प्रवाल ख़तरे में और मरणासन्न
सागर और कहीं इतना साफ़ नहीं जितना कि उष्णकटिबन्धी क्षेत्र में। काँच जैसा साफ़। नीला काँच। १५ मीटर नीचे सफ़ेद रेतीला तल इतना पास लगता है कि आप उसे छू सकते हैं! तैरने के लिए मीनपक्ष और एक मुखावरण पहनिए। गर्म पानी में उतरते वक़्त अपनी साँसनलिका को ठीक कीजिए, कुछ देर के लिए बुलबुले दृष्टि को अस्पष्ट कर देते हैं। उसके बाद नीचे देखिए। वो रहा! देखिए वह बड़ी लाल और नीली पैरट मछली, जो प्रवाल को काटकर छोटे-छोटे टुकड़े निकाल रही है, जो उस रेतीले तल का भाग बन जाते हैं। अचानक, उष्णकटिबंधी मछलियों का एक चमकीला मेघधनुष—लाल, पीली, नीली, नारंगी, बैंगनी—पास से गुज़र जाता है। हर जगह जीवन क्रियाशील है। यह आपकी इन्द्रियों को अभिभूत कर देता है।
यह प्रवाल जंगल है। यह नीचे के रेतीले तल से उभरता है, और हज़ारों जीवित हाथों की तरह बढ़ता है। थोड़ी ही दूरी पर एल्कहार्न प्रवाल का एक बढ़िया चबूतरा है, जिसकी ऊँचाई छः मीटर से ज़्यादा है और उसकी चौड़ाई लगभग उतनी ही है। कुछ २३ मीटर की दूरी पर स्टैगहार्न प्रवाल हैं, एल्कहार्न से छोटे, और उनकी ज़्यादा पतली टहनियाँ उस क्षेत्र को जंगल की तरह भरे हुए हैं। इन प्रवालों का नाम कितना उपयुक्त है—जो दिखने में हर तरह से जानवरों के सींग (हार्न) जैसे लगते हैं! मछलियाँ और अन्य समुद्री जीव उनकी टहनियों में भोजन और आवास पाते हैं।
पहले माना जाता था कि ये पौधों से बने हैं, अब ज्ञात है कि प्रवाल एक चूना-पत्थर की रचना है जो पॉलिप नामक प्राणियों के समुदायों से बनता है। अधिकांश पॉलिप छोटे होते हैं, व्यास में २.५ सेंटीमीटर से कम होते हैं। कोमल शरीर वाला प्रवाल पॉलिप अपने आप को अपने पड़ोसी के साथ श्लेष्मा से ढके हुए ऊतक से जोड़ लेता है। यह प्रवाल दिन के समय एक पत्थर की तरह दिखता है, क्योंकि पॉलिप अपने पिंजर में चले जाते हैं। लेकिन रात में यह रूपान्तरित हो जाता है क्योंकि उनके फैले हुए स्पर्शक धीरे-धीरे हिलते हैं, और उस जल-शैल को एक कोमल, रोंएदार आकृति देते हैं। यह पत्थरीला “पेड़” जिसके पॉलिप साझेदार हैं उनका संयुक्त पिंजर है, जो समुद्र के पानी से निकले कैल्शियम कार्बोनेट से इकट्ठे जुड़ जाते हैं।
प्रत्येक प्रकार का प्रवाल समुदाय स्वयं अपना अनोखा पिंजर आकार बनाता है। संसार-भर में, ३५० से ज़्यादा भिन्न क़िस्म के प्रवाल हैं, जिनके विस्मयकारी आकार, माप और रंग होते हैं। उनके सामान्य नाम आपको ज़मीन की वस्तुओं की—पेड़, स्तम्भ, मेज़, या छतरी प्रवाल—या पौधों की—कार्नेशन, लेट्यूस, स्ट्राबेरी, या मशरूम प्रवाल—याद दिलाते हैं। वह बड़ा मस्तिष्क प्रवाल देख रहे हैं? इसने अपना नाम कैसे पाया यह समझना आसान है!
पानी की सतह के नीचे यह जंगल जीवन से भरा हुआ है, सूक्ष्म-दर्शी पौधों और प्राणियों से लेकर शंकुश, शार्क, बड़ी मोरे ईल मछलियाँ और कछुओं तक। और यहाँ कुछ ऐसी मछलियाँ हैं जिनके बारे में आपने शायद कभी सुना न हो—उजली पीली क्लाऊन मछली, बैंजनी बियू ग्रेगरीस, काली-और-सफेद मूरिश आइडल्स्, नारंगी ट्रम्पॆट मछली, गहरी नीली सर्जनफिश, जंबुकी-नील हैमलॆट्स्, या भूरी और ताम्र रंग की लायन-फिश। और बार्बर्सशॉप चिंगट, रंगीन झींगा, या किरमिजी हॉक मछली के बारे में क्या? सभी रंगों में, हर माप, हर आकार में। कुछ सुंदर, कुछ विचित्र—लेकिन सभी दिलचस्प। देखिए, उस स्तम्भ प्रवाल के पीछे एक अष्टभुज छिपा हुआ है! उसने जिस बड़ी सीपी को खोला है उससे वह भोजन कर रहा है। जैसे ज़मीन पर जंगलों में होता है, इस समुद्री संसार के ढाँचे में जीवन की बहुत बड़ी विभिन्नता फैली हुई है, सभी इसकी विविधता पर निर्भर करते हैं। प्रवाल का प्रजनक-चक्र और नए जल-शैल समुदायों को बनाने के लिए समुद्र की धाराओं पर सफ़र करने की इसकी क्षमता का विवरण सजग होइए! के जून ८, १९९१ (अंग्रेज़ी) के अंक में दिया गया था।
पृथ्वी पर प्रवाल जल-शैल सबसे बड़ी जैविक संरचनाएँ हैं। इनमें से एक, ऑस्ट्रेलिया के उत्तरपूर्वी तट के पास, ग्रेट बैरियर रीफ़ २,०१० किलोमीटर तक फैला हुआ है और इकट्ठे इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के आकार के क्षेत्र को घेरे हुए है। एक प्रवाल का वज़न अनेकों टन हो सकता है और यह समुद्र के तल से नौ मीटर से ज़्यादा तक बढ़ सकता है। प्रवाल जल-शैल सारे उथले उष्णकटिबन्धी पानी में ६० मीटर तक की गहराई में उगते हैं। उनकी विशेषताएँ होती हैं जो क्षेत्र के अनुसार बदलती हैं, सो एक प्रवाल के टुकड़े की जाँच करने के द्वारा, विशेषज्ञ उस सागर और उस स्थान के बारे में भी बता सकते हैं जिसमें अमुक प्रवाल उगा था। प्रवाल जल-शैलों के बढ़ने के लिए ज़रूरी परिवेश वह है जहाँ पानी में सीमित पोषक हों, जो समझाता है कि उनके आसपास सागर असाधारण रूप से साफ़ क्यों होता है। प्रवाल के लिए पोषक की आपूर्ति शैवाल द्वारा होती है (विज्ञान में ज़ूक्सैनथैले पुकारा जाता है), जो पॉलिप के पारदर्शी शरीर में रहते हैं, और सूक्ष्मदर्शी प्राणियों के द्वारा भी जो प्रवाल के स्पर्शकों में फँस जाते हैं। इसका अन्तिम परिणाम ऐसा प्रवाल जल-शैल होता है जो अन्यथा निराश्रय सागर में हज़ारों समुद्री जातियों का घर होता है।
प्रवाल जल-शैल सभी समुद्री पारितंत्रों में सबसे ज़्यादा जैविक रीति से उत्पादक भी हैं। यू.एस.न्यूज़ एण्ड वर्ल्ड रिपोर्ट (अंग्रेज़ी) ने इसे इस तरह वर्णित किया: “जल-शैल उष्णकटिबन्धी वर्षा वनों के समुद्री समतुल्य हैं, जो अनेक जीवित प्राणियों से भरे हुए हैं: लहराते सी-फैन और सी-व्हिपस्, पंखरूपी क्रिनॉइड, निऑन वर्ण की मछलियाँ और स्पंज, चिंगट, झींगा और स्टारफिश, साथ ही भयंकर शार्क और विशालकाय मोरे ईल। सभी आवास के लिए प्रवाल के जारी उत्पादन पर निर्भर करते हैं।” प्रवाल जल-शैल तेज़ लहरों और तट-रेखाओं के बीच एक बाधा बनने के द्वारा और हज़ारों उष्णकटिबन्धी द्वीपों की नींव डालने के द्वारा ज़मीन पर भी जीवन को सँभालते हैं।
स्वस्थ प्रवाल भूरा, हरा, लाल, नीला या पीला होता है, जो पारदर्शी प्रवाल-पॉलिप आवास में रहनेवाले शैवाल के प्रकार पर निर्भर करता है। ये शैवालयुक्त सूक्ष्मदर्शी पौधे अपने प्राणी सहजीवियों से निकलती सूर्य की रोशनी का प्रयोग करते हैं और पॉलिप के अपशेष को, जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड भी शामिल है, अपने पोषण के लिए आत्मसात् करते हैं। बदले में, प्रकाश-संश्लेषण के द्वारा यह शैवाल प्रवाल के ऊतकों के लिए ऑक्सीजन, भोजन और ऊर्जा प्रदान करता है। शैवाल के साथ यह साझेदारी प्रवाल को ज़्यादा तेज़ी से बढ़ने और इन कम पोषकों के उष्णकटिबन्धी पानी में जीवित रहने देती है। दोनों के पास वनस्पति और प्राणी जगत का सर्वोत्तम भाग है। क्या ही अत्युत्तम और बुद्धिमत्तापूर्ण रचना!
जीवन से खाली विरंजित पिंजर
इसमें आश्चर्य नहीं कि नीचे कितनी कार्यवाही होती है! लेकिन वह क्या है? जीवन से खाली विरंजित पिंजर। टहनियाँ टूटी हुईं और टुकड़े-टुकड़े हो रही हैं। कुछ तो पहले ही विघटित हो चुकी हैं। प्रवाल जंगल का यह भाग मर चुका है या मर रहा है। कोई मछली नहीं। कोई चिंगट नहीं। कोई झींगा नहीं। कुछ भी नहीं है। यह पानी के नीचे एक रेगिस्तान है। आप अविश्वास से ताकते हैं। कैसा आघात! आपके रमणीय अनुभव पर पानी फिर गया। जब आप नाव में वापस आ जाते हैं, तब भी चिन्ताजनक प्रश्न रह जाते हैं। कौन-सी बात इस तबाही का कारण हुई होगी? कोई दुर्घटना? रोग? प्राकृतिक कारण? आप जवाब चाहते हैं।
हालाँकि पत्थरीला प्रवाल मज़बूत लगता है, यह बहुत ही नाज़ुक होता है। मानव का एक स्पर्श हानि पहुँचा सकता है, सो बुद्धिमान गोताखोर उसे छूने से दूर रहते हैं और सतर्क नाविक उस पर लंगर लगाने से। प्रवाल के लिए अन्य ख़तरे हैं रासायनिक प्रदूषण, तेल का रिसाव, गंदा पानी, लक्कड़ लुढ़काना, खेतों से आनेवाला गन्दा पानी, खुदाई, तलछटन, और ताज़े पानी का घुस आना। नावों की नौतल का सीधा प्रहार कहर ढाता है। और तापमान में अत्यधिकता प्रवाल को हानि पहुँचा सकती है और मार सकती है। जब तनाव पैदा होता है, प्रवाल अपने शैवाल को सघन बादलों में बाहर निकालता है, और मछलियाँ उसे जल्दी से खा लेती हैं। अगर तनावपूर्ण परिस्थितियाँ कई सप्ताह या महीनों बनी रहती हैं, तो विरंजन होता है और प्रवाल मर जाता है। और जब प्रवाल मर जाता है, तो वह जल-शैल परिवेश मर जाता है। जीवन का ढाँचा टूट जाता है और गुम हो जाता है।
विरंजन सभी उष्णकटिबन्धी सागरों में व्यापक हो गया है। इसके परिणामस्वरूप, संसार-भर का समुद्री विज्ञान-समुदाय व्याकुल है। जब बड़े पैमाने पर विरंजन होता है, तो हानि अनपलट होती है। हाल के वर्षों में संसार के सभी उष्णकटिबन्धी समुद्रों में जो हुआ है, उससे दुःखद रूप से संसार का ध्यान प्रवाल विरंजन की हद और फलस्वरूप उसकी मृत्यु की ओर खींचा गया है। हालाँकि अनेक वर्षों से समय-समय पर और स्थानीय रूप से प्रवालों का विरंजन हुआ है, वर्तमान प्रकोप की प्रचण्डता अद्वितीय है और विश्वव्यापी स्तर की है। ऐसा कुछ है जो सारी पृथ्वी पर जीवित प्रवालों की अधिकांश जातियों पर हमला करता रहा है, जिसके कारण जल-शैल परिवेश ढह रहे हैं।