स्त्रियाँ ज़्यादा लंबा परंतु ज़रूरी नहीं कि ज़्यादा अच्छा जीवन जीती हैं
संसार-भर में स्त्रियाँ देर से शादी कर रही हैं, कम बच्चे पैदा कर रही हैं, और ज़्यादा लंबा जीवन जी रही हैं। “स्त्रियों का जीवन बदल रहा है,” पत्रिका यूनॆस्को स्रोत (अंग्रेज़ी) रिपोर्ट करती है। वर्ष १९७० और १९९० के बीच, विकसित देशों में जन्म के समय स्त्रियों के अनुमानित जीवन में चार साल की वृद्धि हुई और विकासशील देशों में यह वृद्धि लगभग नौ साल थी। “इसका अर्थ है कि आज विकसित क्षेत्रों में स्त्रियाँ पुरुषों की तुलना में औसतन ६.५ साल ज़्यादा जीती हैं। विकासशील क्षेत्रों में यह भिन्नता लैटिन अमरीका और करेबियन में पाँच साल, अफ्रीका में ३.५ साल, और एशिया और प्रशान्त में तीन साल है।”
फिर भी, अनेक स्त्रियों के लिए, ज़्यादा लंबे जीवन का अर्थ ज़्यादा अच्छा जीवन नहीं है। संयुक्त राष्ट्र की एक पत्रिका, आवर प्लैनॆट (अंग्रेज़ी) कहती है कि संसार की अधिकांश स्त्रियों के लिए, मूल मानव अधिकार अभी भी “वह खीर है जो उन्होंने कभी चखी नहीं। वे अभी भी सादी दाल-रोटी की कोशिश में रहती हैं।” लेकिन, यूएन कहता है कि मूल अधिकार भी करोड़ों स्त्रियों की पहुँच से दूर हैं क्योंकि अभी भी संसार के अनपढ़, शरणार्थी, और ग़रीब लोगों में अधिकतर स्त्रियाँ ही हैं। थोड़ी-बहुत तरक़्की के बावजूद, यूनॆस्को स्रोत अंत में कहता है, “आम तौर पर स्त्रियों का भविष्य . . . धुँधला नज़र आता है।”