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सजग होइए!–1997
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युवा लोग पूछते हैं . . .

धौंस जमाना—इसमें बुराई क्या है?

‘अरे! मैं तो बस मज़ाक कर रहा था। इसमें ऐसी कौन-सी बड़ी बात है? इसके अलावा, रॉन इसी के लायक़ है।’

आप अपने अधिकांश हमउम्र साथियों से शायद ज़्यादा हट्टे-कट्टे और शक्‍तिशाली हैं। या शायद आप हाज़िरजवाब, व्यंग्यपूर्ण और लड़ाकू हैं। चाहे जो भी हो, डराना, छेड़ना, या किसी और को तक़लीफ देकर हँसना आपके लिए शायद सहज हो।

हालाँकि दूसरों पर धौंस जमाने से आप अपने दोस्तों को हँसा सकते हैं, यह कोई छोटी-मोटी बात नहीं है। असल में, कुछ शोधकर्ता पता लगा रहे हैं कि धौंस जमाने से उस हद तक इसके शिकार को हानि पहुँचती है जिसकी उन्होंने कभी कल्पना नहीं की थी। स्कूल की उम्र के अमरीकी युवाओं के एक सर्वेक्षण से पता चला कि “जिन पर धौंस जमायी गयी थी उनमें से ९० प्रतिशत व्यक्‍तियों ने कहा कि वे पार्श्‍व-प्रभावों से पीड़ित थे—अंकों में गिरावट, चिंता में वृद्धि, दोस्तों में या सामाजिक जीवन में गिरावट।” जापान में एक १३-वर्षीय ने “एक लंबी पर्ची छोड़ने के बाद ख़ुद को फाँसी लगा ली। उस पर्ची में तीन साल से उस पर धौंस जमाए जाने का विवरण था।”a

आख़िर कौन-सी बात एक व्यक्‍ति को धौंसिया बनाती है? और अगर आप ख़ुद एक धौंसिए की तरह व्यवहार कर रहे हैं, तो आप कैसे बदल सकते हैं?

धौंसिया कौन होता है?

बाइबल ऐसे धौंसियों के बारे में बताती है जो नूह के जलप्रलय से पहले जीवित थे। उन्हें नॆफिलिम कहा जाता था—एक शब्द जिसका अर्थ है “वे जो दूसरों को गिराने का कारण हैं।” उनके आतंक के साम्राज्य में, “पृथ्वी . . . उपद्रव से भर गई थी।”—उत्पत्ति ६:४, ११.

लेकिन, एक धौंसिया होने के लिए ज़रूरी नहीं कि आप लोगों के साथ धक्का-मुक्की करें। कोई भी व्यक्‍ति जो दूसरों से—ख़ासकर कमज़ोर या असुरक्षित लोगों से—क्रूर या अपमानजनक तरीक़े से व्यवहार करता है एक धौंसिया है। (सभोपदेशक ४:१ से तुलना कीजिए।) धौंसिए डराने, धमकाने और क़ाबू करने की कोशिश करते हैं। लेकिन ज़्यादातर अपने मुँह का इस्तेमाल करते हैं न कि घूँसों का। असल में, भावात्मक स्तर पर धौंस जमाना इस दुर्व्यवहार का सबसे बड़ा तरीक़ा है। इसलिए इसमें अपमान, व्यंग्य, उपहास और निंदा करना शामिल है।

लेकिन, कभी-कभी धूर्त तरीक़े से धौंस जमायी जा सकती है। उदाहरण के लिए, लीसाb के साथ क्या हुआ इस पर विचार कीजिए। वह सहेलियों के एक समूह के साथ बड़ी हुई। लेकिन जब वह १५ साल की थी, हालात बदलने लगे। लीसा बहुत ही सुंदर दिखने लगी और कई लोगों का ध्यान उसकी ओर आकर्षित होने लगा। वह बताती है: “मेरी सहेलियाँ मुझसे अलग रहने लगीं और मेरी पीठ पीछे, या मेरे सामने भी, मेरे बारे में घटिया बातें कहने लगीं।” उन्होंने उसके बारे में झूठ भी फैलाए, और उसके अच्छे नाम को ख़राब करने की कोशिश की। जी हाँ, जलन के कारण, उन्होंने उस पर निर्दयी और क्रूर तरीक़े से धौंस जमायी।

एक धौंसिए की रचना

लड़ाकू व्यवहार अकसर एक व्यक्‍ति के घरेलू वातावरण से जुड़ा हुआ होता है। “मेरे पिता लड़ाकू थे,” स्कॉट नामक एक युवा कहता है, “इसलिए मैं भी लड़ाकू था।” ऐरन का भी घरेलू जीवन कष्टपूर्ण था। वह याद करता है: “मुझे एहसास था कि लोग मेरी पारिवारिक स्थिति के बारे में जानते थे—कि यह अलग थी—और मुझे अच्छा नहीं लगता था जब लोग मुझ पर तरस खाते थे।” सो जब ऐरन खेलों में शामिल होता था, तो वह जीतना ही चाहता था। लेकिन जीतना काफ़ी नहीं था। उसके लिए ज़रूरी था कि अपने विरोधियों की बेइज़्ज़ती करे—बार-बार उन्हें उनकी हार का एहसास दिलाए।

दूसरी ओर, ब्रॆन्ट की परवरिश परमेश्‍वर का भय माननेवाले माता-पिता ने की थी। लेकिन वह स्वीकार करता है: “मैं लोगों को हँसाता, लेकिन कभी-कभी मुझे पता नहीं होता था कि कहाँ रुकना है, और तब तक मैं ने किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचा दी होती।” मज़ा करने और अपनी ओर ध्यान आकर्षित करने की ब्रॆन्ट की इच्छा के कारण वह दूसरे लोगों की भावनाओं की क़द्र न करता।—नीतिवचन १२:१८.

अन्य युवा टॆलिविज़न से प्रभावित हुए दीखते हैं। अपराध से भरी कहानियों में ‘कठोर व्यक्‍ति’ सराहे जाते हैं और यह दिखाया जाता है कि दया दिखाना मर्दानगी नहीं है। लोकप्रिय हास्य कथाएँ व्यंग्य से भरी हुई हैं। समाचार रिपोर्टें अकसर झगड़ों और अशिष्ट बातचीत के बारे में स्पष्ट बताती हैं जो खेलों के दौरान चलते रहते हैं। हम दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं इस पर हमारे दोस्तों का प्रभाव भी होता है। जब हमारे हमउम्र साथी धौंसिए हैं, तो उनके साथ हो लेना हमारे लिए आसान है ताकि ख़ुद हमें न सताया जाए।

आपकी स्थिति चाहे जो भी हो, अगर आप धौंस जमाने की युक्‍तियाँ अपना रहे हैं, तो आपके शिकार केवल वे व्यक्‍ति नहीं हैं जिन्हें हानि पहुँचायी जा रही है।

आजीवन परिणाम

पत्रिका आज मनोविज्ञान (अंग्रेज़ी) रिपोर्ट करती है: “धौंस जमाना बचपन में शुरू हो सकता है, लेकिन यह बड़े होने तक बना रहता है।” द डॉलास मार्निंग न्यूज़ (अंग्रेज़ी) में प्रकाशित एक शोध अध्ययन ने पाया कि “दूसरी क्लास में जिन लड़कों को धौंसियों की पहचान दी गयी थी उनमें से ६५ प्रतिशत लड़के २४ की उम्र तक महापराध के दोषी थे।”

सच है, सभी धौंसिए अपराधी नहीं बनते। लेकिन दूसरों की भावनाओं को अनदेखा करने की आदत बना लेना बाद के जीवन में आपके लिए वास्तविक समस्याएँ खड़ी कर सकता है। अगर यह आदत विवाहित जीवन में जारी रही, तो इसका परिणाम आपके साथी और बच्चों के लिए अत्यधिक कष्ट होगा। क्योंकि नौकरी देनेवाले ऐसे लोगों को पसंद करते हैं जिन्हें दूसरों के साथ अच्छी तरह निभाना आता है, इसकी वजह से आप नौकरी के अवसर खो सकते हैं। वैसे ही मसीही कलीसिया में भावी विशेषाधिकार रोके जा सकते हैं। “किसी दिन, मैं एक प्राचीन की हैसियत से सेवा करने के योग्य होना चाहता हूँ,” ब्रॆन्ट कहता है, “लेकिन मेरे डैडी ने मुझे यह समझने में मदद दी कि लोग अपनी समस्याएँ लेकर मेरे पास नहीं आएँगे अगर वे यह सोचते हैं कि मैं कुछ व्यंग्यपूर्ण बात कह सकता हूँ।”—तीतुस १:७.

कैसे बदलें

हम हमेशा अपनी ग़लतियाँ साफ़-साफ़ नहीं देखते। शास्त्र हमें चिताते हैं कि एक व्यक्‍ति ‘अपनी दृष्टि में ख़ुद से बहुत नर्मी से व्यवहार कर सकता है ताकि अपनी ग़लती का पता लगाकर उससे घृणा न करे।’ (भजन ३६:२, NW) सो आप माता/पिता, किसी भरोसेमंद दोस्त, या एक प्रौढ़ मसीही से उनकी राय पूछने की कोशिश कर सकते हैं। सच कड़वा हो सकता है, लेकिन आपको कहाँ बदलने की ज़रूरत है, इसे समझने में यह आपकी मदद कर सकता है। (नीतिवचन २०:३०) “मुझे लगता है कि सुनने से मुझे सबसे बड़ी मदद मिली,” ऐरन ने कहा। “जो सच्चे थे उन्होंने मुझे बताया कि मैं कहाँ ग़लती कर रहा था। यह हमेशा वह बात नहीं होती जो मैं सुनना चाहता था, लेकिन ऐसी बात होती जिसकी मुझे सचमुच ज़रूरत थी।”

क्या इसका यह अर्थ है कि आपको अपने पूरे व्यक्‍तित्व को एकाएक बदलना है? नहीं, संभव है कि यह केवल अपने सोच-विचार और कुछ बातों में अपने व्यवहार को सम्भालने की बात हो। (२ कुरिन्थियों १३:११, NHT, फुटनोट) उदाहरण के लिए, अब तक शायद आपने अपने आकार, बल या हाज़िरजवाबी के कारण ख़ुद को श्रेष्ठ समझा हो। लेकिन बाइबल हमें प्रोत्साहन देती है कि “दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो।” (फिलिप्पियों २:३) इस बात को समझिए कि दूसरों में—उनका आकार या बल चाहे जो भी हो—ऐसे उत्कृष्ट गुण हैं जो आप में नहीं हैं।

आपको शायद झगड़ालू या रोब जमाने की प्रवृत्ति को भी दूर करने की ज़रूरत पड़े। “अपनी ही हित की नहीं, बरन दूसरों की हित की भी चिन्ता” करने के लिए कार्य कीजिए। (फिलिप्पियों २:४) यदि आपको बोलने की ज़रूरत पड़े, तो गाली-गलौज, व्यंग्य या अपमान किए बग़ैर ऐसा कीजिए।—इफिसियों ४:३१.

अगर आप धौंस जमाने के लिए प्रेरित होते हैं तो याद रखिए कि परमेश्‍वर ने धौंस जमानेवाले नॆफिलिम का विनाश किया था। (उत्पत्ति ६:४-७; ७:११, १२, २२) शताब्दियों बाद, यहेजकेल भविष्यवक्‍ता के दिनों में, परमेश्‍वर ने असहाय लोगों को ‘ढकेलने’ और ‘मारने’ के दोषी लोगों के प्रति बड़ी नाराज़गी व्यक्‍त की। (यहेजकेल ३४:२१) यह जानना कि यहोवा धौंस जमाने से घृणा करता है, एक शक्‍तिशाली प्रेरणा हो सकती है कि एक व्यक्‍ति आवश्‍यक बदलाव करे!

बाइबल सिद्धांतों पर प्रार्थनापूर्वक मनन करने से भी मदद मिलती है। सुनहरा नियम कहता है: “जो कुछ तुम चाहते हो, कि मनुष्य तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो।” (मत्ती ७:१२) जब किसी को डराने का प्रलोभन होता है, तो अपने आप से पूछिए: ‘क्या मारा जाना, डराया जाना, या अपमान किया जाना मुझे पसंद है? तो फिर मैं दूसरों से क्यों इस तरीक़े से व्यवहार करता हूँ?’ बाइबल हमें आज्ञा देती है कि “एक दूसरे पर कृपाल, और करुणामय हो।” (इफिसियों ४:३२) यीशु ने इस संबंध में एक आदर्श रखा। हालाँकि वह अन्य सभी मनुष्यों से श्रेष्ठ था, उसने हर व्यक्‍ति के साथ कृपा, सहानुभूति, और आदर से व्यवहार किया। (मत्ती ११:२८-३०) ऐसा ही करने की कोशिश कीजिए जब आपका सामना अपने से कमज़ोर—यहाँ तक कि आपको गुस्सा दिलानेवाले—व्यक्‍ति के साथ होता है।

लेकिन, तब क्या जब घर पर आपसे किए जा रहे व्यवहार को लेकर आपकी गुस्से की भावनाओं के कारण आपका व्यवहार झगड़ालू है? कुछ मामलों में ऐसा गुस्सा न्यायोचित है। (सभोपदेशक ७:७ से तुलना कीजिए।) इसके बावजूद, बाइबल बताती है कि धर्मी मनुष्य अय्यूब को चिताया गया था: “देख, तू जलजलाहट से उभर के ठट्ठा मत कर, . . . चौकस रह, अनर्थ काम की ओर मत फिर।” (अय्यूब ३६:१८, २१) अगर आपके साथ दुर्व्यवहार हो रहा है, तब भी दूसरों के साथ दुर्व्यवहार करने का आपको कोई अधिकार नहीं है। एक बेहतर तरीक़ा यह होगा कि अपने माता-पिता के साथ इस बारे में बात करने की कोशिश कीजिए। अगर आप कठोर दुर्व्यवहार के शिकार हैं, तो आपको और अधिक हानि से बचाने के लिए बाहरी मदद की ज़रूरत हो सकती है।

बदलना शायद आसान न हो, लेकिन यह संभव है। ब्रॆन्ट कहता है: “मैं इस बारे में लगभग हर दिन प्रार्थना करता हूँ, और यहोवा ने मेरी मदद की है ताकि कुछ अच्छे सुधार कर सकूँ।” आप लोगों के साथ जिस तरह व्यवहार करते हैं उसमें सुधार लाने से, बेशक आप पाएँगे कि लोग आपको ज़्यादा पसंद करेंगे। याद रखिए, लोग शायद धौंसियों से डरें, लेकिन कोई भी वास्तव में उन्हें पसंद नहीं करता।

[फुटनोट]

a धौंस के शिकार कैसे सताए जाने से दूर रह सकते हैं इसकी चर्चा के लिए, हमारे अगस्त ८, १९८९ (अंग्रेज़ी) के अंक में, “युवा लोग पूछते हैं . . . मैं स्कूल के धौंसियों के बारे में क्या कर सकता हूँ?” देखिए।

b कुछ नाम बदल दिए गए हैं।

[पेज 21 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

“धौंस जमाना बचपन में शुरू हो सकता है, लेकिन यह बड़े होने तक बना रहता है।”

[पेज 20 पर तसवीर]

मौखिक दुर्व्यवहार एक प्रकार से धौंस जमाना है

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