गरज-बादल—बादलों का बलवान राजा
ऑस्ट्रेलिया में सजग होइए! संवाददाता द्वारा
बहुत लोग बचपन से ही बादलों को देखकर मोहित हुए हैं। ८० पार कर चुका एक बुज़ुर्ग याद करता है कि बचपन में कैसे वह अकसर घास पर लेटकर बादलों को “आसमान में परेड करते” हुए देखा करता था। उसे याद है कि वह अकसर सोचा करता था कि बादल किस चीज़ से बने होते हैं। क्या बादल रूई से बने होते हैं? हर बादल इतना फर्क क्यों दिखता? एक बादल पानी पर चलते जहाज़ जैसा दिखता और दूसरा दौड़ते हुए घोड़े जैसा। और कोई बादल तो हवा में उड़ते किले जैसा दिखता। बादल हरदम अपना आकार और आयाम बदल-बदलकर आसमान में उड़ते रहते और उसकी बचकाना कल्पनाओं को पंख लगाकर उसे रोमांचित करते। वह कहता है कि आज भी उसे बादलों को देखने में मज़ा आता है और उन्हें देखकर उसे लगता है मानो वे आसमान में “बूझो तो जानें” खेल खेल रहे हों। शायद आपको भी यह बचकाना खेल देखने में मज़ा आता हो।
लेकिन शायद सबसे प्रभावशाली और विस्मयकारी बादल वो हैं जो “बात” कर सकते हैं। उन्हें कपासी-वर्षी मेघ (cumulonimbus) या गरज-बादल कहते हैं। ये बादल काले होते हैं और आसमान में सोलह किलोमीटर या उससे भी ज़्यादा ऊँचाई पर मँडराते हैं और ये ही गरज-बादल गरज-तूफान (thunderstorm) लाते हैं। जब आसमान में गरज-बादल बनते हैं तो बिजली चमकती है और बड़ी गड़गड़ाहट होती है जिससे पता चलता है कि गरज-तूफान आनेवाला है। रात के समय ये आसमान में ऐसी आतिशबाज़ी का नज़ारा पेश करते हैं जो इनसान की किसी भी आतिशबाज़ी से कहीं बढ़कर होती है। वे उड़ते हुए आते हैं, पानी और ओले बरसाते हैं, और धरती पर भीनी-भीनी महक पीछे छोड़ जाते हैं।
ये कैसे बनते हैं?
हाल के समय में मनुष्य अंतरिक्ष से पृथ्वी ग्रह को देख सका है। और उसने देखा है कि पृथ्वी के अधिकतर भाग पर बादलों की चादर-सी फैली हुई है। लेखक फ्रॆड हैपगूड हमें बताता है कि “किसी भी समय देखें तो पृथ्वी की आधी सतह पर, २५ करोड़ वर्ग किलोमीटर पर [बादल] छाये रहते हैं—जो हलके, घने, मखमली, मलमली, जालीदार या लच्छेदार दिखते हैं। बादलों में अलग-अलग प्रकाश और पारदर्शिता होती है। बादल पृथ्वी भर में कहीं भी आकर छा जाते हैं, मँडराते हैं और उड़ जाते हैं।” गरज-बादल, बादलों की चादर का हिस्सा हैं—असल में, हर साल पृथ्वी पर १,५०,००,००० तक गरज-तूफान आते हैं और हर समय कहीं-न-कहीं करीब २,००० गरज-तूफान आये हुए होते हैं।
गरज-तूफान तब बनता है जब हलकी आद्र हवा के ऊपर भारी सर्द हवा होती है। सूरज की गरमी, सीमाग्र (frontal) मौसम, या भूतल की बढ़ती ऊँचाई जैसी किसी चीज़ के कारण गरम आद्र हवा सर्द हवा के ऊपर उठने लगती है। इससे वायु तरंगें बनने लगती हैं और फिर जो उष्मा-ऊर्जा हवा और जलवाष्प में जमा होती है वह तूफानी हवा और विद्युत-ऊर्जा में बदल जाती है।
जिन वायुमंडलीय दशाओं से गरज-बादल बनते हैं वे आम तौर पर निम्न आक्षांशों में पायी जाती हैं। यही कारण है कि दक्षिण अमरीका और अफ्रीका महाद्वीपों में ज़्यादा गरज-तूफान आते हैं और इसीलिए लंबे समय से यह माना जाता है कि केंद्रीय अफ्रीका और इंडोनीशिया वे भूभाग हैं जहाँ दुनिया में सबसे ज़्यादा गरज-तूफान आते हैं। कंपाला, यूगाण्डा में साल के २४२ दिन गरज-तूफान आने का रिकॉर्ड है जो कि मान्य रिकॉर्ड माना जाता है। गरज-तूफान पृथ्वी के अनेक अन्य भागों में भी आते हैं।
आकाश में आतिशबाज़ी
गरज-तूफान के दो बिलकुल स्पष्ट लक्षण हैं गड़गड़ाहट की आवाज़ और बिजली का चमकना। लेकिन ये तड़क-भड़क कैसे पैदा होती है जो देखने लायक होती है और अकसर डरावनी भी होती है? जब दो स्थानों के बीच विद्युत-आवेशों का अंतर वायु की विद्युतरोधी शक्ति से अधिक हो जाता है तो बिजली कौंध उठती है और वायु में विद्युत धारा बहने लगती है, इसी को बिजली का चमकना कहते हैं। ऐसा एक ही बादल के अंदर, दो बादलों के बीच, या बादलों और धरती के बीच हो सकता है। बिजली के कौंधने पर जब विद्युत धारा बह निकलती है तो क्षण भर के लिए हवा बहुत ज़्यादा गर्म हो जाती है और उसका तापमान ३०,००० डिग्री सॆल्सियस तक पहुँच जाता है।
बिजली के चमकने को लहरिया बिजली (streak lightning), बहु-शाखित बिजली (forked lightning) या चद्दरी बिजली (sheet lightning) के वर्ग में बाँटा जा सकता है। यदि कौंध एक लहर की तरह साफ दिखायी पड़ती है तो वह लहरिया बिजली है। यदि कौंध विभाजित है या शाखाओं में बँटी हुई है तो उसे बहु-शाखित बिजली कहा जाता है। यदि कौंध बादल के अंदर है या बादल में रोशनी फैली है तो उसे चद्दरी बिजली कहते हैं। विशेषज्ञ हमें बताते हैं कि हमें जो बिजली दिखती है वह बादल और धरातल के बीच चमकनेवाली बिजली होती है।
बिजली के चमकने से जीव-जंतुओं को नुकसान पहुँचता है—मनुष्यों और पशुओं को चोट पहुँचती है और उनकी जान तक चली जाती है। जो लोग समुद्र किनारे और गॉल्फ के मैदान में और खेतों में होते हैं उन्हें सबसे ज़्यादा खतरा रहता है क्योंकि उनके पास बिजली से बचने के लिए कोई आड़ नहीं होती है।—पृष्ठ १५ पर बक्स देखिए।
जिन लोगों पर बिजली गिरती है उनमें से असल में सिर्फ ३० प्रतिशत के करीब लोग मरते हैं। जब जल्दी से फर्स्ट-एड मिल जाती है तो बहुत कम लोगों को गहरी चोट आती है। लेकिन आम धारणा के विपरीत, बिजली एक ही जगह पर एक से अधिक बार गिर सकती है और अकसर गिरती भी है!
बिजली के गिरने से बहुत जगहों पर आग लग जाती है। इससे पूरे के पूरे इलाके तबाह हो जाते हैं। अमरीका के जंगलों में तकरीबन १० प्रतिशत आग बिजली गिरने के कारण लगती है। और सिर्फ एक इस कारण से कुल जंगल और वन-क्षेत्र का ३५ प्रतिशत से ज़्यादा भाग जल जाता है।
लेकिन बिजली के गिरने से फायदे भी होते हैं। उदाहरण के लिए, जंगलों को कई तरह से फायदा होता है। बिजली के गिरने से छोटे पैमाने पर आग लगती है और जंगल के छोटे-छोटे पेड़-पौधे जल जाते हैं। इस कारण बड़े पैमाने पर आग लगने का खतरा कम हो जाता है जो बड़े-बड़े पेड़ों के शिखर तक पहुँच जाती है और ज़्यादा बरबादी करती है। बिजली के चमकने से गैसीय नाइट्रोजन में भी लाभकारी परिवर्तन होता है। जब नाइट्रोजन गैस के रूप में होती है तब पौधे उसे इस्तेमाल नहीं कर पाते। लेकिन बिजली के चमकने से नाइट्रोजन गैस अपने यौगिक तत्त्वों (compounds) में बदल जाती है। ये तत्त्व पौधों के ऊतकों की रचना और बीजों के विकास के लिए ज़रूरी हैं जिनसे ऐसे प्रोटीन प्राप्त होते हैं जो पशु जीवन के लिए ज़रूरी हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि बारिश में मौजूद ३० से ५० प्रतिशत नाइट्रोजन ऑक्साइड बिजली के चमकने से बनते हैं और इस प्रक्रिया से हर साल दुनिया भर में तीन करोड़ टन स्थिरीकृत (fixed) नाइट्रोजन बनता है।
गरज-तूफान का सबसे बड़ा फायदा
गरज-तूफान से बहुत बड़ी मात्रा में पानी मिलता है। थोड़े-से समय के अंदर बड़ी मात्रा में पानी बरसने का मुख्य कारण यह है कि प्रचंड तूफान में तेज़ी से ऊपर उठती हवा बड़ी मात्रा में पानी को रोक लेती है और फिर एकाएक उसे गिरा देती है। नापकर देखा गया है कि ऐसी बारिश २० सॆंटीमीटर प्रति घंटा होती है। हाँ, ऐसी भारी वर्षा का बुरा असर भी हो सकता है।
जब तूफान धीरे-धीरे आगे बढ़ता है, तब अधिकतर पानी अपेक्षाकृत छोटे-से भूभाग में बरसता है और इससे उस क्षेत्र में बाढ़ आ सकती है। ऐसे तूफान के दौरान बरसा पानी बहकर झीलों और नदियों में चला जाता है और उनके पानी का स्तर बढ़ जाता है। यह अनुमान लगाया गया है कि अमरीका में बाढ़ से हुए कुल नुकसान में से करीब एक तिहाई नुकसान गरज-तूफानों के कारण आयी बाढ़ से होता है।
लेकिन, गरज-तूफान के कारण आयी बारिश के बहुत-से फायदे भी होते हैं। धरती को और जलकुंडों और बाँधों को ढेर सारा पानी मिलता है। शोध ने दिखाया है कि कुछ क्षेत्रों में ५० से ७० प्रतिशत पानी गरज-तूफानों से प्राप्त होता है इसलिए इन इलाकों में तूफानी बारिश जीवन के लिए बहुत ज़रूरी है।
ओलों के बारे में क्या?
गरज-तूफानों का एक बहुत-ही विनाशक पहलू यह है कि अकसर उनके साथ-साथ भारी ओले भी पड़ते हैं। बारिश की बूँदों के जमने से ओले बनते हैं और फिर ऊपर जाती और नीचे आती हवाओं में घूम-घूमकर उनका आकार बड़ा हो जाता है। अविश्वसनीय आकार और भार के ओलों के बारे में कुछ कहानियाँ हैं। कहा जाता है कि जर्मनी में १९२५ में एक ओला गिरा जिसका आकार २६ सॆंटीमीटर बटा १४ सॆंटीमीटर बटा १२ सॆंटीमीटर था। अनुमान लगाया गया कि उसका भार दो किलोग्राम से ज़्यादा था। अमरीका में अब तक रिकॉर्ड किया गया सबसे बड़ा ओला कैंज़स राज्य में १९७० में गिरा। इस ओले का सबसे मोटा हिस्सा ४४ सॆंटीमीटर था और उसका भार ७७६ ग्राम था। उतना बड़ा ओला बादलों से नीचे गिरे तो एक आदमी को मारने के लिए काफी है।
खुशी की बात है कि आम तौर पर ओले इससे काफी छोटे होते हैं और उनसे परेशानी तो हो सकती है लेकिन आम तौर पर मौत नहीं होती। साथ ही, जिन गरज-तूफानों से ओले बनते हैं उनकी प्रकृति ऐसी होती है कि अपेक्षाकृत छोटे क्षेत्र में ही नुकसान पहुँचानेवाले ओले गिरते हैं। तो भी, ओलों के कारण दुनिया भर में फसलों को हुआ नुकसान हर साल करोड़ों डॉलर आँका जाता है।
टॉरनेडो और गरज-तूफान
गरज-बादलों के बनने का शायद सबसे खतरनाक नतीजा होता है टॉरनेडो (बवंडर)। करीब-करीब हर टॉरनेडो का गरज-बादलों से संबंध होता है, लेकिन सभी गरज-बादलों के बनने के साथ टॉरनेडो नहीं आते। टॉरनेडो बनने पर हवा बड़ी तेज़ी से गोल-गोल घूमती है और पतले-से खंभे का आकार ले लेती है। यह कई सौ मीटर की दूरी को अपने घेरे में ले लेती है, जो कि गरज-बादल से ज़मीन तक की दूरी होती है। सबसे प्रचंड टॉरनेडो में तूफानी हवा की रफ्तार ४०० या ५०० किलोमीटर प्रति घंटे से ज़्यादा हो सकती है। तेज़ी से गोल-गोल घूमती प्रचंड हवाओं और बीच में ऊपर उठती हवा का मिलकर जो असर होता है उससे कभी-कभी इमारतें ढह जाती हैं और हवा के साथ उनका ऐसा मलबा उड़ता है जो जानलेवा बन सकता है। टॉरनेडो संसार के अनेक देशों में आते हैं।
सीधी-रेखा (straight-line) आँधियों का संबंध नीचे आती हवाओं और माइक्रोबर्स्ट हवाओं से है। ये देखने में उतनी डरावनी नहीं होतीं लेकिन ये भी नुकसान पहुँचा सकती हैं। नीचे आती हवाएँ ज़मीन पर या उसके पास नुकसान पहुँचानेवाली तेज़ हवाएँ उत्पन्न कर सकती हैं। ये तेज़ हवाएँ १५० किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार पकड़ सकती हैं। माइक्रोबर्स्ट हवाएँ इनसे भी ज़्यादा प्रचंड होती हैं और वे २०० किलोमीटर प्रति घंटे से ज़्यादा की रफ्तार पकड़ सकती हैं।
यह साफ है कि गरज-बादलों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और हमें उनके खतरों के बारे में जानकारी रखनी चाहिए। वे सृष्टि की ऐसी अनेक चीज़ों में से एक हैं जिनके बारे में अभी हमें काफी कुछ जानना बाकी है।
[पेज 25 पर बक्स/तसवीर]
बिजली गिरने के बारे में सावधानियाँ
‘आपातकालीन प्रबंधन ऑस्ट्रेलिया’ गरज-तूफान के समय निम्नलिखित सावधानियाँ बरतने का सुझाव देती है।
घर के बाहर बचाव
◼ मज़बूत छतवाली गाड़ी में या किसी इमारत में शरण लीजिए; छोटे झोंपड़ों, कपड़े के तंबुओं और उन जगहों से दूर रहिए जहाँ एक या थोड़े-से पेड़ हों।
◼ यदि आप खुले में हों और छिपने के लिए कोई जगह न हो तो दुबककर बैठ जाइए (अकेले), हो सके तो गड्ढे में बैठिए, पैरों को पास-पास सटा लीजिए और अपने सिर और शरीर पर से धातु की वस्तुएँ उतार दीजिए। लेटिए नहीं, लेकिन ध्यान रखिए कि आस-पास आप ही सबसे ऊँचे न दिखें।
◼ यदि आपके रोंगटे खड़े हो जाते हैं या आपको आस-पास की चीज़ों, जैसे चट्टानों और बाड़ों से सन-सन की आवाज़ सुनाई दे रही हो तो तुरंत अपनी जगह बदल लीजिए।
◼ पतंग मत उड़ाइए और न ही कंट्रोल वायर से मॉडल विमान उड़ाइए।
◼ खुले में लंबी या धातु की चीज़ों को मत इस्तेमाल कीजिए, जैसे मछली पकड़ने की छड़, छाता और गॉल्फ स्टिक।
◼ धातु की चीज़ों, तार के बाड़ों या कपड़े लटकानेवाले धातु के तारों को न छूइए और न ही उनके पास जाइए।
◼ न घुड़सवारी कीजिए, न साइकिल चलाइए और न ही खुली गाड़ियों में जाइए।
◼ यदि गाड़ी चला रहे हों तो रफ्तार धीमी कर लीजिए या पेड़ों और बिजली के खंभों जैसी ऊँची चीज़ों से दूर कहीं गाड़ी रोक लीजिए। मज़बूत छतवाली गाड़ियों और ट्रेलरों के अंदर रहिए लेकिन उसमें धातु की चीज़ों को न छूइए और न ही उन पर झुकिए।
◼ यदि तैर रहे हों या लहरों पर सर्फिंग कर रहे हों तो तुरंत पानी में से बाहर आ जाइए और छिपने की जगह ढूँढ़िए।
◼ यदि नाव चला रहे हों तो जितनी जल्दी हो सके किनारे पहुँचने की कोशिश कीजिए। यदि ऐसा करने में खतरा हो तो किसी पुल या घाट जैसी ऊँची चीज़ के नीचे रुक जाइए। ध्यान रखिए कि पाल-नाव का मस्तूल और तान-रस्सियाँ ठीक तरह से पानी में हों।
घर के अंदर बचाव
◼ खिड़कियों, बिजली के उपकरणों, पाइपों और धातु की दूसरी चीज़ों से दूर रहिए।
◼ टॆलिफोन का इस्तेमाल मत कीजिए। सख्त ज़रूरत पड़ने पर ही फोन कीजिए और बहुत कम बात कीजिए।
◼ तूफान आने से पहले बाहर लगे एंटीना का कनॆक्शन और रेडियो और टीवी के तार निकाल दीजिए। कंप्यूटर मोडॆम और पावर सोर्सॆस काट दीजिए। फिर बिजली के उपकरणों से दूर रहिए।
[चित्र का श्रेय]
प्रचंड तूफान: तथ्य, चेतावनी और बचाव अंग्रेज़ी प्रकाशन से।