क्या दुःख-तकलीफों का कभी अंत होगा?
क्या आप किसी ऐसे इंसान को जानते हैं जिसने ज़िंदगी में कभी दुःख नहीं झेला है? बेशक ऐसा एक भी इंसान नहीं होगा! और क्या आप किसी ऐसे शख्स को जानते हैं जो आपको इस सवाल का ठीक-ठीक जवाब दे सके कि ज़िंदगी में इतने गम क्यों हैं? क्या आप जानते हैं कि इंसान क्यों इतनी मुसीबतें झेल रहा है?
बहुत-से लोगों का मानना है कि यह सब कर्मों का फल है। कर्म की शिक्षा के मुताबिक, एक इंसान को अपने पिछले जन्मों के बुरे कामों की सज़ा, इस जन्म में भुगतनी पड़ती है। ज़्यादातर लोगों को यह शिक्षा सही लगती है क्योंकि वे देखते हैं कि अकसर ऐसे लोगों को दुःख झेलने पड़ते हैं जिनका कोई कसूर नहीं होता। मसलन, कुछ लोग गरीब परिवारों में पैदा होते हैं तो कुछ जन्म से ही अपंग होते हैं, जबकि इसमें उनका कोई कसूर नहीं होता। आम तौर पर माना जाता है कि ऐसे लोग अपने पिछले जन्म में किए बुरे कामों की सज़ा पा रहे हैं। शायद आप भी यही मानते होंगे।
लेकिन इस धारणा से हर कोई सहमत नहीं। कई लोग मानते हैं कि इंसान का कोई पिछला जन्म नहीं होता जिसका उनकी मौजूदा ज़िंदगी पर असर हो। यह वाकई गौर करने लायक बात है। वे ऐसा क्यों मानते हैं? जानने के लिए यहाँ बताए हालात पर ज़रा ध्यान दीजिए।
कुछ देशों में, ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग घोर तंगहाली में जी रहे हैं। इस वजह से कई बच्चों को बहुत-सी तकलीफें झेलनी पड़ती हैं, वे अकसर बीमार रहते हैं, गरीबी में ही पलते-बढ़ते और मर जाते हैं। क्या इसका मतलब है कि इन सारे बच्चों ने पिछले जन्म में बुरे काम किए थे और इसलिए आज वे सज़ा भुगत रहे हैं? दूसरी तरफ, अमीर देशों में बहुत-से बच्चों का जन्म रईस परिवारों में होता है। इसलिए वे अच्छी सेहत का लुत्फ उठाते हैं और उन्हें वह सारे सुख मिलते हैं जो गरीब देशों के बच्चों को नहीं मिलते। क्या इसका यह मतलब है कि जो अमीर देशों में पैदा हुए हैं वे पिछली ज़िंदगी में अच्छे थे, जबकि गरीब देशों में पैदा होनेवाले बुरे थे?
क्या यह बात सचमुच यकीन करने लायक है? क्या इससे ऐसा नहीं लगता कि अमीर देशों में पैदा होनेवाले, गरीब देशों में पैदा होनेवालों से ज़्यादा नेक हैं? लेकिन हम जानते हैं कि ऐसा नहीं हो सकता। इसलिए हमें सोचना होगा कि यह शिक्षा कहाँ तक सही है कि इंसान को पिछले जन्म के बुरे कर्मों की वजह से आज दुःख-तकलीफें झेलनी पड़ती हैं। क्या इस बारे में सच्चाई का ठीक-ठीक पता लगाया जा सकता है?
जी हाँ, ज़रूर! दुनिया की सबसे पुरानी किताब हमें इसकी सही समझ देती है। यह किताब, बाकी किताबों के मुकाबले सबसे ज़्यादा भाषाओं में अनुवाद की गयी है, इसलिए इसे संसार के सभी लोग पढ़ सकते हैं। इसे मध्य-पूर्वी देशों में रहनेवालों ने लिखा था और यह पवित्र बाइबल के नाम से जानी जाती है।
यह प्राचीन किताब हमें बताती है कि जब पहले पुरुष और स्त्री को रचा गया था, तब वे सिद्ध थे। उन्हें धरती पर फिरदौस यानी एक खूबसूरत बाग में रखा गया और वहाँ उन्हें किसी भी चीज़ की कमी नहीं थी। इसलिए उनकी ज़िंदगी में कोई गम नहीं था। सिरजनहार ने उन्हें ऐसी काबिलीयत दी जिससे वे आनेवाली हर चुनौती का अच्छी तरह सामना कर सकते थे ताकि दुःख-तकलीफों से बच सकें। मगर हाँ, ऐसी खुशहाल ज़िंदगी का हमेशा-हमेशा लुत्फ उठाने के लिए उन्हें परमेश्वर की शर्त पूरी करनी थी। वह शर्त थी कि वे ज़िंदगी के बारे में अपने सिरजनहार के कायदे-कानूनों को मानें और अपनी एहसानमंदी ज़ाहिर करें।
दुःख की बात है कि ये पहले स्त्री-पुरुष संतान पैदा करने से पहले ही एहसानफरामोश निकले क्योंकि उन्होंने सिरजनहार की एक मामूली-सी आज्ञा तोड़ दी। नतीजा यह हुआ कि वे अपनी बढ़िया सेहत और खूबसूरत बाग जैसे घर को गँवा बैठे। फिर देखते-ही-देखते वे दुःख-तकलीफों के भँवर में फँसते चले गए, बीमारियों के शिकार हुए और आखिरकार बूढ़े होकर मर गए। और जब उनके बच्चे हुए तो उन्होंने अपने माता-पिता से विरासत में असिद्धता पायी। यही वजह है कि इंसान के पैदा होते उसे दुःख-तकलीफें आ घेरती हैं और वह बुढ़ापे और मौत से बच नहीं पाता।
क्या आपको इन बातों पर यकीन होता है? अगर नहीं, तो कृपया गौर कीजिए: आज हज़ारों बच्चों में जन्म से ही एड्स का वायरस होता है। बेशक यह इन बच्चों की करनी का फल नहीं है। इसकी वजह उनकी माएँ हैं जो वायरस से संक्रमित थीं और इसलिए बच्चे भी उसके शिकार हो गए। शायद इनमें कुछ माओं ने नाजायज़ संबंध रखे होंगे या फिर उन्हें अपने पतियों से यह संक्रमण हुआ होगा। वजह चाहे जो भी हो, मगर माँ से ही अजन्मे बच्चे के शरीर में वायरस आता है। उसी तरह, पहले इंसानी जोड़े की संतान भी असिद्ध पैदा हुई।
बाइबल बताती है कि सभी इंसान, इस पहले जोड़े की संतान हैं। इसीलिए सभी लोग जन्म से असिद्ध हैं और वे तकलीफों से बच नहीं सकते। इस तरह बाइबल साफ दिखाती है कि विरासत में मिली असिद्धता और दुनिया का असिद्ध माहौल ही इंसानों की दुःख-तकलीफों की सबसे बड़ी वजह है।
इन हालात को बदलना किसी भी इंसान के बस की बात नहीं। इसलिए आप शायद सोचें, ‘क्या इस लाचारी से बचने का कोई रास्ता नहीं है?’ बाइबल इसका जवाब देती है: सिरजनहार ने, जिसका नाम यहोवा है, अपने बेटे यीशु मसीह के ज़रिए ऐसे इंतज़ाम किए हैं जिससे इंसान दोबारा सिद्ध हो जाएँगे और सारी धरती एक सुंदर फिरदौस में बदल जाएगी। बाइबल कहती है: “परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।”—यूहन्ना 3:16.
सिरजनहार के दिल में इंसानों के लिए प्यार और दया है, इसलिए वह अपने बेटे यीशु मसीह के ज़रिए उन्हें असिद्धता और उससे जुड़ी सारी तकलीफों से पूरी तरह छुटकारा दिलाएगा और धरती से उन सभी दुष्टों को मिटा देगा जो दूसरों पर ज़ुल्म ढाते हैं और महान सिरजनहार की इच्छा के बारे में ज़रा भी परवाह नहीं करते। जैसे यूहन्ना 3:16 में बताया गया है, सिर्फ ‘विश्वास करनेवालों’ यानी सिरजनहार के लिए अपनी एहसानमंदी ज़ाहिर करनेवालों को ही उस नयी दुनिया में जीने का मौका दिया जाएगा जिसे वह जल्द लानेवाला है।
आपको शायद यह जानकर ताज्जुब हो कि बाइबल की भविष्यवाणियों के मुताबिक, आज हम उस समय के बिलकुल करीब आ गए हैं जब ये बदलाव होंगे। दरअसल बाइबल में हमारे समय को इस संसार के ‘अन्तिम दिन’ कहा गया है। (2 तीमुथियुस 3:1) इस संसार के अंत के बाद, सारी धरती एक फिरदौस बन जाएगी। उसमें जो लोग ज़िंदगी के लायक साबित होंगे, वे हमेशा-हमेशा के लिए जीएँगे और उन्हें कोई दुःख नहीं होगा, ठीक जैसे सिरजनहार ने पहले जोड़े की सृष्टि करते वक्त अपना मकसद ठहराया था।
आप क्यों यह पक्का विश्वास कर सकते हैं कि ये आशीषें ज़रूर मिलेंगी? इस बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए, आप बेझिझक यहोवा के साक्षियों से संपर्क कीजिए, जिन्होंने आपको यह ट्रैक्ट दिया होगा।
बाइबल की वे आयतें जिन पर हमें ध्यान देना है
उत्पत्ति 1:31क: “तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है।”
उत्पत्ति 2:8: “यहोवा परमेश्वर ने पूर्व की ओर अदन देश में एक बाटिका लगाई; और वहां आदम को जिसे उस ने रचा था, रख दिया।”
उत्पत्ति 2:16, 17: “यहोवा परमेश्वर ने आदम को यह आज्ञा दी, कि तू बाटिका के सब वृक्षों का फल बिना खटके खा सकता है: पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल तू कभी न खाना: क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाए उसी दिन अवश्य मर जाएगा।”
रोमियों 5:12: “इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, इसलिये कि सब ने पाप किया।”
भजन 49:7: “उन में से कोई अपने भाई को किसी भांति छुड़ा नहीं सकता है; और न परमेश्वर को उसकी सन्ती प्रायश्चित्त में कुछ दे सकता है।”
यशायाह 33:24: “कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं।”
2 तीमुथियुस 3:1: “पर यह जान रख, कि अन्तिम दिनों में कठिन समय आएंगे।”
1 तीमुथियुस 6:17, 19: ‘धनवानों को चाहिए कि वे परमेश्वर पर आशा रखें और आगे के लिये एक अच्छी नेव डाल रखें, कि सत्य जीवन को वश में कर लें।’
प्रकाशितवाक्य 21:3, 4: “देख, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है; वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उन के साथ रहेगा; और उन का परमेश्वर होगा। और वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी।”
इस ट्रैक्ट में द होली बाइबल हिन्दी—ओ.वी. इस्तेमाल की गयी है।
[पेज 6 पर चित्र का श्रेय]
कवर फोटो: Patrick Frilet/Sipa Press