+ इसलिए हम किसी देखरेख करनेवाले* के अधीन नहीं रहे।+
26 दरअसल तुम सब मसीह यीशु में विश्वास+ करने की वजह से परमेश्वर के बेटे हो।+ 27 इसलिए कि तुम सबने, जिन्होंने मसीह में बपतिस्मा लिया है, मसीह को पहन लिया है।+ 28 अब न तो कोई यहूदी रहा न यूनानी,+ न कोई गुलाम न ही आज़ाद,+ न कोई आदमी न कोई औरत+ क्योंकि तुम सब मसीह यीशु के साथ एकता में हो।+ 29 और अगर तुम मसीह के हो, तो तुम वाकई अब्राहम का वंश* हो+ और वादे+ के मुताबिक वारिस हो।+
4 लेकिन मैं यह कहता हूँ कि जब तक वारिस बच्चा रहता है, उसमें और गुलाम में कोई फर्क नहीं होता इसके बावजूद कि वह सब चीज़ों का मालिक है। 2 वह अपने पिता के ठहराए दिन तक निगरानी करनेवालों और प्रबंधकों के अधीन रहता है। 3 उसी तरह, हम भी जब बच्चे थे तो दुनिया की मामूली बातों के गुलाम थे।+ 4 मगर जब वक्त पूरा हुआ तो परमेश्वर ने अपना बेटा भेजा जो एक औरत से पैदा हुआ+ और जो कानून के अधीन था।+ 5 परमेश्वर ने यह इसलिए किया कि जो कानून के अधीन हैं उन्हें खरीदकर छुड़ा सके+ और हमें बेटों के नाते गोद ले सके।+
6 तुम बेटे हो इसलिए परमेश्वर ने वही पवित्र शक्ति जो उसके बेटे को दी गयी थी,+ हमारे दिलों में भेजी है+ और यह “अब्बा,* पिता!” पुकारती है।+ 7 तो अब तुम गुलाम नहीं रहे बल्कि बेटे हो। और अगर बेटे हो तो परमेश्वर ने तुम्हें वारिस भी बनाया है।+
8 जब तुम परमेश्वर को नहीं जानते थे, तब तुम उनकी गुलामी करते थे जो ईश्वर हैं ही नहीं। 9 मगर अब जब तुम परमेश्वर को जान गए हो या यूँ कहें कि अब परमेश्वर तुम्हें जानता है, तो फिर तुम क्यों दुनिया की उन मामूली बातों की तरफ मुड़ रहे हो जो गयी-गुज़री और बेकार हैं+ और क्यों दोबारा उनकी गुलामी करना चाहते हो?+ 10 तुम बड़े ध्यान से खास दिन, महीने, समय और साल मनाते हो।+ 11 मुझे डर है कि मैंने तुम्हारे लिए जो कड़ी मेहनत की है, वह बेकार तो नहीं गयी।
12 भाइयो, मैं भी पहले वैसा ही था जैसे आज तुम हो। मगर मैं अब वैसा नहीं हूँ और तुमसे बिनती करता हूँ कि तुम भी मेरे जैसे बनो।+ तुमने मेरे साथ कुछ बुरा नहीं किया था। 13 मगर तुम जानते हो कि अपनी बीमारी की वजह से मुझे पहली बार तुम्हें खुशखबरी सुनाने का मौका मिला था। 14 और हालाँकि मेरी बीमारी तुम्हारे लिए एक परीक्षा थी फिर भी तुमने मुझे तुच्छ नहीं समझा, न ही मुझसे घिन की।* मगर तुमने मुझे परमेश्वर के एक स्वर्गदूत की तरह बल्कि मसीह यीशु की तरह स्वीकार किया। 15 अब तुम्हारी वह खुशी कहाँ चली गयी? मैं इस बात का गवाह हूँ कि अगर मुमकिन होता तो तुमने अपनी आँखें निकालकर मुझे दे दी होतीं।+ 16 क्या अब मैं तुम्हारा दुश्मन बन गया हूँ क्योंकि मैं सच बोल रहा हूँ? 17 वे तुम्हारा दिल जीतने की पूरी कोशिश कर रहे हैं मगर उनके इरादे नेक नहीं हैं। वे तुम्हें मुझसे दूर करना चाहते हैं ताकि तुम बड़े जोश के साथ उनके पीछे हो जाओ। 18 अगर कोई नेक इरादे से तुम्हारा दिल जीतने की कोशिश करे तो यह अच्छी बात है। वे ऐसा न सिर्फ उस समय करें जब मैं तुम्हारे बीच होता हूँ बल्कि हमेशा करें। 19 मेरे प्यारे बच्चो,+ जब तक मसीह तुम्हारे अंदर तैयार नहीं हो जाता,* तब तक मुझे तुम्हारे लिए फिर से प्रसव-पीड़ा होती रहेगी। 20 काश! मैं अभी तुम्हारे पास होता और तुमसे प्यार से बात करता क्योंकि मैं तुम्हारी वजह से बड़ी उलझन में हूँ।
21 तुम जो कानून के अधीन होना चाहते हो, मुझे बताओ कि क्या तुमने नहीं सुना कि कानून क्या कहता है? 22 मिसाल के लिए, लिखा है कि अब्राहम के दो बेटे हुए थे, एक दासी से+ और दूसरा आज़ाद औरत से।+ 23 मगर जो दासी से था वह स्वाभाविक तौर पर पैदा हुआ+ और दूसरा आज़ाद औरत से वादे के मुताबिक पैदा हुआ।+ 24 इन बातों के पीछे एक मतलब छिपा है।* इन दो औरतों का मतलब दो करार हैं। एक सीनै पहाड़+ पर किया गया था जो गुलामी करने के लिए बच्चे पैदा करता है और यह हाजिरा है। 25 हाजिरा मानो अरब का सीनै पहाड़ है+ और आज की यरूशलेम के समान है क्योंकि यरूशलेम अपने बच्चों समेत गुलाम है। 26 मगर ऊपर की यरूशलेम आज़ाद है और वह हमारी माँ है।
27 क्योंकि लिखा है, “हे बाँझ औरत, तू जिसके बच्चे नहीं होते, खुशियाँ मना। तू जिसे बच्चा जनने की पीड़ा नहीं हुई, खुशी से जयजयकार कर। क्योंकि छोड़ी हुई औरत के बच्चे उस औरत के बच्चों से ज़्यादा हैं, जिसका पति उसके साथ है।”+ 28 भाइयो, तुम भी इसहाक की तरह वे बच्चे हो जो वादे के मुताबिक पैदा हुए हैं।+ 29 मगर जिस तरह स्वाभाविक तरीके से पैदा होनेवाला, पवित्र शक्ति से पैदा होनेवाले पर ज़ुल्म करने लगा,+ वैसा ही आज है।+ 30 मगर शास्त्र क्या कहता है? “इस दासी और इसके लड़के को घर से निकाल दे क्योंकि दासी का लड़का आज़ाद औरत के बेटे के साथ वारिस हरगिज़ नहीं बनेगा।”+ 31 इसलिए भाइयो, हम दासी के नहीं बल्कि आज़ाद औरत के बच्चे हैं।
5 यही आज़ादी पाने के लिए मसीह ने हमें आज़ाद किया है। इसलिए मज़बूत खड़े रहो+ और खुद को फिर से गुलामी के जुए में न जुतने दो।+
2 देखो! मैं पौलुस, तुम्हें बता रहा हूँ कि अगर तुम खतना करवाते हो, तो मसीह तुम्हारे लिए किसी फायदे का नहीं होगा।+ 3 मैं खतना करानेवाले हर आदमी से एक बार फिर कहता हूँ कि अगर वह खतना करवाता है तो उसे मूसा के बाकी सभी कानूनों को भी मानना होगा।+ 4 तुम जो कानून को मानकर नेक ठहरने की कोशिश कर रहे हो, तुम मसीह से अलग हो गए हो।+ तुम उसकी महा-कृपा के दायरे से बाहर हो गए हो। 5 मगर हम पवित्र शक्ति के ज़रिए विश्वास से नेक ठहरने की आशा रखते हैं और उसका बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। 6 क्योंकि जो मसीह यीशु के साथ एकता में हैं उनके लिए न तो खतना कराने की कोई अहमियत है, न ही खतना न कराने की+ बल्कि उस विश्वास की अहमियत है जो प्यार के ज़रिए दिखायी देता है।
7 तुम सच्चाई की राह पर अच्छे-खासे चल* रहे थे।+ फिर किसने तुम्हें सच्चाई को मानने से रोका? 8 इस तरह की दलीलें उस परमेश्वर की तरफ से नहीं हैं जिसने तुम्हें बुलाया है। 9 ज़रा-सा खमीर पूरे गुँधे हुए आटे को खमीरा कर देता है।+ 10 तुम जो प्रभु के साथ एकता में हो,+ मुझे तुम पर यकीन है कि तुम कोई और विचार नहीं अपनाओगे। मगर जो तुम्हारे लिए मुसीबत खड़ी कर रहा है+ वह चाहे जो भी हो, उसे वह सज़ा ज़रूर मिलेगी जिसके वह लायक है। 11 भाइयो, जहाँ तक मेरी बात है, अगर मैं अब भी खतना कराने का प्रचार कर रहा हूँ तो मुझ पर आज तक ज़ुल्म क्यों ढाए जा रहे हैं? अगर मैं ऐसा कर रहा होता, तो यातना के काठ* की वजह से लोगों को ठेस पहुँचने की गुंजाइश ही नहीं रहती।+ 12 अच्छा होता कि जो आदमी तुम्हें उलझन में डालना चाहते हैं, वे अपना अंग कटवा डालते।*
13 भाइयो, तुम्हें आज़ाद होने के लिए बुलाया गया था। बस तुम यह मत समझो कि इस आज़ादी से तुम्हें शरीर की इच्छाएँ पूरी करने की छूट मिल जाती है,+ मगर दास बनकर प्यार से एक-दूसरे की सेवा करो।+ 14 इसलिए कि पूरे कानून का निचोड़ इस एक आज्ञा में है:* “तुम अपने पड़ोसी से वैसे ही प्यार करना जैसे तुम खुद से करते हो।”+ 15 लेकिन अगर तुम एक-दूसरे को काटने और फाड़ खाने में लगे हो,+ तो खबरदार रहो कि तुम एक-दूसरे का सर्वनाश न कर दो।+
16 मगर मैं कहता हूँ, पवित्र शक्ति के मार्गदर्शन में चलते रहो+ और तुम शरीर की इच्छाओं को हरगिज़ पूरा न करोगे।+ 17 इसलिए कि पापी शरीर की इच्छाएँ, पवित्र शक्ति के खिलाफ होती हैं और पवित्र शक्ति, शरीर के खिलाफ है। ये दोनों एक-दूसरे के विरोध में हैं इसलिए जो तुम करना चाहते हो वही तुम नहीं करते।+ 18 अगर तुम पवित्र शक्ति के मार्गदर्शन में चलते हो, तो तुम कानून के अधीन नहीं हो।
19 शरीर के काम तो साफ दिखायी देते हैं। वे हैं, नाजायज़ यौन-संबंध,*+ अशुद्धता, निर्लज्ज काम,*+ 20 मूर्तिपूजा, जादू-टोना,*+ दुश्मनी, तकरार, जलन, गुस्से से भड़कना, झगड़े, फूट, गुटबंदी, 21 ईर्ष्या, पियक्कड़पन,+ रंगरलियाँ और ऐसी ही और बुराइयाँ।+ मैं इन बुराइयों के बारे में तुम्हें खबरदार कर रहा हूँ, जैसे मैंने पहले भी किया था कि जो लोग ऐसे कामों में लगे रहते हैं वे परमेश्वर के राज के वारिस नहीं होंगे।+
22 दूसरी तरफ पवित्र शक्ति का फल है: प्यार, खुशी, शांति, सब्र, कृपा, भलाई,+ विश्वास, 23 कोमलता, संयम।+ ऐसी बातों के खिलाफ कोई कानून नहीं है। 24 जो मसीह यीशु के हैं उन्होंने अपने शरीर को उसकी वासनाओं और इच्छाओं समेत काठ पर ठोंक दिया है।+
25 अगर हमारा जीने का तरीका पवित्र शक्ति के मुताबिक है, तो आओ हम इसी तरह पवित्र शक्ति के मुताबिक सीधी चाल चलते रहें।+ 26 हम अहंकारी न बनें,+ एक-दूसरे को होड़ लगाने के लिए न उकसाएँ+ और एक-दूसरे से ईर्ष्या न करें।
6 भाइयो, हो सकता है कि कोई इंसान गलत कदम उठाए और उसे इस बात का एहसास न हो। ऐसे में, तुम जो परमेश्वर की ठहरायी योग्यताएँ रखते हो, कोमलता की भावना+ से ऐसे इंसान को सुधारने की कोशिश करो। मगर तुम खुद पर भी नज़र रखो+ कि कहीं तुम फुसलाए न जाओ।+ 2 एक-दूसरे का भार उठाते रहो+ और इस तरह मसीह का कानून मानो।+ 3 अगर कोई कुछ न होने पर भी खुद को कुछ समझता है,+ तो वह अपने आप को धोखा दे रहा है। 4 मगर हर कोई अपने काम की जाँच करे।+ तब वह अपने ही काम से खुशी पाएगा, न कि दूसरों से खुद की तुलना करके।+ 5 इसलिए कि हर कोई अपना बोझ* खुद उठाएगा।+
6 इतना ही नहीं, जिसे परमेश्वर का वचन सिखाया* जाता है, वह उस इंसान को सब अच्छी चीज़ों का साझेदार बनाए जो उसे सिखाता है।*+
7 धोखे में न रहो: परमेश्वर की खिल्ली नहीं उड़ायी जा सकती। एक इंसान जो बोता है, वही काटेगा भी।+ 8 क्योंकि जो शरीर के लिए बोता है वह शरीर से विनाश की फसल काटेगा, मगर जो पवित्र शक्ति के लिए बोता है वह पवित्र शक्ति से हमेशा की ज़िंदगी की फसल काटेगा।+ 9 इसलिए आओ हम बढ़िया काम करने में हार न मानें क्योंकि अगर हम हिम्मत न हारें,* तो वक्त आने पर ज़रूर फल पाएँगे।+ 10 इसलिए जब तक हमारे पास मौका* है, आओ हम सबके साथ भलाई करें, खासकर उनके साथ जो विश्वास में हमारे भाई-बहन हैं।
11 देखो, मैंने कैसे बड़े-बड़े अक्षरों में अपने ही हाथ से तुम्हें लिखा है।
12 वे सभी जो बाहरी दिखावे से इंसानों को खुश करना चाहते हैं,* वे ही तुम्हारा खतना करवाने के लिए तुम पर दबाव डालने की कोशिश कर रहे हैं, सिर्फ इसलिए कि मसीह के यातना के काठ* की वजह से उन्हें ज़ुल्म न सहना पड़े। 13 इसलिए कि जो खतना करवाते हैं वे खुद कानून को नहीं मानते,+ मगर तुम्हारा खतना इसलिए करवाना चाहते हैं ताकि तुम्हारे शरीर की दशा पर शेखी मार सकें। 14 लेकिन मैं प्रभु यीशु मसीह के यातना के काठ* के सिवा किसी और बात पर शेखी नहीं मारूँगा।+ मसीह के ज़रिए दुनिया मेरे लिए मर चुकी है* और मैं दुनिया के लिए मर चुका हूँ। 15 न तो खतना करवाना कुछ मायने रखता है, न ही खतना न करवाना,+ मगर नयी सृष्टि मायने रखती है।+ 16 उन सभी पर जो इस नियम के मुताबिक कायदे से चलते हैं, यानी परमेश्वर के इसराएल पर दया हो और उसे शांति मिले।+
17 अब से मैं यह कहता हूँ, कोई मेरे लिए मुश्किलें न खड़ी करे क्योंकि मैं अपने शरीर पर वे दाग लिए फिरता हूँ, जो इस बात की निशानी हैं कि मैं यीशु का एक दास हूँ।+
18 भाइयो, तुम जो बढ़िया जज़्बा दिखाते हो उस वजह से प्रभु यीशु मसीह की महा-कृपा तुम पर बनी रहे। आमीन।
या “ज़माने।” शब्दावली देखें।
पतरस भी कहलाता था।
या “खतनारहित लोगों।”
या “जिनका खतना हुआ है उनको।”
पतरस भी कहलाता था।
पतरस भी कहलाता था।
पतरस भी कहलाता था।
शा., “अब मैं ज़िंदा नहीं रहा, बल्कि मसीह मुझमें ज़िंदा है।”
या “दरकिनार नहीं करता।”
शा., “जानना।”
अति. क5 देखें।
शा., “बीज।”
शा., “बीजों।”
शा., “बीज।”
शा., “बीज।”
या “अभिभावक।”
या “अभिभावक।”
शा., “बीज।”
यह इब्रानी या अरामी भाषा का शब्द है जिसका मतलब है, “हे पिता!”
या “न ही मुझ पर थूका।”
या “आकार नहीं लेता।”
या “यह एक लाक्षणिक नाटक है।”
शा., “दौड़।”
शब्दावली देखें।
या “अंडकोष निकलवा देते; नपुंसक बन जाते” ताकि वे उस कानून को मानने के अयोग्य ठहरें जिसे मानने का वे बढ़ावा दे रहे थे।
या “इस एक बात से पूरा होता है।”
यूनानी में पोर्निया। शब्दावली देखें।
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या “अपनी ज़िम्मेदारी का बोझ।”
या “ज़बानी तौर पर सिखाया।”
या “उसे ज़बानी तौर पर सिखाता है।”
या “हम न थकें।”
शा., “ठहराया हुआ समय।”
या “जो बाहर से अच्छा दिखना चाहते हैं।”
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या “काठ पर मार डाली गयी है।”