आइरिश शिकारी कुत्ते की कहानी, बड़ी निराली
आयरलॆंड के सजग होइए! संवाददाता द्वारा
“दिखने में खौफनाक मगर बड़ा ही भोला-भाला”
कुछ लोग आयरलॆंड में पाए जानेवाले वुल्फहाउंड का वर्णन इस प्रकार करते हैं। क्या आपने कभी इसे देखा है? यह कुत्तों की एक खास नस्ल है। वुल्फहाउंड का मतलब है भेड़िए का शिकार करनेवाला। हाँ, यह सच है कि आयरलॆंड में अब भेड़िए नहीं मिलते लेकिन भेड़िए वहाँ हुआ करते थे। वहाँ सूअर और बड़े-बड़े बारहसिंगे भी पाये जाते थे। कहा जाता है कि आयरलॆंड में आखरी भेड़िया २०० साल पहले मारा गया। पहले ये वुल्फहाउंड, ना सिर्फ भेड़िए का बल्कि बड़े-बड़े दूसरे जानवरों का भी शिकार करने के लिए मशहूर थे। सालों पहले एक वुल्फहाउंड को अमरीका के चट्टानोंवाले पहाड़ी इलाके में छोड़ दिया गया था, और ऐसा माना जाता है कि १८९२ में उसने “ठंड के मौसम में ४० भेड़ियों को मार डाला।” मगर आप घबराइये मत, क्योंकि ये वुल्फहाउंड न तो इंसानों पर हमला करते हैं ना ही उनका शिकार करते हैं!
कुछ इतिहासकारों के मुताबिक आयरलॆंड में सा.यु.पू. ५०० तक वुल्फहाउंड बड़ी तादाद में पाये जाने लगे थे और इनका इस्तेमाल भी बहुत बढ़ गया था। केल्ट जाति के लोग पहले इनका इस्तेमाल सिर्फ शिकार के लिए करते थे मगर बाद में दूसरे कामों में भी इनका इस्तेमाल करने लगे। कथा-कहानियों और इतिहास की किताबों से पता चलता है कि आयरलॆंड के राजा और योद्धा तो वुल्फहाउंड को युद्ध के लिए भी इस्तेमाल करते थे।
कुत्तों की एक बहुत ही खास नस्ल होने की वज़ह से वुल्फहाउंड की शोहरत दुनिया भर में फैल गई थी। स्टेडियम में प्रदर्शन के लिए इन्हें रोम भी ले जाया गया था। इसकी जानकारी हमें रोमी मैजिस्ट्रेट क्विनटस अउरेलिअस सीम्मकस के रिकॉर्ड से मिलती है। सा.यु. ३९३ में इस रोमी मैजिस्ट्रेट ने आयरलॆंड के सात वुल्फहाउंड भेजने के लिए अपने भाई को पत्र लिखकर धन्यवाद कहा। लगता है कि इस कुत्ते को देखकर रोमी बहुत अचंभित हुए थे। क्योंकि सीम्मकस ने अपने पत्र में लिखा था कि “इसे देखकर रोम के सारे निवासियों की आँखें फटी की फटी रह गईं।” उसने लिखा, “और लोगों ने सोचा इन्हें तो यहाँ लोहे की पिंजरे में लाना चाहिए था।”
हो सकता है, वुल्फहाउंड की कद-काठी देखकर लोगों को लगा हो कि इन्हें कहीं भी ले जाने के लिए लोहे के पिंजरों का इस्तेमाल करना चाहिए। नर वुल्फहाउंड की ऊँचाई पैर से कंधे तक ३४ इंच होती है, लेकिन कुछ तो इनसे भी बड़े होते हैं। सबसे ऊँचा वुल्फहाउंड करीब ४० इंच ऊँचा पाया गया है। मादा वुल्फहाउंड, नर से बस एक-दो इंच छोटी होती हैं। अपनी ऊँचाई की वज़ह से इन्हें ऊँची जगहों पर रखे भोजन भी बड़ी आसानी से मिल जाते हैं। स्कॉटलैंड के एक उपन्यासकार सर वॉलटर स्काट ने अपने एक दोस्त को खाना खाते वक्त सावधान रहने की चेतावनी दी क्योंकि उसका वुल्फहाउंड जिसकी “लंबाई नाक से पूँछ तक छः फीट है, टेबल या कुर्सी पर बिना पैर चढ़ाए ही आसानी से उसकी प्लेट का खाना चट कर सकता था।”
जन्म के वक्त वुल्फहाउंड बहुत ही छोटे होते हैं और वज़न सिर्फ देढ़ पौंड होता है। मगर ये जल्दी बढ़ जाते हैं। एक स्त्री जिसने वुल्फहाउंड पाला था, वह उससे बेहद प्यार करती थी और उसने कहा: “ये जब छोटे होते हैं तो दिल ही चुरा लेते हैं। पहले ये गोल-मटोल गठरी की तरह होते हैं मगर जैसे-जैसे बड़े होते हैं, दुबले-पतले हो जाते हैं। टाँगे ज़्यादातर लंबी होती हैं और शरीर मुलायम।”
ये बहुत ही ताकतवर मगर शांत स्वभाव के होते हैं और ज़्यादा भौंकते नहीं। लेकिन जब कभी भौंकते हैं तो इनकी आवाज़ दिल में हमेशा के लिए बैठ जाती है। लोग कहते हैं कि एक आदमी ने जब वुल्फहाउंड का भौंकना सुना तो उसने कहा: “मैंने आज तक अपनी ज़िंदगी में ऐसी गंभीर और दर्द भरी हुँकार नहीं सुनी।”
आयरलॆंड के वुल्फहाउंड का वर्णन इस तरह किया जाता है, उसकी “सूरत डरावनी, आँखें तीखी, बालों से उलझी भौंहे और गहरे-भूरे रंग के रूखे झबरे बाल होते हैं।” एक नज़र देखने के बाद आप शायद उसे दुबारा देखना भी न चाहें। लेकिन ऐसा भी कहा जाता है कि ये “इतने भोले-भाले और प्यारे होते हैं कि नन्हा बच्चा भी इनके साथ खेल सकता है।” वुल्फहाउंड के बारे में अच्छी जानकारी रखनेवाले एक मालिक ने कहा, ये दरअसल “बेहद प्यारे” होते हैं। और ये सिर्फ भूरे रंग में ही नहीं बल्कि सफेद, गेहुँए, लाल और काले रंग में भी पाए जाते हैं।
आयरलॆंड के एक जानेमाने लेखक ओलिवर गोल्डस्मिथ ने तो तारीफ करने में हद ही कर दी। उसने कहा: “आयरलॆंड के बड़ी कद-काठीवाले ये वुल्फकुत्ते बेहद सुंदर और एकदम शाही . . . होते हैं और दुनिया में पाए जानेवाले किसी भी कुत्तों की नस्ल से बेहतरीन होते हैं।” बेशक वह इनके शरीर की बनावट से खासा प्रभावित हो गया था। लोगों का ऐसा कहना है कि इनके रूखे बाल, भौंहे और पलकों की वज़ह से ये “असल आइरिश” दिखते हैं।
तो फिर ये कुत्ते लुप्त क्यों होने लगे थे? एक कारण था, इनकी शोहरत। इनके चाहनेवाले इन्हें राजा-महाराजाओं जैसे खास लोगों को तोहफे के रूप में देते थे, क्योंकि वे इन्हें एक उम्दा तोहफा समझते थे। इसलिए इनकी “तलाश की जाती थी और इन्हें पकड़कर अलग-अलग देशों में भेज दिया जाता था।” नतीजा यह हुआ कि छोटी-छोटी संख्याओं में ये दुनिया के कई जगहों में फैल गए। दूसरा कारण था, जब आयरलॆंड में भेड़िओं के शिकार में इनका इस्तेमाल बंद हो गया तो लोग इन्हें नज़रअंदाज़ करने लगे थे।
सन् १८३९ में एक वुल्फहाउंड प्रेमी ने इनकी इस दुर्दशा के बारे में कहा: “बड़े अफसोस की बात है कि शाही नस्ल का यह कुत्ता तेज़ी से खत्म होता जा रहा है। अगर इन्हें बचाने के लिए जी-तोड़ मेहनत और कोशिश न की जाए तो वो दिन दूर नहीं जब जल्द ही यह नस्ल जड़ से खत्म हो जाएगी।” क्योंकि उस समय ये इतने कम दिखते थे कि जिन लोगों के पास भी वुल्फहाउंड था, वे यही दावा करते थे कि जो उनके पास है, “बस आखरी बचा है।” मगर वुल्फहाउंड खत्म नहीं हुए।
जॉर्ज ए. ग्रेहम जैसे लोगों की “जी-तोड़ मेहनत और कोशिश” से ही ये बच पाए हैं। सन् १८६२ में जब उसने देखा कि ये नस्ल खत्म होती जा रही है तो उसने बचे हुए वुल्फहाउंड को ढूँढ़कर इकट्ठा किया और उनका प्रजनन किया। इस तरह उसने इस नस्ल को एक नई ज़िंदगी दी और आज ये आयरलॆंड में सुरक्षित पाए जाते हैं। सन् १८९३ में एक इतिहासकार ने कहा कि अगर उसने यह कोशिश न की होती तो “अब तक नुकीले दाँतोंवाला, दिलेर जाति का यह कुत्ता इस दुनिया से गायब ही हो जाता।”
फीलस गार्डनर जो वुल्फहाउंड को बेहद पसंद करती थी, उसने भी आइरिश वुल्फहाउंड का प्रजनन किया था, उसने लिखा: “सच है कि दुनिया में किसी बात का कोई भरोसा नहीं होता लेकिन अगर कुदरत बुरा खेल न खेले तो इस शाही नस्ल का भविष्य बहुत ही शानदार नज़र आता है। इन्हें फिर से नई ज़िंदगी मिली है। और आज भी इन्हें पसंद किया जाता है और हर ज़ुबान पर इनकी चर्चा है।”
[पेज 17 पर तसवीर]
लगभग एक महीने के वुल्फहाउंड के बच्चे
[पेज 17 पर तसवीर]
उत्तरी आयरलॆंड के न्युटाउनाड्र्स में शांत और भोला वुल्फहाउंड