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  • बड़ों से सलाह लीजिए
  • सजग होइए!—2019
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सजग होइए!—2019
g19 अंक 2 पेज 12-13
एक औरत एक लड़की को अपनी कुछ पुरानी तसवीरें दिखा रही है

पाँचवीं सीख

बड़ों से सलाह लीजिए

बच्चों को किसकी सलाह की ज़रूरत होती है?

बच्चों को बड़ों की बहुत ज़रूरत होती है, क्योंकि वे उन्हें सही राह दिखा सकते हैं और अच्छी सलाह दे सकते हैं। माता-पिता होने के नाते आप बच्चों को सबसे अच्छी सलाह दे सकते हैं। दरअसल यह आपकी ज़िम्मेदारी है। लेकिन दूसरे लोगों की सलाह भी आपके बच्चों के बड़े काम आ सकती है।

बड़ों की सलाह क्यों ज़रूरी है?

कई देशों में बच्चे बड़ों के साथ बहुत कम वक्‍त बिताते हैं। इसकी कुछ वजहों पर गौर कीजिए:

  • बच्चे ज़्यादातर समय स्कूल में होते हैं जहाँ बच्चों की संख्या ज़्यादा होती है, टीचरों और बड़े लोगों की कम।

  • कई बच्चों के मम्मी-पापा, दोनों नौकरी करते हैं, इसलिए जब वे स्कूल से घर आते हैं, तो उन्हें अकेले रहना पड़ता है।

  • अमरीका में हुए एक अध्ययन से पता चला कि 8-12 साल के बच्चे हर दिन करीब 6 घंटे टीवी देखते, संगीत सुनते और वीडियो गेम खेलते हैं।a

बच्चों की परवरिश पर लिखी एक किताब कहती है, ‘आजकल बच्चे अपने मम्मी, पापा, टीचर या बड़ों से नहीं बल्कि अपनी उम्र के बच्चों से सलाह लेना पसंद करते हैं।’

सलाह कैसे दें?

बच्चों के साथ वक्‍त बिताइए।

पवित्र शास्त्र की सलाह: “बच्चे को उस राह पर चलना सिखा, जिस पर उसे चलना चाहिए और वह बुढ़ापे में भी उससे नहीं हटेगा।”​—नीतिवचन 22:6, फुटनोट।

छोटे बच्चे अकसर चाहते हैं कि उनके मम्मी-पापा उन्हें बताएँ कि उन्हें क्या करना चाहिए। दरअसल कुछ जानकारों का कहना है कि जब बच्चे बड़े होने लगते हैं, तब भी वे अपने साथियों से ज़्यादा अपने मम्मी-पापा की सुनते हैं। डॉ. लॉरेन्ट्‌स स्टाइनबर्ग ने अपनी किताब में लिखा, ‘जब बच्चे जवान हो जाते हैं तब भी उनके व्यवहार और नज़रिए पर काफी हद तक उनके माता-पिता का असर होता है। भले ही वे अपने माता-पिता को न बताएँ कि उन्हें उनसे सलाह चाहिए और शायद वे उनकी हर बात से सहमत न हों, मगर वे जानना चाहते हैं कि फलाँ मामले में उनके माता-पिता की क्या राय है। और माता-पिता जो कहते हैं उस पर वे ध्यान देते हैं।’

तो माता-पिताओ, जब भी मौका मिले अपने बच्चों को सलाह दीजिए क्योंकि वे आप ही से सलाह चाहते हैं। अपने बच्चों के साथ वक्‍त बिताइए और उन्हें बताइए कि किसी मामले के बारे में आपकी क्या सोच है, आपके उसूल क्या हैं और आपने अपने तजुरबे से क्या सीखा है।

ऐसे लोगों से उनकी दोस्ती करवाइए जो अच्छी सलाह दे सकते हैं।

पवित्र शास्त्र की सलाह: “बुद्धिमानों के साथ रहनेवाला बुद्धिमान बनेगा”​—नीतिवचन 13:20.

क्या आपकी नज़र में कोई ऐसा व्यक्‍ति है जो आपके बच्चों को अच्छी सलाह दे सकता है? क्यों न आप कुछ ऐसा इंतज़ाम करें कि वह आपके बच्चों के साथ थोड़ा वक्‍त बिताए? यह सच है कि आपको अपनी ज़िम्मेदारी से मुँह नहीं मोड़ना है। आपकी सलाह तो बच्चों के काम आएगी ही, लेकिन अगर एक और व्यक्‍ति भी उन्हें अच्छी सलाह दे, तो उन्हें दुगुना फायदा होगा। मगर ध्यान रखिए कि आपको उस व्यक्‍ति पर भरोसा हो कि वह आपके बच्चों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाएगा। पवित्र किताब बाइबल में लिखा है कि तीमुथियुस नाम के एक व्यक्‍ति को पौलुस के साथ वक्‍त बिताकर काफी फायदा हुआ, इसके बावजूद कि तीमुथियुस कोई नौजवान नहीं था। और पौलुस को भी तीमुथियुस की दोस्ती से फायदा हुआ।​—फिलिप्पियों 2:20, 22.

आजकल कई परिवार के लोग एक-साथ नहीं रहते। दादा-दादी, चाचा-चाची और दूसरे रिश्‍तेदार अलग-अलग जगहों में रहते हैं। अगर आपके रिश्‍तेदार भी आपसे दूर रहते हैं, तो अपने बच्चों की दोस्ती ऐसे लोगों से करवाइए जिनसे आपके बच्चे अच्छे गुण बढ़ाना सीखेंगे।

a उस अध्ययन में यह भी बताया गया कि किशोर उम्र के बच्चे हर दिन करीब 9 घंटे इस तरह का मनोरंजन करने में बिताते हैं। इसके अलावा, वे होमवर्क करते वक्‍त या स्कूल में भी इंटरनेट पर काफी समय बिताते हैं।

एक औरत एक लड़की को अपनी कुछ पुरानी तसवीरें दिखा रही है

यही वक्‍त है सिखाने का

बड़ों से सलाह लेनेवाले बच्चे आगे चलकर समझदार बनते हैं

बच्चों के लिए अच्छी मिसाल रखिए

  • क्या मैं अपने बच्चों के लिए एक अच्छी मिसाल रखता हूँ?

  • क्या मेरे बच्चे जानते हैं कि मैं भी उन लोगों से सलाह लेता हूँ जो मुझसे ज़्यादा तजुरबा रखते हैं?

  • क्या मैं अपने बच्चों के साथ वक्‍त बिताकर उन्हें एहसास दिलाता हूँ कि वे मेरे लिए अनमोल हैं?

कुछ माता-पिताओं का क्या कहना है?

डेविड कहता है, “कभी-कभी मेरी बेटी मुझसे उस वक्‍त बात करना चाहती है जब मैं कोई काम कर रहा होता हूँ। मैं उससे कहता हूँ कि वह थोड़ी देर रुक जाए ताकि मैं पूरा ध्यान लगाकर उसकी बात सुन सकूँ। पर मैं हमेशा उसकी बात सुनता हूँ। मैं और मेरी पत्नी अपनी बेटी के लिए अच्छा उदाहरण रखने की कोशिश करते हैं ताकि वह देख पाए कि हम उसे जो सिखाते हैं, वैसा खुद भी करते हैं।”

लीसा कहती है, “जब हमारी बेटी पैदा हुई, तो मैंने और मेरे पति ने फैसला किया कि मैं नौकरी नहीं करूँगी ताकि घर पर रहकर उसका ध्यान रख सकूँ। मुझे अपने फैसले पर ज़रा भी अफसोस नहीं है। यह बेहद ज़रूरी है कि माता-पिता अपने बच्चों के साथ जितना हो सके, उतना वक्‍त बिताएँ ताकि उन्हें सही राह दिखा सकें और अच्छी सलाह दे सकें। इससे भी बढ़कर, जब आप बच्चों के साथ वक्‍त बिताते हैं, तो उन्हें एहसास होता है कि आप उनकी परवाह करते हैं।”

बड़ों के साथ वक्‍त बिताइए

मरैंडा कहती है, “मेरे बच्चे अलग-अलग उम्र के लोगों के बीच बड़े हुए जो अलग-अलग बातों में रुचि रखते थे। उनके तजुरबे से मेरे बच्चे ज़िंदगी के बारे में बहुत कुछ सीख पाए। जैसे, एक बार मेरी नानी ने उन्हें अपने बचपन का एक किस्सा बताया, तो वे सुनकर हैरान रह गए। उन्होंने बताया कि जब वे छोटी थीं, तो सबसे पहले उन्हीं के घर में बिजली आयी थी। पास-पड़ोस के लोग यह देखने के लिए उनके घर आते थे कि किस तरह किचन में बत्ती जल जाती है और बंद हो जाती है। यह सब सुनकर मेरे बच्चे समझ पाए कि पहले ज़िंदगी कैसी हुआ करती थी। इस तरह उनके मन में मेरी नानी और दूसरे बुज़ुर्गों के लिए इज़्ज़त बढ़ गयी। जब बच्चे अपनी उम्र के बच्चों के मुकाबले बड़ों के साथ ज़्यादा समय बिताते हैं, तो वे उनसे बहुत कुछ सीख पाते हैं।

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