हवाई जहाज़ कितने सुरक्षित हैं?
दुनिया में हर साल करीब पाँच लाख लोग सड़कों पर जान गँवाते हैं। दूसरी ओर, १९९६ में विमान दुर्घटनाओं के कारण मरनेवालों की संख्या १,९४५ थी। और १९९७ में यह संख्या घटकर १,२२६ हो गयी थी। बोइंग कंपनी द्वारा एकत्रित आँकड़े दिखाते हैं कि “व्यावसायिक विमान प्रति दस लाख उड़ानों में से दो से भी कम उड़ानों में दुर्घटना ग्रस्त होते हैं।”
तो भी, हर विमान दुर्घटना को सुर्खियों में डाला जाता है जबकि हर दिन सड़क पर होनेवाली दुर्घटनाओं को आम बात समझा जाता है। अमरीका में सिर्फ बस के सफर को हवाई सफर से थोड़ा ज़्यादा सुरक्षित माना जाता है।
विमान आम तौर पर कार से ज़्यादा सुरक्षित क्यों होते हैं? एक स्पष्ट कारण यह है कि आम तौर पर विमान बहुत पास-पास नहीं उड़ते जबकि गाड़ियों के साथ ऐसा नहीं होता। दूसरा कारण है कि अधिकतर विमानकर्मियों को अच्छा प्रशिक्षण मिला होता है और वे अपनी ज़िम्मेदारियों को बहुत पेशेवर ढंग से निभाते हैं। बोइंग 747 विमान का कप्तान आम तौर पर ५० साल पार कर चुका होता है और उसे विमान उड़ाने में करीब ३० साल का अनुभव होता है। सभी विमानकर्मी सुरक्षा को सबसे ज़्यादा महत्त्व देते हैं। आखिरकार, उनकी अपनी जान भी तो जोखिम में होती है।
विमान के चालक-कक्ष में सुरक्षा
यदि आप किसी यात्री विमान के चालक-कक्ष के अंदर झाँकें तो आपको दिखेगा कि सभी मुख्य उपकरणों और नियंत्रण यंत्रों के दो सॆट हैं—एक सॆट बायीं ओर कप्तान के लिए है और दूसरा सॆट दायीं ओर सह-चालक के लिए।a दी एअर ट्रैवलर्स हैंडबुक कहती है कि इस प्रकार “यदि किसी कारणवश एक पायलॆट बेहोश हो जाए तो दूसरे पायलॆट के पास विमान को सुरक्षित ढंग से उड़ाने के लिए सभी नियंत्रण यंत्र होते हैं। विमान उड़ाते समय दोनों पायलॆट एक-दूसरे के उपकरण देख सकते हैं और यह निश्चित कर सकते हैं कि दोनों सॆट एकसमान संकेत दे रहे हैं या नहीं।”
चालक-कक्ष में एक और सुरक्षा उपाय किया जाता है और वह यह है कि कप्तान और सह-चालक को आम तौर पर एक-सा भोजन नहीं दिया जाता। ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए कि यदि भोजन में कुछ गड़बड़ी हो तो उनमें से सिर्फ एक की तबियत खराब होगी।
यह निश्चित करने के लिए कि पल्ले, पहिये और ब्रेक जैसे अंदर-बाहर होनेवाले हिस्से अवश्य ही काम करें, “विमानों में आम तौर पर दो या उससे भी ज़्यादा हाइड्रॉलिक सिस्टम होते हैं कि यदि एक काम न करे तो दूसरा करेगा।” अधिकतर आधुनिक विमानों में आम तौर पर सुरक्षा उपाय के रूप में एक सिस्टम के दो या तीन सॆट की माँग की जाती है।
आप क्या कर सकते हैं?
यहाँ कुछ सरल उपाय बताये गये हैं जो सभी यात्री कर सकते हैं: आपात स्थितियों के लिए निर्देश कार्ड पढ़िए और हर उड़ान की शुरूआत में जब विमान परिचारक सुरक्षा के तरीके बताते हैं तो ध्यान से सुनिए। जब आप अपनी सीट पर बैठते हैं तो यह देख लीजिए कि वहाँ से सबसे पासवाला निकास द्वार कहाँ है। और आपात स्थिति होने पर विमान परिचारकों के निर्देशों का पालन कीजिए। यदि कोई कठिन स्थिति आये तो उसे कैसे सँभालना है इसके लिए उन्हें अच्छी तरह प्रशिक्षित किया गया होता है। जब निर्देश दिये जाते हैं तो यह अत्यावश्यक है कि यात्री फुरती से काम करें और अपने सामान को भूल जाएँ। सामान से ज़्यादा कीमती है जान।
आधुनिक विमान आम तौर पर इतनी ऊँचाई पर उड़ते हैं कि उन पर मौसम का असर नहीं होता, सो अधिकतर लंबी दूरी की उड़ानें काफी आरामदेह होती हैं। इस कारण हवाई सफर करते समय बहुत कम लोगों की तबियत खराब होती है। और यदि लगता है कि कोई गड़बड़ी होनेवाली है तो कप्तान यात्रियों को सलाह देता है कि एहतियात के तौर पर अपनी सीट बॆल्ट ज़रूर बाँध लें।
क्या हवाई सफर को ज़्यादा सुरक्षित बनाया जा सकता है? इसका जवाब है, जी हाँ। लेकिन इसके लिए जो बदलाव ज़रूरी है उसे अधिकतर यात्री पसंद नहीं करेंगे। कैसा बदलाव? यह कि यात्री आगे की बजाय पीछे मुँह करके बैठें! इससे क्या फायदा होगा? जब अचानक झटका लगता है तब यात्रियों को सीट की टेक से सहारा मिलेगा। विमान की सीट बॆल्ट से पूरी सुरक्षा नहीं मिलती। इसकी तुलना में तो अधिकतर कारों की सीट बॆल्ट ज़्यादा सुरक्षा प्रदान करती है जो कमर के साथ-साथ छाती पर भी बँधी होती है। लेकिन लोग यह देखना ज़्यादा पसंद करते हैं कि वे कहाँ जा रहे हैं बजाय इसके कि वे कहाँ से गुज़र चुके हैं!
हवाई सफर से डर लगता है?
यह अनुमान है कि अमरीका में प्रति ६ में से १ वयस्क को हवाई सफर से डर लगता है। कुछ लोगों को तो डर ही नहीं दहशत है। डर के मारे वे कभी-कभी अजीब प्रतिक्रियाएँ करते हैं। कौन-सी बात उनकी मदद कर सकती है?
जानकारी लेने से चिंता दूर की जा सकती है। हर साल दुनिया भर में करीब १५,००० विमान लगभग १०,००० हवाई अड्डों पर सेवा करते हैं और १.२ अरब से ज़्यादा लोगों को बिना खास परेशानी के सही-सलामत उनकी मंज़िल तक पहुँचाते हैं। “लंदन की लॉइड [बीमा कंपनी] कहती है कि कार की तुलना में हवाई सफर २५ गुना ज़्यादा सुरक्षित है।”
यदि आपको हवाई सफर के नाम से डर लगता है तो हवाई सफर, हवाई जहाज़ों और पायलॆट प्रशिक्षण के बारे में पुस्तकें पढ़िए। पायलॆटों को जिस ऊँचे दर्जे का प्रशिक्षण दिया जाता है और उन्हें जिन नियमों का पालन करना पड़ता है, जैसे उन्हें कितने घंटे नींद लेनी चाहिए, वे उड़ान भरने से कितने समय पहले शराब पी सकते हैं और कभी-भी उनकी जाँच की जा सकती है कि उन्होंने कोई ड्रग तो नहीं ली, इस सब के बारे में पढ़िए। साथ ही साल में दो बार फ्लाइट सिम्युलेटर में पायलॆटों की परीक्षा होती है और यह देखा जाता है कि आपात स्थितियों में वे कैसी प्रतिक्रिया दिखाएँगे। उन्हें इस परीक्षा में पास होना पड़ता है। इन सिम्युलेटरों में इतनी असली लगनेवाली स्थितियाँ होती हैं कि कुछ पायलॆट जब सिम्युलेटर से बाहर आते हैं तो “काँप रहे होते हैं और पसीने से लथपथ होते हैं।” यदि एक पायलॆट सिम्युलेटर परीक्षा में फेल हो जाता है तो व्यावसायिक विमान उड़ाने का उसका लाइसॆंस रद्द किया जा सकता है।
मोटर-गाड़ी चलानेवालों से इतने ऊँचे स्तरों की माँग नहीं की जाती। इसलिए, आप विमानों और विमान-चालकों के बारे में जितना ज़्यादा सीखेंगे उतना ही ज़्यादा आपका भरोसा बढ़ सकता है।
हवाई अड्डा देखकर आना भी सहायक हो सकता है। वहाँ जाकर देखिए कि यात्रियों से क्या अपेक्षा की जाती है और लोग कैसी प्रतिक्रिया दिखा रहे हैं। आप देखेंगे कि अधिकतर लोग विमान से ऐसे उतरते हैं मानो बस से उतर रहे हों। उनके लिए हवाई सफर आम बात है। विमान को उड़ान भरते और उतरते हुए देखिए। वायुगतिकी (एअरोडाइनैमिक्स) के वैज्ञानिक सिद्धांतों को समझिए और सराहिए जो हवाई सफर को संभव और सुरक्षित बनाते हैं।
और फिर जब आप पहली बार हवाई सफर करते हैं तो विमान परिचारक को बताइए कि विमान में यह आपका पहला अनुभव है सो आपको थोड़ी घबराहट हो सकती है। इन पेशेवर लोगों को पता होता है कि आपकी चिंता कैसे दूर करें और आपको कैसे भरोसा दिलाएँ कि आपकी सुरक्षित उड़ान के लिए सभी एहतियात बरते जा रहे हैं। शांत रहने की कोशिश कीजिए। जब कप्तान कहता है कि अब विमान में चला-फिरा जा सकता है तो उठकर कैबिन में थोड़ा टहल लीजिए। हवाई सफर के बारे में आपका डर धीरे-धीरे दूर हो रहा होगा!
[फुटनोट]
a अधिकतर विमानों में कप्तान आपको उस समय चालक-कक्ष के अंदर देखने की अनुमति दे देगा जब विमान खड़ा हुआ है। वह आपके प्रश्नों के उत्तर भी देगा।
[पेज 11 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
“लंदन की लॉइड [बीमा कंपनी] कहती है कि कार की तुलना में हवाई सफर २५ गुना ज़्यादा सुरक्षित है”
[पेज 12 पर तसवीर]
शांत रहना सीख लें तो हवाई सफर सुहाना बन सकता है
[पेज 10 पर चित्र का श्रेय]
Photograph courtesy of Boeing Aircraft Company