हमारे पाठकों से
जिगरी दोस्त घर बदलता है मैं लेख “युवा लोग पूछते हैं . . . मेरे जिगरी दोस्त ने घर क्यों बदल लिया?” के लिए अपनी दिली क़दरदानी व्यक्त करना चाहती हूँ। (जनवरी ८, १९९७) यह ऐन वक़्त पर पहुँचा। जल्द ही, मेरी एक सहेली घर बदलनेवाली है; वह और उसका पति एक ऐसी कलीसिया में सेवा करने जा रहे हैं जहाँ ज़्यादा प्रचारकों की ज़रूरत है। उसके लिए बहुत ख़ुश होने के बावजूद, मैं जानती हूँ कि उसकी अनुपस्थिति मुझे बहुत खलेगी। आपकी अत्युत्तम सलाह के लिए आपका शुक्रिया।
आर. ए., इटली
आप अंदाज़ा नहीं लगा सकते कि इस लेख ने मुझे कितना प्रभावित किया जब हमारे सर्किट ओवरसियर, सफ़री सेवक हमें छोड़ किसी नयी जगह में सेवा करने चले गए। उन्होंने मेरी आध्यात्मिक व भावात्मक ज़रूरतों की कितनी परवाह की थी। ठीक जिस तरह लेख में दी गयी तसवीर में सचित्रित किया गया है, अलविदा कहना एक दुखःदायी अनुभव था। अकेलेपन का सामना करने के लिए मेरी मदद करने में आपके सुझाव कितने सामयिक हैं।
जे. डी., नाइजीरिया
सहनशीलता मैं २२ वर्ष का हूँ और मैं आपकी लेख-श्रंखला “सहनशीलता—क्या संसार बहुत दूर निकल गया है?” के लिए आपका शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ। (फरवरी ८, १९९७) युवा मसीहियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन लेखों ने मुझे प्रोत्साहित किया कि मैं सीमा पार न करूँ तथा संसार के दबावों के बावजूद यहोवा की सेवा करने के मेरे दृढ़संकल्प को इसने मज़बूत किया।
एम. बी., इटली
रसोईघर का मज़ा लेख “किचिन मज़ेदार जगह हो सकती है” के लिए शुक्रिया। (फरवरी ८, १९९७) मैंने भी रसोईघर में हुई बातचीतों का फ़ायदा उठाया है। आलू-प्याज़ छीलते वक़्त, मेरी माँ मुझे यहोवा से प्रेम करना सिखातीं और उसकी पूरी तरह से सेवा करने के लिए प्रोत्साहित करतीं। रसोईघर में हुई ये बातचीत ऐसे कठिन समय में ख़ासकर अनमोल साबित हुईं जब मेरे पिता ने हमारे धर्म का विरोध किया। अब मेरी माँ को और मुझे अपने पिता को यहोवा का एक सेवक बनते हुए देखने की ख़ुशी मिली है। साथ ही, मैंने कई ज़ायकेदार व्यंजन बनाना भी सीख लिया है!
ए. एम. एम., इटली
मनोरंजन व्यवसायवाले मालिक के घर में मैं बावर्ची का काम करती हूँ। इस वज़ह से मुझे रसोईघर में काम करते वक़्त मेहमानों के साथ—जिनमें कुछ मशहूर हस्तियाँ शामिल हैं—आध्यात्मिक भोजन बाँटने के कई मौक़े मिले। मैं रसोईघर के दराज़ में कुछ बाइबल साहित्य रखती हूँ। एक मौक़े पर मेरी एक मेहमान के साथ बाइबल चर्चा छिड़ गयी। वो बाद में अतिरिक्त चर्चा के लिए रसोईघर में फिर आए। जब मैं चिकन तलने में व्यस्त थी, उन्होंने ऊँची आवाज़ में पुस्तक प्रकाशितवाक्य—इसकी महान पराकाष्ठा निकट! (अंग्रेज़ी) की मेरी प्रति से पढ़ा। जी हाँ, आप सही हैं। रसोईघर मज़ेदार जगह हो सकती है!
ए. आर., अमरीका
पाप स्वीकार करना मैं कलीसिया प्राचीन के तौर पर सेवा करता हूँ और मैं लेख “युवा लोग पूछते हैं . . . क्या मुझे अपना पाप स्वीकार करना चाहिए?” के लिए अपनी क़दरदानी व्यक्त करना चाहता हूँ। (फरवरी ८, १९९७) इस लेख ने कई युवाओं को अपनी गंभीर ग़लतियों को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जो उन्होंने कुछ समय पहले की थीं। यह देखना आनंद की बात थी कि प्रेममय मदद पाने के बाद, इन युवजनों ने यहोवा के साथ अपने रिश्ते को फिर से स्थापित किया। वे अपने आपको शुद्ध रखने के लिए दृढ़संकल्प हैं।
ओ. बी., इटली
लेख ने मुझे यह एहसास दिलाने में मदद की कि चुप्पी साधना बहुत नुक़सानदेह हो सकता है। स्वीकार कर लेने से शायद बदनामी और शर्मिंदगी हो, लेकिन जब आप यहोवा और अपने माता-पिता से अपना पाप स्वीकार कर लेते हैं, तब आप उनके साथ ज़्यादा मज़बूत, नज़दीकी रिश्ते का अनुभव करते हैं।
बी. के., गयाना
लेख ऐन वक़्त पर मिला जब मुझे उसकी ज़रूरत थी। इसने मुझे यह समझने में मदद की कि मुझे अपने माता-पिता व कलीसिया प्राचीनों को, मैंने जो किया था उसे बताना चाहिए। मुझे ऐसा लगा मानो वह लेख मेरे लिए ही लिखा गया था। जब मैंने अपनी समस्याओं के बारे में उन्हें अंततः बताया, तब मैंने कितना हलका महसूस किया!
ए. ए., अमरीका