हमारे पाठकों से
धौंस जमाना—इसमें बुराई क्या है? लेख “युवा लोग पूछते हैं . . . धौंस जमाना—इसमें बुराई क्या है?” (अप्रैल ८, १९९७) के लिए आपका शुक्रिया। स्कूल में सभी कमज़ोर का मज़ाक उड़ाते हैं, और मुझे भी ऐसा ही करने के लिए उसकाया गया। लेकिन इस लेख ने सलाह दी कि अपने आपको दूसरे व्यक्ति की जगह पर रखकर देखें। इससे मुझे बहुत मदद मिली कि धौंस न जमाऊँ। एक बार फिर आपका शुक्रिया।
एम. एन., फ्रांस
मैं १७ साल की हूँ, और मैं इस लेख के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया अदा करती हूँ। यह मेरी प्रार्थनाओं का उत्तर है, और इसने सचमुच मुझे प्रोत्साहित किया। यह जानने से कि यहोवा धौंस जमाने से घृणा करता है मुझे अपने व्यवहार में ज़रूरी बदलाव करने में बहुत मदद मिली है। सुनहरे नियम और यीशु के उदाहरण ने भी मुझे प्रभावित किया, और ये सही ढंग से व्यवहार करने में मेरी मदद करते हैं।
वी. टी., इटली
हाल ही में, मैंने एक प्रतीक्षा-कक्ष में एक सजग होइए! उठायी और उसमें यह सुंदर ढंग से लिखा लेख पाया। धौंस जमाने से जो स्थायी हानि पहुँच सकती है उसे मैं निश्चित ही समझती हूँ। मेरे भाई ने [मेरे साथ] मौखिक, भावात्मक और शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार किया। पूछे जाने पर, वह कंधे उचका देता, हँसता और कहता कि वह तो मज़ाक था। वह मुझसे कहता कि समस्या मेरी है क्योंकि मुझमें हँसी-मज़ाक का भाव नहीं है! जब मैं १३ की थी और वह १५ का, तब वह मुझे लैंगिक दुर्व्यवहार की धमकी देने लगा। मैं हर समय उसकी दहशत में जीती थी क्योंकि वह मुझसे उम्र में और क़द में बड़ा था, और बहुत तगड़ा था! मेरे माता-पिता ने कभी मेरी सुरक्षा नहीं की। सजग होइए! का शुक्रिया कि इसमें जीवन के ऐसे गंभीर विषयों को संबोधित किया जाता है। मैं जानती हूँ कि इसके लिए साहस की ज़रूरत है। मुझे लगता है कि इस लेख से आपने बहुतों के दिल छूए हैं।
बी. एस. एम., अमरीका
विश्व-व्यापी बग़ीचा सुंदर श्रृंखला “विश्व-व्यापी बग़ीचा—सपना या होनेवाली वास्तविकता?” (मई ८, १९९७) के लिए मैं आपका धन्यवाद करना चाहती हूँ। जी हाँ, बग़ीचे और रंग हमारी सेहत पर असर कर सकते हैं और हमें ख़ुशी का एहसास दिला सकते हैं। मैंने उस भाग को बहुत पसंद किया जिसका शीर्षक था, “परादीस को लौटने का रास्ता।” वे चंद शब्द इतने प्रोत्साहक थे—एक निमंत्रण के समान, जो कह रहा हो, “मार्ग यही है।” उस समय कितना मज़ा आएगा जब हम सूरज उगने से सूरज ढलने तक पृथ्वी को परादीस में बदलने के काम में जुटे होंगे! क्योंकि मुझे चित्र बनाने, रंग भरने और दस्तकारी करने में मज़ा आता है, मैं पत्रिकाओं के सभी चित्रों का भी आनंद लेती हूँ।
वी. आर., ऑस्ट्रेलिया
मैं इन लेखों के लिए आपकी सराहना करना चाहती हूँ। मैंने इनका भरपूर आनंद लिया। मैं क़रीब ८० साल की हूँ और आज भी अपनी बग़िया में काम करना पसंद करती हूँ। मेरे फूलों और सब्ज़ियों को पहला पुरस्कार तो नहीं मिलेगा, लेकिन बाहर खुले में उनकी देखरेख करने में मुझे मज़ा आता है। इन लेखों को पढ़ने के बाद से मैं ज़्यादा अच्छी तरह समझ गयी हूँ कि क्यों मनुष्य बग़ीचों में काम करना पसंद करते हैं।
आर. आर., अमरीका
विवाह को बचाना? जब मैंने “क्या बदचलनी के बाद विवाह को बचाया जा सकता है?” (मई ८, १९९७) लेख पढ़ा, तब मुझे ऐसा लगा कि यहोवा ने मुझे एक चिट्ठी भेजी है। इसमें ठीक वही बताया गया था जो मैंने अनुभव किया था और जैसा मैंने महसूस किया था। मेरे पति ने बेवफ़ाई की थी, लेकिन उसने सच्चे दिल से पछतावा किया। जैसे लेख ने बताया, मुझे ऐसा लगा मानो मैं एक तूफ़ान में फँस गयी हूँ। मैंने उसे माफ़ करने का चुनाव किया, लेकिन कभी-कभी मुझे अपने विचारों पर शर्म आती थी। इस लेख ने मुझे यह समझने में मदद दी कि मेरी प्रतिक्रिया पूरी तरह से सामान्य और उचित थी। यहोवा ने हमारे प्रयासों पर बहुत आशीष दी है, और हमारा विवाह बच गया है।
एल. पी., फ्रांस
जबकि मेरा विवाह बचाया नहीं जा सका, फिर भी यह लेख बड़ी आशीष बनकर आया क्योंकि इसमें ठीक वैसा ही बताया गया है जैसा मैंने महसूस किया। लेख में बतायी गयी हर बात मेरे क़िस्से में ठीक बैठती है। मैं ऐसे दूसरे लोगों को भी जानती हूँ जिन्होंने इसी प्रकार इससे लाभ उठाया है। कई लोगों को यह समझने में कठिनाई होती है कि ऐसी स्थिति में कैसा लगता है, सो यह लेख बड़ा मददगार ठहरेगा, उन्हें अंतर्दृष्टि देगा।
एम. सी., आयरलॆंड
एक अविश्वासी के साथ मेरा विवाह हुए नौ साल हो गये हैं और वह एक बेवफ़ा साथी निकला है। लेकिन जब मैंने उपशीर्षक “क्या विवाह बचाने योग्य है?” के नीचे दिये गये अनुच्छेद पढ़े, तब मुझे काफ़ी राहत मिली। मेरा पति हमारे विवाह को बनाए रखना चाहता है लेकिन दूसरे संबंध को भी जारी रखना चाहता है। सो, मैं ख़ुश हूँ कि मैं इसे यहीं ख़त्म कर रही हूँ। अब मुझे फिर से शुरूआत करनी है और एकल माँ का दायित्व निभाना है।
एम. एस. बी., ट्रिनिडैड
इस सुंदर और संवेदनशील लेख के लिए आपका शुक्रिया। फिर से मेल-मिलाप करने का फ़ायदा होगा या नहीं, यह तय करने के लिए दी गयी सलाह बहुत ही अच्छी थी। मैं हमेशा से सोचती थी कि यदि मेरा पति बेवफ़ाई करे, तो मैं उसे कभी माफ़ नहीं कर पाऊँगी। अब मुझे समझ आया कि यही हमेशा सही समाधान नहीं होता। दुःख की बात है कि यह प्रत्यक्षतः एक सदा-बढ़ती समस्या है, लेकिन इस पर शास्त्रीय अंतर्दृष्टि देने के लिए शुक्रिया कि हम अपनी मदद कैसे करें। यहोवा पर मेरे भरोसे ने मुझे गहरी हताशा के समय में मदद दी और मुझे अपने पति को माफ़ करने की शक्ति बटोरने में मदद दी, क्योंकि मेरे पति ने गहरा पश्चाताप दिखाया (और अभी-भी दिखाता है)।
एस. एन., अमरीका