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सजग होइए!–1998
g98 3/8 पेज 22-23

विस्मयकारी नीम

नाइजीरिया में सजग होइए! संवाददाता द्वारा

“गाँव का दवाखाना”—भारत में लोग नीम के पेड़ को यही कहते हैं। इस देश में सदियों से लोगों ने दर्द, बुखार, और संक्रमण से राहत पाने के लिए नीम का ही सहारा लिया है। यह मानते हुए कि नीम उनके खून को साफ कर सकता है, अनेक हिंदू हर साल की शुरूआत में नीम की कुछ पत्तियाँ चबाते हैं। लोग नीम की टहनियों से अपने दाँत भी साफ करते हैं, नीम की पत्तियों का रस त्वचा के विकारों पर लगाते हैं, और नीम की चाय को टॉनिक की तरह पीते हैं।

हाल के सालों में वैज्ञानिकों ने नीम में बढ़ती दिलचस्पी दिखायी है। लेकिन, नीम—विश्‍वव्यापी समस्याओं को सुलझानेवाला पेड़ (अंग्रेज़ी) शीर्षक की एक वैज्ञानिक रिपोर्ट चिताती है: “हालाँकि संभावनाएँ अंतहीन प्रतीत होती हैं, लेकिन अभी नीम के बारे में कुछ भी निश्‍चित नहीं है। जो वैज्ञानिक इस पेड़ और इसकी प्रभावकारिता के बारे में बहुत उत्साहित हैं वे स्वीकार करते हैं कि इस समय उनके अनुमान का समर्थन करनेवाला प्रमाण अचूक नहीं है।” परंतु, रिपोर्ट यह भी कहती है: “दो दशकों के शोध ने इतनी सारी शाखाओं में आशाजनक परिणाम प्रकट किये हैं कि यह अज्ञात-सी प्रजाति गरीब और अमीर, सभी देशों के लिए बड़े फायदे की हो सकती है। कुछ अति सतर्क शोधकर्ता भी यह कह रहे हैं कि ‘नीम को चमत्कारी पेड़ कहा ही जाना चाहिए।’”

एक पेड़ के रूप में इसकी भूमिका

नीम उष्णकटिबंधी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह महार्घ जाति का पेड़ है। इसकी लंबाई ३० मीटर तक होती है और यह गोलाई में २.५ मीटर से भी ज़्यादा हो सकता है। क्योंकि शायद ही कभी ऐसा होता है कि इस पर पत्तियाँ न हों, यह बारह-मास छाया देता है। यह जल्दी बढ़ता है। इसे देखभाल की खास ज़रूरत नहीं पड़ती। यह अनुपजाऊ मिट्टी में खूब पनपता है।

इस सदी की शुरूआत में इसे पश्‍चिम अफ्रीका ले जाया गया ताकि छाया दे और सहारा रेगिस्तान को दक्षिण की ओर बढ़ने से रोके। वनरक्षकों ने इस पेड़ को फिजी, मॉरिशस, साउदी अरब, केंद्रीय और दक्षिण अमरीका, और करिबियन द्वीपों पर भी लगाया है। अमरीका में, अरिज़ोना, कैलिफॉर्निया, और फ्लॉरिडा के दक्षिणी क्षेत्रों में प्रयोगमूलक भूखंड हैं।

गरम जगहों में बारह-मास छाया देने के अलावा, नीम की लकड़ी को ईंधन के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, इसकी दीमक-रोधी लकड़ी निर्माण काम और फर्नीचर बनाने में उपयोगी होती है। सो, एक पेड़ के रूप में इसकी उपयोगिता के आधार पर इसे आँकें, तो नीम बहुत उपयोगी है। लेकिन यह तो सिर्फ शुरूआत है।

कीड़े इससे नफरत करते हैं

क्योंकि भारत के लोग लंबे अरसे से जानते हैं कि नीम की पत्तियाँ परेशान करनेवाले कीड़े-मकोड़ों को दूर रखती हैं, इसलिए वे इन पत्तियों को बिस्तरों, पुस्तकों, डब्बों, बक्सों और अलमारियों में रख देते हैं। वर्ष १९५९ में एक जर्मन कीटविज्ञानी और उसके छात्र नीम के शोध में जुट गये जब उन्होंने देखा कि सूडान में एक बड़ी टिड्डी विपत्ति आयी जिसके दौरान अरबों टिड्डियाँ नीम को छोड़ बाकी सभी पेड़ों की पत्तियाँ चट कर गयीं।

तब से, वैज्ञानिकों ने पाया है कि नीम का जटिल रसायन भंडार २०० से अधिक कीट प्रजातियों, साथ ही तरह-तरह के बरुथी, गोल-कर्मी, कवक, बैक्टीरिया, और कई विषाणुओं से बचाव के लिए प्रभावकारी है। एक प्रयोग में, शोधकर्ताओं ने सोयाबीन की पत्तियों को जापानी भृंग-कीट के साथ एक बरतन में रख दिया। हर पत्ती के एक हिस्से पर नीम के अर्क का छिड़काव किया गया था। भृंग-कीट हर पत्ती का वह हिस्सा चट कर गये जिस पर छिड़काव नहीं किया गया था लेकिन उन्होंने छिड़काव किये गये हिस्सों को छूआ तक नहीं। असल में, वे भूख से मर गये लेकिन उन्होंने पत्तियों के छिड़काव किये गये हिस्सों को ज़रा-भी नहीं खाया।

ऐसे प्रयोग दिखाते हैं कि एक सस्ता, सुरक्षित, और आसानी से तैयार होनेवाला कीटनाशक विकसित करने की संभावना है जो अमुक कृत्रिम कीटनाशकों का विकल्प होगा। उदाहरण के लिए, निकारागुआ में किसान नीम के कुटे हुए बीज को पानी में मिलाते हैं—एक लीटर पानी में ८० ग्राम बीज। वे कुटे हुए बीज को १२ घंटे भिगोकर रखते हैं, बीज को छानकर निकाल देते हैं, और फिर उस पानी को फसल पर छिड़कते हैं।

नीम उत्पादनों से अधिकतर कीड़े तुरंत नहीं मरते। नीम छिड़काव कीड़े की जीवन प्रक्रियाओं को बदल देता है, जिससे कि अंततः वह खाने, प्रजनन करने, या कायांतरण करने में समर्थ नहीं होता। और जबकि नीम उत्पादन कीड़े-मकोड़ों के लिए हानिकारक हैं, ये पक्षियों, नियततापी पशुओं, अथवा मनुष्यों के लिए हानिकारक प्रतीत नहीं होते।

“गाँव का दवाखाना”

मनुष्यों के लिए दूसरे फायदे भी हैं। इसके बीजों और पत्तों में ऐसे घटक होते हैं जिनमें ऐन्टीसॆप्टिक, ऐन्टीवाइरल, और ऐन्टीफंगल गुण होते हैं। इसके संकेत हैं कि नीम में शोथ, उच्च रक्‍तचाप, और घावों को ठीक करने के गुण हो सकते हैं। कहा जाता है कि नीम के अर्क से बनी दवाएँ मधुमेह और मलेरिया में असरदार होती हैं। दूसरे संभावित लाभ निम्नलिखित हैं:

कीट निवारक। नीम का एक तत्त्व, जिसे सॆलानिन कहा जाता है, काटनेवाले कुछ कीड़ों को दूर रखने में बहुत असरदार है। नीम के तेल से बना एक मक्खी-मच्छर निवारक बाज़ार में आ चुका है।

दाँतों की सफाई। करोड़ों भारतीय हर सुबह नीम की एक टहनी तोड़ते हैं, उसके एक सिरे को चबाते हैं ताकि वह नरम हो जाए, और फिर अपने दाँत और मसूड़े साफ करने के लिए उसका प्रयोग करते हैं। शोध ने दिखाया है कि यह लाभकारी है, क्योंकि नीम की छाल में तीव्र ऐन्टीसॆप्टिक गुण होते हैं।

गर्भ-निरोधक गुण। नीम का तेल तेज़ शुक्राणुनाशक है और यह प्रयोगशाला पशुओं में जन्म दर घटाने में प्रभावकारी साबित हुआ है। बंदरों पर किये गये प्रयोग संकेत देते हैं कि नीम के घटकों से पुरुषों के खाने के लिए जन्म-नियंत्रण गोली बनाना भी संभव हो सकता है।

स्पष्ट है कि नीम कोई साधारण पेड़ नहीं। हालाँकि इसके बारे में सभी कुछ ज्ञात नहीं, फिर भी नीम से बड़ी आस है—यह कीटनाशी दवाओं के सुधार, स्वास्थ्य सुधार, वन-विकास, और संभवतः जनसंख्या नियंत्रण में योग दे सके। इसमें आश्‍चर्य नहीं कि विस्मयकारी नीम को लोगों ने “मानवजाति के लिए परमेश्‍वर का वरदान” कहा है!

[पेज 23 पर तसवीर]

नीम, इन्सॆट में नीम की पत्ती

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