युवा लोग पूछते हैं . . .
क्या मुझे अपना पाप स्वीकार करना चाहिए?
“मैं इतनी लज्जित हूँ, मैं नहीं जानती कि क्या करूँ। मैं अपने माता-पिता के पास जाना चाहती हूँ, लेकिन मैं बहुत लज्जित हूँ।”—लीला।a
उलझन में फँसी एक युवती ने यह लिखा। कुछ सालों से उसका एक अविश्वासी के साथ रोमानी चक्कर था, और एक दिन शराब के नशे में उसने उसके साथ संभोग कर लिया।
दुःख की बात है कि समय-समय पर मसीही युवाओं के बीच भी ऐसी बातें होती हैं। हमारी उम्र और अनुभव जितना कम होता है, उतनी ही अधिक ग़लतियाँ करने की हमारी संभावना होती है। लेकिन जबकि छोटी-मोटी ग़लती करना एक बात है, लैंगिक अनैतिकता जैसे घोर कुकर्म में फँसना अलग ही बात है। (१ कुरिन्थियों ६:९, १०) जब ऐसा होता है, तब एक युवा को मदद लेने की ज़रूरत है। समस्या यह है कि अपने अपराध स्वीकार करना आसान काम नहीं है।
एक मसीही लड़की ने विवाह से पहले संभोग किया। उसने अपने कलीसिया प्राचीनों को बताने का फ़ैसला किया, यहाँ तक कि एक तारीख़ भी तय कर ली कि वह इस दिन बताएगी। लेकिन उसने वह तारीख़ आगे बढ़ा दी। बाद में, उसने फिर से तारीख़ आगे बढ़ा दी। जल्द ही, एक पूरा साल बीत चुका था।
“कुछ छिपा नहीं”
यदि आप गंभीर पाप में फँस गए हैं, तो आपको यह समझने की ज़रूरत है कि चुप रहना बहुत-ही मूर्खतापूर्ण विचार है। एक बात यह है कि सच्चाई तो अकसर सामने आ ही जाती है। जब मुकुल छोटा बच्चा था, उसने चीनी-मिट्टी की एक दीवार सजावट-वस्तु तोड़ दी। “मैं ने उसे ध्यान से जोड़ने की कोशिश की,” वह याद करता है, “लेकिन जल्द ही मेरे माता-पिता ने चिटकन देख ली।” सच है, अब आप बच्चे नहीं रहे। लेकिन अधिकतर माता-पिता अकसर भाँप जाते हैं जब उनके बच्चे कुछ गड़बड़ करते हैं।
“मैं अपनी समस्याओं को झूठ से ढाँकने की कोशिश करती थी,” १५-वर्षीय अंजलि स्वीकार करती है, “लेकिन ऐसा करने से मैं बातों को और बिगाड़ देती थी।” अकसर, झूठ खुल जाता है। और जब आपके माता-पिता को पता चलता है कि आपने झूठ बोला, तब यह अति संभव है कि वे परेशान होंगे—उससे भी अधिक परेशान होंगे जो कि वे तब हुए होते यदि आपने उन्हें सीधे-सीधे बता दिया होता।
उससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण, बाइबल कहती है: “कुछ छिपा नहीं, जो प्रगट न हो; और न कुछ गुप्त है, जो जाना न जाए, और प्रगट न हो।” (लूका ८:१७) यहोवा जानता है कि हमने क्या किया है और हम क्या कर रहे हैं। आप उससे नहीं छिपा सकते जैसे आदम नहीं छिपा सका। (उत्पत्ति ३:८-११) कुछ समय बाद, आपके पाप दूसरों के सामने प्रकट हो जाएँगे।—१ तीमुथियुस ५:२४.
चुप रहना आपको दूसरे तरीक़ों से भी नुक़सान पहुँचा सकता है। भजनहार दाऊद ने लिखा: “जब मैं चुप रहा तब दिन भर कहरते कहरते मेरी हड्डियां पिघल गईं। क्योंकि रात दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा।” (भजन ३२:३, ४) जी हाँ, गोपनीयता बनाए रखने का तनाव आप के ऊपर भावात्मक रूप से क़हर ढा सकता है। चिन्ता और दोष-भावना, साथ ही पोल खुलने का भय आपका हाल बेहाल कर सकते हैं। आप अपने आपको मित्रों और परिजनों से दूर करना शुरू कर सकते हैं। आप शायद यह भी महसूस करें कि आप स्वयं परमेश्वर से भी कट गए हैं! “यहोवा को दुःखी करने के कारण मैं एक दोषी अंतःकरण से जूझ रहा था,” अनिल नाम के एक युवा ने लिखा। “यह मुझे खाए जा रहा था।”
चुप्पी तोड़ना
इस भावात्मक अशान्ति से राहत पाने का क्या कोई तरीक़ा है? जी हाँ, तरीक़ा है! भजनहार ने कहा: “जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, . . . तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया।” (भजन ३२:५. १ यूहन्ना १:९ से तुलना कीजिए।) इसी प्रकार अनिल को अपना पाप स्वीकार करने से राहत मिली। वह याद करता है: “मैं यहोवा के सम्मुख गया और पूरे मन से उसकी क्षमा की प्रार्थना की।”
आप भी यही कर सकते हैं। यहोवा से प्रार्थना कीजिए। वह जानता है कि आपने क्या किया है, लेकिन नम्रतापूर्वक प्रार्थना में उसके सामने स्वीकार कीजिए। क्षमा माँगिए, यह सोचकर पीछे मत हटिए कि आप बहुत दुष्ट हैं और आपकी मदद नहीं की जा सकती। यीशु इसलिए मरा कि हम अपनी अपरिपूर्णता के बावजूद परमेश्वर के साथ एक अच्छी स्थिति का आनन्द ले सकें। (१ यूहन्ना २:१, २) आप ज़रूरी बदलाव करने के लिए शक्ति भी माँग सकते हैं। परमेश्वर के पास इस प्रकार जाने में भजन ५१ पढ़ना आपके लिए ख़ासकर सहायक साबित हो सकता है।
अपने माता-पिता को बताना
लेकिन, मात्र परमेश्वर के सामने पाप-स्वीकृति से अधिक की ज़रूरत है। आप अपने माता-पिता को बताने के लिए भी बाध्य हैं। उन्हें परमेश्वर ने आज्ञा दी है कि “प्रभु की शिक्षा और अनुशासन में” आपका पालन-पोषण करें। (इफिसियों ६:४, NHT) यदि वे आपकी समस्याएँ जानते हैं केवल तभी वे ऐसा कर सकते हैं। फिर, अपने माता-पिता को बताना शायद सरल या सुखद न हो। लेकिन शुरू-शुरू की प्रतिक्रिया के बाद, वे संभवतः अपनी भावनाओं पर क़ाबू कर लेंगे। वे शायद प्रसन्न भी हों कि आपने उन पर इतना भरोसा तो किया कि अपनी समस्या उन्हें बतायी। उड़ाऊ पुत्र के बारे में यीशु की नीति-कथा एक युवक के बारे में बताती है जो लैंगिक अनैतिकता में फँस गया। लेकिन जब अंततः उसने अपना पाप स्वीकार किया, तब उसके पिता ने बाहें खोलकर उसका स्वागत किया! (लूका १५:११-२४) निःसंदेह आपके माता-पिता भी उसी तरह आपकी मदद के लिए आएँगे। आख़िरकार, वे अभी भी आपसे प्रेम करते हैं।
सच है, आपको अपने माता-पिता को चोट पहुँचाने का डर हो। लेकिन पाप की स्वीकृति आपके माता-पिता को चोट नहीं पहुँचाती; पाप करना उन्हें चोट पहुँचाता है! उस चोट को भरने का पहला क़दम है पाप स्वीकार करना। पहले उल्लिखित, अंजलि ने अपने माता-पिता को बताया और उसके बाद बहुत राहत महसूस की।b
पाप स्वीकार करने में एक और बाधा है लज्जा और शर्मिंदगी। विश्वासी शास्त्री एज्रा ने स्वयं पाप नहीं किए थे, लेकिन जब उसने अपने संगी यहूदियों के पाप स्वीकार किए, उसने कहा: “हे मेरे परमेश्वर! मुझे तेरी ओर अपना मुंह उठाते लाज आती है।” (एज्रा ९:६) सचमुच, जब आपने ग़लती की है तब शर्म आना उचित है। यह दिखाता है कि आपका अंतःकरण अभी भी काम कर रहा है। और कुछ समय बाद शर्म की वे भावनाएँ दब जाएँगी। अनिल ने इस प्रकार कहा: “पाप स्वीकार करना बहुत ही कठिन और लज्जापूर्ण है। लेकिन यह जानने से राहत मिलती है कि यहोवा पूरी रीति से क्षमा करेगा।”
प्राचीनों के पास जाना
यदि आप एक मसीही हैं, तो मामला अपने माता-पिता को बता देने से ही समाप्त नहीं हो जाता। अनिल कहता है: “मैं जानता था कि मुझे अपनी समस्या कलीसिया प्राचीनों के पास ले जानी है। यह जानने से कितनी राहत मिली कि वे मेरी मदद के लिए उपलब्ध हैं!” जी हाँ, यहोवा के साक्षियों के बीच युवा मदद और प्रोत्साहन के लिए कलीसिया प्राचीनों के पास जा सकते हैं और उन्हें जाना चाहिए। लेकिन आप यहोवा से प्रार्थना करके बात वहीं समाप्त क्यों नहीं कर सकते? क्योंकि यहोवा ने प्राचीनों को ‘आपके प्राणों के लिये जागते रहने’ की ज़िम्मेदारी सौंपी है। (इब्रानियों १३:१७) वे फिर से पाप में पड़ने से बचने में आपकी मदद कर सकते हैं।—याकूब ५:१४-१६ से तुलना कीजिए।
यह तर्क करने के द्वारा कि आप अपनी मदद स्वयं कर सकते हैं अपने आपको धोखा मत दीजिए। यदि आप इतने मज़बूत होते कि ऐसा कर पाते, तो आप पाप में पड़े ही क्यों होते? स्पष्ट है कि आपको किसी दूसरे की मदद की ज़रूरत है। अनिल ने साहस के साथ ऐसा किया। उसकी सलाह? “मैं ऐसे किसी भी व्यक्ति को प्रोत्साहन देता हूँ जो गंभीर पाप में फँसा हुआ है, या फँसा था, कि यहोवा के सामने और उसके एक चरवाहे के सामने अपना हृदय खोले।”
लेकिन आप एक प्राचीन के पास कैसे जाएँ? एक ऐसे प्राचीन को चुनिए जिसके साथ आप थोड़ा-बहुत सहज महसूस करते हैं। आप यह कहकर शुरू कर सकते हैं: “मुझे एक बात करनी है” या “मुझे एक समस्या है” या यह भी कह सकते हैं कि “मुझे एक समस्या है और आपकी मदद की ज़रूरत है।” आपका सच और साफ़ बोलना सचमुच यह दिखाएगा कि आपने पश्चाताप किया है और बदलाव करना चाहते हैं।
‘मुझे बहिष्कृत होने से डर लगता है’
इस संभावना के बारे में क्या? यह सच है कि एक गंभीर पाप करने से व्यक्ति बहिष्कृत हो सकता है, लेकिन स्वतः ही नहीं। बहिष्करण उनके लिए है जो पश्चाताप करने से इनकार करते हैं—जो बदलाव करने से हठपूर्वक इनकार करते हैं। नीतिवचन २८:१३ कहता है: “जो अपने अपराध छिपा रखता है, उसका कार्य सुफल नहीं होता, परन्तु जो उनको मान लेता और छोड़ भी देता है, उस पर दया की जायेगी।” यह सच्चाई कि आप मदद के लिए प्राचीनों के पास गए हैं इसका प्रमाण है कि आप बदलाव करना चाहते हैं। प्राचीन मुख्यतः चंगा करनेवाले होते हैं, सज़ा देनेवाले नहीं। उन पर यह बाध्यता है कि परमेश्वर के लोगों के साथ कृपा और गरिमा से व्यवहार करें। वे आपकी मदद करना चाहते हैं कि आप “अपने पांवों के लिये सीधे मार्ग” बनाएँ।—इब्रानियों १२:१३.
माना, जब धोखे का या लम्बे समय से गंभीर कुकर्म करने का मामला होता है, तब शायद “मन फिराव के योग्य काम” न हों जो मन फिराव का विश्वास दिला दें। (प्रेरितों २६:२०) कभी-कभी बहिष्करण होता है। और जब कुकर्मी पश्चाताप करता है तब भी प्राचीनों पर यह बाध्यता है कि किसी क़िस्म का अनुशासन दें। क्या आपको उनके फ़ैसले को लेकर क्रोधित या कटु होना चाहिए? इब्रानियों १२:५, ६ में, पौलुस आग्रह करता है: “हे मेरे पुत्र, प्रभु की ताड़ना को हलकी बात न जान, और जब वह तुझे घुड़के तो हियाव न छोड़। क्योंकि प्रभु, जिस से प्रेम करता है, उस की ताड़ना भी करता है; और जिसे पुत्र बना लेता है, उस को कोड़े भी लगाता है।” आपको जो भी अनुशासन मिलता है, उसे इस बात का प्रमाण समझिए कि परमेश्वर आपसे प्रेम करता है। याद रखिए, सच्चा पश्चाताप करने से हमारे दयालु पिता, यहोवा परमेश्वर के साथ आपका सही सम्बन्ध बहाल हो जाएगा।
अपनी ग़लतियाँ स्वीकार करने के लिए साहस की ज़रूरत होती है। लेकिन ऐसा करने से, आप न केवल अपने माता-पिता के साथ परन्तु स्वयं यहोवा परमेश्वर के साथ मामला सुलझा सकते हैं। भय, घमंड, या लज्जा के कारण मदद लेने से पीछे मत हटिए। याद रखिए: यहोवा “पूरी रीति से . . . क्षमा करेगा।”—यशायाह ५५:७.
[फुटनोट]
a कुछ नाम बदल दिए गए हैं।
b अपने माता-पिता के पास जाने के विषय पर जानकारी के लिए, वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित, पुस्तक युवाओं के प्रश्न—व्यावहारिक उत्तर (अंग्रेज़ी) का अध्याय २ देखिए।
[पेज 12 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
‘जिन्होंने पाप किया है उन सभी को मैं प्रोत्साहित करता हूँ कि यहोवा के सामने अपना हृदय खोलें।’—अनिल
[पेज 11 पर तसवीर]
अपने माता-पिता के सामने पाप स्वीकार करने से आध्यात्मिक स्वास्थ्यलाभ हो सकता है