धन-दौलत से बढ़कर आशीषें
अमरीका में रहनेवाला जॉन एक सलाहकार के तौर पर कामयाब ज़िंदगी जी रहा था। उसने जवानी में ही दुनिया की सैर की और खूब पैसा बटोरा। वह और उसकी पत्नी एक खूबसूरत घर में आराम परस्त ज़िंदगी गुज़ार रहे थे। देखनेवाले कहते, इन पर तो आशीषों की बौछार हुई है!
अब ज़रा कोस्टासaके मामले पर गौर कीजिए। यूरोप के एक नामी-गिरामी बैंक में नौकरी के लिए 5,000 लोगों ने अरज़ी दी थी। लेकिन उनमें से सिर्फ 80 लोगों को चुना गया, जिनमें वासीलिस भी एक था। कुछ ही सालों में वह तरक्की की बुलंदियाँ छूने लगा। आखिरकार उसे एक दूसरे बैंक के खास विभाग का अफसर बना दिया गया। लेकिन इसके बाद उसने खुद की कंपनी खोलने के इरादे से काम छोड़ दिया। फिर वह अपनी कंपनी में हर साल इतना पैसा कमाने लगा, जितना एक इंसान पूरी ज़िंदगी में नहीं कमा सकता। उसे लगा कि उस पर आशीषें बरसी हैं!
लेकिन फिर भी, दोनों का मानना है कि रुपए-पैसों से बढ़कर भी आशीषें होती हैं। मसलन, आज जॉन दूसरों को परमेश्वर के करीब लाने में एक बाइबल शिक्षक के तौर पर काम करता है। जॉन कहता है, “मैंने खुद अपने तजुरबे से देखा है कि रुपए-पैसे से खुशी नहीं मिलती। पैसा कमाने और उसे सँभालने की जद्दोजेहद में इतना समय चला जाता है कि दूसरी बातों के लिए वक्त ही नहीं रहता। दूसरी तरफ, बाइबल सिद्धांत के मुताबिक जीने से ढेरों आशीषें मिलती हैं, जैसे कि मन की शांति, शुद्ध विवेक और खुशियों भरी शादीशुदा ज़िंदगी।”
कोस्टास भी कुछ ऐसा ही कहता है: “परमेश्वर नहीं चाहता कि हम दिन-रात पैसे में डूबे रहें और खूब ऐश करें। मुझे तो यही लगता है कि जब परमेश्वर हमारी रोज़मर्रा की ज़रूरत से ज़्यादा हमें देता है, तो हमारा फर्ज़ बनता है कि हम उसे परमेश्वर की सेवा में लगाएँ।” हाल ही में कोस्टास और उसके परिवार ने नयी भाषा सीखनी शुरू की, ताकि वे और ज़्यादा लोगों को बाइबल सिद्धांत सिखा सकें। वह कहता है: “हमने सीखा है कि लेने से ज़्यादा देने में खुशी मिलती है।”—प्रेरितों 20:35.
इसमें कोई दो राय नहीं कि जॉन और कोस्टास दोनों ने समझ लिया कि आध्यात्मिक आशीषें, रुपए-पैसों से कहीं बढ़कर हैं। हारवर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डेनियल गिलबर्ट कहते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने “पैसे और खुशी के बीच क्या रिश्ता है, इस पर कई सदियों तक अध्ययन किया। अकसर वे इस नतीजे पर पहुँचे हैं कि धन-दौलत सिर्फ तब तक एक इंसान की खुशी बढ़ाती है, जब तक कि वह गरीबी या मध्यम-वर्ग की रेखा से ऊपर नहीं उठता।” वह आगे कहते हैं: “इसके बाद उसकी खुशी में कोई इज़ाफा नहीं होता।”
ठोकर खाकर सीखना
एक समझदार व्यक्ति ने गौर फरमाया कि “एक इंसान जब गरीबी की रेखा पार कर लेता है, तो उसके बाद उसकी आमदनी चाहे कितनी भी बढ़ जाए, उसका दिली खुशी से कोई ताल्लुक नहीं रहता।” बीसवीं सदी के शुरूआती सालों में एक रिपोर्टर ने यह बात उस वक्त बखूबी समझी, जब उसने इस्पात कारखाने के विकास में अहम भूमिका अदा करनेवाले और उस ज़माने के सबसे रईस इंसान, एनड्रू कार्नेजी का इंटरव्यू लिया। कार्नेजी ने उससे कहा: “लोग मुझसे क्यों जलें? मैं साठ साल का हो गया हूँ, मैं अपना खाना तक नहीं पचा सकता। सारी धन-दौलत लुटाकर भी मैं अपनी जवानी और सेहत दोबारा नहीं खरीद सकता। पैसा मेरे किस काम का?”
फिर रिपोर्टर ने कहा: “श्रीमान कार्नेजी अचानक घूमे और गहरी साँस लेकर बहुत ही भारी और कड़वी आवाज़ में बोले, ‘अगर मुझे फिर से अपनी ज़िंदगी शुरू करने का मौका मिले, तो मैं उसके लिए अपना सबकुछ खुशी-खुशी न्यौछावर कर सकता हूँ।’” आगे चलकर तेल उद्योग के एक अरबपति जे. पॉल गैटी ने भी कुछ ऐसी ही बात कही: “ज़रूरी नहीं कि पैसे का खुशी के साथ कोई नाता हो। हाँ, दुख के साथ ज़रूर हो सकता है।”
इन बातों के मद्देनज़र, आप बाइबल के लेखक से सहमत हो सकते हैं, जिसने बिनती की: “मुझे न तो निर्धन कर और न धनी बना; प्रति दिन की रोटी मुझे खिलाया कर। ऐसा न हो, कि जब मेरा पेट भर जाए, तब मैं इन्कार करके कहूं कि यहोवा कौन है? वा अपना भाग खोकर चोरी करूं, और अपने परमेश्वर का नाम अनुचित रीति से लूं।”—नीतिवचन 30:8,9.
प्राचीन इसराएल के राजा सुलैमान ने बताया: “इस प्रकार मैं अपने से पहिले के सब यरूशलेमवासियों से अधिक महान और धनाढ्य [यानी धनी] हो गया।” लेकिन फिर उसने कहा: “सब कुछ व्यर्थ और वायु को पकड़ना है।” उसने यह भी कहा: “धन यहोवा की आशीष ही से मिलता है, और वह उसके साथ दुःख नहीं मिलाता।”—सभोपदेशक 2:9-11; 5:12,13; नीतिवचन 10:22.
राह जो हमेशा की आशीषों की ओर ले जाए
हमें सच्ची और हमेशा कायम रहनेवाली खुशी तभी मिल सकती है, जब हम अपनी आध्यात्मिक ज़रूरतें पूरी करें। अगर हम अपनी ज़िंदगी में परमेश्वर को पहली जगह दें और उसकी मरज़ी के मुताबिक जीएँ, तो इससे हमारी ज़िंदगी ज़्यादा कामयाब होगी और हमारा दामन खुशियों से भर जाएगा।
शुक्र है कि आनेवाले समय में हमें पैसे की वजह से चिंता में नहीं जीना पड़ेगा। बाइबल हमें यकीन दिलाती है कि वह दिन दूर नहीं जब लालची और खून चूसनेवाली व्यापार व्यवस्था हमेशा के लिए खत्म कर दी जाएगी। (1 यूहन्ना 2:15-17) इसके बाद परमेश्वर की नयी दुनिया कायम की जाएगी, जो उसके धर्मी सिद्धांतों पर चलेगी। पूरी धरती फिरदौस में तबदील हो जाएगी। बिलकुल उसी तरह जिस तरह परमेश्वर ने शुरू में चाहा था, जब उसने पहला जोड़ा बनाया था। वह हमारे लिए क्या ही आशीष होगी, जब पूरी धरती खुशी, शांति और प्यार से सराबोर हो जाएगी!—यशायाह 2:2-4; 2 पतरस 3:13; 1 यूहन्ना 4:8-11.
तब ज़िंदगी बेरंग और उबाऊ नहीं होगी। उस वक्त परमेश्वर फिरदौस बनी धरती पर इंसानों को हमेशा की ज़िंदगी देने का अपना मकसद पूरा करेगा। वह उन्हें आध्यात्मिक आशीषों के साथ-साथ दूसरी ढेरों आशीषों से भी नवाज़ेगा। खाने-पीने की कमी नहीं होगी, सबके पास अपना घर होगा और सच्ची खुशी देनेवाला काम भी। गरीबी का नामो-निशान मिटा दिया जाएगा।—भजन 72:16; यशायाह 65:21-23; मीका 4:4.
जो इंसान बाइबल में बताए परमेश्वर यहोवा पर सच्चे दिल से विश्वास करेगा, वह हरगिज़ निराश नहीं होगा। (रोमियों 10:11-13) तो यह कितनी बुद्धिमानी की बात होगी कि हम आज उससे मिलनेवाली आशीषें पाने की पुरज़ोर कोशिश करें, जो रुपए-पैसे से कहीं बढ़कर हैं!—1 तीमुथियुस 6:6-10. (g 3/09)
[फुटनोट]
a नाम बदल दिया गया है।
[पेज 8 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
अगर हम ज़िंदगी में परमेश्वर को पहली जगह दें, तो हम ज़्यादा कामयाब होंगे
[पेज 8 पर तसवीर]
ज़िंदगी में ज़्यादा खुशी तभी मिल सकती है, जब पैसे का समझदारी से इस्तेमाल किया जाए