जब बारिश नहीं होती
ब्राज़ील में सजग होइए! संवाददाता द्वारा
पिछले साल, उत्तर-पूर्वी ब्राज़ील में बुरी तरह सूखा पड़ा था जिससे काफी नुकसान हुआ। वेजा पत्रिका के मुताबिक, वहाँ के सैकड़ों-हज़ारों निवासी, जिन्हें नोरदेसतीनूस कहा जाता है, “बारिश की आस में बैठे थे मगर पानी बरसने का नाम ही नहीं ले रहा था।” सूखे की वज़ह से चावल, सेम, और मक्के की फसल झुलस गयी जिससे दूर-दूर तक अकाल पड़ गया। यह अकाल इतना भयानक था कि पिछले १५ सालों से ऐसा अकाल कभी नहीं पड़ा था। कहीं-कहीं तो पीने का पानी भी नहीं मिल रहा था।
ब्राज़ील में सूखा पड़ना कोई नयी बात नहीं है। सन् १८७७ में उस देश में बहुत भयानक सूखा पड़ा था जिसमें करीब ५,००,००० लोग दाने-दाने के मोहताज होकर अपनी जान गवाँ बैठे। उस समय ब्राज़ील के सम्राट, दोम पेदरू II ने यह कसम खायी थी कि वह किसी भी कीमत पर सूखे का हल ढूँढ़कर ही रहेगा, चाहे इसके लिए उसे अपने ताज का एकएक रत्न भी क्यों न बेचना पड़े! यह करीब १०० से ज़्यादा साल पहले की बात है मगर आज भी सूखे की समस्या वैसी-की-वैसी है। पिछले साल जब सूखा पड़ा था तब यह अंदाज़ा लगाया गया था कि इसका प्रभाव उत्तर-पूर्वी ब्राज़ील के १,२०९ शहरों में रहनेवाले करीब एक करोड़ लोगों पर पड़ेगा।
साक्षी बड़े प्यार से मदद करते हैं
जब इस सूखे की खबर ब्राज़ील के वॉच टावर सोसाइटी के ब्रांच ऑफिस तक पहुँची तो वे मदद करने के लिए फौरन काम में जुट गए। स्थिति का जायज़ा लेने के लिए सफरी ओवरसियरों को बाईआ, सेएरा, पाराइबा, पॆरनमब्यूको और प्याउई जैसे राज्यों में भेजा गया जहाँ सूखे की मार सबसे भयंकर थी। सफरी ओवरसियरों ने देखा कि वहाँ रहनेवाले ९०० साक्षियों और बाइबल विद्यार्थियों को दाने-पानी की सख्त ज़रूरत थी। कुछ भाई-बहन थोड़े-से रतालू से, तो दूसरे बस चावल खाकर अपना गुज़ारा चला रहे थे। एक परिवार तो ऐसा था जिसके पास खाने को कुछ भी नहीं था। वे सुबह, दोपहर और रात में खाने की जगह बस दूध से काम चलाते थे। कैंसर से पीड़ित एक मसीही बहन को थोड़ा-सा भोजन खरीदने के लिए अपना बिस्तर बेचना पड़ा। छः सदस्यों का एक परिवार यह सोचकर भोजन कर चुका था कि यही उनका आखिरी भोजन है, मगर तभी मदद के लिए मसीही भाई पहुँच गए।
भोजन और दूसरी ज़रूरी चीज़ें पहुँचाने के लिए फौरन राहत कमीटियाँ बना दी गयीं। रॆसीफा और आस-पास के शहरों के साक्षियों ने ज़रूरतमंदों के लिए दिल खोलकर दान दिया। और जब ज़्यादा मदद की ज़रूरत पड़ी तब रियो डॆ जनॆरो के मसीही भी अपने भाई-बहनों की मदद के लिए मैदान में कूद पड़े। साक्षियों ने ३४ टन भोजन दान में दिया और उसे २,३०० किलोमीटर दूर रॆसीफा शहर तक पहुँचाने का खर्चा भी उठाया। ऐसा उन्होंने बहुत ही कम समय में किया!
पाराइबा और प्याउई राज्यों की राजधानी में, बहुत जल्द छः टन भोजन इकट्ठा कर लिया गया। और यह भोजन कुछ समय के लिए फोर्टलेज़ा शहर के एक किंगडम हॉल में रखा गया। मगर एक समस्या सामने आई। साक्षी भोजन सामग्री को उनकी मंजिल तक कैसे पहुँचा सकते थे? एक गैर-साक्षी आदमी ने अपना ट्रक इस्तेमाल करने के लिए दे दिया। मगर, जो भी गाड़ी भोजन और बाकी की चीज़ें ले जाती थी, उसे रास्ते में ही रोककर लूट लिया जाता था। ऐसी हालत में क्या दान में दी गयी ये सामग्री अपनी मंज़िल तक पहुँच पाती? चाहे जो भी हो, उन्होंने इसे अपने भाइयों तक पहुँचाने की ठान ली। साक्षी यहोवा पर पूरा भरोसा रखते हुए भोजन से लदे ट्रक को उस इलाके से होते हुए ले गए। सामग्री को कुछ भी नहीं हुआ! वह अपनी मंज़िल तक सही-सलामत पहुँच गयी और उसे पाकर भाइयों को बहुत खुशी हुई।
मदद देने और पाने में खुशी मिली
राहत पहुँचाने के काम में लगे साक्षियों को बहुत ही खुशी हुई कि उन्हें अपने भाइयों की मदद करने का मौका मिला। साओं पाउलू में रहनेवाले एक कलीसिया के प्राचीन ने कहा: “पिछली बार जब सूखा पड़ा था तब हमें भोजन देने के लिए नहीं कहा गया था। हम कितने शुक्रगुज़ार हैं कि अबकी बार हमें यह मौका मिला है!” फोर्टलेज़ा के साक्षियों ने लिखा: “हम बहुत खुश हैं कि हम अपने भाइयों की मदद कर सके। मगर इससे कहीं ज़्यादा खुशी हमें इस बात की है कि हमने यहोवा के दिल को खुश किया है। हम याकूब २:१५, १६ के शब्दों को कभी नहीं भूलते।” बाइबल की उन आयतों में लिखा है: “यदि कोई भाई या बहिन नङ्गे उघाड़े हों, और उन्हें प्रति दिन भोजन की घटी हो। और तुम में से कोई उन से कहे, कुशल से जाओ, तुम गरम रहो और तृप्त रहो; पर जो वस्तुएं देह के लिये आवश्यक हैं वह उन्हें न दे, तो क्या लाभ?”
दान देनेवाले साक्षी कभी-कभी भोजन के पैकटों पर हौसला बढ़ानेवाले संदेश लगा देते थे। एक संदेश में यह लिखा था: “भजन ७२:१६ में दिए गए वादे को हमेशा मन में रखिए कि बहुत जल्द परमेश्वर के नए संसार में खाने-पीने की कोई कमी नहीं होगी।” इसमें कोई शक नहीं कि अकाल की मार सह रहे साक्षी अपने भाइयों के प्यार के लिए बहुत ही शुक्रगुज़ार थे। एक साक्षी के परिवार को मदद की बहुत ही ज़्यादा ज़रूरत थी और उन्हें मिली मदद की कदर करते हुए उस साक्षी ने लिखा: “मेरा परिवार और मैं इस मदद के लिए बहुत ही शुक्रगुज़ार हैं। हमें इसका सबूत मिला कि हमारा दयालु पिता यहोवा और उसका संगठन हमें कितना प्यार करता है और हमारे लिए कितना फिक्रमंद है। इस घटना से हम यहोवा और उसके लोगों के और करीब आ गए हैं।”
हमेशा-हमेशा का हल
व्यंग की बात यह है कि असल में उत्तर-पूर्वी ब्राज़ील में पानी की कोई कमी नहीं है। वहाँ तो ऊपरी ज़मीन की परत के काफी नीचे बहुत ताज़ा पानी है, साथ ही जलाशयों में भी बहुत पानी है। और अगर यह पानी सबके लिए उपलब्ध कराया जाना मुमकिन हो तो वहाँ की ज़मीन पर अच्छी खेती की जा सकती है।
वह समस्या एक दिन हमेशा-हमेशा के लिए सुलझा दी जाएगी जो सम्राट दोम पेदरू II को सता रही थी। वह दिन तब आएगा जब यीशु मसीह के ज़रिए परमेश्वर का राज्य पृथ्वी की सभी समस्याओं को, अकाल को भी खत्म कर देगा। और अकाल की चपेट में आई हुई ज़मीन यशायाह की इस भविष्यवाणी को पूरा होते हुए देखेगी: “जंगल में जल के सोते फूट निकलेंगे और मरुभूमि में नदियां बहने लगेंगी; मृगतृष्णा ताल बन जाएगी और सूखी भूमि में सोते फूटेंगे।”—यशायाह ३५:१, २, ६, ७.
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‘सब के साथ भलाई करो’
प्रेरित पौलुस ने अपने संगी विश्वासियों को सलाह दी: “हम सब के साथ भलाई करें; विशेष करके विश्वासी भाइयों के साथ।” (गलतियों ६:१०) पिछले साल ब्राज़ील में जब सूखा पड़ा तब वहाँ के यहोवा के साक्षियों को इस सलाह पर अमल करने का मौका मिला। उन्होंने सिर्फ अपने संगी विश्वासियों को ही नहीं बल्कि दूसरों को भी प्यार दिखाया और उनकी देखभाल की। नतीजा यह हुआ कि पहले जो लोग यहोवा के साक्षियों के काम का विरोध करते थे, वे अब उनके बारे में अपनी राय पर फिर से सोचने के लिए मज़बूर हो गए।
एक आदमी की पत्नी ने यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल का अध्ययन करने का फैसला किया। इस वज़ह से शुरू-शुरू में यह आदमी बहुत दुःखी हो गया। कुछ समय बाद, उसकी पत्नी ने बाइबल से सीखी बातें दूसरों को बताना शुरू किया। अकाल के समय जब वहाँ के साक्षी उसके घर भोजन लेकर आए तो यह आदमी इतना प्रभावित हो गया कि उसने कुछ ऐसा करने का फैसला किया जिसे नहीं करने की उसने सौगंध खा रखी थी। वह था, वहाँ के किंगडम हॉल की सभा में जाना। हालाँकि उसे अब भी इस बात पर थोड़ा शक है कि बाइबल परमेश्वर द्वारा प्रेरित है या नहीं, मगर फिर भी यह आदमी अब बाइबल स्टडी करने को राज़ी हो गया।
एक और जगह के साक्षियों ने यह रिपोर्ट दी: “हमें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि राहत की सामग्री कितनी जल्दी आ गयी। काफी भोजन सामग्री आयी थी, उतने की तो हमने उम्मीद भी नहीं की थी। सो अपने भाइयों और उनके परिवारों की ज़रूरतों को पूरा करने के बाद हमने भोजन अपने बाइबल विद्यार्थियों को, उनके रिश्तेदारों को और अपने पड़ोसियों को भी दिया।”
एक गाँव में रहनेवाले साक्षियों ने अपने कुछ पड़ोसियों को भोजन के पैकट दिए। एक शुक्रगुज़ार महिला ने कहा: “आप लोग वही कर रहे हैं जो मसीह ने सिखाया था; आप कुछ पाने की उम्मीद किए बिना लोगों को देते हैं।”
[पेज 22 पर तसवीर]
सूखे की मार
[पेज 21 पर चित्र का श्रेय]
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