एक तूफान का दोहरा असर
मॆक्सिको में सजग होइए! संवाददाता द्वारा
गॉडफ्रॆडो और गीज़ॆला और उनके बच्चे उस दिन घर पर ही थे। ये सभी यहोवा के साक्षी हैं। उनका घर फाइबरग्लास बोर्ड से बना था। उसी दिन मेक्सिको के वहाका के तट पर पॉलीन नाम का तूफान आया। उस तूफान में एक-एक करके उनके घर के सारे बोर्ड हवा की मार से उड़ गए। आखिर में, घर का बस कुछ हिस्सा ही बचा रहा, और वह परिवार पूरी तरह बेसहारा हो गया था।
ज़ोर का तूफान चल रहा था। गीज़ॆला की बाँहों में उनकी आठ महीने की बच्ची थी और उनके बाकी बच्चे गॉडफ्रॆडो और गीज़ॆला को ज़ोर से पकड़े हुए थे। इसी तरह दो घंटे से ज़्यादा वे तेज़ हवा से और मौत से जूझते रहे। कभी-कभी तो हवा इतनी तेज़ होती कि वे लोग ज़मीन पर फेंक दिए जाते और यहाँ-वहाँ पटक दिए जाते। मगर, आखिर में, सब-के-सब बच गए।
आकेपुल्को शहर में, नॆली नाम की यहोवा की साक्षी ने अपने घर में पानी आते देखा। उसने फौरन अपने पूरे परिवार को जगाया। पानी तेज़ी से भरता जा रहा था, और उसका बहाव इतना तेज़ था कि उसने नॆली को नीचे खींच लिया, मगर उसकी बेटी ने उसे बाहर खींच लिया। वे लोग अपनी खिड़की की जाली को पकड़े बस असहाय से देखते रहे। और देखते-ही-देखते पानी उनके गले तक आ गया। तब उन्होंने एक आदमी को ज़ोर से पुकारते हुए सुना। वह उनका पड़ोसी था; उसने उन्हें बाहर निकलने में मदद की और उन्हें अपने घर ले गया। वहाँ से उन्होंने जो देखा उससे उनका खून सूख गया। पानी के बहाव के साथ एक कार आयी और उसने उस घर को पूरी तरह चकनाचूर कर दिया। उसी घर में वे लोग बस कुछ मिनट पहले थे!
बुधवार, अक्तूबर ८, १९९७ की दोपहर को, उस तूफान ने २०० किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से वहाका राज्य के तट पर खौफनाक और जानलेवा कहर ढाया। फिर, गुरुवार, अक्तूबर ९ को, सूरज की पहली किरण बस निकलने को ही थी, कि उस तूफान ने गैरैरो राज्य को भी पूरी तरह तबाह कर दिया। तूफान का ज़ोर खासकर आकेपुल्को शहर में था। समंदर में ३० फीट से भी ऊँची-ऊँची लहरें उठीं, जिसकी वज़ह से शहर में बाढ़ आ गयी। इस बाढ़ ने मकानों, गाड़ियों, इंसानों और जानवरों, सबको बहाकर अपनी चपेट में ले लिया। तूफान जब आगे बढ़ा, तो अपने पीछे सड़कों को ३० फीट से भी ज़्यादा गहरी खाइयाँ बना गया। अखबार, द न्यूज़ के मुताबिक, मॆक्सिको के रॆड क्रॉस ने अंदाज़ा लगाया कि दोनों राज्यों में कम-से-कम ४०० लोग मारे जा चुके हैं और २०,००० से लेकर २५,००० लोग बेघर हो चुके हैं। मगर इस तबाही के बीच में भी, मसीही प्रेम की कई झलकियाँ देखी गयीं, जिन्होंने दिल को छू लिया।
यहोवा के लोग मदद के लिए दौड़ते हैं
जैसे ही उस तूफान की खबर मिली, मॆक्सिको के यहोवा के साक्षियों के ब्रांच ऑफिस को पूरे देश से साक्षियों के फोन आने लगे। ये सभी लोग जानना चाहते थे कि वे मदद करने के लिए क्या कर सकते हैं। दूसरे देश भी मदद करना चाहते थे। जल्द ही एक राहत कमिटी बनायी गयी, और कई टन खाना, कपड़े-लत्ते और दूसरी चीज़ों को बाँटी गयीं।
मकान बनाने के लिए ज़रूरी सामान भी मँगाया गया, और ३६० घरों और कई किंगडम हॉलों की मरम्मत का काम फौरन शुरू किया गया। इन सभी घरों और किंगडम हॉलों को या तो नुकसान पहुँचा था या ये पूरी तरह नष्ट हो गए थे। हज़ारों भाई-बहन दान देने, चीज़ों को अलग-अलग करने, उन्हें पैक करने, उन्हें गाड़ियों में लादने, और राहत सामग्री को बाँटने में या मरम्मत करने में जी-जान लगाकर जुटे हुए थे।
साक्षियों के काम को देखकर कुछ दुकानदारों पर तो इतना असर हुआ कि उन्होंने भी खुशी-खुशी खाना, निर्माण सामग्री, और दूसरी चीज़ें दान कीं। दूसरों ने चीज़ों को कम कीमत पर बेचा। जिन साक्षियों का तूफान की वज़ह से नुकसान हुआ था, उन पर इस प्रेम के इज़हार से बहुत ही असर पड़ा। खासकर तब, जब उन्होंने राहत सामग्री के साथ भेजे गए उन खतों को पढ़ा जो उनको तसल्ली देने के लिए लिखे गए थे।
अफसोस की बात है, एक १८ साल का साक्षी, होसे फाउस्तीनो, और साक्षियों के साथ बाइबल स्टडी करनेवाले तीन लोग उस तूफान में मारे गए। उनके रिश्तेदारों ने, खासकर होसे के माता-पिता ने उनकी खातिर की गयी प्रार्थनाओं की और कलीसिया से मिले प्रोत्साहन की बहुत ही कदर की।
कुछ अच्छे नतीजे
तूफान के गुज़रने के बाद कई लोग बाइबल स्टडी करना चाहते थे। इनमें साक्षियों के अविश्वासी रिश्तेदार भी थे। एक और अच्छा नतीजा ये निकला कि अब कई पड़ोसी साक्षियों द्वारा दिए गए आशा के संदेश को सुनने के लिए तैयार थे। साथ ही, साक्षियों ने लोगों में खाना बाँटने में भी मदद की। एक वाकया यूँ हुआ। एक आदमी ने यहोवा के साक्षियों को अपनी कंपनी द्वारा दान किया गया खाना बाँटने के लिए दिया। जब एक साक्षी ने उससे पूछा कि वह क्यों चाहता है कि साक्षी ही उसे बाँटें, तब उस आदमी ने जवाब दिया: “क्योंकि मुझे मालूम है कि तुम लोगों में बहुत ही अच्छे इंतज़ाम हैं और तुम लोग ईमानदार हो। और, तुम अच्छी तरह जानते हो कि इस मदद की ज़रूरत सबसे ज़्यादा किसे है, क्योंकि तुम अपने इलाके के लोगों को अच्छी तरह जानते हो।”
जैसे-जैसे अंत नज़दीक आता है और दुनिया भर में विपत्तियाँ बढ़ती जाती हैं, ये देखकर हमेशा दिल को तसल्ली और हौसला मिलता है कि दुःख-तकलीफ में भी बाइबल सिद्धातों को अमल में लाया जाता है।
[पेज 11 पर तसवीर]
मरम्मत के काम में लगे नन्हें-नन्हें हाथ
[पेज 12 पर तसवीर]
तूफान पॉलीन के बाद वहाका में एक नया किंगडम हॉल बनाते साक्षी