वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • g19 अंक 1 पेज 4-5
  • समस्याओं को जड़ से कैसे मिटाएँ?

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • समस्याओं को जड़ से कैसे मिटाएँ?
  • सजग होइए!—2019
  • उपशीर्षक
  • मिलते-जुलते लेख
  • क्या हम नामुमकिन को मुमकिन करने की कोशिश कर रहे हैं?
  • बाइबल की बुद्धि भरी सलाह, हमारे भले के लिए
  • विश्‍वास और आपका आनेवाला कल
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1998
  • सच्ची बुद्धि पुकार रही है!
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2022
  • ‘आहा! परमेश्‍वर की बुद्धि क्या ही गहरी है!’
    यहोवा के करीब आओ
  • ‘बुद्धि जो ऊपर से आती है,’ क्या यह आपकी ज़िंदगी में काम कर रही है?
    यहोवा के करीब आओ
और देखिए
सजग होइए!—2019
g19 अंक 1 पेज 4-5
एक आदमी अस्पताल के कमरे में बीमार पड़ा है और बाहर दो डॉक्टर एक-दूसरे से बात कर रहे हैं

बीमारी के लक्षण दूर करना काफी नहीं, उसे जड़ से मिटाना ज़रूरी होता है

हमारी मुश्‍किल

समस्याओं को जड़ से कैसे मिटाएँ?

क्या आपको लगता है कि इंसान उन सारी समस्याओं का हल कर सकता है जिनकी वजह से हमारी शांति और सुरक्षा खतरे में है? हमारी समस्याओं का सही मायनों में हल तभी होगा जब इन्हें जड़ से मिटाया जाएगा।

इसे समझने के लिए एक घटना पर ध्यान दीजिए। टॉम नाम का एक आदमी बीमार पड़ गया और बाद में उसकी मौत हो गयी। वजह क्या थी? टॉम की मौत से पहले जिस अस्पताल में उसका इलाज हुआ, वहाँ का एक डॉक्टर बताता है, “जब शुरू में उसकी बीमारी के लक्षण नज़र आए, तो किसी ने भी उसकी बीमारी का कारण जानने की कोशिश नहीं की। ऐसा लगता है कि शुरू में जिन डॉक्टरों ने टॉम का इलाज किया, उन्होंने बस उसे कुछ दवाइयाँ दे दीं ताकि वह थोड़ी राहत महसूस करे।”

इंसान भी दुनिया की समस्याओं का हल करने की धुन में कुछ ऐसा ही कर रहा है। जैसे, सरकारें अपराध मिटाने के लिए कुछ कानून लागू करवाती हैं, जगह-जगह वीडियो कैमरा लगवाती हैं और सुरक्षा और कड़ी करने के लिए पुलिस की संख्या बढ़ाती हैं। ऐसे कदम उठाने से भले ही कुछ हद तक अपराध कम होता है, मगर वह जड़ से नहीं मिटता। वह इसलिए क्योंकि अपराध की असल वजह लोगों की सोच, उनकी धारणाएँ और बुरी इच्छाएँ होती हैं।

डैनियल दक्षिण अमरीका के एक ऐसे देश में रहता है जहाँ बहुत गरीबी है। वह कहता है, “एक वक्‍त था जब हम चैन की ज़िंदगी जीते थे। यहाँ के कसबों और गाँवों में चोरी-डकैती का डर नहीं था। मगर अब वे दिन नहीं रहे। गरीबी बढ़ने से लोगों की असली फितरत सामने आ रही है। वे इतने लालची हो गए हैं कि दूसरों की चीज़ें लूटने और उनकी जान तक लेने से नहीं झिझकते।”

मध्य-पूर्व के एक देश का एक आदमी बताता है कि वहाँ के लोगों की सोच कैसी थी। वह आदमी वहाँ होनेवाले युद्ध से जान बचाकर भाग गया था और उसने बाद में बाइबल की शिक्षा पायी थी। वह कहता है, “मैं जिस शहर में पला-बढ़ा था, वहाँ के जवानों को उनके परिवार के लोग, राजनेता और धर्म-गुरु सिखाते थे कि उन्हें युद्ध में ज़रूर जाना चाहिए और खुद को वीर साबित करना चाहिए। विपक्ष के लोगों को भी यही सिखाया जाता था। मैंने देखा कि नेताओं और गुरुओं की बातों में आने का अंजाम कितना बुरा हो सकता है।”

एक प्राचीन ग्रंथ में कितनी सही बात लिखी है:

  • “बचपन से इंसान के मन का झुकाव बुराई की तरफ होता है।”​—उत्पत्ति 8:21.

  • “दिल सबसे बड़ा धोखेबाज़ है और यह उतावला होता है। इसे कौन जान सकता है?”​—यिर्मयाह 17:9.

  • ‘दुष्ट विचार, हत्या, नाजायज़ यौन-संबंध, चोरी और झूठी गवाही दिल से निकलती हैं।’​—मत्ती 15:19.

लोगों के दिल में जो बुराइयाँ पनपती हैं, उन्हें मिटाने में इंसान नाकाम हो गया है। सच तो यह है कि लोगों में ये बुरे गुण दिनों-दिन बढ़ते जा रहे हैं। (2 तीमुथियुस 3:1-5) इसी वजह से दुनिया की समस्याएँ बढ़ रही हैं जिनका ज़िक्र पिछले लेख में किया गया था। आज लोगों के पास पहले से कहीं ज़्यादा जानकारी है और एक-दूसरे से संपर्क करने के लिए बेहतर सुविधाएँ हैं, फिर भी हमारी शांति और सुरक्षा खतरे में है। तो सवाल यह है कि शांति और सुरक्षा लाने में हम क्यों नाकाम हो रहे हैं? क्या हम कभी कामयाब होंगे? कहीं ऐसा तो नहीं कि शांति और सुरक्षा लाना हमारे बस के बाहर है?

क्या हम नामुमकिन को मुमकिन करने की कोशिश कर रहे हैं?

अगर हम कोई चमत्कार करके लोगों के दिलों की बुराइयाँ मिटा भी दें, तो भी हम दुनिया में सुरक्षा नहीं ला सकते। ऐसा क्यों? क्योंकि हम इंसानों की कुछ सीमाएँ हैं।

सच्चाई यह है कि ‘इंसान को यह अधिकार नहीं कि वह अपने कदमों को राह दिखाए।’ (यिर्मयाह 10:23) इंसान को इस तरह बनाया ही नहीं गया है कि वह इंसान पर राज कर सके। हमारी रचना इस तरह नहीं हुई कि हम दूसरे इंसानों पर राज करें, ठीक जैसे हमें समुंदर के अंदर या अंतरिक्ष में जीने के लिए नहीं बनाया गया।

दो लोग श्‍वास-नली लगाकर समुंदर के अंदर तैर रहे हैं

हमारी रचना इस तरह नहीं हुई कि हम दूसरे इंसानों पर राज करें, ठीक जैसे हमें समुंदर के अंदर जीने के लिए नहीं बनाया गया

ज़रा इस बात पर गौर कीजिए: क्या लोगों को यह अच्छा लगता है कि उनकी उम्र या हैसियत वाले उन्हें बताएँ कि क्या सही है और क्या गलत है? गर्भपात कराएँ या नहीं, बच्चों को कैसे अनुशासन दें, इस तरह के मामलों में क्या उन्हें यह रास आता है कि कोई और उनके लिए तय करे कि उन्हें क्या करना चाहिए? इसलिए बाइबल जो कहती है वह सही है कि हम इंसानों के पास दूसरों पर राज करने का न तो अधिकार है, न ही काबिलीयत। तो फिर हमें सही राह कौन दिखा सकता है?

यह कहना सही होगा कि हमारे सृष्टिकर्ता के सिवा कोई और हमें सही राह नहीं दिखा सकता। आखिर उसी ने तो हमें बनाया है! कई लोगों का मानना है कि ईश्‍वर हमें भूल गया है, मगर यह सच नहीं है। वह हमारा भला चाहता है। यही वजह है कि उसने बाइबल में हमारे लिए अच्छी सलाह लिखवायी है। बाइबल एक अनोखी किताब है। इस किताब को पढ़ने से हम जान पाते हैं कि हम इंसानों की सीमाएँ क्या हैं और आज तक इंसानों को इतने दुख क्यों झेलने पड़े हैं। हम यह भी समझ पाते हैं कि लोगों और सरकारों ने इतिहास में हुई घटनाओं से क्यों कोई सबक नहीं लिया, जैसे एक जर्मन तत्वज्ञानी ने लिखा था।

बाइबल की बुद्धि भरी सलाह, हमारे भले के लिए

एक बुद्धिमान व्यक्‍ति ने कहा था, “बुद्धि अपने सारे नतीजों से सही साबित होती है।” (लूका 7:35) बाइबल में बुद्धि से भरी काफी सलाह दी गयी है। जैसे यह कि “भलाई इसी में है कि अदना इंसान पर भरोसा रखना बंद करो।” (यशायाह 2:22) इस सलाह को मानने से हम झूठे वादों पर भरोसा नहीं करेंगे, न ही उन बातों की उम्मीद लगाएँगे जो कभी होंगी ही नहीं। कैनेथ उत्तर अमरीका के एक ऐसे शहर में रहता है जहाँ बहुत हिंसा होती है। वह कहता है, “हर नेता यही वादा करता है कि वह सबकुछ ठीक कर देगा, मगर नहीं कर पाता। उनकी नाकामी बार-बार यही साबित करती है कि बाइबल की बात बिलकुल सही है।”

डैनियल, जिसका हवाला पहले दिया गया है, कहता है, “दिनों-दिन इस बात पर मेरा यकीन बढ़ रहा है कि इंसान ठीक से हुकूमत नहीं कर सकते। . . . अगर बैंक में आपके पास काफी पैसा है या आपने किसी पेंशन स्कीम में पैसा लगाया है, तो भी यह कोई गारंटी नहीं कि आपका बुढ़ापा चैन से कटेगा। मैंने देखा है कि इन पर भरोसा करके लोग कितने निराश हुए हैं, कैसे हाथ मलते रह गए हैं।”

वाकई, बाइबल की सलाह मानने से हम ऐसी बातों पर उम्मीद नहीं लगाएँगे जो कभी नहीं होंगी। इतना ही नहीं, हमें एक आशा भी मिलेगी। इस बारे में हम आगे के लेखों में देखेंगे।

खास बात

बाइबल बताती है कि इंसान राज करने में क्यों नाकाम रहा है और उसने क्यों इतने दुख झेले हैं

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें