हमारे पाठकों से
विलंबन लेख “विलंबन—समय का चोर” (अप्रैल-जून १९९५) एक व्यावहारिक और हास्यकर रीति से लिखा गया था। जब मैं उसे पढ़ रहा था तो मैं ने ख़ुद को अपने ऊपर हँसते हुए पाया, चूँकि मुझे विलंब करने की बुरी आदत है।
एफ. बी. एच., ब्राज़िल
मैं अपने अधिकांश जीवन चिरकालिक विलंबी रही हूँ, सो यह मेरे लिए सामयिक जानकारी थी। यह अच्छी तरह लिखा गया था, और अपने समय को सुनियोजित करने में मदद करने के लिए मैं इस जानकारी को प्रयोग करने की सोच रही हूँ। अकसर मैं अनेक लेखों के लिए धन्यवाद का पत्र लिखना चाहती थी और कभी लिख नहीं पायी। अब अंततः मैं ने यह काम कर लिया है!
एम. एच., अमरीका
मैं पत्रिका के पन्ने पलट रही थी जब मेरी नज़र इस लेख पर गयी। मैं ने यह सोचते हुए प्रस्तावना पढ़ी कि बाक़ी का लेख बाद में पढ़ूँगी। लेकिन आरंभिक शब्दों ने कहा: “रुकिए! इस लेख को छोड़िए नहीं!” मैं अब समझती हूँ कि मैं ने विलंबन के कारण अपना समय गवाँया है।
ए. ई., इटली
मैं एक दर्जी हूँ, और विलंबन मेरे लिए एक जीवन-रीति थी। मैं सूचियाँ बनाने, उपयुक्त समय निकालने, और रुकावटों के लिए योजना बनाने की उपेक्षा करता था। लेकिन अब मैं ने आपके सुझावों को प्रयोग में लाना सीख लिया है, और मैं प्रतिफल का आनन्द ले रहा हूँ।
एस. एन., नाइजीरिया
अंतिम दिन एक पूर्ण-समय के सुसमाचारक के रूप में, मैं हमारी पत्रिकाओं के लिए आपका धन्यवाद करना चाहती हूँ। जब मैं अप्रैल २२, १९९५ (अंग्रेज़ी) अंक “क्या ये अन्तिम दिन हैं?” में प्रस्तुत लेख-श्रंखला पढ़ रही थी, तब मैं ने सोचा, ‘ये लेख कितने स्पष्ट, सीधे, और सुचित्रित हैं!’ खाके, शानदार छाया चित्रण, और चित्र-शीर्षकों ने सचमुच मुद्दों को स्पष्ट रूप से समझने में मदद दी और लेखों को पढ़ना और समझना आसान बनाया। अपने पड़ोसियों को ऐसी जानकारी प्रस्तुत करना आनन्दप्रद था!
जे. बी., अमरीका
कच्ची दाद मैं ने आपका लेख “कच्ची दाद—दर्द का सामना करना” (अप्रैल २२, १९९५, अंग्रेज़ी) पढ़ा। तीन दिन बाद मेरी त्वचा पर ऐसे ददोरे हो गए जो आपके लेख में दिए गए कच्ची दाद के विवरण से बहुत मिलते-जुलते थे। मैं डॉक्टर के पास गयी और उससे कहा कि मेरे ख्याल से मुझे कच्ची दाद हो गयी है। वही हुआ, उसने कहा “आप बहुत ज्ञानी हैं”—मेरा निदान सही था! चूँकि रोग शुरूआत में ही पकड़ लिया गया, उसने कहा मैं काफ़ी कुछ उस दर्द से बच जाऊँगी जो कि अधिकांश कच्ची दाद के मरीज़ों को होता है। आपके लेख के लिए धन्यवाद!
के. बी., अमरीका
मातरिश्का लेख “मातरिश्का—क्या गुड़िया है!” (अप्रैल २२, १९९५, अंग्रेज़ी) के लिए आपका धन्यवाद। जब मैं इसे पढ़ रही थी, मैं इसकी लेखन-शैली से प्रभावित हुई। तस्वीरें सुन्दर हैं! जब मैं छोटी थी तभी से मैं इस गुड़िया से सम्मोहित रही हूँ, लेकिन मैं इसके उद्गम के बारे में कुछ नहीं जानती थी। अब मुझे किसी को मनाना पड़ेगा कि मेरे लिए एक ख़रीद दें!
एम. टी., इटली
समलिंगकामुकता मैं एक सहायक सेवक और एक पायनियर, एक पूर्ण-समय सुसमाचारक के रूप में सेवा करता हूँ। समलिंगकामुकता पर “युवा लोग पूछते हैं . . . ” लेख लगता है कि मेरे लिए लिखे गए हैं! (फरवरी ८, फरवरी २२, और मार्च २२, १९९५, अंग्रेज़ी) अपनी आदि और मध्य किशोरावस्था में मैं ने समलिंगकामुकता में भाग लिया। मैं ने उसे छोड़ दिया, लेकिन उसके बाद से मैं ने इन भावनाओं से लड़ना मुश्किल पाया है। परन्तु, इन लेखों के कारण अंततः मैं अपनी भावनाओं को समझता हूँ, और मुझे लड़ते रहने के लिए मदद मिली है!
नाम छिपाया गया, डॆनमार्क
बचपन से मेरे साथ लैंगिक दुर्व्यवहार किया गया। मुझे कभी कोई प्रेम या स्नेह नहीं दिखाया गया। मैं समलिंगकामुकता का अभ्यास करता था, लेकिन काश युवा लोग उस लज्जा, पीड़ा, उदासी, और कुण्ठा को जानते जो समलिंगकामुक मनोवृत्ति से आती है, तो वे उससे दूर भागते। अनेक लोग इस विषय पर बात करने से कतराते हैं, लेकिन आपने इसे सहज रूप से प्रस्तुत किया। ऐसे विषयों को प्रकाशित करने के लिए मैं अपने पूरे हृदय से आपका धन्यवाद करता हूँ।
नाम छिपाया गया, ब्राज़िल