साँस की बदबू के बारे में आप क्या कर सकते हैं?
इसे दुनिया की सबसे सामान्य शिकायतों में से एक कहा जाता है, जो किसी न किसी समय ८० प्रतिशत से अधिक वयस्क जनसंख्या को पीड़ित करती है। यह शर्मिंदगी, कुंठा और वेदना का कारण हो सकती है।
चिकित्सीय पेशेवरों के बीच, यह व्यापक रूप से हैलिटोसिस के तौर पर जानी जाती है, जो लातीनी शब्द हॉलिटुस, जिसका अर्थ है “साँस,” और प्रत्यय -ओसिस से आता है, जो एक असामान्य स्थिति को सूचित करता है। कुछ इसे मौखिक दुर्गन्ध भी कहते हैं। लेकिन अधिकांश लोग इसे सिर्फ़ साँस की बदबू के तौर पर जानते हैं!
क्या आपकी साँस में बदबू है? जबकि अन्य लोगों में साँस की बदबू की पहचान करने में शायद आपको कोई परेशानी न हो, ख़ुद अपनी साँस की बदबू का पता लगाना शायद आप के लिए असंभव हो। अमरीकी दन्त्य संघ की एक पत्रिका, जाडा (अंग्रेज़ी) कहती है कि हम अपनी साँस की बदबू के आदी हो जाने की ओर प्रवृत्त होते हैं और कि वे लोग भी जिनकी “साँसों में बहुत ज़्यादा बदबू होती है, ख़ुद इस समस्या के बारे में शायद अवगत न हों।” इसलिए, हम में से अधिकांश व्यक्तियों को अपनी साँस की बदबू के बारे में सिर्फ़ तब पता चलता है जब कोई दूसरा इसकी ओर हमारा ध्यान खींचता है। कितनी शर्मिंदगी की बात!
इस तथ्य से कि यह एक सामान्य समस्या है कोई दिलासा नहीं मिलता। साँस की बदबू को सामान्य रूप से अप्रिय और अस्वीकार्य माना जाता है। कुछ मामलों में, यह गंभीर मानसिक आघात का भी कारण बन सकती है। डॉ. मॆल रोसनबर्ग, इज़राइल में तेल अवीव विश्वविद्यालय के मौखिक सूक्ष्मजीवविज्ञान की प्रयोगशाला का प्रमुख, समझाता है: “मौखिक दुर्गन्ध, वास्तव में हो या महसूस की जा रही हो, सामाजिक एकाकीपन, तलाक़ की कार्यवाही और यहाँ तक कि आत्महत्या के विचार की ओर ले जा सकती है।”
साँस की बदबू के बारे में क्या ज्ञात है?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लंबे अर्से से स्वीकार किया है कि साँस की बदबू ख़राब स्वास्थ्य का संभाव्य सूचक है। इसी कारण, प्राचीन समय से चिकित्सकों ने मानव मुँह की गन्ध का अध्ययन किया है।
क़रीब दो सौ साल पहले, प्रसिद्ध फ्राँसीसी रसायनज्ञ आँटवाँ-लॉराँ लवाज़ीए ने मानव श्वास के घटकों का अध्ययन करने के लिए एक श्वास परीक्षक का आविष्कार किया। तब से वैज्ञानिकों ने बेहतर नमूने विकसित किए हैं। आज, इज़राइल, कनाडा, जापान और नीदरलैंडस् की प्रयोगशालाएँ, हैलिमीटर का प्रयोग कर रही हैं, जो मुँह में दुर्गन्ध के स्तर की माप करता है। न्यू ज़ीलैंड में, वैज्ञानिकों ने प्लाक-वर्धन केंद्रों का विकास किया है, जिन्हें नक़ली मुँह के तौर पर भी जाना जाता है। ये ठेठ मानव मुँह के वातावरण की नक़ल करते हैं जिसमें, लार, प्लाक, जीवाणु और यहाँ तक कि साँस की बदबू भी होती है।a
आधुनिक टॆक्नॉलॉजी की मदद से, वैज्ञानिकों ने हमारे श्वास के बारे में बहुत कुछ सीखा है। उदाहरण के लिए, साइन्टिफिक अमेरिकन (अंग्रेज़ी) पत्रिका के अनुसार, “अनुसंधायकों ने अब सामान्य मानव श्वास में क़रीब ४०० परिवर्तनशील जैविक मिश्र-पदार्थों की पहचान की है।” लेकिन, यह सभी मिश्र-पदार्थ दुर्गन्ध पैदा नहीं करते। साँस की बदबू के मुख्य दोषी हैं हाइड्रोजन सल्फाइड और मिथाइल मरकैप्टान। ऐसा कहा गया है कि ये गैसें हमारी साँसों को स्कंक पशु की गन्ध से काफ़ी मिलती-जुलती गन्ध देती हैं।
मानव का मुँह ३०० से अधिक क़िस्मों के जीवाणुओं का घर है। द टफ़्टस् यूनिवर्सिटी डाइट एण्ड न्यूट्रिशन लॆटर (अंग्रेज़ी) कहता है: “अन्धकारपूर्ण, गरम और नम, हमारा मुँह गन्ध पैदा करनेवाले जीवाणुओं के पनपने के लिए श्रेष्ठ वातावरण के तौर पर सर्वप्रथम आता है।” लेकिन केवल चार क़िस्म साँस की बदबू के लिए मुख्यतः होते हैं। वे आपके मुँह में रहते हैं, लेकिन संभवतः आप अब तक उनको नाम से नहीं जानते हैं। वे हैं वेल्लोनेल्ला अल्कालेसेन्स, फुसोबैक्टीरियम न्यूक्लिएटम, बैक्टिरॉइड्स् मेलानीनोगॆनीकस और क्लॆबसीएला नूमोने। वे मुँह में भोजन के कणों, मृत कोशिकाओं, और दूसरे पदार्थों को खाते हैं। यह जीवाणु क्रिया बदले में दुर्गन्धकारी गैसें पैदा करती हैं। जब कचरा सड़ता है तब जो होता है, यह प्रक्रिया उसके समान है। उचित रूप से, दन्त्य पत्रिका जे पिरिओडॉन्टल (अंग्रेज़ी) समझाती है: “अधिकांश मामलों में, सूक्ष्म-जैविक सड़ाव [जैविक पदार्थ का गलना] के परिणामस्वरूप, हैलिटोसिस मुँह में ही शुरू होता है।” यूँ ही छोड़ दिए जाने पर, यह प्रक्रिया दाँतों की सड़न और मसूढ़ों के रोग की ओर ले जा सकती है।
“सुप्रभात! आपकी साँसें कैसी हैं?”
मुँह में सड़ाव की यह प्रक्रिया नींद के दौरान तेज़ हो जाती है। क्यों? दिन के दौरान, मुँह ऑक्सीजन से भरपूर और कुछ-कुछ अम्लीय लार से निरन्तर साफ़ होता रहता है, जिससे जीवाणु बहाकर निकाल दिए जाते हैं। लेकिन, नींद के दौरान हर घंटे में लार का निकलना सामान्य दर से क़रीब ५० गुना कम हो जाता है। जैसे एक पत्रिका कहती है, एक सूखा हुआ मुँह “१६ खरब जीवाणुओं का एक निश्चल पोखर बन जाता है,” जिससे जानी-पहचानी “सुबह की साँस” और उसका गन्दा स्वाद पैदा होता है।
जब आप जागे हुए हैं तब लार का कम प्रवाह तनाव के कारण भी उत्पन्न हो सकता है। उदाहरण के लिए, घबराए हुए जन वक्ता का बोलते वक़्त मुँह सूख सकता है और इसके परिणामस्वरूप उसे बुरी तरह हैलिटोसिस हो सकता है। मुँह का सूखापन अनेकों रोगों का एक पार्श्व प्रभाव या लक्षण भी है।
लेकिन साँस की बदबू हमेशा मुँह में जीवाणु क्रिया के परिणामस्वरूप नहीं होती। असल में, मौखिक दुर्गन्ध अकसर विभिन्न स्थितियों और बीमारियों का लक्षण है। (पृष्ठ १३ पर बक्स देखिए।) इस कारण, उन मामलों में जहाँ लगातार रहनेवाली साँस की बदबू का कारण समझ न आए, चिकित्सीय सहायता प्राप्त करना सबसे अच्छा होगा।
साँस की बदबू की शुरूआत पेट में भी हो सकती है। लेकिन, प्रचलित मत के विपरीत, ऐसा बहुत कम होता है। ज़्यादातर, कुछ दुर्गन्ध फेफड़ों से आपके मुँह तक पहुँचती है। कैसे? कुछ भोजन, जैसे लहसुन और प्याज़ के हज़म होने पर, वे रक्तप्रवाह में प्रवेश करते हैं और फेफड़ों तक ले जाए जाते हैं। तब सम्बद्ध गन्ध को श्वसन क्षेत्र से आप के मुँह और नाक से छोड़ दिया जाता है। स्वास्थ्य (अंग्रेज़ी) पत्रिका के अनुसार, “अध्ययनों ने दिखाया है कि लहसुन की कलियों को जब सिर्फ़ लोगों के पैरों के तलवे पर मला जाता है या बिन चबाए निगल लिया जाता है, तब भी उनकी साँसों में लहसुन की गन्ध आ जाती है।”
शराब पीना भी आपके लहू और फेफड़ों को शराब की गन्ध से भर देगा। जब यह होता है, तब असल में सिवाय इंतज़ार करने के आप इस स्थिति को ठीक करने के लिए कुछ नहीं कर सकते। कुछ खाद्य वस्तुओं की गन्ध आपके शरीर में ७२ घंटों तक बनी रहेगी।
साँस की बदबू को कैसे रोकें
साँस की बदबू को सिर्फ़ साँसों को ताज़ा करनेवाली मिश्री चबाते रहने से ठीक नहीं किया जा सकता। याद रखिए कि साँस की बदबू अकसर मुँह में जैविक क्रिया का परिणाम है। एक व्यक्ति को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि भोजन के छोटे कण जो मुँह में रह जाते हैं करोड़ों जीवाणुओं के लिए दावत का प्रबन्ध करते हैं। इसलिए, साँस की बदबू से लड़ने का एक महत्त्वपूर्ण तरीक़ा है अपने मुँह को साफ़ रखना, और इस तरह जीवाणुओं की इसकी संख्या को कम करना। यह भोजन के कण और प्लाक को नियमित रूप से अपने दाँतों से निकालने के द्वारा किया जाता है। कैसे? भोजन के बाद और सोने से पहले ब्रश से दाँत साफ़ करना महत्त्वपूर्ण है। लेकिन ब्रश से दाँत साफ़ करना अनेकों चरणों में सिर्फ़ एक चरण है।
दाँतों के ऐसे भाग हैं जिन तक ब्रश से पहुँचा नहीं जा सकता। सो दन्त्य फ़्लॉस का प्रयोग दिन में कम-से-कम एक बार करना अत्यावश्यक है। विशेषज्ञ इसकी भी सिफ़ारिश करते हैं कि अपनी जीभ को हल्के-हल्के ब्रश से साफ़ कीजिए, जो कि जीवाणुओं की छुपने की और फलने-फूलने की पसन्दीदा जगह है। समय-समय पर एक दन्त-चिकित्सक द्वारा जाँच करवाना और दाँतों पर जमी परत उतरवाना भी ज़रूरी है। इनमें से किसी भी चरण से चूकने का परिणाम साँस की बदबू, और कुछ समय बाद, दाँतों और मसूढ़ों के गंभीर रोग हो सकते हैं।
अपनी साँसों को ताज़ा करने के लिए कुछ तात्कालिक उपाय भी किए जा सकते हैं। पानी पीजिए, फीकी चूइंग गम चबाइए—ऐसा कुछ कीजिए जो आपकी लार के प्रवाह को बढ़ाएगा। याद रखिए कि लार एक स्वाभाविक माऊथवाश के तौर पर कार्य करती है जो जीवाणुओं को बहा ले जाती है और उनके लिए अप्रीतिकर वातावरण पैदा करती है।
वाणिज्यिक माऊथवाश मदद दे सकते हैं, लेकिन हाल के अध्ययन दिखाते हैं कि साँस की बदबू से लड़ते वक़्त आपको पूरी तरह उन पर निर्भर नहीं होना चाहिए। असल में, अलकोहल-सहित माऊथवाश से बारंबार कुल्ला करना मौखिक सूखेपन का कारण हो सकता है। उपभोक्ता को उपलब्ध सबसे अधिक प्रभावकारी मुँह साफ़ करनेवाले कुछ उत्पाद प्लाक को सिर्फ़ २८ प्रतिशत से घटाते हैं। सो अपने पसन्दीदा माऊथवाश से अच्छी तरह मुँह साफ़ करने के बाद, आपके मुँह में ७० प्रतिशत से अधिक आरंभिक जीवाणु अब भी हो सकते हैं। पत्रिका कन्ज़्यूमर रिपोर्टस् (अंग्रेज़ी) समझाती है कि किए गए अनेक परीक्षणों में, माऊथवाश से “मुँह साफ़ करने के बाद १० मिनट और एक घंटे के बीच साँस की बदबू अधिकांश मामलों में वापस आ गयी।” अधिक शक्तिशाली माऊथवाश भी, जो अनेक देशों में केवल डॉक्टर के नुसख़ा देने पर ही मिलते हैं, केवल ५५ प्रतिशत से प्लाक को घटाते हैं। कुछ ही घंटों में, जीवाणु बढ़कर अपने पहले की संख्या तक पहुँच जाते हैं।
स्पष्ट रूप से, जब साँस की बदबू को रोकने की बात आती है, तो एक लापरवाह मनोवृत्ति से दूर रहना आवश्यक है। इसके बजाय, आपको अपने मुँह और दाँतों को ऐसे क़ीमती औज़ार समझना चाहिए जिन्हें निरन्तर रख-रखाव की ज़रूरत है। ज़िम्मेदार बढ़ई और मॆकैनिक हर काम के ख़त्म होने के बाद, विशिष्ट रख-रखाव प्रक्रियाओं का पालन करने के द्वारा अपने औज़ारों का ज़ंग, क्षति और दूसरे नुक़सान से बचाव करते हैं। आपके दाँत और मुँह किसी भी मानव-निर्मित औज़ारों से ज़्यादा क़ीमती हैं। सो उनका ऐसा रख-रखाव कीजिए और उन्हें ऐसा ध्यान दीजिए जिसके वे योग्य हैं। ऐसा करने से आप साँस की बदबू को, और उसके साथ होनेवाली कुण्ठा और शर्मिंदगी को कम करेंगे। इससे भी महत्त्वपूर्ण, आपका मुँह ज़्यादा साफ़ और ज़्यादा स्वस्थ रहेगा।
[फुटनोट]
a प्लाक दाँतों के बाहरी भाग पर बढ़नेवाला चिपचिपा पदार्थ है। यह ज़्यादातर उन जीवाणुओं से बना होता है जो आपके दाँतों और मसूढ़ों को हानि पहुँचा सकते हैं।
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साँस की बदबू किस कारण होती है?
निम्नलिखित उन अनेक स्थितियों, बीमारियों और आदतों में से कुछ हैं जो साँस की बदबू का कारण होती हैं:
श्वासनली-शोथ
जीर्ण आमाशय शोथ
मधुमेह
शराब पीना
मुँह का सूखापन
अंतःपूयता
डकार
मसूढ़ों का रोग
विषमश्रोणिक
गुरदे का काम न करना
यकृत् रोग
रजोधर्म
मुँह में घाव
अण्डोत्सर्ग
ख़राब मौखिक स्वास्थ्य
शिरानाल शोथ
धूम्रपान
कुछ प्रकार के कैंसर
कुछ प्रकार की दवाइयाँ
दाँतों की सड़न
क्षयरोग
दन्त्य शल्यचिकित्सा से हुए घाव
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आपकी जीभ को भी ध्यान की ज़रूरत है
निकटतम आइने के पास जाइए, और अपनी जीभ को अच्छी तरह से देखिए। यह असंख्य छोटी दरारों से भरी हुई है? यह सामान्य है। लेकिन आपकी जीभ की सतह पर ये दरारें करोड़ों जीवाणुओं को आश्रय प्रदान कर सकती हैं। जब इन्हें योंही छोड़ दिया जाता है, तब ये जीवाणु निरन्तर बदबूदार साँस की समस्या और अन्य अस्वास्थ्यकर स्थितियाँ पैदा कर सकते हैं। लेकिन, मौखिक स्वास्थ्य की देखरेख करते वक़्त लोग अकसर जीभ को नज़रअंदाज़ करते हैं।
हैलिटोसिस के हल के तौर पर दन्त-चिकित्सक जीभ के ऊपरी भाग को मुलायम बालोंवाले टुथब्रश से नियमित रूप से साफ़ करने की सिफ़ारिश करते हैं। कुछ विशेषज्ञ जीभ खुरचनी इस्तेमाल करने की सिफ़ारिश करते हैं। भारत में, लोगों ने जीभ खुरचनी को पीढ़ियों से साँस की बदबू से पीछा छुड़ाने के एक तरीक़े के रूप में प्रयोग किया है। सालों पहले ये धातु के बने होते थे, लेकिन अब प्लास्टिक की खुरचनियाँ ज़्यादा आम हैं। कुछ जगहों में, आपको खुरचनी प्राप्त करने के लिए शायद अपने दन्त-चिकित्सक से मशविरा लेना पड़े।
[पेज 14 पर तसवीरें]
अच्छे मौखिक स्वास्थ्य में फ़्लॉसिंग करना साथ ही दाँतों और जीभ को ब्रश से साफ़ करना शामिल है
[पेज 12 पर चित्र का श्रेय]
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