क्या आप रूप देखकर फैसला करते हैं?
क्या आप पुस्तक का कवर देखकर फैसला करते हैं कि वह कैसी होगी? आपको धोखा हो सकता है। इससे बचने के लिए आप पहले उसकी विषय-वस्तु देखते हैं। यही बात तुर्की लोककथा के एक प्रमुख पात्र के माध्यम से समझायी गयी है। उसका नाम था नाज़रॆदिन हॉज़। (तुर्की में शब्द हॉज़ का अर्थ है “शिक्षक।”) वह “चालाक और भोला है, बुद्धिमान और मूर्ख है . . . वह भक्त है, परंतु उसमें मानव कमज़ोरियाँ हैं।” वह “जीवन की विडंबनाओं के आगे हार नहीं मानता।”—हॉज़ की कहानियाँ (अंग्रेज़ी), जॉन नूनन द्वारा, अरैमको वर्ल्ड, सितंबर-अक्तूबर १९९७.
एक कहानी है कि वह सफर करके एक तुर्की अफसर से मिलने और उसके साथ भोजन करने गया। “अकड़ा हुआ, [नाज़रॆदिन] सवारी से उतरा और बड़े-से दरवाज़े पर दस्तक दी। जब दरवाज़ा खुला तो उसने देखा कि दावत शुरू हो चुकी थी। लेकिन इससे पहले कि वह अपना परिचय देता, उसके मेज़बान ने उसके सफर के मैले कपड़ों को देखकर उसे बड़ी रुखाई से कह दिया कि भिखारियों के लिए यहाँ जगह नहीं।”
नाज़रॆदिन वहाँ से चला गया और अपने थैले में से उसने “अपने सबसे अच्छे कपड़े निकालकर पहन लिये: शानदार रेशमी चोगा जिसमें झालर लगी हुई थी और एक बड़ी-सी रेशमी पगड़ी। इस तरह सज-धजकर वह दरवाज़े पर लौटा और फिर से दस्तक दी।
“इस बार उसके मेज़बान ने उसका हार्दिक स्वागत किया . . . नौकरों ने उसके सामने स्वादिष्ट भोजन परोसे। नाज़रॆदिन हॉज़ ने एक कटोरा शोरबा अपने चोगे की एक जेब में उँडेल दिया। दूसरे मेहमान अचरज में पड़ गये जब उसने भुने हुए मांस का एक टुकड़ा अपनी पगड़ी में लपेट लिया। फिर, अपने डरे हुए मेज़बान के सामने उसने अपने चोगे की आगेवाली झालर को पुलाव की प्लेट में डाल दिया और बुदबुदाया, ‘खा, झालर, खा!’
“‘इस का क्या मतलब है?’ मेज़बान ने पूछा।
“‘साहब,’ हॉज़ ने जवाब दिया, ‘मैं अपने कपड़ों को खिला रहा हूँ। आधे घंटे पहले आपने मेरे साथ जो बर्ताव किया उसके हिसाब से यह साफ है कि आप मेरी नहीं, मेरे कपड़ों की मेहमाननवाज़ी करना चाहते हैं!’”
कितनी ही बार हम सिर्फ रूप देखकर नकारात्मक या सकारात्मक फैसला करते हैं! जब भविष्यवक्ता शमूएल ने सोचा कि दाऊद का भाई एलीआब ही इस्राएल का अगला राजा बनने के लिए यहोवा की पसंद होगा, तो यहोवा ने उससे कहा: “न तो उसके रूप पर दृष्टि कर, और न उसके डील की ऊंचाई पर, क्योंकि मैं ने उसे अयोग्य जाना है; क्योंकि यहोवा का देखना मनुष्य का सा नहीं है; मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु यहोवा की दृष्टि मन पर रहती है।” (१ शमूएल १६:७) जी हाँ, यहोवा रूप देखकर नहीं, हृदय देखकर फैसला करता है। आप क्या देखकर करते हैं?
[पेज 17 पर तसवीर]
यहोवा ने शमूएल को चिताया कि रूप देखकर धोखा न खाए