बुज़ुर्गों के लिए एहतियाती कदम
एक लड़की बर्फ पर स्केटिंग कर रही है और अचानक फिसलकर गिर जाती है। लेकिन कुछ ही पलों में वह खड़ी हो जाती है। उसे चोट नहीं लगती, बस थोड़ी शर्मिंदा हो जाती है। वहीं दूसरी तरफ जब एक बुज़ुर्ग स्त्री अपने घर में गिर जाती है, तो उसके कूल्हे की हड्डी टूट जाती है। उसे ऑपरेशन करवाना पड़ता है और ठीक होने में महीनों लग जाते हैं। अब वह बहुत डरती है कि कहीं फिर न गिर पड़े। इसलिए अब वह ज़्यादा काम नहीं करती और कमज़ोर होती जाती है।
एक पश्चिमी देश में हर साल 65 साल से ज़्यादा उम्र के एक-तिहाई लोग गिर जाते हैं। सबसे ज़्यादा चिंता की बात यह है कि ज़्यादातर बुज़ुर्गों की मौत गिरने से होती है। इसलिए बाइबल उनके बारे में कहती है: “चढ़ाई वाले स्थानों से तुम डरने लगोगे। रास्तें की हर छोटी से छोटी वस्तु से तुम डरने लगोगे कि तुम कहीं उस पर लड़खड़ा न जाओ।”—सभोपदेशक 12:5, ईज़ी-टू-रीड वर्शन।
हालाँकि बुढ़ापे में कई बार इंसान का शरीर साथ नहीं देता है, लेकिन आप अपना खयाल रखने और ज़िंदगी को बेहतर बनाने के लिए कुछ कारगर कदम उठा सकते हैं। एक तो आप अपनी सेहत ठीक-ठाक बनाए रखने और तंदुरुस्त रहने की कोशिश कर सकते हैं। दूसरा, आप अपने घर को खुद के लिए और सुरक्षित बना सकते हैं।
अपनी सेहत और ताकत बनाए रखिए
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे हमारे शरीर के अंगों के बीच का तालमेल गड़बड़ाने लगता है और शायद हमारी आँखें कमज़ोर हो जाएँ और हमें अपना संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो। साथ ही माँस-पेशियों और हड्डियों के कमज़ोर होने से भी शरीर कमज़ोर होने लगता है। लेकिन अगर हम नियमित तौर पर शारीरिक काम करें और खाने की अच्छी आदतें डालें, तो हम बुढ़ापे की तकलीफों को कुछ समय के लिए टाल सकते हैं। नीटा नाम की एक डॉक्टर जो फिज़ियो थेरेपिस्ट है, कहती है “ऐसी कसरत करना ज़रूरी है जिससे आपको संतुलन बनाए रखने, चलने-फिरने या उठने-बैठने में आसानी हो और आपकी ताकत बढ़े।”
अमरीका के स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग के एक साहित्य में बताया गया था: “बुज़ुर्गों की सेहत और उनका दम-खम चाहे जैसा भी हो, शारीरिक तौर पर चुस्त रहना उनके लिए अच्छा है। भले ही आपको खड़े होने या चलने में दिक्कत हो, मगर आप हल्की-फुल्की कसरत कर सकते हैं जिससे आपको फायदा होगा। दरअसल, ज़्यादातर मामलों में कुछ ना करने से ज़्यादा तकलीफ होती है।”a इसके अलावा कसरत करने से दिल की बीमारी, जोड़ों के दर्द, ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों की कमज़ोरी) और निराशा से काफी हद तक निजात मिलती है। साथ ही इससे शरीर में खून का संचार और पाचन-क्रिया ठीक रहती है और अच्छी नींद आती है। आपका आत्म-विश्वास बढ़ता है और दिमागी तौर पर आप ज़्यादा सतर्क रह पाते हैं।
अगर आपको कसरत की आदत नहीं है, तो शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह-मशविरा करना अच्छा होगा। और अगर कसरत करते समय चक्कर आए या छाती में दर्द हो, तो अपने डॉक्टर को ज़रूर दिखाएँ। दरअसल बेहतर तो यही होगा कि आप तुरंत आपातकालीन (एमरजंसी) नंबर पर फोन करें। इन खतरनाक लक्षणों को नज़रअंदाज़ मत कीजिए! इसके अलावा यह सलाह भी दी जाती है कि आप साल में एक बार अपनी आँखों की जाँच ज़रूर कराएँ।
ऐसी चीज़ों का कम-से-कम सेवन कीजिए जिनमें विटामिन और खनिज पदार्थ नहीं होते, फिर चाहे वे पकाने में कितने ही आसान क्यों न हों। बुज़ुर्गों का भोजन तो खास तौर से ऐसा होना चाहिए जिसमें विटामिन-डी और कैल्सियम भरपूर मात्रा में हो, क्योंकि इनसे हड्डियाँ मज़बूत बनती हैं और वे तेज़ी से कमज़ोर नहीं होतीं। इसलिए अपने भोजन में साबुत अनाज, कम चिकनाईवाली दूध से बनी चीज़ें, ताज़े फल और सब्ज़ियाँ शामिल करने की कोशिश कीजिए। अपने खाने की आदतों में किसी भी तरह का बड़ा फेरबदल करने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछ लीजिए। आपकी सेहत को ध्यान में रखकर वह शायद बता पाए कि आपको क्या खाना चाहिए या किन चीज़ों से परहेज़ करना चाहिए।
इसके साथ ही भरपूर मात्रा में तरल पदार्थ लीजिए। बुज़ुर्गों के शरीर में पानी की कमी हो जाना बहुत आम है, खासकर उन लोगों में जो अकेले, नर्सिंग होम या वृद्धाश्रम में रहते हैं। अगर शरीर में पानी की कमी हो जाए, तो ठोकर खाकर गिरने, भूलने या उलझन में रहने, कब्ज़, त्वचा में ज़्यादा झुर्रियाँ होने, संक्रमण और यहाँ तक कि मौत की संभावना बढ़ जाती है।
अपने आशियाने को सुरक्षित बनाइए
ज़्यादातर गिरने के हादसे, घर में होते हैं। फिर भी, चंद कारगर सावधानियाँ बरतने से आप काफी हद तक इस खतरे को टाल सकते हैं। आगे दी बातों को पढ़ते वक्त अपने घर के बारे में सोचिए:
बाथरूम:
● फर्श ऐसा होना चाहिए जिस पर पानी गिरने से भी फिसलन न हो।
● नहाने के टब की अंदरूनी सतह चिकनी नहीं बल्कि मैट फिनिश होनी चाहिए ताकि पैर न फिसले। और अगर आप कुर्सी पर बैठकर नहाते हैं तो नल ऐसी जगह होना चाहिए, जहाँ आपका हाथ आसानी से पहुँच सके। हाथ से पकड़कर नहानेवाले फुहारे से भी आसानी से बैठकर नहाया जा सकता है।
● नहानेवाले टब में घुसते-निकलते या टॉयलेट जाते वक्त, अच्छा होगा कि वहाँ पकड़ने के लिए कुछ सहारा हो। इन्हें अच्छी तरह लगाया जाना चाहिए और ये मज़बूत होने चाहिए। साथ ही इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि टॉयलेट की सीट उतनी ऊँची हो ताकि उस पर आसानी से बैठा या खड़ा हुआ जा सके।
● नाइट-बल्ब जलाइए या पास में टॉर्च रखिए।
सीढ़ियाँ:
● सीढ़ियों पर सामान बिखरा नहीं होना चाहिए, उनकी हालत अच्छी होनी चाहिए और वहाँ अच्छी रौशनी होनी चाहिए।
● हो सके तो सीढ़ियों के दोनों तरफ रेलिंग होनी चाहिए, वे फिसलनदार नहीं होनी चाहिए और ऊपर और नीचे रौशनी के लिए स्विच होने चाहिए।
● सीढ़ी चढ़ने-उतरने के ज़रिए बुज़ुर्ग जन अपने पैरों को मज़बूत बनाए रख सकते हैं। अगर आपको अपना संतुलन बनाए रखने में दिक्कत होती है, तो सीढ़ियों पर अकेले मत चढ़िए-उतरिए।
सोने का कमरा:
● कमरे में इतनी जगह ज़रूर होनी चाहिए कि आप बिस्तर और दूसरे फर्नीचर के इर्द-गिर्द आराम से चल सकें।
● कमरे में एक कुर्सी रखिए ताकि आप बैठकर तैयार हो सकें।
● बिस्तर के पास एक लैम्प या टॉर्च रखिए।
रसोईघर:
● चूल्हा जहाँ रखा जाता है, उसे व्यवस्थित रखिए ताकि आप वहाँ सब्ज़ियाँ और दूसरी चीज़ें आसानी से रख सकें।
● रसोईघर का फर्श ऐसा होना चाहिए जिस पर फिसलन न हो और रौशनी पड़ने से आँखें चौंधियाएँ ना।
● सामान रखने के खाने ना तो बहुत ऊँचे हों और ना ही बहुत नीचे। उनकी ऊँचाई इतनी होनी चाहिए कि आप बिना किसी की मदद के चीज़ें निकाल सकें। कोशिश यही कीजिए कि सीढ़ी या स्टूल पर चढ़ने की नौबत न आए और कुर्सी पर तो भूलकर भी मत चढ़िए!
कुछ आम बातें:
● बाथरूम के रास्ते में या रात को आपको जिस रास्ते से जाना पड़ सकता है, वहाँ छोटी बत्ती लगाइए, ताकि वहाँ रौशनी रहे।
● रात में जिस वक्त आप आधी नींद में होते हैं या सतर्क नहीं होते, उस समय अच्छा होगा कि आप लाठी या वॉकर का इस्तेमाल करें।
● आपकी कुर्सियों में पहिए नहीं होने चाहिए, हत्थे होने चाहिए और ऊँचाई इतनी होनी चाहिए कि आप आराम से बैठ और खड़े हो सकें।
● अगर कालीन उधड़ गया है, या फर्श के टाइल निकल गए हैं, या फर्श बीच-बीच में से टूट गया है तो तुरंत बदल दीजिए या ठीक करा लीजिए, नहीं तो आप ठोकर खाकर गिर सकते हैं। ध्यान दीजिए कि बिजली के तार यहाँ-वहाँ न बिखरे हों, सारे तार दीवार के किनारों से लगे होने चाहिए।
● छोटे-छोटे कालीनों में आपका पैर अटक सकता है और आप गिर सकते हैं इसलिए इन्हें नहीं बिछाना चाहिए। अगर कालीन चिकने फर्श जैसे टाइल्स या लकड़ी के फर्श पर बिछे हों, तो कालीन के नीचे का हिस्सा ऐसा होना चाहिए कि वह इधर-उधर ना खिसके।
● ढीली या पुरानी चप्पल मत पहनिए। चप्पल पीछे से बंद होनी चाहिए और उनके तले घिसे हुए नहीं होने चाहिए वरना आप फिसल सकते हैं। ऊँची एड़ी के जूते या सैंडल मत पहनिए।
● कुछ दवाइयाँ लेने से लोगों को चक्कर आता है या उनके हाथ-पैर ढीले पड़ जाते हैं। अगर आपको भी दवाई लेने के बाद ऐसा लगता है, तो अपने डॉक्टर को ज़रूर बताइए। शायद डॉक्टर दवाई बदल दे या उसकी खुराक कम कर दे।
यहाँ दी गयी बातों में से अगर आप कोई चीज़ खुद नहीं कर सकते, तो क्यों ना आप परिवार के सदस्यों, दोस्तों या फिर उन लोगों की मदद लें जिन पर आपके मकान की देखभाल करने की ज़िम्मेदारी है? इन कामों को बिलकुल मत टालिए।
दूसरे क्या कर सकते हैं
अगर आपके माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी या दोस्त बूढ़े हो गए हैं, तो आप उनकी मदद कैसे कर सकते हैं ताकि उन्हें किसी तरह की चोट न पहुँचे? एक काम जो आप कर सकते हैं, वह है उनके साथ बैठकर ऊपर दी गयी चेक लिस्ट पर गौर कीजिए और जहाँ सुधार करने की ज़रूरत है उसमें उनकी मदद कीजिए। ज़रूरत के हिसाब से आप उनके लिए हर हफ्ते एक-दो बार सेहतमंद खाना बनाकर दे सकते हैं। बुज़ुर्ग लोगों को नियमित रूप से कसरत करने की भी ज़रूरत होती है। क्या आप उन्हें उस समय अपने साथ टहलने के लिए ले जा सकते हैं, जब आपको अपना कोई निजी काम निपटाने जाना हो। अगर एक भरोसेमंद साथी साथ हो, तो ज़्यादातर बुज़ुर्ग घर से बाहर निकलने के लिए राज़ी हो जाते हैं। कुछ जगहों में सरकार बुज़ुर्गों की मदद के लिए कई इंतज़ाम करती है, जैसे उन्हें घर पर नर्स या फिज़ियोथेरेपी की सुविधा मुहैया कराती है या उन्हें अपने रोज़मर्रा के काम खुद करना सिखाती है और घर की सुरक्षा का इंतज़ाम करती है। शायद आपका डॉक्टर आपको इन सुविधाओं के बारे में बता पाए।
हमारा सृष्टिकर्ता, जिसे खुद “अति प्राचीन” कहा गया है हमसे माँग करता है कि हम बुज़ुर्गों का आदर करें, खासकर बुज़ुर्ग माता-पिताओं का। (दानिय्येल 7:9) वह आज्ञा देता है “तू अपने पिता और अपनी माता का आदर करना।” (निर्गमन 20:12) वह यह भी कहता है: “पक्के बालवाले के साम्हने उठ खड़े होना, और बूढ़े का आदरमान करना, और अपने परमेश्वर का भय निरन्तर मानना।” (लैव्यव्यवस्था 19:32) जी हाँ, बुज़ुर्गों का आदर करना दिखाता है कि हम परमेश्वर का भय मानते हैं! इसके अलावा जब बुज़ुर्ग लोग मदद के लिए दिल से शुक्रिया कहते हैं, तो हम भी उनका लिहाज़ दिखाए बिना नहीं रह पाते। हमें ऐसे लोगों की मदद फर्ज़ समझकर नहीं, बल्कि प्यार से खुशी-खुशी करनी चाहिए! (g11-E 02)
[फुटनोट]
a 22 मई, 2005, अँग्रेज़ी की सजग होइए! में नियमित कसरत के फायदों के बारे में और ज़्यादा जानकारी दी गयी है।
[पेज 25 पर बक्स/तसवीरें]
आपातकालीन स्थिति में इलेक्ट्रॉनिक सहायता
कुछ देशों में बुज़ुर्ग लोग आपातकालीन स्थिति में, जैसे कि गिर जाने पर मदद बुलाने के लिए एक छोटी-सी इलेक्ट्रॉनिक मशीन रखते हैं। इस मशीन में एक बटन होता है, जिसे दबाने से किसी को मदद के लिए बुलाया जा सकता है। यह मशीन गले में लटकायी या कलाई पर बाँधी जा सकती है। अगर यह सुविधा आपके देश में उपलब्ध है, तो आप इसे लेने की सोच सकते हैं खासकर अगर आप अकेले रहते हों।