क्या मेरे परिवार को असंक्राम्य बनना चाहिए?
“शिशु टीकों का समय हो गया है,” डाक्टर कहता है। एक छोटे बच्चे के सुनने के लिए शायद यह एक अनिष्ट-सूचक कथन है, लेकिन इस पर माता-पिता आम तौर से एक आश्वासन भरी मुस्कान देते हैं और स्वीकृति से सिर हिलाते हैं।
लेकिन, हाल ही में, बच्चों और बड़ों के असंक्रमीकरण की सामान्यतः स्वीकार की जानेवाली प्रक्रियाओं के सम्बन्ध में प्रश्न खड़े हुए हैं। कौन-से टीके वास्तव में आवश्यक हैं? गौण प्रभावों के बारे में क्या? क्या एक वैक्सीन के उत्पादन में किसी भी प्रकार से लहू सम्मिलित है?
यह एक चिंतित मसीही परिवार द्वारा विचार करने के लिए अच्छे प्रश्न हैं। उत्तरों का सीधा सम्बन्ध आपके बच्चों के और साथ ही स्वयं आपके स्वास्थ्य और भविष्य पर हो सकता है।
पृष्ठभूमि
उन्नीस सौ चौव्वन में एक प्रभावकारी वैक्सीन का आविष्कार किया गया जिसने असल में अधिकांश देशों में पोलियो का डर मिटा दिया। प्रभावकारी वैक्सिनेशन कार्यक्रमों का परिणाम, १९८० तक यह घोषित कर दिया गया कि चेचक की महाविपत्ति पूरे संसार से हटा दी गई है। प्रतीत हुआ कि इससे बेन्जामिन फ्रैंकलिन के शब्दों की पुष्टि हुई: “एक आउन्स बचाव एक पाउन्ड इलाज के बराबर है।”
आज, असंक्रमीकरण कार्यक्रम अनेक बीमारियों, जैसे कि टेटनस, पोलियो, डिप्थेरिया और कुकुर खांसी पर नियंत्रण पाने में आम तौर पर प्रभावकारी हुए हैं। इसके अतिरिक्त, यह दिखाया गया है कि जब किसी कारणवश असंक्रमीकरण में लापरवाही बरती गई है, तब बीमारी लौट आयी है। एक देश में कुकुर खांसी के साथ ऐसा ही हुआ।
ये असंक्रमीकरण क्या करते हैं? मूलतः, दो में से एक तरीक़े में, ये रोगजनक नामक संक्रामक तत्त्वों, जिनमें रोगाणु और वाइरस सम्मिलित होते हैं, के आक्रमण के विरुद्ध शरीर के प्रतिरक्षक तत्त्वों को तैयार करते हैं। पहली प्रक्रिया को सक्रिय असंक्रमीकरण कहा जाता है। इस तरीक़े में टीके में कमज़ोर किया हुआ या मरा हुआ रोगजनक (या उसका ज़हर) होता है, जिसे इस प्रकार संशोधित किया जाता है कि वह शरीर के लिए ख़तरनाक नहीं होता। शरीर की अपनी रक्षात्मक अभिक्रियाएँ रोगप्रतिकारक (ऐंटिबॉडी) नामक नाशक अणु बनाना शुरू कर देती हैं जो, यदि बीमारी के असली तत्त्व विकसित हों तो उनसे लड़ सकते हैं। यदि असंक्राम्य बनानेवाले टीके में रोगजनक के ज़हर (जीवविष) का अर्क है, तो इसे टॉक्साइड कहा जाता है। यदि यह जीवित कमज़ोर किए हुए (क्षीण) रोगजनक से, या मरे हुए जीवों से बनाया गया है, तो इसे वैक्सीन कहते हैं।
जैसे कि आप कल्पना कर सकते हैं, ये टीके तात्कालिक असंक्राम्यता नहीं उत्पन्न करते। संरक्षक रोगप्रतिकारकों को बनाने के लिए शरीर को कुछ समय लगता है। इन सक्रिय असंक्रमीकरण में सारे शिशु टीके और इन्जेक्शन सम्मिलित होते हैं जिन्हें सामान्यतः वैक्सीनेशन समझा जाता है। एक अपवाद (बाद में चर्चा की गई है) को छोड़, इनके उत्पादन के किसी भी चरण में लहू का प्रयोग सम्मिलित नहीं होता है।
दूसरी प्रक्रिया को निष्क्रिय असंक्रमीकरण कहा जाता है। इसे साधारणतया ऐसी स्थितियों के लिए सुरक्षित रखा जाता है जिनमें एक व्यक्ति एक गंभीर बीमारी, जैसे की अलर्करोग (रेबीज़) के ख़तरे में हो। उस स्थिति में, शरीर के पास स्वयं अपनी असंक्राम्यता विकसित करने के लिए समय नहीं होता है। इसलिए किसी दूसरे व्यक्ति के पहले से ही बने हुए रोगप्रतिकारकों का टीका, ख़तरे में पड़े व्यक्ति में रोगजनकों से लड़ने के लिए लगाया जा सकता है। असंक्राम्य मनुष्यों या जानवरों के लहू के तत्त्वों से उत्पादित टीकों के दूसरे नाम हैं, गामा ग्लोब्यूलिन (Gamma globulin), ऐंटिटॉक्सिन (antitoxin), और हाइपरइम्यून सीरम (hyperimmune serum)। ये ग्रहीत, या निष्क्रिय असंक्रमीकरण शरीर को आक्रामक से लड़ने के लिए तुरंत, लेकिन केवल तात्कालिक सहायता देने के लिए होते हैं। जल्द ही ये ग्रहीत रोगप्रतिकारक बाह्य प्रोटीनों के रूप में शरीर से निकाल दिए जाते हैं।
क्या मेरे बच्चे को टीके लगने चाहिए?
इस पृष्ठभूमि के बावजूद भी, कुछ व्यक्ति सोच सकते हैं, ‘मेरे बच्चे को कौन-से असंक्रमीकरण मिलने चाहिए?’ संसार के अधिकांश भागों में जहाँ बचपन के टीके आसानी से उपलब्ध हैं, नैत्यिक असंक्रमीकरण के परिणामस्वरूप बचपन की उन बीमारियों में आकस्मिक गिरावट हुई है जिन के लिए असंक्रमीकरण नियत है।
कई सालों से अमरीकी बालचिकित्सा अकादमी ने संसार भर में इसी प्रकार की संस्थाओं के साथ सामान्य सहमति में निम्नलिखित बीमारियों के लिए नैत्यिक असंक्रमीकरण की सलाह दी है: डिप्थेरिया, कुकुर खांसी, और टेटनस। सामान्यतः तीनों को मिलाकर एक टीके के रूप में दिया जाता है—डी.पी.टी.—जिसमें तीन बूसटर (बलवर्धन) डी.पी.टी. टीकों को कम से कम दो महीने के अंतराल पर दिया जाता है। इससे अलग, एक साल की उम्र के बाद बच्चों को ख़सरा, कर्णमूल शोथ (मम्प्स), और हल्का ख़सरा (जर्मन मीज़ल्ज़) के लिए असंक्रमीकरण एक टीके—एम.एम.आर.—के रूप में दिया जाता है। साथ ही, पोलियो वैक्सीन (ओ.पी.वी.) की चार खुराक डी.पी.टी. की तालिका के समान दी जाती हैं।a
अनेक स्थानों में यह नैत्यिक क्रम अनिवार्य है, जबकि आवश्यक बूसटरों की संख्या भिन्न हो सकती है। हाल ही में, ख़सरा के कई प्रकोपों के कारण, कुछ परिस्थितियों में ख़सरा वैक्सीनों के अतिरिक्त बूसटरों की सलाह दी गई है। आपको अधिक जानकारी के लिए अपने क्षेत्र में किसी डॉक्टर से परामर्श लेने की ज़रूरत हो सकती है।
इनके अतिरिक्त, निमोनिया वैक्सीन (नूमोवैक्स्) भी है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह उन बच्चों और बड़ों को आजीवन असंक्राम्यता प्रदान करता है जिन्हें किसी कारणवश कुछ क़िस्म के निमोनिया का ख़तरा होता है।
बच्चों के लिए एक और वैक्सीन को हिब (Hib) वैक्सीन कहा जाता है। यह बचपन के एक सामान्य रोगजनक, हेमोफिलस इन्फ़्लूएन्ज़ा (Hemophilus influenza) से बचाने के लिए दिया जाता है। यह रोगाणु शिशुओं में कई बीमारियाँ उत्पन्न कर देता है, अति विशेष रूप से गंभीर रूप का तनिका-शोथ (मेनिनजाइटिस)। यह वैक्सीन साधारणतया सुरक्षित प्रमाणित हुई है, और शिशु टीकों की श्रृंखला के भाग के तौर पर इसकी सलाह अधिकाधिक दी जा रही है।
प्रसंगवश, चिकन पॉक्स् (छोटी माता) के लिए अभी तक कोई नैत्यिक असंक्रमीकरण नहीं है। और चेचक (बड़ी माता) के लिए वैक्सीनेशन अब उपलब्ध नहीं है क्योंकि, जैसे पहले उल्लेख किया गया था, वैक्सीनेशन के विश्वव्यापी कार्यक्रम ने इस घातक बीमारी को मिटा दिया है।
गौण प्रभावों के बारे में क्या?
असंक्रमीकरण गौण प्रभावों के वाद-विषय के बारे में क्या? अधिकांश टीकों में, बच्चे का सामान्य अचानक रोना और क्षणिक आँसुओं से ज़्यादा, गौण प्रभाव सामान्य तौर पर सीमित और तात्कालिक होते हैं—बहुत ज़्यादा हुआ तो एक-आध दिन का बुख़ार। फिर भी, अनेक माता-पिताओं को इन टीकों के ख़तरों के बारे में चिंता रहती है। एक चिकित्सा अध्ययन ने अपने बच्चों के स्वास्थ्य के बारे में माता-पिताओं की चिंता का सर्वेक्षण लिया और पाया कि सर्वेक्षण लिए गए ५७ प्रतिशत माता-पिता असंक्रमीकरण की अभिक्रिया के बारे में चिंतित थे।
हाल ही में, डी.पी.टी. के एक अवयव, अर्थात्, कुकुर खांसी अवयव के सम्बन्ध में काफ़ी चिंता विख्यापित की गई है। इस वैक्सीन की सफलता एक भूतपूर्व भयभीत बीमारी की उल्लेखनीय गिरावट में परिणित हुई है—केवल एक देश में वैक्सीन से पहले प्रति वर्ष बीमारी के २,००,००० रोगियों से घटकर वैक्सीन के व्यापक प्रयोग के बाद प्रति वर्ष २,००० रोगी हो गए हैं। फिर भी, दी गई १,००,००० खुराकों में से क़रीब १ खुराक में गंभीर गौण प्रभाव हुए हैं—दौरे और यहाँ तक कि मस्तिष्क क्षति भी।
जबकि यह अभिक्रिया बहुत विरल है, यह अनेक माता-पिताओं के लिए कुछ चिंता उत्पन्न कर देती है जो यह पाते हैं कि बच्चे को स्कूल में दाख़िल करने के योग्य करने के लिए उनके पास अपने बच्चे को टीके लगवाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। क्योंकि कुकुर खांसी की बीमारी, जबकि असामान्य है, एक समुदाय पर आक्रमण करने पर इतनी विध्वंसकारी होती है, कि विशेषज्ञों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि औसत बच्चे के लिए, “यह वैक्सीन बीमारी पकड़ने से कहीं ज़्यादा सुरक्षित है।” ऐसे विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि ऐसे मामलों को छोड़ “जब पिछली खुराक ऐंठन, मस्तिष्क शोथ, केंद्रिय तंत्रिका लक्षण (focal neurologic signs), या अचेत होने में परिणित हुई थी, असंक्रमीकरण दिया जाना चाहिए। न ही उन शिशुओं को वैक्सीन की अतिरिक्त खुराक दी जानी चाहिए जो ‘अत्यधिक निद्रालुता, अत्यधिक चिल्लाने (३ या ज़्यादा घंटे की अवधि के लिए निरन्तर रोते रहने या चिल्लाने), या १०५°F (४०.५°C) से ज़्यादा बुखार’ का अनुभव करते हैं।”b
अनेक देशों में समस्या का असली समाधान है कोशिकारहित वैक्सीन (acellular vaccine), जैसा कि वर्तमान समय में जापान में बहुत आशापूर्ण प्रत्याशा के साथ दी जा रही है। यह नई और स्पष्टतया सुरक्षित वैक्सीन दूसरे देशों में भी उपलब्ध हो रही है।
अन्य नैत्यिक शिशु टीके बार-बार प्रभावकारी और अपेक्षाकृत सुरक्षित प्रमाणित हुए हैं।
प्रौढ़ असंक्रमीकरण के बारे में क्या?
एक बार जब व्यक्ति प्रौढ़ावस्था तक पहुँच जाता है, तब मात्र कुछ ही सक्रिय असंक्रमीकरण हैं जो उसे याद रखने चाहिए। आदर्शतः, बचपन में खसरा, मम्प्स, और हल्का खसरा होने या असंक्रमीकरण के कारण प्रत्येक प्रौढ़ में पहले से ही इनके प्रति असंक्राम्यता होनी चाहिए। यदि ऐसी असंक्राम्यता के बारे में प्रश्न उठे, तो डॉक्टर एक प्रौढ़ के लिए शायद एक एम.एम.आर. टीके की सलाह दे।
लगभग हर दस साल में एक टेटनस टॉक्साइड का टीका लगवाना हनुस्तंभ (lockjaw) के विरुद्ध निवारक के रूप में एक अच्छा विचार समझा जाता है। बड़ी उम्र के लोग और वे जिन्हें लंबी बीमारी है सालाना इन्फ़्लूएन्ज़ा टीकों के बारे में शायद अपने डॉक्टर से पूछताछ करना चाहें। वे लोग जो संसार के किसी भागों में यात्रा कर रहे हों, उन्हें पीत ज्वर, हैजा, ऐन्थ्रैक्स, टाइफ़ाइड, या प्लेग जैसी बीमारियों के विरुद्ध टीका लगवाने का विचार करना चाहिए यदि जहाँ वे जा रहे हैं वहाँ ये स्थानिक रोग हैं।
एक और सक्रिय असंक्रमीकरण ध्यान देने योग्य है क्योंकि यही एकमात्र सक्रिय असंक्रमीकरण है जो लहू से बनाया जाता है। यह हैप्टावैक्स-बी नामक यकृत शोथ-बी वैक्सीन है। यह असंक्रमीकरण कुछ लोगों के लिए होता है, जैसे कि स्वास्थ्य सेवक, जिनको शायद अकस्मात् यकृत शोथ-बी से संक्रामित रोगियों के लहू के पदार्थों से ख़तरा हो। जबकि एक प्रमुख प्रगति के तौर पर इसकी प्रशंसा की गई, इसके उत्पादन के तरीक़े के कारण, इस वैक्सीन ने अनेक लोगों में चिंता उत्पन्न कर दी।
मूलतः, चुने हुए यकृत शोथ-बी-वाइरस वाहकों का लहू इकट्ठा किया जाता है और किसी भी वाइरस को मारने के लिए संसाधित किया जाता है, और एक क़िस्म का यकृत शोथ-बी ऐंटिजन एकत्रित किया जाता है। यह परिष्कृत, निष्क्रिय बनाया गया ऐंटिजन वैक्सीन के रूप में लगाया जा सकता है। लेकिन, अनेक लोग संक्रामित लोगों, जैसे कि जो स्वच्छन्द-संभोगी हैं, से लहू पदार्थ लेने के ख़तरे के डर से इस वैक्सीन को लगवाने से इनकार कर देते हैं। इसके अलावा, कुछ अंतःप्रेरित मसीहियों ने इस वैक्सीन का इस आधार पर विरोध किया कि यह दूसरे व्यक्ति के लहू से निकाला गया है।c
यकृत शोथ वैक्सीन के प्रति ऐसे विरोधों को एक भिन्न लेकिन उतने ही प्रभावशाली यकृत शोथ-बी वैक्सीन को प्रस्तुत करने के द्वारा प्रभावी रीति से हटाया गया है। यह आनुवंशिक तकनीकी के द्वारा बनाया जाता है जिसमें वैक्सीन यीस्ट कोशिकाओं में उत्पादित होती है, और इसमें लहू किसी प्रकार से सम्मिलित नहीं होता। यदि आप स्वास्थ्य-कल्याण क्षेत्र में कार्य करते हैं या किसी और कारण से यकृत शोथ-बी वैक्सीन लगवाने के आकांक्षी समझे जाते हैं, आप शायद इस विषय पर अपने चिकित्सक से चर्चा करना चाहेंगे।
वैक्सीनों के उत्पादन में लहू
यह मसीहियों के लिए एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न खड़ा करता है, जो लहू के दुरुपयोग पर बाइबल के निषेधादेश के सम्बन्ध में चिंतित हैं। (प्रेरितों १५:२८, २९) क्या कोई और वैक्सीन लहू से बनती हैं?
एक सामान्य नियम के तौर पर, हैप्टावैक्स-बी को छोड़, सक्रिय असंक्रमीकरण लहू से नहीं बनाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, इसमें सभी शिशु टीके सम्मिलित हैं।
निष्क्रिय असंक्रमीकरण के लिए इसका विपरीत सच है। एक व्यक्ति यह मान सकता है कि जब एक व्यक्ति को संभव ख़तरे के बाद, जैसे कि ज़ंग लगी हुई कील पर पैर रखने के बाद या एक कुत्ते के काटने के बाद, टीके की सलाह दी जाती है, तो टीके (अन्यथा कि वे मात्र नैत्यिक बूसटर हों) हाइपरइम्यून सीरम होते हैं और लहू के प्रयोग द्वारा बनाए गए हैं। यह आर.एच. इम्यून ग्लोब्यूलिन (रोगम) के लिए भी सच है, जिसकी सलाह अकसर आर.एच.-निगेटिव माताओं को दी जाती है जो किसी कारणवश आर.एच.-पोसिटिव लहू के संपर्क में आती हैं, जैसे कि आर.एच.-पोसिटिव बच्चे के जन्म पर।
क्योंकि ये निष्क्रिय असंक्रमीकरण लहू के वादविषय के सम्बन्ध में चिंता का विषय हैं, एक अंतःप्रेरित मसीही द्वारा क्या स्थिति अपनायी जाएगी? इस पत्रिका और इसकी संगी पत्रिका, द वॉचटावर, के पिछले लेखों ने एक दृढ़ स्थिति प्रस्तुत की है: यह व्यक्तिगत मसीही के बाइबल-प्रशिक्षित अंतःकरण पर निर्भर करेगा कि वह यह इलाज अपने और अपने परिवार के लिए स्वीकार करेगा या नहीं।d
क्या मेरे परिवार को असंक्राम्य बनाया जाना चाहिए?
मसीही लोग जीवन के प्रति बहुत आदर रखते हैं और निष्कपटता से अपने परिवार के स्वास्थ्य के लिए जो सर्वोत्तम है वही करना चाहते हैं। आप अंतःप्रेरणा से अपने परिवार को असंक्राम्य बनाने का निर्णय लेते हैं या नहीं, यह आपका निजी निर्णय है।—गलतियों ६:५.
एक विशेषज्ञ ने स्थिति का सारांश भली-भांति दिया है: “माता-पिताओं को अपने बच्चों के लिए प्रत्येक चिकित्सा हस्तक्षेप के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। वे अपने बच्चों के मात्र क़ानूनी संरक्षक से अधिक हैं। जीवन की उस अवधि के दौरान जिसमें बच्चा उनपर निर्भर है वे अपने बच्चों की तंदुरुस्ती और बचाव के लिए ज़िम्मेदार हैं।” असंक्रमीकरण के इस मामले में, साथ ही सभी अन्य चिकित्सा मामलों में, यहोवा के गवाह उस ज़िम्मेदारी को बहुत गंभीरता से लेते हैं।—एक चिकित्सक द्वारा योगदान दिया गया.
[फुटनोट]
a संसार के अनेक भागों में विश्व-स्वास्थ्य संगठन अब शिशुओं के लिए यकृत शोथ बी (hepatitis B) के विरुद्ध नैत्यिक असंक्रमीकरण की सलाह दे रहा है।
b ऐसा प्रतीत नहीं होता कि दौरे पड़ने के पारिवारिक इतिहास का अभिक्रियाओं के साथ सहसम्बन्ध है। और जबकि प्रतीत होता है कि श्वसन संक्रमण अभिक्रिया के लिए पहले से ही प्रवृत्त नहीं करते, यह विवेकपूर्ण प्रतीत हो सकता है कि यदि बच्चा थोड़ा भी बीमार है तो उस समय टीका नहीं लगवाना चाहिए।
c जून १, १९९० की द वॉचटावर में “पाठकों से प्रश्न” देखिए।
d द वॉचटावर जून १५, १९७८, पृष्ठ ३०-१, देखिए।
[पेज 19 पर बक्स]
असंक्रमीकरण जो लहू से व्युत्पन्न नहीं
शिशु टीके (डी.पी.टी., ओ.पी.वी., एम.एम.आर.)
हिब टीका
नूमोवैक्स्
टॉक्सॉइडस्
फ़्लू टीके
रिकॉम्बीवैक्स्-एच.बी.
लहू से व्युत्पन्न असंक्रमीकरण
हैप्टावैक्स्-बी
रोगम
ऐन्टीटॉक्सिन्स्
ऐन्टीवेनिन्स् (साँप और मकड़ी के ज़हर के लिए)
इम्यून ग्लोब्यूलिन्स् (विभिन्न बीमारियों के लिए)
गामा ग्लोब्यूलिन
हाइपरइम्यून सीरम उत्पादन (उदाहरण के लिए, ऐन्टीरेबीज़ सीरम)