चरवाहा और उसकी भेड़ें
आम तौर पर एक चरवाहे की ज़िंदगी मुश्किलों-भरी होती थी। भेड़ों की देखभाल की खातिर उसे चिलचिलाती धूप और कड़ाके की ठंड सहनी पड़ती थी। कई बार तो उसे सारी रात जागना पड़ता था। (उत 31:40; लूक 2:8) उसे शेर, भेड़िए और भालू जैसे जंगली जानवरों से, साथ ही चोरों से भेड़ों की हिफाज़त करनी पड़ती थी। (उत 31:39; 1शम 17:34-36; यश 31:4; आम 3:12; यूह 10:10-12) चरवाहे के काम में यह सब भी शामिल था: ध्यान रखना कि भेड़ें तितर-बितर न हो जाएँ (1रा 22:17), खोयी हुई भेड़ों को ढूँढ़ना (लूक 15:4), कमज़ोर या थके हुए मेम्नों को गोद में (यश 40:11) या कंधों पर उठाना और बीमार और घायल भेड़ों की देखभाल करना (यहे 34:3, 4; जक 11:16)। बाइबल में अकसर लाक्षणिक तौर पर चरवाहों और उनके काम की बात की गयी है। उदाहरण के लिए, यहोवा को ऐसा चरवाहा बताया गया है जो प्यार से अपनी भेड़ों यानी अपने लोगों की देखभाल करता है। (भज 23:1-6; 80:1; यिर्म 31:10; यहे 34:11-16; 1पत 2:25) यीशु को ‘महान चरवाहा’ (इब्र 13:20) और “प्रधान चरवाहा” कहा गया है, जिसके निर्देशन में मसीही मंडली के प्राचीन खुशी-खुशी, बिना किसी स्वार्थ के और तत्परता से परमेश्वर के झुंड की देखभाल करते हैं।—1 पत 5:2-4.
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