उड़ान की दुनिया में पहला कदम उठानेवाले जाँबाज़
“अप्रैल ८, १९९९ के सजग होइए! में उड़ान के विषय पर लेख दिया गया था। यह मुझे बेहद पसंद आया क्योंकि मैं खुद एक पायलट हूँ। मगर मैं यह जानना चाहता हूँ कि उसमें ऑल्बर्टू सैंटोस-डुमोन्ट के बारे में क्यों कुछ नहीं लिखा गया जबकि वह भी उड़ान की दुनिया में पहला कदम उठानेवाला एक जाँबाज़ था।”—C. B., अमरीका।
अप्रैल ८, १९९९ की सजग होइए! के मुख्य पृष्ठ का विषय था, “हवाई सफर—इसकी शुरूआत कैसे हुई? यह कितना सुरक्षित है?” इस लेख में यह जानकारी दी गई थी कि किन जाँबाज़ों ने बड़े जोश के साथ, कब और कैसे हवाई सफर के लिए पहला कदम उठाया। हालाँकि इसमें अमरीका के रहनेवाले ऑरविल और विलबर राइट की सफलताओं पर ज़्यादा रोशनी डाली गई थी, मगर इस सदी की शुरूआत में सिर्फ इन्हीं दो भाइयों ने विमान नहीं चलाया बल्कि उड़ान की दुनिया में जोशो-खरोश के साथ पहला कदम उठानेवाले कुछ और जाँबाज़ भी थे। आइये इन पर गौर करें।
• ऑल्बर्टू सैंटोस-डुमोन्ट २० जुलाई सन् १८७३ में ब्राज़ील के मीनास गेराइस शहर में पैदा हुआ था। जब वह किशोर था तब उसका परिवार पॆरिस चला आया। वहाँ पर सैंटोस-डुमोन्ट ने भौतिकशास्त्र, रसायनशास्त्र मकैनिक्स और इलैक्ट्रिसिटी के विषयों में पढ़ाई की। मगर आसमान में उड़ना उसकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी ख्वाहिश थी। और १८९८ और १९०५ के बीच उसने ११ डरजीबल्स (विशाल गुब्बारा यान) बनाए और उड़ान भरी।
अक्तूबर १९०६ में आखिरकार सैंटोस-डुमोन्ट का विमान में उड़ने का सपना साकार हुआ। शुरू में जब ग्लाइडरों से उड़ान भरी जाती थी, तो उसे उड़ाने के लिए कैटापल्ट की ज़रूरत पड़ती थी क्योंकि ग्लाइडरों में इंजिन नहीं होते थे। मगर सैंटोस-डुमोन्ट के 14-bis विमान में ऐसा इंजिन था जिससे की विमान खुद ही उड़ सकता था। यूरोप में, सैंटोस-डुमोन्ट का यह 14-bis मोटर-पॉवरवाला विमान ऐसा पहला विमान माना जाता था, जो ६० मीटर तक सफलता से आसमान में उड़ सकता था।
अगले साल सैंटोस-डुमोन्ट ने देखा कि उसका बनाया हुआ विमान ही लोगों की जान का दुश्मन हो गया है तो वह बेहद दुःखी हुआ। माना जाता है कि युद्धों में विमानों के गलत इस्तेमाल की वज़ह से वह इतना हताश हुआ कि १९३२ में उसने आत्महत्या कर ली। चाहे जो भी हो, मगर सैंटोस-डुमोन्ट ने उड़ान के क्षेत्र में अपना एक इतिहास बनाया है।
• गुस्टॉव वाइटहैड जनवरी १, सन् १८७४ में जर्मनी के लॉइटरशाहुज़ेन शहर में पैदा हुआ था। उसे आसमान में उड़ने की ऐसी धुन सवार थी कि उसके स्कूल के दोस्तों ने उसका नाम ही उड़ाकू रख दिया था। मगर १३ साल की उम्र में ही वह अनाथ हो गया। इसके बाद वह कई जगहों में गया, फिर भी उड़ने की चाहत उसके दिल से नहीं गई। जवानी के दिनों में, गुस्टॉव ने कुछ समय के लिए जर्मनी के जाने-माने उड़ान-विज्ञानी ऑटो लिलयनतॉल से ट्रेनिंग ली। और १८९४ में वह अमरीका जाकर बस गया।
जैसा कि अप्रैल ८ की सजग होइए! में बताया गया था, कुछ लोगों का दावा है कि वाइटहैड ने ही १९०१ में कंट्रोल करनेवाला और कुछ देर तक उड़ते रहनेवाला सबसे पहला विमान बनाया। लेकिन इस दावे को सच साबित करने के लिये उसकी कोई फोटो नहीं है। और इसमें आश्चर्य की बात भी नहीं, क्योंकि जब राइट भाइयों ने उड़ान भरी थी तो उड़ान के क्षेत्र में हुई इस शानदार तरक्की की अहमियत प्रेसवाले तुरंत नहीं समझ पाए थे। एअर एन्थुसीआस्ट पत्रिका कहती है कि “१९१० के बाद जाकर ही लोगों की दिलचस्पी इस ‘नई टॆक्नोलॉजी’ में बढ़ी और लोग यह मानने लगे कि मनुष्यों के लिए उड़ना संभव है।”
• सेमुएल पीयरपॉन्ट लैंग्ली वॉशिंगटन, डी.सी. में स्मिथसोनियन इंस्टिट्यूट का सैक्रेटरी था और वह एक खगोलशास्त्री और भौतिकविज्ञानी भी था। सन् १८९६ में उसने भाप-शक्ति से उड़नेवाला एक विमान बनाया। यह विमान बिना पायलट के लगभग १ किलोमीटर उड़ पाया था कि बीच में ही उसका इंधन खत्म हो गया।
लेकिन भाप-शक्ति से उड़नेवाले विमान बहुत भारी होते थे इसलिए इनको उड़ाना मुश्किल होता था। सो लैंग्ली के सहयोगी चार्ल्स एम. मैन्ली ने १२५ पौंड, ५३ हॉर्सपावरवाला एक इंजिन बनाया जो उससे बेहतर था। यह विमान वाकई आसानी से उड़ सकता था जिसका नाम लैंग्ली ने एरोड्रोम रखा। अक्तूबर ७, १९०३ में, कैटापल्ट के ज़रिए लैंग्ली का विमान एक जहाज़ से लाँच किया गया जिसका पायलट मैन्ली था। लेकिन यह विमान पोटोमॆक समुद्र में जाकर गिर पड़ा। दो महीने बाद फिर से कोशिश की गई मगर यह कोशिश भी नाकाम रही। आखिरकार लैंग्ली ने हारकर विमान बनाने का इरादा ही छोड़ दिया।
नाकाम होने के बावजूद उड़ान के क्षेत्र में लैंग्ली की खोज-बीन से काफी मदद मिली थी जिससे आगे जाकर इस क्षेत्र में सफलता मिली। इसलिए वर्ष १९१४ में, उसके मरने के आठ साल बाद एरोड्रोम में कई परिवर्तन किए गए जिससे बाद में न्यू यॉर्क शहर के हैम्मोन्डस्पोर्ट में ग्लैन एच. कर्टीस ने एक कामयाब उड़ान भरी।
इस २०वीं सदी की शुरूआत में कई जाँबाज़ों ने जोश के साथ उड़ान की दुनिया में पहला कदम उठाया था जिनमें से यहाँ सिर्फ चंद लोगों के बारे में ही ज़िक्र किया गया है। आज अलग-अलग आकारों के सैकड़ों हज़ारों विमान बनाये जाते हैं और ये आसमान में उड़कर उसकी सुन्दरता बढ़ाते हैं। जब हम इन विमानों को आसमान में सफलतापूर्वक उड़ते हुए देखते है, तो बेशक हमें इनका श्रेय हवाई सफर के लिए पहला कदम उठानेवाले जाँबाज़ों को ही देना चाहिये।
[पेज 20 पर तसवीरें]
ऑल्बर्टू सैंटोस-डुमोन्ट और उसका “14-bis” विमान
[चित्रों का श्रेय]
Culver Pictures
North Wind Picture Archives
[पेज 21 पर तसवीरें]
गुस्टॉव वाइटहैड और उसके विमान का डुप्लीकेट
[चित्र का श्रेय]
Flughistorische Forschungsgemeinschaft Gustav Weisskopf
[पेज 21 पर तसवीरें]
सेमुएल पी. लैंग्ली और उसका “एरोड्रोम”
[चित्रों का श्रेय]
Dictionary of American Portraits/Dover
U.S. National Archives photo