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सजग होइए!–1999
g99 12/8 पेज 18-19

टाग्वा बीज—हाथियों का रखवाला?

इक्वेडोर के सजग होइए! संवाददाता द्वारा

पहली नज़र में देखने पर आपको इन दोनों में ज़मीन-आसमान का फरक नज़र आएगा। क्योंकि इनमें से एक का वज़न तो बस चंद ग्राम ही है, मगर दूसरे का वज़न कई टन है। एक वनस्पति है, तो दूसरा जानवर है। ये दोनों अलग-अलग महाद्वीपों के हैं। मगर फिर भी, दक्षिण अमरीका का यह नन्हा टाग्वा बीज, अफ्रीका के प्रतापी हाथी की जान बचा सकता है जिन्हें लोग बड़ी तादाद में मार रहे हैं। आखिर यह टाग्वा बीज है क्या और यह हाथियों का दोस्त कैसे बन गया?

एक अनोखा ताड़ का पेड़

टाग्वा बीज एक खास किस्म के ताड़ के पेड़ का बीज है जो ज़्यादातर उत्तरी दक्षिण अमरीका में पाया जाता है। यह पेड़ धीरे-धीरे बढ़ता है और इसके बड़े-बड़े खूबसूरत पत्ते, खजूर के पत्तों की तरह होते हैं और ये ज़मीन से सीधे ऊपर उगते हैं। इसका तना निकलने में कई साल लग जाते हैं। जिस टाग्वा पेड़ का तना दो मीटर ऊँचा हो चुका हो, वह कम-से-कम ३५ से ४० साल का होता है। इन पेड़ों की पत्तियों की नोक के ठीक नीचे, बड़े-बड़े रेशेदार गुच्छे उगने लगते हैं। इन गुच्छों का वज़न आम तौर पर करीब १० किलो होता है और इनमें ठसाठस भरे हुए और काफी पास-पास सख्त फल पाए जाते हैं। आम तौर पर हर फल में चार से नौ बीज होते हैं, जिनके आकार लगभग मुर्गी के अंडों के बराबर होते हैं। पहले चरण में बीजों के अंदर की खाली जगह में प्यास बुझानेवाले नारियल पानी के जैसा कोई द्रव होता है। दूसरे चरण में, यह द्रव जमकर ऐसा मीठा जॆलेटिन बन जाता है जिसे खाया भी जा सकता है। फिर तीसरे और आखरी चरण में, यह जॆलेटिन एक सख्त, सफेद पदार्थ बन जाता है जो एकदम हाथी-दाँत की तरह दिखता है।

यह हाथी का दोस्त क्यों है?

हाथी-दाँत के बदले में टाग्वा बीज इस्तेमाल किया जा सकता है, इसीलिए इस बीज को हाथी का दोस्त कहा जा सकता है। हाथियों के दाँत पाने के लिए हाथियों को मारना गैरकानूनी है, मगर फिर भी इनका बहुत ही बेरहमी से शिकार किया जाता है, जिसकी वज़ह से अफ्रीकी हाथी खत्म होते जा रहे हैं। मगर टाग्वा बीज हाथी-दाँत की तरह ही कारगर है क्योंकि इसके अंदर का पदार्थ बिलकुल हाथी-दाँत जैसा होता है। यह बहुत ही सख्त होता है, इसे पॉलिश करके बहुत ही चिकना किया जा सकता है और यह आसानी से रंगों को सोखता है। टाग्वा और हाथी-दाँत इतने मिलते-जुलते हैं कि कारीगर अकसर टाग्वा बीज से बनी चीज़ों पर भूरे रंग का थोड़ा-सा खोल छोड़ देते हैं ताकि वे यह साबित कर सकें कि उन्होंने हाथी-दाँत से नहीं बल्कि टाग्वा बीज से निकले पदार्थ से ही ये चीज़ें बनायी हैं, क्योंकि आज हाथी-दाँत पर पूरी दुनिया में प्रतिबंध लगा है।

टाग्वा बीज से पाए जानेवाले हाथी-दाँत जैसा पदार्थ कोई नयी या हाल की खोज नहीं है। इतिहास के पन्‍नों को पलटने पर हम देखते हैं कि सन्‌ १७५० में, दक्षिण अमरीका के पादरी क्वॉन दे सान्ता गॆरट्रूडिस ने अपनी किताबों में टाग्वा बीजों का ज़िक्र किया था और उसने इनकी तुलना “कंचों” से की जिन्हें छोटी-छोटी मूर्तियाँ तराशने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। सन्‌ १९०० के शुरुआती सालों तक, इक्वेडोर देश, जहाँ टाग्वा बीज सबसे ज़्यादा पाए जाते हैं, हर साल हज़ारों टनों के हिसाब से इन बीजों का निर्यात करता था जिनसे खासकर बटन बनाए जाते थे। दूसरे विश्‍वयुद्ध के बाद, नए और सस्ते प्लास्टिक का आविष्कार हुआ जिसकी वज़ह से टाग्वा बीजों का धंधा ठप्प पड़ गया। टाग्वा बीज से पाए जानेवाले हाथी-दाँत जैसे पदार्थ का इस्तेमाल हाल ही में फिर से शुरू हुआ है, यह इस बात से पता चलता है कि हाल के १८ महीनों के दौरान, इक्वेडोर ने १,६५० टन टाग्वा बीज जर्मनी, इटली, जापान, अमरीका और १८ अन्य देशों को निर्यात किए।a टाग्वा बीज कौन-कौन सी प्रक्रियाओं से गुज़रता है और इसे आज कैसे इस्तेमाल किया जाता है?

टाग्वा एक, फायदे अनेक

टाग्वा के बीजों को, उनकी पानी की मात्रा के मुताबिक, एक से तीन महीने के लिए कड़ी धूप में सुखाया जाता है। इसके बाद, उनके छिलकों को मशीन से उतारा जाता है, उन्हें आकार के अनुसार छाँटा जाता है, और बटन बनाने के लिए उन्हें फाँकों में काटा जाता है। वाकई, टाग्वा के “हाथी-दाँत” से बननेवाले बटन, दुनिया की सबसे अच्छी क्वालिटी के परिधानों की शोभा में चार चाँद लगा देते हैं। लेकिन, इनको सिर्फ बटन बनाने के लिए ही इस्तेमाल नहीं किया जाता बल्कि इनसे आभूषण, शतरंज की गोटियाँ, हवा फूँककर बजाए जानेवाले बाजों की कँपिका, पियानो के कीज़, और छातों के हैंडिल जैसी अलग-अलग चीज़ें भी बनायी जाती हैं।

मगर टाग्वा बीज के साथ-साथ इसके पेड़ से भी कई फायदे मिलते हैं। सारी प्रक्रियाओं से पार होने के बाद इसका जो महीन पाउडर रह जाता है, उसे जानवरों के भोजन को ज़्यादा पौष्टिक बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसे कोयला बनाने के लिए जलानेवाले पदार्थ के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। इस ताड़ के पेड़ की पत्तियों से पानी आर-पार नहीं जाता, इसलिए इनसे अच्छी छत बनायी जा सकती हैं। और तो और, इसकी कटाई करने और इन्हें तैयार करने, साथ ही टाग्वा के निर्यात करने के काम की वज़ह से कई लोगों को रोज़ी-रोटी मिलती है।

सबसे बढ़कर, अफ्रीकी हाथी को बचाने में टाग्वा पेड़ से मिलनेवाले इस हाथी-दाँत जैसे पदार्थ का बड़ा हाथ है। सो, अगर आप हाथी-दाँत से बनी कोई चीज़ चाहते हैं तो आपको अफ्रीका के सवाना मैदानों की ओर ताकने की ज़रूरत नहीं है। आप सिर्फ दक्षिण अमरीका के वर्षा-प्रचुर जंगलों की कल्पना कर सकते हैं जहाँ हाथी-दाँत इतनी ज़्यादा मात्रा में मिलते हैं कि ये आपको पेड़ से लटकते हुए नज़र आएँगे! जी हाँ, टाग्वा बीज ही हाथियों का जिगरी दोस्त है।

[फुटनोट]

a जनवरी १, १९९४ और जून १५, १९९५ के दौरान।

[पेज 18, 19 पर तसवीरें]

१.टाग्वा ताड़ का पेड़

२.टाग्वा फलों के गुच्छे

३.आड़ा-तिरछा कटा हुआ फल जिससे टाग्वा बीज दिख रहे हैं

४.टाग्वा बीज को सख्त करने के लिए सुखाया जा रहा है

५.टाग्वा से बने बटन

६.मदर-ऑफ-पर्ल से जड़ित टाग्वा से बने आभूषण

७.टाग्वा से बनी छोटी-छोटी आकृतियाँ

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