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  • खोजबीन कैसे करें
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  • खोजबीन की हमारी सबसे अहम किताब, बाइबल का इस्तेमाल
  • खोजबीन के दूसरे साहित्य का इस्तेमाल करना सीखिए
  • मसीही साहित्य की दूसरी लाइब्रेरियाँ
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परमेश्‍वर की सेवा स्कूल से फायदा उठाइए
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खोजबीन कैसे करें

राजा सुलैमान ने ‘चिन्तन किया, खोजबीन की, और बहुत से नीतिवचन क्रम में संजोए।’ क्यों? क्योंकि वह “सच्चाई के वचन शुद्ध रूप में” लिखना चाहता था। (सभो. 12:9, 10, NHT) लूका ने मसीह के जीवन की घटनाओं को क्रमानुसार लिखने के लिए “सब बातों का सम्पूर्ण हाल आरम्भ से ठीक ठीक जांच किया।” (लूका 1:3) परमेश्‍वर के इन दोनों सेवकों ने खोजबीन की।

खोजबीन करने का मतलब क्या है? इसका मतलब है किसी एक विषय पर जानकारी हासिल करने के लिए उसके बारे में छानबीन करना। इसके लिए पढ़ना ज़रूरी है और जिस तरीके से हम पूरा ध्यान लगाकर अध्ययन करते हैं, उसी तरह हमें खोजबीन भी करनी है। इसमें दूसरों से पूछताछ भी करना शामिल है।

आपको कब-कब खोजबीन करने की ज़रूरत पड़ सकती है? इसकी कुछ मिसालों पर गौर कीजिए। अध्ययन करते या बाइबल पढ़ते वक्‍त, आपके मन में कुछ ऐसे सवाल उठेंगे जिनका जवाब जानना आपके लिए बेहद ज़रूरी है। या फिर गवाही देते वक्‍त कोई आपसे ऐसा सवाल पूछ ले जिसके जवाब में आप कोई खास जानकारी ढूँढ़कर देना चाहें। या फिर जब आपको भाषण देने की ज़िम्मेदारी मिलती है।

आइए भाषण देने की मिसाल पर चर्चा करें। हो सकता है कि आपके भाषण का विषय बहुत आम हो। तो आप उसे अपनी कलीसिया के फायदे के लिए कैसे पेश कर सकते हैं? खोजबीन करने से आपके भाषण को जानदार और दिलचस्प बनाया जा सकता है। जब एक आम मुद्दे को समझाने के लिए एक या दो आँकड़े या कोई मिसाल दी जाती है, जो आपके विषय पर ठीक बैठती है और जिसका आपके सुननेवालों की ज़िंदगी से सीधा ताल्लुक होता है, तो इसी आम मुद्दे से लोग बहुत कुछ सीख सकेंगे और यह जानकारी उन्हें कदम उठाने के लिए भी उभारेगी। जिस लेख से आपको भाषण देना है, उसे शायद संसार भर के पाठकों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। लेकिन आपको एक कलीसिया या किसी एक व्यक्‍ति को मन में रखकर भाषण के मुद्दे खुलकर समझाने होंगे, उदाहरण देने होंगे और लागू करने के तरीके बताने होंगे। तो फिर, शुरूआत कैसे की जाए?

सीधे खोजबीन में जुटने से पहले, एक पल रुककर अपने सुननेवालों के बारे में सोचिए। आप जो बताने जा रहे हैं, उसके बारे में उन्हें पहले से कितनी जानकारी है? उन्हें क्या जानना चाहिए? फिर सोचिए कि आपका मकसद क्या है। समझाना? यकीन दिलाना? किसी बात को गलत साबित करना? या फिर सुननेवालों को कुछ कदम उठाने के लिए प्रेरित करना? अगर समझाना है, तो आपको विषय के बारे में और ज़्यादा जानकारी देकर उसे साफ-साफ बताना होगा। हो सकता है कि सुननेवाले खास मुद्दों को समझते हैं, मगर आपको यह समझाना होगा कि जो बताया जा रहा है उसे कब और कैसे अमल में लाया जा सकता है। अगर आपका मकसद यकीन दिलाना है, तो आपको कारण बताने होंगे कि ऐसा क्यों कहा गया है, साथ ही इसके लिए आपको सबूत पेश करने होंगे। किसी बात को गलत साबित करने के लिए मुद्दे के दोनों पक्षों का बढ़िया ज्ञान होना और पेश किए जा रहे सबूतों को अच्छी तरह जाँचना भी बहुत ज़रूरी है। बेशक, हमारी कोशिश सिर्फ यह नहीं होगी कि हम ज़बरदस्त दलीलें पेश करें बल्कि यह कि हम नम्रता के साथ साफ तौर पर सच्चाई पेश कर सकें। अगर आप किसी को प्रेरित करना चाहते हैं, तो आपको उसके दिल तक पहुँचना होगा। इसका मतलब है, सुननेवाले के सामने एक लक्ष्य रखना और फिर उस पर चलने की उसमें ख्वाहिश पैदा करना। अगर आप कुछ ऐसे लोगों की मिसालें बताएँगे, जिन्होंने मुश्‍किल-से-मुश्‍किल वक्‍त में भी ऐसा ही किया था, तो इससे आपकी बात सुननेवालों के दिल तक पहुँच सकती है।

तो क्या आप अब खोजबीन करना शुरू कर सकते हैं? अभी नहीं, ज़रा ठहरिए। देखिए कि आपको कुल कितनी जानकारी की ज़रूरत है। इसके लिए आपको समय को ध्यान में रखना होगा। अगर आपको यह जानकारी दूसरों के सामने पेश करनी है, तो उसके लिए कितना समय तय किया गया है? पाँच मिनट? पैंतालीस मिनट? क्या आप कलीसिया में भाषण दे रहे हैं जिसका वक्‍त तय होता है? या फिर हालात के हिसाब से आपको वक्‍त मिलेगा जैसा बाइबल अध्ययन या चरवाही भेंट के दौरान?

आखिर में, देखिए कि आपके पास खोजबीन करने के लिए क्या-क्या साहित्य है। आपके घर पर जो साहित्य है, उसके अलावा क्या आपके राज्यगृह की लाइब्रेरी में दूसरा साहित्य मिल सकता है? जो भाई-बहन लंबे अरसे से सच्चाई में हैं, क्या वे आपको खोजबीन के लिए अपना साहित्य इस्तेमाल करने की इजाज़त दे सकते हैं? क्या आपके इलाके में कोई पब्लिक लाइब्रेरी है, जहाँ आप ज़रूरत पड़ने पर दूसरी किताबों से जानकारी इकट्ठी कर सकते हैं?

खोजबीन की हमारी सबसे अहम किताब, बाइबल का इस्तेमाल

अगर आपको किसी आयत पर खोजबीन करनी है, तो सबसे पहले बाइबल में ढूँढ़िए।

आस-पास की आयतों को जाँचिए। खुद से पूछिए: ‘यह आयत किसके लिए लिखी गयी थी? इसे किन हालात में लिखी गयी और जिन लोगों के लिए लिखी गयी उनका रवैया कैसा था, इस बारे में आस-पास की आयतें क्या बताती हैं?’ इन छोटी-मोटी बातों का पता लगाने से आप उस आयत को अच्छी तरह समझ पाएँगे, और ऐसी जानकारी को अगर आप अपने किसी भाषण में बताएँगे, तो आपका भाषण जानदार होगा।

उदाहरण के लिए, इब्रानियों 4:12 का हवाला अकसर यह बताने के लिए दिया जाता है कि परमेश्‍वर के वचन में लोगों के दिलों पर असर करने की शक्‍ति है और यह उनकी ज़िंदगी बदल सकता है। लेकिन यह कैसे होता है, इस आयत के आस-पास की आयतों को पढ़ने से हम यह और अच्छी तरह समझ पाते हैं। इस आयत से पहले बताया गया है कि जिस देश की प्रतिज्ञा यहोवा ने इब्राहीम से की थी, उसमें जाने से पहले जब इस्राएली 40 साल तक वीराने में भटक रहे थे, तो उनके साथ क्या-क्या हुआ। (इब्रा. 3:7–4:13) इस्राएलियों के लिए “परमेश्‍वर का वचन,” इब्राहीम के साथ बाँधी यहोवा की वाचा थी कि वह उन्हें विश्राम में पहुँचाएगा। उसका यह वचन जीवित था और अपने अंजाम की तरफ बढ़ रहा था। इस्राएली बिना किसी शक के उसके वचन पर पूरा विश्‍वास कर सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। वे पूरे रास्ते यानी मिस्र से निकालकर, सीनै पर्वत तक और फिर वहाँ से वादा किए देश तक कुड़कुड़ाते रहे। यहोवा जिस तरीके से अपना वचन पूरा कर रहा था, उसकी तरफ उनके रवैए से ज़ाहिर हुआ कि उनके दिल में क्या था। आज भी, परमेश्‍वर के वचन में लिखे उसके वादों की तरफ लोग जो रुख अपनाते हैं, उससे खुलासा होता है कि उनके दिलों में क्या है।

क्रॉस-रेफ्रेन्स में दी आयतों को खोलकर पढ़िए। कुछ बाइबलों में क्रॉस-रेफ्रेन्स यानी दूसरी आयतों के हवाले दिए जाते हैं, जो काफी मददगार हो सकते हैं। न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन ऑफ द होली स्क्रिप्चर्स्‌ बाइबल इसकी एक बढ़िया मिसाल है। सन्‌ 1978 में प्रकाशित नयी हिन्दी बाइबिल में भी कई क्रॉस-रेफ्रेन्स दिए गए हैं। उदाहरण के लिए, 1 पतरस 3:6 पर ध्यान दीजिए जिसमें बताया गया है कि सारा, मसीही पत्नियों के लिए एक बढ़िया मिसाल है। इसके साथ, उत्पत्ति 18:12 का हवाला इसे और भी पुख्ता करता है। इसमें बताया गया है कि सारा, इब्राहीम को “मन में” स्वामी कहती थी यानी वह पूरे दिल से इब्राहीम के अधीन थी। क्रॉस-रेफ्रेन्स की मदद से आपको न सिर्फ ऐसी गहरी समझ मिलेगी, बल्कि इनकी मदद से आप जान पाएँगे कि बाइबल की कोई भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई या व्यवस्था की चीज़ें जिनका नमूना थी, वह असलियत में आज क्या है। लेकिन याद रखिए कि कुछ क्रॉस-रेफ्रेन्स ये सब जानकारी देने के लिए नहीं होते। उनमें सिर्फ मिलते-जुलते विचार, किसी की ज़िंदगी या किसी इलाके के बारे में जानकारी होती है।

बाइबल कॅनकॉर्डन्स की मदद लीजिए। बाइबल कॅनकॉर्डन्स में अक्षरों (जैसे क, ख, ग, . . .) के क्रमानुसार बाइबल के शब्दों की सूची दी जाती है। आप जिस विषय पर खोजबीन करते हैं, उससे मेल खानेवाली आयतें ढूँढ़ने में यह आपकी मदद कर सकती है। और जब आप उन आयतों को पढ़कर देखेंगे, तो आप अपने विषय की और जानकारी पाएँगे। आप परमेश्‍वर के वचन में दी गयी सच्चाई का नमूना देख पाएँगे। न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन में भी “बाइबल वड्‌र्स्‌ इंडैक्स्ड” है जिसमें बाइबल के शब्दों और उनसे जुड़ी आयतों की एक आम सूची दी गयी है। इससे भी ज़्यादा जानकारी का भंडार आपको कॉम्प्रिहॆन्सिव कॅनकॉर्डन्स में मिलेगा। अगर यह आपकी भाषा में है, तो आप उसकी मदद से उन सभी आयतों को ढूँढ़ सकते हैं जिनमें बाइबल के हर मुख्य शब्द का ज़िक्र आता है।

खोजबीन के दूसरे साहित्य का इस्तेमाल करना सीखिए

इस किताब के पेज 33 पर बक्स में खोजबीन के लिए और भी साहित्य के नाम दिए हैं, जिन्हें “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” ने तैयार किया है। (मत्ती 24:45-47) इनमें से कई साहित्यों के अंदर एक विषय-सूची होती है और कुछ के आखिर में एक इंडैक्स होता है, जिनकी मदद से आप पता लगा सकते हैं कि फलाँ-फलाँ जानकारी किस पेज पर दी गयी है। हर साल प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! (अँग्रेज़ी) के आखिरी अंक में एक इंडैक्स दिया जाता है, जिनमें साल के सभी लेखों की सूची होती है।

अगर आपको मालूम रहेगा कि बाइबल की समझ देनेवाले किस साहित्य में क्या जानकारी है, तो आपकी खोजबीन में तेज़ी आ सकती है। मान लीजिए कि आपको किसी भविष्यवाणी, किसी शिक्षा, मसीही चालचलन या बाइबल के सिद्धांतों पर अमल करने के बारे में जानकारी चाहिए। इन सभी विषयों के लिए प्रहरीदुर्ग मददगार हो सकती है। सजग होइए! में दुनिया की ताज़ा खबरों, आजकल की आम समस्याओं, धर्म, विज्ञान और देश-विदेश के लोगों के बारे में लेख पाए जाते हैं। वह सर्वश्रेष्ठ मनुष्य जो कभी जीवित रहा किताब में सुसमाचार की किताबों की हर घटना पर सिलसिलेवार ढंग से व्याख्या दी गयी है। रॆवलेशन—इट्‌स ग्रैंड क्लाइमैक्स एट हैंड!, दानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें! और यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला के दोनों भागों में बाइबल में पायी जानेवाली पूरी-की-पूरी किताबों पर आयत-दर-आयत चर्चा की गयी है। आम तौर पर प्रचार में पूछे जानेवाले बाइबल के सैकड़ों सवालों के सही जवाब, आप रीज़निंग फ्रॉम द स्क्रिप्चर्स्‌ में पा सकते हैं। अगर आपको दूसरे धर्मों, उनकी शिक्षाओं और उनके इतिहास के बारे में जानना है, तो मैनकाइंड्‌स सर्च फॉर गॉड किताब देखिए। आज के यहोवा के साक्षियों के इतिहास की जानकारी, यहोवा के साक्षी—वे कौन हैं? उनके विश्‍वास क्या हैं? ब्रोशर में दी गयी है। संसार भर में हो रहे प्रचार काम की ताज़ा जानकारी आपको हाल की जनवरी 1 की प्रहरीदुर्ग पत्रिका में मिल सकती हैं। इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्‌, बाइबल का ज्ञान देनेवाला कोश है और इसमें बहुत-से नक्शे दिए गए हैं। इसकी मदद से आप बाइबल में बताए गए लोगों, जगहों, चीज़ों, भाषाओं या घटनाओं की ब्योरेवार जानकारी हासिल कर सकते हैं।

“वॉच टावर पब्लिकेशन्स इंडैक्स।” बीस से भी ज़्यादा भाषाओं में छपे इस इंडैक्स से आप जान सकते हैं कि फलाँ विषय के बारे में आपको संस्था के किन-किन साहित्यों में जानकारी मिलेगी। यह दो भागों में बँटा हुआ है, सबजॆक्ट इंडैक्स यानी विषयों की सूची और स्क्रिप्चर इंडैक्स यानी आयतों की सूची। जब आपको किसी विषय पर खोजबीन करनी है, तो उससे जुड़े किसी शब्द को सबजॆक्ट इंडैक्स में ढूँढ़िए और जब आप किसी आयत को अच्छी तरह समझना चाहते हैं, तो फिर उसे स्क्रिप्चर इंडैक्स में ढूँढ़िए। और जिन सालों का आप इंडैक्स इस्तेमाल कर रहे हैं, अगर उनमें उस विषय या आयत के बारे में कुछ जानकारी छपी है, तो आपके पास ऐसे कई हवाले होंगे जिन्हें खोलकर पढ़ने से आप जानकारी पा सकते हैं। इंडैक्स में संकेत-चिन्ह किन साहित्यों के लिए इस्तेमाल हुए हैं, यह जानने के लिए इंडैक्स की शुरूआत में दिए गए संकेत-चिन्हों की सूची देखिए। (मिसाल के लिए, आप को यह समझने में मदद मिलेगी कि w99 3/1 15 का मतलब है, साल 1999 की अँग्रेज़ी प्रहरीदुर्ग का मार्च 1 अंक, पेज 15.) “प्रचार काम में मिले अनुभव” (“Field Ministry Experiences”) और “यहोवा के साक्षियों की जीवन-कहानियाँ” (“Life Stories of Jehovah’s Witnesses”) जैसे मुख्य शीर्षकों की मदद से आप, कलीसिया का जोश बढ़ानेवाले भाषण तैयार कर सकते हैं।

खोजबीन करना इतना दिलचस्प होता है कि बड़ी आसानी से आपका ध्यान दूसरे विषयों की तरफ जा सकता है। इसलिए आप जिस विषय पर खोजबीन करते हैं, उससे अपना ध्यान हटने मत दीजिए, उसी से ताल्लुक रखनेवाली जानकारी खोजिए। अगर इंडैक्स में किसी किताब या पत्रिका के पेज नंबर दिए हैं, तो उन्हें खोलकर लेख के उपशीर्षकों पर नज़र दौड़ाते हुए पैराग्राफों के पहले वाक्यों को पढ़ते जाइए। इससे आपको पता लग जाएगा कि उनमें वह जानकारी है या नहीं जिसे आप तलाश रहे हैं। अगर आप बाइबल की किसी आयत का मतलब ढूँढ़ रहे हैं, तो इंडैक्स में जिस लेख और पेज का हवाला दिया गया है, उसे खोलकर सबसे पहले उस जगह को तलाशिए जहाँ वह आयत लिखी है। उसके बाद आस-पास दी गयी जानकारी पढ़िए।

सीडी-रॉम पर “वॉचटावर लाइब्रेरी।” अगर आपके पास कंप्यूटर है, तो सीडी-रॉम पर वॉचटावर लाइब्रेरी का इस्तेमाल करने से आपको बहुत फायदा होगा क्योंकि इसमें हमारे बहुत-से साहित्य मौजूद हैं। इसमें दिए गए सर्च प्रोग्राम से आप वॉचटावर लाइब्रेरी के किसी भी साहित्य में बड़ी आसानी से किसी भी शब्द, कई शब्द या कोई आयत ढूँढ़ सकते हैं। अगर वॉचटावर लाइब्रेरी आपकी भाषा में नहीं है, तो आप किसी ऐसी अंतर्राष्ट्रीय भाषा में उपलब्ध वॉचटावर लाइब्रेरी इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे आप वाकिफ हैं।

मसीही साहित्य की दूसरी लाइब्रेरियाँ

नौजवान तीमुथियुस को ईश्‍वर-प्रेरणा से लिखी अपनी दूसरी पत्री में, पौलुस ने कहा कि वह कुछ “पुस्तकें विशेष करके चर्म्मपत्रों” को उसके पास रोम ले आए। (2 तीमु. 4:13) इससे ज़ाहिर होता है कि पौलुस कुछ लेखों को बहुत कीमती समझता था और उन्हें अपने पास रखता था। आप भी वैसा ही कर सकते हैं। क्या आप प्रहरीदुर्ग, सजग होइए! और हमारी राज्य सेवकाई की अपनी कॉपियों को कलीसिया की सभाओं में इस्तेमाल करने के बाद सँभालकर रखते हैं? अगर हाँ, तो आप खोजबीन के लिए अपने दूसरे साहित्यों के साथ-साथ इनका भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ज़्यादातर कलीसियाएँ, अपने राज्यगृह की लाइब्रेरी में अलग-अलग मसीही साहित्य रखती हैं। ये साहित्य कलीसिया के सभी भाई-बहनों के बहुत काम आते हैं और वे राज्यगृह में रहते वक्‍त उनका इस्तेमाल कर सकते हैं।

निजी फाइलें बनाइए

हमेशा इस बात का ध्यान रखिए कि अगर किसी अखबार या पत्रिका में कोई दिलचस्प खबर, आँकड़ा या कोई उदाहरण छपता है, तो उसे काट लीजिए या उनकी एक कॉपी निकालकर रख लीजिए। इसे आप अपनी बातचीत में या सिखाते वक्‍त इस्तेमाल कर सकते हैं। उस कटिंग या कॉपी पर अखबार या पत्रिका की तारीख, उसका नाम और हो सके तो लेखक या प्रकाशक का नाम लिखिए। कलीसिया की सभाओं में ऐसी दलीलों और उदाहरणों को नोट कर लीजिए जिनकी मदद से आप दूसरों को सच्चाई समझा सकें। क्या आपको कभी एक अच्छा उदाहरण सूझा है, मगर उसे फौरन इस्तेमाल करने का मौका आपको नहीं मिला? अगर ऐसा है, तो उसे लिखकर एक फाइल में रख लीजिए। परमेश्‍वर की सेवा स्कूल में काफी समय तक तालीम पाने के बाद आपने ज़रूर सुसमाचार सुनाने के कई तरीके और पेशकश तैयार कर लिए होंगे। भाषण के बाद उनके नोट्‌स्‌ फेंक देने के बजाय, उन्हें सँभालकर रखिए। आपने जो खोजबीन की है, वह बाद में भी काम आ सकती है।

लोगों से बातचीत कीजिए

लोगों से बात करने से आपको ढेर सारी जानकारी मिल सकती है। लूका ने अपनी सुसमाचार की किताब में लिखी काफी जानकारी, चश्‍मदीद गवाहों से पूछ-पूछकर हासिल की थी। (लूका 1:1-4) हो सकता है कि आप जिस विषय पर खोजबीन कर रहे हैं, उसके बारे में आपका कोई संगी मसीही आपको बहुत कुछ बता सके। इफिसियों 4:8, 11-16 के मुताबिक मसीह ने ‘मनुष्यों में दान’ दिए हैं, जो ‘परमेश्‍वर के पुत्र की पहिचान’ और सही ज्ञान में बढ़ने में हमारी मदद करते हैं। लंबे अरसे से परमेश्‍वर की सेवा करते आए भाई-बहनों से सवाल पूछने पर आप बहुत-से अच्छे विचार सीख सकते हैं। लोगों से बात करने से आप यह भी जान सकते हैं कि उनके दिमाग में क्या चल रहा है और फिर इसकी मदद से आप अपनी जानकारी को इस तरह तैयार कर सकते हैं जिससे सुननेवाले को सचमुच फायदा हो।

खोजबीन से मिली जानकारी की जाँच कीजिए

गेहूँ की कटाई के बाद, दानों को फटककर भूसे से अलग किया जाता है। खोजबीन के मामले में भी यही बात लागू होती है। इससे पहले कि आप खोजबीन से मिली जानकारी दूसरों को बताएँ, आपको उसमें से गैर-ज़रूरी बातें निकाल देनी होंगी, ताकि आप सिर्फ वही बताएँ जो फायदेमंद है।

अगर आप खोजबीन से मिली जानकारी को किसी भाषण में बताने जा रहे हैं, तो अपने आप से पूछिए: ‘मैं जो जानकारी इस्तेमाल करने की सोच रहा हूँ क्या वह मेरे भाषण को वाकई असरदार बनाएगी? या फिर, भले ही यह जानकारी दिलचस्प है, मगर क्या यह मेरे विषय से हटकर है जिससे लोगों का ध्यान भंग हो सकता है?’ अगर आप भाषण में ताज़ा खबरें, या विज्ञान और चिकित्सा से ताल्लुक रखनेवाली कुछ बातें बताने की सोच रहे हैं, तो पहले ठीक से देख लीजिए कि वह जानकारी नयी है या पुरानी, क्योंकि ऐसे क्षेत्रों में अकसर नित नए बदलाव आते रहते हैं। यह भी याद रखिए कि हमारी पुरानी किताबों में दिए गए कुछ मुद्दों में शायद सुधार किया गया हो, इसलिए उस विषय के बारे में छपे हाल के किसी लेख या किताब की मदद लीजिए।

दुनियावी किताबों में खोजबीन करते वक्‍त एहतियात बरतने की खास ज़रूरत है। यह कभी मत भूलिए कि जहाँ सच्चाई की बात आती है, सिर्फ परमेश्‍वर का वचन ही पूरी तरह सच्चा है। (यूह. 17:17) परमेश्‍वर के उद्देश्‍य को पूरा करने में यीशु सबसे अहम भूमिका निभाता है। इसलिए कुलुस्सियों 2:3 कहता है: “[यीशु] में बुद्धि और ज्ञान से सारे भण्डार छिपे हुए हैं।” इसलिए दुनियावी किताबों से मिली जानकारी को इन सच्चाइयों की कसौटी पर परखकर जाँचिए। अपने आप से पूछिए: ‘क्या इसमें कोई बात काफी बढ़ा-चढ़ाकर कही गयी है, अटकलों पर या सीमित ज्ञान पर आधारित है? क्या इस किताब को अपना स्वार्थ पूरा करने या पैसा कमाने के मकसद से लिखा गया था? क्या इसकी सच्चाई को दूसरी भरोसेमंद जानकारी से परखा जा सकता है? सबसे बढ़कर, क्या यह बाइबल की सच्चाई से मेल खाती है?’

नीतिवचन 2:1-5 हमें उकसाता है कि हम ज्ञान, सूझ-बूझ और समझ की लगातार ऐसे खोज करें, मानो हम ‘चान्दी और गुप्त धन’ की खोज कर रहे हों। इस तरह खोजने का मतलब है कि हमें खूब मेहनत करने की ज़रूरत है और हमें इससे बढ़िया प्रतिफल मिलेगा। खोजबीन करने में मेहनत ज़रूर लगती है, मगर इससे आप, परमेश्‍वर के विचार जान पाएँगे, गलत धारणाओं को बदल पाएँगे और सच्चाई की और गहरी समझ पाएँगे। साथ ही, आप अपने भाषण को जानदार और असरदार बना पाएँगे। इसलिए आपको भाषण देने में आनंद आएगा, और लोग भी दिलचस्पी के साथ सुनेंगे।

खोजबीन के लिए इनमें से कौन-से साहित्य आपके पास हैं?

  • न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन ऑफ द होली स्क्रिप्चर्स्‌

  • कॉम्प्रिहॆन्सिव कॅनकॉर्डन्स

  • प्रहरीदुर्ग और सजग होइए!

  • रीज़निंग फ्रॉम द स्क्रिप्चर्स्‌

  • यहोवा के साक्षी—वे कौन हैं? उनके विश्‍वास क्या हैं?

  • इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्‌

  • वॉच टावर पब्लिकेशन्स इंडैक्स

  • सीडी-रॉम पर वॉचटावर लाइब्रेरी

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