उसका संदेह दूर हुआ
जब कैरिबीअन द्वीप, जमाइका में यहोवा के साक्षी एक युवक से मिले, तब उसे परमेश्वर के अस्तित्त्व के बारे में बहुत संदेह था और वह नहीं मानता था कि बाइबल ईश्वर-प्रेरित है। लेकिन, नानुकर करते हुए उसने बाइबल—परमेश्वर का वचन या मनुष्य का वचन? (अंग्रेज़ी) पुस्तक की एक प्रति स्वीकार कर ली। उससे कई बार पुनःभेंट की गयी, लेकिन अंत में उसने साक्षियों से कह दिया कि जब तक कि वह उन्हें न बुलाए, वे वापिस न आएँ।
“महीनों बाद,” साक्षियों ने रिपोर्ट दी, “उसने टॆलिफ़ोन किया और अनेक प्रश्न पूछे। लेकिन अब भी वह बाइबल के उत्तरों की आलोचना कर रहा था।”
कुछ समय बाद, उस युवक को ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है पुस्तक की एक प्रति दी गयी, और उसके साथ बाइबल का एक नियमित अध्ययन शुरू किया गया। उसके कुछ ही समय बाद, उसने टिप्पणी की: “अब मैं समझ सकता हूँ कि क्यों इस तरह का अध्ययन ज़रूरी है।” जो वह सीख रहा था उसके बारे में उसमें इतना उत्साह था कि उसने सप्ताह में दो बार अध्ययन करने का निवेदन किया। जल्द ही वह नियमित रूप से मसीही सभाओं में उपस्थित होने लगा।
बाइबल—परमेश्वर का वचन या मनुष्य का वचन? पढ़ने के द्वारा और ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है पुस्तक का अध्ययन करने के द्वारा लाखों लोगों का विश्वास मज़बूत हुआ है। यदि आप इन पुस्तकों की एक प्रति प्राप्त करना चाहते हैं या चाहते हैं कि कोई आपके साथ एक गृह बाइबल अध्ययन संचालित करे, तो कृपया Watch Tower, H-58 Old Khandala Road, Lonavla 410 401, Mah., India को या पृष्ठ ५ पर दिए गए उपयुक्त पते पर लिखिए।
[पेज 32 पर चित्र का श्रेय]
पुस्तक बाइबल—परमेश्वर का वचन या मनुष्य का वचन? का मुखपृष्ठ: तीसरी सदी का पपाइरस और एस्तेर का इब्रानी खर्रा: The Trustees of the Chester Beatty Library, Dublin; सिकंदर महान का ऊपरी धड़: Musei Capitolini, Roma