यहोवा के साक्षियों को रूसी न्याय-मंडल निर्दोष ठहराता है
यहोवा के साक्षियों के बारे में रेडियो, टीवी और अखबारों में जब सही-सही रिपोर्ट दी जाती है तो उन्हें खुशी होती है। इसके अलावा, खुद यहोवा के साक्षी भी अपने बारे में और बाइबल की शिक्षाओं और अपने काम के बारे में सही-सही जानकारी देना चाहते हैं। मगर, जब उनके बारे में गलत या झूठी रिपोर्ट छापी जाती है तो साक्षी सरकारी अधिकारियों को अपील करते हैं कि उनके धार्मिक और नागरिक अधिकारों का बचाव किया जाए। एक ताज़ा मिसाल पर गौर कीजिए।
अगस्त १, १९९७ के दिन, सेंट पीटर्सबर्ग के स्थानीय एडिशन में रूस के एक मशहूर अखबार, कॉमसॉमॉल्स्काया प्रावदा ने एक ऐसा लेख छापा जिसमें यहोवा के साक्षियों पर बहुत सारे झूठे इलज़ाम लगाए गए थे। “पीटर्सबर्ग पंथ। यहाँ एक मंदिर और शहर होगा,” इस शीर्षकवाले लेख में लेखक ऑलॆग ज़ासॉरिन ने दावा किया कि यहोवा के साक्षी अपनी शिक्षाओं से लोगों को नुकसान पहुँचाते हैं और वे रूस के संविधान के खिलाफ काम करते हैं। इन इलज़ामों में ज़्यादातर, साक्षियों के बाइबल पर आधारित विश्वासों को तोड़-मरोड़कर बताया गया था। मिसाल के तौर पर, लहू लेने और पारिवारिक रिश्तों के बारे में। और तो और, इस लेख में यहोवा के साक्षियों को एक “पंथ” बताया गया और यह दावा किया गया कि कुछ लोगों के मुताबिक यह पंथ “सब पंथों से खतरनाक” है।
रूस में ‘यहोवा के साक्षियों के क्षेत्रीय धार्मिक संगठन के प्रशासनिक केंद्र’ ने ‘रूसी राज्यसंघ के सूचना-संबंधी विवादों के लिए राष्ट्रपति न्याय-मंडल’ से अपील की और यह दरख्वास्त की कि वे इस लेख में लिखी गयी बातों पर गौर करें, जिन्हें यहोवा के साक्षी झूठा इलज़ाम मानते हैं। फरवरी १२, १९९८ को इस न्याय-मंडल की बैठक में, यहोवा के साक्षियों की ओर से प्रतिनिधि मौजूद थे और उन्होंने मंडल के सदस्यों के साथ-साथ पत्रकारों और वकीलों के ढेरों सवालों के जवाब दिए। न्याय-मंडल के सदस्यों ने यहोवा के साक्षियों द्वारा छापी गयी किताबों की बारीकी से जाँच की कि साक्षी असल में क्या विश्वास करते हैं और क्या सिखाते हैं। उन्होंने खासकर पारिवारिक सुख का रहस्य किताब की जाँच की।
रूसी राज्यसंघ की विधान सभा के एक प्रतिनिधि, वी. वी. बॉरशीऑफ ने कहा कि किसी को “पंथ” कहना ही उनकी बुराई करना होता है। श्री. बॉरशीऑफ ने कहा: “[इस तरह] मर्यादा भूल जाना और किसी को बेवज़ह बदनाम करना बहुत ही खतरनाक बात है। यह बात ही बहुत अहमियत रखती है कि न्याय-मंडल ने यहोवा के साक्षियों की अपील पर गौर करना मंज़ूर किया। रजिस्टर्ड धार्मिक संस्थाओं के खिलाफ ऐसी भावनाओं और ऐसे अपमान के सैलाब को रोका जाना ज़रूरी है।”
सारे सबूतों की जाँच करने के बाद, न्याय-मंडल ने आखिर में कहा कि कॉमसॉमॉल्स्काया प्रावदा में छापा गया लेख गैर-कानूनी है और नैतिक नियमों के खिलाफ है। इस मंडल ने यह भी देखा कि वह लेख झूठी बातों से भरा हुआ है और उनका कोई आधार नहीं है। न्याय-मंडल ने कहा, “लेखक ने सच्चाई पेश नहीं की है . . . इस अखबार के लेखक ने अफवाहों को सच कहकर उनका प्रचार किया है और पत्रकारों के अधिकारों का गलत इस्तेमाल किया है।” अखबार के लेख में बतायी बातों के बजाय, न्याय-मंडल ने पाया कि यहोवा के साक्षी कानून का पालन करनेवाले लोग हैं और वे अपने सदस्यों को सिखाते हैं कि अपने परिवार के विश्वास न करनेवाले लोगों और दूसरों के साथ शांति से रहें।
आखिरी गवाही की सुनवाई के एक घंटे बाद, न्याय-मंडल ने अपना फैसला सुनाया:
“१. लेख ‘पीटर्सबर्ग पंथ। यहाँ एक मंदिर और शहर होगा’ की छपाई को ‘जन-संचार’ के रूसी राज्यसंघ कानून की धारा ४, ४९ और ५१ की माँगों का उल्लंघन माना जाता है।
“२. यह सिफारिश की जाती है कि ‘छापी गयी जानकारी के लिए ज़िम्मेदार ‘रूसी राज्यसंघ की राज्य कमेटी’, कॉमसॉमॉल्स्काया प्रावदा अखबार की संपादन-समिति को लिखित चेतावनी भेजने के सवाल पर गौर करे।
“३. पत्रकार ओ. ज़ासॉरिन को रेप्रिमांड देकर फटकारा जाए।
“४. यह निर्देश दिया जाता है कि कॉमसॉमॉल्स्काया प्रावदा अखबार की संपादन-समिति उस गलत जानकारी को छापने के लिए एक माफीनामा छापे जिसमें यहोवा के साक्षियों के संगठन को बेवज़ह बदनाम किया गया है।”
न्याय-मंडल का यह फैसला स्यिरग्ये ईवानयेनका की राय से मिलता-जुलता है। श्री. ईवानयेनका धर्म-विद्वान और फिलॉसफर हैं। श्री. ईवानयेनका ने बहुत बारीकी से यहोवा के साक्षियों के विश्वासों का अध्ययन किया और उनकी संगति भी की। वे खुद एक साक्षी नहीं हैं, मगर उन्होंने एक लेख लिखा जो फरवरी २०-२६, १९९७ के मॉस्को न्यूज़ के अंक में छपा था।a श्री. ईवानयेनका ने निष्कर्ष दिया: “यहोवा के साक्षी बाइबल के मुताबिक जीने के अपने अटल विश्वास के कारण सबसे अलग हैं। . . . यहोवा के साक्षियों का संविधान बाइबल है, यही उनका कानून है और इसी को वे पूरी तरह सच मानते हैं। . . . बाइबल की सच्चाई से उनका लगाव और अपने नुकसान की परवाह किए बगैर अपने विश्वासों की रक्षा करने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहने के कारण यहोवा के साक्षी अपने देश के बाकी नागरिकों के लिए एक बढ़िया मिसाल हैं।”
न्याय-मंडल के फैसले और श्री. ईवानयेनका की बातें एक बार फिर साबित करती हैं कि यहोवा के साक्षियों का मसीही धर्म, समाज के लिए खतरा नहीं है, इसके बजाय इससे सच्चे दिल के लोगों को फायदा ही होता है। यहोवा के साक्षी तैयार रहते हैं कि ‘उनकी आशा के विषय में कोई कुछ पूछे, तो उसे उत्तर दें, पर नम्रता और भय के साथ।’—१ पतरस ३:१५.
[फुटनोट]
a श्री. ईवानयेनका के लेख, जिसका शीर्षक था “क्या हमें यहोवा के साक्षियों से डरना चाहिए?,” का ज़्यादातर भाग उनकी अनुमति से अगस्त २२, १९९७ की सजग होइए! (अंग्रेज़ी) के अंक में पेज २२-७ पर छापा गया था।