चौलाई—ऐज़टॆक जाति का भोजन
मॆक्सिको में सजग होइए! संवाददाता द्वारा
आलॆगरीआ एक पौष्टिक मिठाई है जिसके स्पैनिश नाम का अनुवाद है “आनंद” या “खुशी।” यह मॆक्सिको के बाज़ारों में जगह-जगह रंग-बिरंगी दुकानों में बिकती है। यह चौलाई (ऐमरंथ) के दानों से बनी होती है। चौलाई उष्णकटिबंधी पौधा है और इसके फूल चटक लाल रंग के होते हैं। इस मिठाई को खालिस शहद मिलाकर बनाया जाता है और कभी-कभी इसे अखरोट, खजूर और किशमिश से सजाया जाता है। चौलाई के दानों को पीसकर दलिया या आटा भी बनाया जा सकता है, जिसे रोटियाँ या केक बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
ऐज़टॆक लोग चौलाई के आटे से टॉर्टिला और टामाल नामक व्यंजन बनाया करते थे। उनके धार्मिक अनुष्ठानों में भी चौलाई की मुख्य भूमिका थी। मॆक्सिको सिटी के द न्यूज़ ने कहा: “ऐज़टॆक जाति की अनेक रस्मों में से एक रस्म ऐसी थी जिसमें वे चौलाई की रोटी का एक टुकड़ा अपने बंदी और [वध किये गये] शत्रु के खून में डुबोकर खाते थे।” दूसरी प्रथा में पीसे हुए चौलाई के दानों को मकई और शहद में मिलाकर उस मिश्रण से छोटी-छोटी मूर्तियाँ या प्रतिमाएँ बनायी जाती थीं। बाद में इन मूर्तियों को एक रस्म के दौरान खाया जाता था जो कैथोलिक मिस्सा से मिलती-जुलती थी।
इन दोनों प्रथाओं से स्पैनिश विजेता अरनान कॉरटॆज़ बहुत क्रोधित हुआ और उसने चौलाई की खेती और सेवन को गैरकानूनी बना दिया। जो भी उसकी आज्ञा को तोड़ने की हिम्मत करता था उसे या तो मार डाला जाता था या उसका गुस्ताख हाथ काट डाला जाता था। इस तरह, वह फसल जो उस समय मॆक्सिको में अति प्रमुख थी मानो पूरी तरह नष्ट हो गयी।
लेकिन, असल में चौलाई बच गयी और किसी तरह वह केंद्रीय अमरीका से हिमालय आ गयी। पिछली सदी के दौरान यह चीन, तिब्बत, नेपाल, पाकिस्तान और भारत की पहाड़ी जातियों का प्रमुख भोजन बन गयी।
मॆक्सिको में इन दिनों अनुसंधायक चौलाई का दूध बनाने के लिए उसके दानों में से प्रोटीन अलग करने की कोशिश में लगे हैं। चौलाई का दूध ऐसा पेय होगा जिसका पौष्टिक गुण गाय के दूध से मिलता-जुलता होगा। उनका लक्ष्य है ऐसे लोगों के भोजन और पेय को पौष्टिक बनाने में इसका इस्तेमाल करना जो अंडे, दूध, मछली या लाल मांस खरीदने की औकात नहीं रखते।
चौलाई के उथल-पुथल इतिहास के बावजूद, आज भी अनेक लोग इस बहु-उपयोगी, पौष्टिक भोजन का मज़ा ले रहे हैं।