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सजग होइए!–1999
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“मेरी सबसे बड़ी तमन्‍ना”

इस विषय पर व्रान्या, युगोस्लाविया में स्कूल के कुछ बच्चों से एक निबंध लिखने के लिए कहा गया। यहाँ उसी स्कूल के एक आठ वर्षीय बच्चे, स्यिरग्ये का निबंध है। बाद में इस निबंध को स्कूल के बोर्ड पर लगा दिया गया ताकि सब पढ़ सकें।

“पहले तो मैं यही लिखना चाहता था कि मेरी सबसे बड़ी तमन्‍ना है कि मैं खूब अच्छे नंबरों से हाई-स्कूल की पढ़ाई खत्म करूँ और फिर छुट्टियाँ मनाने के लिए बॆलग्रेड जाऊँ। मगर घर पर मैं कुछ अलग ही सोचने लगा। मेरी सबसे बड़ी तमन्‍ना है कि पूरी दुनिया में शांति ही शांति हो, सब लोग खुशी से जीएँ, और एक दूसरे से प्यार करें, और एक दूसरे की मदद करें। मेरी तमन्‍ना है कि सब लोग तंदुरुस्त हों और पूरी दुनिया और भी साफ-सुथरी हो जाए।

“आज पृथ्वी रयासनों की वज़ह से प्रदूषित हो गयी है। न पानी साफ है, ना ही हवा। दुनिया में सैकड़ों-हज़ारों लोग हर दिन भूख से मर जाते हैं और दूसरों को बीमारी निगल जाती है। मेरी तमन्‍ना यही है कि ये सब बातें खत्म हो जाएँ। सभी बच्चों को अपने माँ-बाप का प्यार मिले, ताकि उनकी ज़िंदगी खुशियों से भर जाए और वे रात को मीठी नींद सो सकें। और हर सुबह उठने पर एक सुनहरा दिन उनका स्वागत करे। यह तो इस दुनिया में मुमकिन नहीं है, मगर भविष्य में ऐसा ज़रूर होगा। यही मेरी सबसे बड़ी तमन्‍ना है।”

किस वज़ह से स्यिरग्ये को पक्का यकीन था कि ये सब कुछ साकार होगा? उसे बाइबल में बतायी गयी परमेश्‍वर की प्रतिज्ञाओं पर पूरा-पूरा विश्‍वास है। ब्रोशर क्या परमेश्‍वर वास्तव में हमारी परवाह करता है? के इस भाग “परमेश्‍वर द्वारा बनाया गया अद्‌भुत नया संसार” के तहत इन वादों की चर्चा की गयी है।

क्या परमेश्‍वर वास्तव में हमारी परवाह करता है? इस ब्रोशर की अधिक जानकारी पाने के लिए हमें आपकी मदद करने में खुशी होगी। इसके लिए हम आपके इलाके में रहनेवाले अपने प्रतिनिधि को आपके पास भेज सकते हैं। अगर आप ऐसा चाहते हैं तो कृपया आप इस कूपन को भरकर इस पर दिए गए पते या फिर पृष्ठ ५ पर दिए गए किसी उपयुक्‍त पते पर भेजिए।

◻ कृपया अपने किसी प्रतिनिधि को मेरे पास भेजिए।

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