लोग जिन्हें सिखाया गया है प्रेम करना
प्रेम श्रद्धा, शुभचिंता, या साझा हितों पर आधारित स्नेह है। प्रेम स्नेही लगाव है। यह निःस्वार्थ है, निष्ठावान है और दूसरों की भलाई के लिए शुभचिंता करता है। प्रेम घृणा का विलोम है। घृणा से प्रेरित व्यक्ति अपनी ही कामना में लीन रहता है; प्रेम से प्रेरित व्यक्ति दूसरों के बारे में सोचता है।
प्रेम या घृणा—आपके जीवन में किसका प्रभुत्व है? यह कोई अव्यावहारिक प्रश्न नहीं है क्योंकि इसके उत्तर पर आपका अनंत भविष्य निर्भर है। उस संसार में रहते हुए भी जिसमें घृणा करना सिखाया जा रहा है, लाखों लोग प्रेम करना सीख रहे हैं। वे एक नया मनुष्यत्व धारण करने के द्वारा ऐसा कर रहे हैं। वे प्रेम के बारे में सिर्फ़ बात नहीं कर रहे; वे उसका पालन करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
यदि आप कभी यहोवा के साक्षियों की किसी सभा में उपस्थित हुए हैं, तो आप शायद अपनी आँखों देखी बातों से प्रभावित हुए हों। राष्ट्रीयता चाहे जो भी हो, यहोवा के साक्षी उपासना में संयुक्त हैं। उनका एक सचमुच का अंतर्राष्ट्रीय भाईचारा है। यह उनकी स्थानीय कलीसियाओं और उनके अधिवेशनों में देखा जा सकता है, लेकिन शायद सबसे अधिक वहाँ जिसे वे बॆथॆल परिवार कहते हैं। ये स्वयंसेवियों के समूह हैं जो एक परिवार के रूप में एकसाथ रहते और काम करते हैं, बाइबल साहित्य का उत्पादन और वितरण करते हैं। हर देश में, उनमें से कुछ लोग वहाँ यहोवा के साक्षियों द्वारा किये गये काम की देखरेख करते हैं। यह कोई छोटा काम नहीं है, क्योंकि इसमें—१९९७ में—२३३ देशों में ८२,००० से अधिक कलीसियाएँ सम्मिलित हैं। इस ज़रूरत को पूरा करने के लिए, संसार भर के बॆथॆल परिवारों में १६,००० से अधिक लोग सेवा करते हैं, जिसमें विश्व मुख्यालय और १०३ देशों में विभिन्न छोटी शाखा सुविधाएँ सम्मिलित हैं।
अधिकतर बॆथॆल परिवारों में ज़्यादातर वे लोग हैं जो उसी देश के नागरिक हैं जहाँ वह शाखा दफ़्तर स्थित है। लेकिन पूरी तरह से ऐसा नहीं है। कुछ बॆथॆल परिवारों में विभिन्न राष्ट्रीय, नृजातीय, या जातीय उद्गमों के साक्षी हैं और वे भी हैं जिनकी पहले अलग-अलग धार्मिक पृष्ठभूमि थी। उदाहरण के लिए, ज़ॆलटर्स, जर्मनी में स्थित क़रीब १,२०० लोगों के बॆथॆल परिवार में कुछ ३० राष्ट्रों के लोग हैं। कौन-सी बात उन्हें शांति और एकता में, घृणा से मुक्त वातावरण में एकसाथ रहने, काम करने और उपासना करने में समर्थ करती है? वे कुलुस्सियों ३:१४ में दी गयी बाइबल सलाह पर चल रहे हैं, जो कहता है:
“प्रेम को . . . धारण कर लो”
कोई भी पूरी तरह से वस्त्र धारण किये हुए नहीं पैदा होता, न ही कोई इसके बारे में बस बात करने से वस्त्र धारण कर लेता है। अपने आपको तैयार करने में निश्चित फ़ैसले करने पड़ते हैं और फिर उन पर चलने में प्रयास करना पड़ता है। उसी तरह, कोई भी प्रेम को धारण किये हुए नहीं पैदा होता। उसके बारे में बस बात करना काफ़ी नहीं है। प्रयास की ज़रूरत है।
वस्त्र धारण करना कई उद्देश्य पूरे करता है। यह शरीर का बचाव करता है, शरीर के भोंडे अंगों या कमियों को छिपाता है और कुछ हद तक एक व्यक्ति के व्यक्तित्व को प्रकट करता है। प्रेम भी इससे मिलता-जुलता है। यह बचाव का काम करता है क्योंकि धर्मी सिद्धांतों और उचित संगति के प्रति प्रेम एक व्यक्ति को प्रेरित करता है कि वैसी संगति या स्थानों से दूर रहे जो ख़तरनाक हो सकते हैं। यह व्यक्तिगत संबंधों को बचाने का काम करता है, जो हमें प्रिय होने चाहिए। इसकी संभावना अधिक है कि जो प्रेम करता है बदले में उससे भी प्रेम किया जाएगा और इसकी संभावना भी अधिक है कि जो दूसरों को हानि पहुँचाने से दूर रहता है उसे भी हानि नहीं पहुँचायी जाएगी।
प्रेम हमारे व्यक्तित्व के ज़्यादा भोंडे हिस्सों को छिपाता है, जो संगी मनुष्यों के लिए परेशान करनेवाले साबित हो सकते हैं। क्या हम उन लोगों की बनिस्बत जो घमंडी, अक्खड़, आत्म-केंद्रित और प्रेमरहित हैं, ऐसे लोगों की छोटी-मोटी कमियों को नज़रअंदाज़ करने के लिए ज़्यादा तैयार नहीं रहते जो प्रेममय हैं?
जो लोग प्रेम धारण करते हैं वे मसीह-समान व्यक्तित्व की सुंदरता प्रकट करते हैं। जबकि शारीरिक सुंदरता बस ऊपरी होती है, आध्यात्मिक सुंदरता व्यक्ति की रग-रग में समायी होती है। आप शायद उन लोगों को जानते हों जिन्हें आप सुंदर मानते हैं, उनके शारीरिक रूप के कारण नहीं, बल्कि उनके सच्चे स्नेही व्यक्तित्व के कारण। दूसरी ओर, हममें से अधिकतर लोगों का परिचय ऐसी सुंदर स्त्रियों या सजीले पुरुषों से हुआ है जिनका असली व्यक्तित्व सामने आते ही वे हमारी आँखों से पूरी तरह उतर गये। उन लोगों की संगति में रहना कितना सुखदायी है जिन्होंने प्रेम को धारण किया है!
घृणा की जगह प्रेम उत्पन्न करना
वर्ष १९९४ में जर्मनी में किया गया, १,४५,९५८ यहोवा के साक्षियों का एक सर्वेक्षण दिखाता है कि घृणा की जगह प्रेम उत्पन्न किया जा सकता है।
ज़रूरत से ज़्यादा पीना, नशीले पदार्थों का दुरुपयोग, अपराध, जूआ और असामाजिक या हिंसक व्यवहार, ये सभी एक-न-एक तरीक़े से स्वार्थ की अभिव्यक्तियाँ हैं, जो आसानी से घृणा उत्पन्न कर सकती हैं। लेकिन इंटरव्यू देनेवाले ३८.७ प्रतिशत लोगों ने कहा कि साक्षियों द्वारा प्रोत्साहित उच्च बाइबल स्तरों का पालन करने के लिए उन्होंने इनमें से एक या अनेक समस्याओं को पार किया है। परमेश्वर और उसके धर्मी आचरण-स्तरों के प्रति प्रेम ने उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित किया। यहोवा के साक्षियों ने प्रेममय सहायता दी और वह भी प्रायः व्यक्तिगत रूप से। पिछले पाँच सालों के दौरान (१९९२-१९९६), २३३ देशों में १६,१६,८९४ व्यक्तियों को बदलाव करने में मदद दी गयी। उन्होंने सर्व-विजयी प्रेम से घृणा पर जय पायी।
अपने विवाह में निःस्वार्थ प्रेम से चलने के द्वारा, यहोवा के साक्षी स्थिर संबंध बना पाते हैं। कुछ देशों में प्रति दो या तीन विवाह में से एक तलाक़ के कारण टूट जाता है। लेकिन उक्त सर्वेक्षण ने दिखाया कि अभी मात्र ४.९ प्रतिशत साक्षी या तो तलाक़शुदा हैं या अपने साथी से अलग हो गये हैं। लेकिन, यह नहीं भूलना चाहिए कि इनमें से काफ़ी लोगों का तलाक़ यहोवा के साक्षी बनने से पहले हो चुका था।
क्योंकि प्रेम का परमेश्वर एक महान उपदेशक है जो उससे प्रेम करनेवालों को अपने मार्ग सिखाता है, इसलिए यहोवा के साक्षी सबसे बढ़कर उससे ही प्रेम करते हैं। दूसरे लोगों से भिन्न, जो शायद “परमेश्वर के नहीं बरन सुखविलास ही के चाहनेवाले” हों, यहोवा के साक्षी परमेश्वर को प्रथम स्थान देते हैं। (२ तीमुथियुस ३:४) इस सिद्धांतहीन संसार के मार्गों के विपरीत, आम साक्षी हर सप्ताह धार्मिक कामों में १७.५ घंटे बिताता है। स्पष्ट है कि साक्षी आध्यात्मिक प्रवृत्ति के हैं। इसी कारण वे ख़ुश हैं। यीशु ने कहा: “ख़ुश हैं वे जो अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत के प्रति सचेत हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है।”—मत्ती ५:३, NW.
भजन ११८ का लेखक कहता है कि परमेश्वर के सच्चे सेवक को मनुष्यों से डरने की कोई ज़रूरत नहीं। “यहोवा मेरी ओर है, मैं न डरूंगा। मनुष्य मेरा क्या कर सकता है?” (आयत ६) परमेश्वर पर पूरा भरोसा रखना दूसरे मनुष्यों के प्रति घृणा और भय का एक कारण दूर करता है।
यह जानते हुए कि परमेश्वर “क्रोध करने में धीमा और करुणा और सच्चाई में परिपूर्ण है,” एक मसीही अपने जीवन से क्रोध को दूर करने का प्रयास करेगा, क्योंकि यह घृणा का अतिरिक्त कारण हो सकता है। परमेश्वर की आत्मा के फल विकसित करना, जिनमें नम्रता और आत्म-संयम सम्मिलित हैं, ऐसा करने में उसकी मदद करेगा।—भजन ८६:१५, NHT; गलतियों ५:२२, २३.
सच्चा मसीही नम्र होता है और अपने आपको ज़रूरत से ज़्यादा नहीं समझता। (रोमियों १२:३) वह दूसरों के साथ अपने व्यवहार में प्रेम विकसित करता है। घृणा की विषमता में, प्रेम “झुंझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता।”—१ कुरिन्थियों १३:५.
जी हाँ, भय, क्रोध, या चोट का भाव लोगों में घृणा उत्पन्न कर सकता है। लेकिन प्रेम, घृणा को उसका आधार न देने के द्वारा, उस पर जय पाता है। सचमुच, प्रेम विश्व में सबसे मज़बूत शक्ति है क्योंकि “परमेश्वर प्रेम है।”—१ यूहन्ना ४:८.
घृणा जल्द ही हमेशा के लिए दूर हो जाएगी
क्योंकि स्वार्थ और घृणा यहोवा परमेश्वर के व्यक्तित्व का भाग नहीं हैं, वे हमेशा नहीं रह सकते। यह अवश्य है कि उन्हें दूर किया जाए, उनके बदले में प्रेम उत्पन्न किया जाए, जो हमेशा रहेगा। यदि आप उस क़िस्म के संसार के लिए लालायित हैं जिसमें घृणा न हो और जो प्रेम से भरा हो, तो यहोवा के साक्षियों को बाइबल में से आपको यह समझाने की अनुमति दीजिए कि जीते जी उसे देखने के लिए क्या-क्या माँगें हैं।
जी हाँ, अच्छा होगा कि हममें से हरेक जन यह पूछे, ‘मेरे जीवन पर किस गुण का प्रभुत्व है, प्रेम का या घृणा का?’ यह कोई अव्यावहारिक प्रश्न नहीं है। जो दिल परमेश्वर के विरोधी, घृणा के ईश्वर के लिए धड़कता है, वह ज़्यादा दिन नहीं धड़क पाएगा। जो दिल प्रेम के परमेश्वर, यहोवा के लिए धड़कता है, वह हमेशा धड़कता रहेगा!—१ यूहन्ना २:१५-१७.
[पेज 10 पर तसवीर]
आज भी लोग प्रेम धारण कर सकते हैं