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सजग होइए!–1997
g97 4/8 पेज 16-18

फूल बताते हैं कि कोई परवाह करता है

कोलम्बिया में सजग होइए! संवाददाता द्वारा

एक मोहित बच्ची बटरकप का एक गुच्छा अपने गुदगुदे हाथों में समेटकर अपनी मूल्यवान प्राप्ति के साथ माँ की ओर भागती है। सड़क किनारे एक दुक़ान पर एक प्रेमी पति अपनी पत्नी के लिए एक दर्जन गुलाब चुनता है। वह दिखाना चाहता है कि वह उसकी कितनी परवाह करता है। एक क़दरदान पुत्र अपने पड़ोस के पुष्प विक्रेता को कुछ ताज़े पोमपोन के लिए फोन करता है, ताकि अपनी माँ को ख़ुश कर सके। बाज़ार में एक अच्छी गृहिणी विभिन्‍न रंगोंवाले कार्नेशन का एक गुलदस्ता अपनी थैली में ऊपर रखती है। यह उसके अच्छी तरह अलंकृत घर को और सुहावना बनाएगा।

फूल छोटे और बड़े दोनों के दिलों को एक समान ख़ुश करते हैं। वे यह भावना व्यक्‍त करने का एक शानदार तरीक़ा हैं कि “कोई परवाह करता है।” एक स्पैनिश कहावत है: “जो कोई एक गुलाब के लिए आभारी नहीं है वह किसी भी चीज़ के लिए आभारी नहीं होगा।” (कियेन नो आग्रादेसे ऊना रोसा, नो आग्रादेसेरा निंगूना कोसा।)

पुष्प विक्रय पहले से कहीं अधिक बढ़ रहा है। तीव्र हवाई यातायात के इस युग में, फूलों को दुक़ानों, सुपरबाज़ारों, और सड़क किनारे दुक़ानों से, जहाँ वे राहगीरों की आँखों को मुग्ध करते हैं, कहीं दूर उगाया जा सकता है। टाइम (अंग्रेज़ी) पत्रिका ने कहा कि पुष्प उद्योग “तेज़ी से बढ़ रहा है और उससे भी तीव्र गति से बदल रहा है: अधिकाधिक उत्पादन दक्षिणी गोलार्ध से आ रहा है—मुख्यतः कोलम्बिया से, जो होलैंड के बाद दूसरा सबसे बड़ा निर्यात करनेवाला देश बन गया है।”

प्लास्टिक से ढके पादप-गृह और कृत्रिम झीलें

इस कारोबार में २५ से अधिक साल बिताए हुए कोलम्बिया संसार में कार्नेशन का सबसे बड़ा निर्यातक है, और संपूर्ण पुष्प विक्रय में दूसरे स्थान पर है। १९६४ में कैलिफोर्निया, अमरीका में एक यूनिवर्सिटी विद्यार्थी ने वर्षभर पुष्प उत्पादन के लिए सर्वोत्तम पर्यावरणवाले स्थानों का पता लगाने के लिए एक कंप्यूटर अध्ययन किया। उसने पाया कि उस ऊँची घाटी का मौसम और ऊँचाई आदर्श है जिसपर बोगोटा स्थित है। यह भू-मध्य-रेखा के निकट उत्तर की ओर, और एंड़ीज़ पर्वतों पर क़रीब २,८०० मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।

सान्ताफे दे बोगोता के आश्‍चर्यजनक रूप से हरित सवाना में, जहाँ कोलम्बिया के निर्यात पुष्पोत्पादन का ९२ प्रतिशत भाग स्थित है, कृत्रिम झील और प्लास्टिक से ढके पादप-गृह छितरे हुए हैं। इन लकड़ी या धातु के ढाँचों के पादप-गृहों में सावधानीपूर्वक नियंत्रित वसंतऋतु का वातावरण लाखों कार्नेशन, पोमपोन, गुलाब, गुलदाउदी, अलस्ट्रोमेरियास, और अन्य कई तरह के फूलों का पोषण करता है, जिन्हें जल्द ही काटकर पैक करने के बाद उत्तरी अमरीका, यूरोप और ऐशिया भेजा जाना है।

फूलों के उत्पादन के लिए आदर्श तापमान १८ और २० डिग्री सैल्सियस के बीच होता है जो वर्षभर सवाना का दिन का साधारण तापमान है। यहाँ बारिश का पानी बहुतायत में प्राप्त होता है, मिट्टी उपजाऊ है, और सस्ता शारीरिक श्रम-बल उपलब्ध है। रात को तापमान शून्य के बराबर और कभी-कभी बर्फीला -२ डिग्री सैल्सियस तक भी गिर सकता है। धुंधआते मटके, ऊँची वाट-संख्या वाले बल्ब या पानी की बूँदें ठण्ड से बचाती हैं। रोशनी के बल्ब दिन की रोशनी के घंटों को बढ़ाने का भी कार्य करते हैं जिससे कुछ पौधे जागे रहते हैं और उनका वर्धन तेज़ होता है।

उत्पादन पूर्वायोजित

कोलम्बिया में १,२०,००० से अधिक कर्मचारी पुष्प उद्योग के किसी क्षेत्र में लगे हैं। उनमें कई यहोवा के साक्षी भी हैं जो सवाना में छितरे समुदायों में जीते हैं। फाकातातिवा की एक कलीसिया का एक प्राचीन, बॆनीतो कींताना एक संवर्धन गृह में उत्पादन निरीक्षक के तौर पर कार्य करता है। वह समझाता है: “महीनों पहले, हमें बाज़ार की नियत माँगों को पूरा करने के लिए उत्पादन की योजना बनानी पड़ती है। कार्नेशन के लिए मूल पौधे होलैंड या इटली से और पोमपोन का फ्लोरिडा से आयात किया जाता है। स्त्रियाँ छोटे चेतनों को ध्यानपूर्वक काटती हैं और उन्हें एक गरम पादप-गृह में ऊँची पंक्‍तियों में लगाती हैं जहाँ उन्हें एक मेघ-समान धुंध द्वारा सींचा जाता है, जब तक कि वे जड़ नहीं पकड़ लेते। पोमपोन के लिए २० से ३५ डिग्री सैल्सियस (६८° से ९५° F) और रात को दो घंटे की अतिरिक्‍त रोशनी के साथ १२ दिन लगते हैं। कार्नेशन १५ से २५ डिग्री सैल्सियस (५९° से ७७° F) के तापमान पर रात को बिना रोशनी के २३ दिन लेते हैं। फिर हम छोटे पौधों को दूसरे पादप-गृहों की क्यारियों में स्थानांतरित करते हैं जहाँ फूल अंकुरित होने तक उन्हें पौष्टिक तत्त्वों से पुष्ट किया जाता है, धूम्रिकरण किया जाता है, और सींचा जाता है जिसके लिए कार्नेशन छः महीने और पोमपोन तीन महीने लेते हैं।”

कटाई के मौसम में कड़ी मेहनत

जब कटाई का मौसम आता है तो स्त्रियाँ सबसे बेहतर काम करती हैं। बिना दस्तानों के और अच्छी तरह साफ़ हाथों से काम करना पसंद किया जाता है। कलियाँ किस हद तक खिली हैं, या शाखाओं के सीधाई जाँचने के लिए मशीनें योग्य नहीं हैं। यही वे बातें हैं जो फूल की गुणवत्ता को निर्धारित करती हैं।

फाकातातिवा से हूदीत कॉरेदोर समझाती है: “स्त्रियों के पास वह धैर्य और कोमल स्पर्श है, साथ ही साथ वह वेग और कुशलता, जिसकी ज़रूरत होती है। जब हम पौ फटने पर पादप-गृहों में प्रवेश करते हैं,” हूदीत आगे कहती है, “सवाना अकसर कोहरे से ढका होता है; यहाँ बहुत ही ठंडा, यहाँ तक कि हिमीकरण तक भी ठंडा हो सकता है। कई लड़कियाँ स्कार्फ़ पहनती हैं। दिन को ग़र्मी हो जाती है और कभी-कभी तापमान ३२ डिग्री सैल्सियस से अधिक हो जाता है। कठिन परिश्रम करना पड़ता है, ख़ासकर कटाई के मौसम में जब हमें बहुत काम होता है और ओवरटाइम करना पड़ता है।”

एक रंगीन और सुगंधित संदेश

काटने के बाद, फूलों को एक ख़ास कमरे में ले जाया जाता है जहाँ हवा का अच्छा परिसंचरण और अच्छी रोशनी होती है। यहाँ स्त्रियाँ फूलों को उनकी गुणवत्ता और उनकी शाखाओं के सीधेपन, मोटाई और लम्बाई के आधार पर चुनती और वर्गीकृत करती हैं। फिर फूलों को पारदर्शी प्लास्टिक में लपेटा जाता है, जिसमें हर गुच्छे में २५ फूल होते हैं, और वे पैकिंग के लिए तैयार हैं। निर्यात के लिए सबसे अच्छे फूल ही चुने जाते हैं।

पुरुष फूलों को ख़ास लहरियादार गत्ते के बक्सों में पैक करते हैं जिन पर संवर्धन गृह का नाम होता है—एक बक्से में कार्नेशन के २४ गुच्छे पैक किए जाते हैं। बॆनीतो का भाई, अलेहान्द्रो कींताना, जो पैकिंग विभाग में काम करता है, कहता है: “हमें तेज़ी से काम करना पड़ता है क्योंकि फूल सब फ़सलों में से सबसे जल्दी ख़राब होता है। हमारी कंपनी के पास दो पम्प हैं जो एक बार में ११२ बक्सों में से गरम हवा निकाल कर दो घंटे तक ठण्डी हवा अन्दर डालते हैं और इस प्रकार फूलों के तापमान को शून्य से कुछ ही डिग्री ऊपर तक कम कर देती है। फिर बक्सों के छेद बंद किए जाते हैं और फूलों को शीत-संग्रहण में रखा जाता है जब तक कि उन्हें हवाई अड्डे तक ले जाने के लिए ट्रकों में लादा नहीं जाता।”

बोगोटा के ऎल दोरादो अंतर्राष्ट्रीय हवाई-अड्डे पर फूलों की निर्यात जाँच की जाती है और फिर शीत-संग्रहण सुविधाओं में कुछ घंटों के लिए रखा जाता है जब तक कि माल विदेशी वितरण स्थानों तक पहुँचाने के लिए बड़े जेट विमानों में लादा नहीं जाता। कुछ ही दिनों में ये फूल घरों, आफ़िसों, अस्पतालों, और अन्य स्थानों में खिल रहे होंगे और यह रंगीन और सुगंधित संदेश दे रहे होंगे कि कोई परवाह करता है।

वह जो वास्तव में परवाह करता है

पृथ्वी पर हम चाहे कहीं भी जाएँ, हम अपने आनंद के लिए फूल पाते हैं। ये पर्वतों की ऊँचाइयों पर, हिमक्षेत्रों और हिमशैलों के किनारों पर, जंगलों और मैदानों में, झरनों और नदियों के किनारे, समुद्र तट पर, और यहाँ तक कि गरम, सूखे रेगिस्तानों में भी पाए जाते हैं। मनुष्य के इस पृथ्वी पर आने से कहीं पहले फूल रहे हैं। वनस्पतिज्ञ दावा करते हैं कि ‘पुष्पित पौधे सभी पशु और मनुष्य जीवन का आधार हैं। इनके बिना जानवर और मनुष्य अस्तित्त्व में नहीं रह सकते।’

अंतर्दृष्टि के साथ राजा सुलैमान ने कहा: “[परमेश्‍वर] ने सब कुछ ऐसा बनाया कि अपने अपने समय पर वे सुन्दर होते हैं।” (सभोपदेशक ३:११) इसमें परमेश्‍वर की विविध और वैभव सहित फूलों की भेंट भी शामिल है। अतिप्राचीनकाल से उन्होंने छोटों और बड़ों के दिल को एक समान ख़ुश किया है। जी हाँ, परमेश्‍वर वास्तव में परवाह करता है!

[पेज 17 पर बक्स]

फूलों को ज़्यादा समय तक ताज़ा रखने के लिए

• फूलों को एक फूलदान में रखने से पहले शाखाओं को पानी में रखकर तिरछा काटिए। शाखाओं के कोनों में लगी पानी की बूँदें हवा को प्रवेश करने से रोकेंगी और इस प्रकार वे पानी और पौष्टिक तत्त्वों का भावी अंतर्गृहण रोकेंगी।

• गेओमुन्दो पत्रिका कोलम्बिया के उद्यान कृषि विशेषज्ञों को उद्धृत करती है जो कहते हैं कि पानी में एक एस्पिरिन की गोली, एक चम्मच चीनी, या थोड़ा कोला मिलाने से फूल ज़्यादा देर तक ताज़ा रहेंगे। हर दो या तीन दिन में पानी बदलिए और ताज़ा पानी का इस्तेमाल कीजिए जो कमरे के तापमान का हो। कलियों को जल्दी खिलने के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है।

• शाखाओं को गरम पानी में दस मिनट तक डुबोने और उनकी पंखड़ियों पर ठंड़ा पानी छिड़कने से थोड़ा मुर्झाए हुए फूलों में अकसर फिर से जान डाली जा सकती है। फूलों को गर्मी के स्रोतों, हवा के सीधे झोंकों और सीधी धूप से दूर रखिए।

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