विश्व दर्शन
कैंसर का अकसर गलत रोग-निदान
“मौत किस कारण हुई इसके मान्य आँकड़े देखकर कैंसर से मरनेवालों की कुल संख्या शायद न पता चले,” न्यू साइंटिस्ट पत्रिका रिपोर्ट करती है। न्यू ऑर्लेआन में मॆडिकल सॆंटर ऑफ लुईज़ीऐना की डॉ. इलिज़बॆथ बर्टन ने ऐसे १,१०५ मरीज़ों के रिकॉर्ड देखे जिनका १९८६ से १९९५ के बीच पोस्ट-मॉर्टम किया गया था। जिनको डॉक्टरों ने कैंसर का मरीज़ कहा था उनकी संख्या को पोस्ट-मॉर्टम की रिपोर्टों से मिलाया गया। बर्टन के अनुसार, ४४ प्रतिशत मरीज़ों में डॉक्टर कैंसर का पता नहीं लगा सके थे या उन्हें किस किस्म का कैंसर है यह गलत बताया था। आजकल १० प्रतिशत लोगों का पोस्ट-मॉर्टम किया जाता है—जबकि १९६० के दशक में करीब ५० प्रतिशत लोगों का किया जाता था—इसलिए “बहुत-सी गलतियाँ शायद कभी न पकड़ी जाएँ,” पत्रिका कहती है।
स्ट्रोक के चेतावनी चिन्ह
“अनेक लोग स्ट्रोक [पक्षाघात] का एक लक्षण तक नहीं बता सकते,” एफडीए कंस्यूमर रिपोर्ट करती है। यह पत्रिका आगे कहती है: “जिनका सर्वेक्षण किया गया उनमें से आधे से सिर्फ थोड़े ज़्यादा लोग स्ट्रोक का कम-से-कम एक लक्षण बता पाये, और सिर्फ ६८ प्रतिशत एक ऐसा कारण बता सके जिससे स्ट्रोक का जोखिम होता है।” ऐसा इस सच्चाई के बावजूद है कि स्ट्रोक पश्चिम के औद्योगीकृत देशों में मौत का एक बड़ा कारण है और अपंगता का मुख्य कारण है। स्ट्रोक से कम नुकसान पहुँचे इसके लिए यह ज़रूरी है कि पहला चेतावनी चिन्ह दिखते ही आप तुरंत डॉक्टरी मदद लें। स्ट्रोक के सबसे आम लक्षण हैं अचानक कमज़ोरी आना, सुन्न पड़ना, या चेहरे, बाँह या टाँग में लकवा मारना; अचानक धुँधला दिखना या बिलकुल न दिखना, खासकर एक आँख से; बोलने में या बोली समझने में तकलीफ होना; और न जाने क्यों चक्कर आना या संतुलन बिगड़ना, खासकर जब दूसरे चेतावनी चिन्ह भी दिख रहे हों।
शादी खुशियाँ ला सकती है
कुछ लोग शादी को भार समझकर उससे तौबा करते हैं और टीवी कॉमॆडी में अकसर इसे एकदम पुराने फैशन का बताया जाता है। लेकिन असलियत क्या है? क्या यह ज़रूरी है कि जिनकी शादी नहीं हुई वे ज़्यादा खुश रहते हैं? फिलाडॆल्फिया इंक्वायरर में उद्धृत एक समाजविज्ञानी यह नहीं मानती। वह कहती है कि शादी-शुदा लोग “आम तौर पर ज़्यादा सुखी, स्वस्थ और संपन्न” होते हैं। सामूहिक रूप से देखें तो जो लोग शादी करते हैं उन्हें कम तनाव रहता है, उनके अपराध करने या अवैध नशीले पदार्थों का सेवन करने की संभावना कम रहती है और इसकी संभावना ज़्यादा रहती है कि वे समाज पर बोझ नहीं बने रहेंगे। तो फिर यह हैरानी की बात नहीं कि विशेषज्ञ कहते हैं कि शादी-शुदा लोग ज़्यादा लंबा जीवन भी जीते हैं।
चेन लॆटर जलाना
जापान के नगॉया शहर में १९९२ से साल में एक बार चिट्ठियाँ जलाने की एक बौद्ध धर्मक्रिया हो रही है जिसमें चेन लॆटर जलाये जाते हैं। अनचाही चिट्ठियाँ इकट्ठी करने के लिए डाक अधिकारियों ने पूरे शहर के डाकघरों में संग्रह-बक्स लगा दिये और एक बौद्ध मंदिर से कहा कि उन्हें जलाने के लिए एक धर्मक्रिया संपन्न करें। आसाही ईवनिंग न्यूज़ ने बताया कि यह क्रिया “ज़्यादा अंधविश्वासी लोगों के लिए है जो चिट्ठी पाकर उसे अनदेखा करने या खुद जलाने से डर रहे थे।” वे क्यों डर रहे थे? इन चिट्ठियों में सिर्फ इतना नहीं होता कि उसमें दिये गये निर्देशों पर चलनेवालों को फायदे होंगे। उनमें यह धमकी भी होती है कि जो इस चेन या कड़ी को तोड़ेगा उस पर मुश्किलें आएँगी। उदाहरण के लिए, एक चिट्ठी ने चिताया कि टोक्यो में एक व्यक्ति ने इस कड़ी को तोड़ा था और उसकी हत्या हो गयी।
धँसता शहर
“मॆक्सिको शहर धँस रहा है,” द न्यू यॉर्क टाइम्स बताता है। “महानगर के १.८ करोड़ निवासियों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए ज़मीन के नीचे से इतना पानी खींचकर निकाला जा चुका है कि पैरों तले ज़मीन बहुत तेज़ी से धँस रही है।” समस्या और भी बढ़ रही है क्योंकि “मॆक्सिको नगर की जल वितरण व्यवस्था दुनिया में सबसे ज़्यादा रिसनेवाली जल व्यवस्थाओं में से एक है। पाइपों में डाले गये ताज़े पानी के हर लीटर में से एक तिहाई पानी चू जाता है।” इसका अर्थ है कि ज़्यादा पानी खींचकर निकालना पड़ता है और शहर ज़्यादा धँसता जाता है। मरम्मत दल एक साल में ४०,००० छेद बंद करते हैं, फिर भी कितने ही रिसते पाइपों की रिपोर्ट नहीं मिलतीं। लेकिन मॆक्सिको शहर ही अकेला शहर नहीं जो धँस रहा है। उदाहरण के लिए, इटली में वॆनिस २०वीं सदी के दौरान २३ सॆंटीमीटर धँस गया है। लेकिन मॆक्सिको शहर नौ मीटर धँसा है!
बदमाश बच्चे
द न्यू यॉर्क टाइम्स रिपोर्ट करता है, १६,२६२ अमरीकी किशोरों के एक सर्वेक्षण से पता चला कि मोटे तौर पर ५ में से १ किशोर हथियार लेकर चलता है और १० में से १ ने आत्महत्या करने की कोशिश की है। देश भर में १५१ स्कूलों के छात्रों का सर्वेक्षण किया गया था। छात्रों की शारीरिक और लैंगिक क्रियाओं के बारे में, साथ ही नशीले पदार्थों, शराब और तंबाकू की उनकी आदतों के बारे में जानकारी पाने के लिए गोपनीय प्रश्नपत्र इस्तेमाल किये गये। नैशनल सॆंटर फॉर क्रॉनिक डिज़ीज़ प्रिवॆंशन एण्ड हॆल्थ प्रोमोशन की लॉरा कैन कहती है: “इससे यह सबक मिलता है कि बहुत सारे युवा ऐसे कामों में लगे हुए हैं जिनसे उन्हें जोखिम है—आज चोट या मौत का जोखिम और बाद में गंभीर बीमारी का जोखिम।”
जानलेवा तूफान-मिच
अक्तूबर २७, १९९८ में केंद्रीय अमरीका में तूफान-मिच आया और उसमें ११,००० से ज़्यादा लोग मारे गये। अन्य हज़ारों लोग लापता थे और यह माना गया कि वे मर गये हैं। कहा जाता है कि करीब २३ लाख लोग बेघर हो गये। सबसे ज़्यादा नुकसान हॉन्ड्युरस और निकाराग्वा में हुआ। खेती के इलाकों में एक मीटर से ज़्यादा पानी बरसा और ऐसी हालत कर दी जिसे पिछली दो सदियों में उस क्षेत्र की सबसे बुरी प्राकृतिक विपदा कहा गया है। गाँव के गाँव भू-स्खलन होने से दब गये या बाढ़ के चढ़ते पानी में बह गये। हॉन्ड्युरस के राष्ट्रपति, कार्लोस फ्लोरेस फाकूसे ने कहा: “७२ घंटों के अंदर हमारा वह सब कुछ बरबाद हो गया जो हमने धीरे-धीरे करके ५० सालों में बनाया था।” मौत और बरबादी के अलावा लोग अलग-थलग भी पड़ गये। तूफान के रास्ते में पड़े ज़्यादातर छोटे नगरों की बिजली और फोन की लाइनें कट गयीं। सैकड़ों सड़कें और पुल टूट गये जिसके कारण पीड़ितों को कई दिनों तक भोजन, साफ पानी और दवाएँ नहीं मिल पायीं। राहत दलों के पास पर्याप्त भोजन था लेकिन उसे बाँटने का कोई रास्ता नहीं था। माली नुकसान के अलावा, अधिकतर लोगों की नौकरियाँ चली गयीं। केले, तरबूज़, कॉफी बीन्स और धान जैसी मुख्य फसलें ७० प्रतिशत तक बरबाद हो गयीं। “१९७४ में आया तूफान-फीफी इसके सामने कुछ नहीं था,” हॉन्ड्युरस के उप राष्ट्रपति विलियम हैंडॆल ने कहा। “फीफी के नुकसान की भरपाई करने में १२ से १४ साल की मेहनत लगी। इसके लिए ३० या ४० साल लगेंगे।”
हाथियों के अधिकार
भारत के अनेक भागों में हाथी श्रम-शक्ति का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं। द वीक पत्रिका रिपोर्ट करती है कि भारत के उत्तर प्रदेश में हाथी पक्की सरकारी नौकरी करते हैं और वेतन पाते हैं। करीब दस साल की उम्र में हाथी काम शुरू करता है और हो सके तो ५० साल तक अपने मालिकों की सेवा करता है। रिटायर होने पर, दूसरे सरकारी कर्मचारियों की तरह हाथी को भी पॆंशन मिलती है और एक महावत को उसकी देखरेख करने और खानपान का ध्यान रखने के लिए नियुक्त किया जाता है। दूसरे फायदों के साथ-साथ हथिनी के कार्यकाल के दौरान उसे एक साल की प्रसूति-छुट्टी (maternity leave) मिलती है जो वह आराम से चिड़ियाघर में बिताती है और उसके बाद लकड़ी ढोने, जंगली हाथियों को बाड़े में लाने और सिखाने, राष्ट्रीय उद्यानों और संरक्षित वन-क्षेत्रों की रखवाली करने के ज़रूरी काम में लग जाती है।
शर्मीलापन दूर करना
कनाडा के टोरॉन्टो स्टार के अनुसार, “करीब १३ प्रतिशत वयस्क बहुत ज़्यादा शर्मीलेपन से पीड़ित हैं।” अखबार रिपोर्ट करता है कि इसके कारण “वे भरपूर जीवन नहीं जी पाते।” विशेषज्ञों ने शर्मीलापन दूर करने के लिए सुझाव दिये: “खबरों, पत्रिका लेखों, पुस्तकों, शौक या फिल्मों से ऐसी बातें सोचिए जिन्हें लेकर बातचीत शुरू की जा सके।” “बोलकर और बिना बोले संचार करने का कौशल अभ्यास करके सीखिए, जिसमें आँख मिलाकर बात करना [और] ध्यान से सुनना शामिल है।” “जिन कामों से आपको डर लगता है ज़बरदस्ती वही काम कीजिए।” “यदि आपका बच्चा शर्मीला है, तो यह ज़रूरी है कि आप उसे मेलजोल करने के ढेर सारे मौके दें।” यह प्रोत्साहन दिया गया कि हिम्मत न हारें, क्योंकि अनुभव दिखाता है कि शर्मीलापन दूर करने की हम जितनी ज़्यादा कोशिश करते हैं यह काम उतना ही आसान होता जाता है।
दुर्घटनाएँ—दुर्भाग्य नहीं
ब्राज़ील में हर साल दुर्घटनाओं के कारण कम-से-कम २२,००० बच्चे और जवान मरते हैं, ब्राज़ील का स्वास्थ्य मंत्रालय रिपोर्ट करता है। यातायात दुर्घटनाएँ सबसे ज़्यादा जानें लेती हैं। लेकिन, ब्राज़ीलियन सोसाइटी ऑफ पॆडियाट्रिक्स के अध्यक्ष, लीनकोन फ्रेरी ने कहा: “दुर्घटनाएँ रोकी जा सकती हैं और अब उन्हें दुर्भाग्य नहीं माना जा सकता।” इसके अलावा, एक राष्ट्रीय दुर्घटना-रोको अभियान की संचालक, टेरेज़ा कॉस्टा ने कहा कि ‘पिछले १५ सालों में सरकार ने जो कदम उठाए हैं उनसे दस्त, श्वास-संक्रमण और संक्रामक बीमारियों के कारण होनेवाली मौतें कम हो गयी हैं,’ दुर्घटनाएँ रोकने से भी जानें बच सकती हैं।