अध्याय 15
अच्छा रूप और ढंग
आपकी वेश-भूषा से काफी हद तक आपकी पहचान होती है। यह सच है कि यहोवा हमारे दिल को देखता है, मगर इंसान आम तौर पर ‘बाहर का रूप देखकर’ हमारे बारे में राय कायम करते हैं। (1 शमू. 16:7) जब आप साफ-सुथरे रहते हैं और अच्छी तरह सजते-सँवरते हैं, तो यह देखकर दूसरे इस नतीजे पर पहुँचते हैं कि आप में आत्म-सम्मान है और वे आपका संदेश सुनना चाहेंगे। अच्छे और शालीन कपड़े पहनने से, आप जिस संगठन की तरफ से बात करते हैं, लोगों की नज़र में उसकी इज़्ज़त बढ़ जाती है। साथ ही, आप जिस परमेश्वर की उपासना करते हैं, उसका नाम रौशन होता है।
इन निर्देशों पर अमल कीजिए। बाइबल, हमें अपने रूप और ढंग के बारे में ढेरों कायदे-कानून नहीं देती। मगर इसमें कुछ ऐसे सिद्धांत ज़रूर दिए गए हैं, जिनकी मदद से हम सही फैसले कर सकते हैं। और इन सारे सिद्धांतों में से बुनियादी सिद्धांत यह है कि हमें “सब कुछ परमेश्वर की महिमा के लिये” करना चाहिए। (1 कुरि. 10:31) हमारे रूप और ढंग के संबंध में कौन-कौन-से सिद्धांत लागू होते हैं?
पहला, बाइबल हमें अपने शरीर और कपड़ों को साफ रखने का बढ़ावा देती है। यहोवा ने प्राचीन इस्राएल को जो व्यवस्था दी थी, उसमें स्वच्छता के बारे में कुछ माँगें शामिल थीं। उदाहरण के लिए, जब याजक मंदिर में सेवा करते थे, तो उनके लिए कुछ समय तय किए गए थे जब उन्हें नहाना था और अपने कपड़े धोने थे। (लैव्य. 16:4, 24, 26, 28) हालाँकि मसीही, मूसा की व्यवस्था के अधीन नहीं हैं, फिर भी उसमें दिए गए सिद्धांत आज भी लागू होते हैं। (यूह. 13:10; प्रका. 19:8) खासकर जब हम यहोवा की उपासना करने के लिए इकट्ठा होते हैं या प्रचार में हिस्सा लेते हैं, तो हमें अपने शरीर और कपड़ों को साफ रखना चाहिए और साँस की दूर्गंध दूर करनी चाहिए। अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो दूसरे लोग हमारे पास आना पसंद नहीं करेंगे। जो भाई-बहन कलीसिया के सामने भाषण देते हैं, या प्रदर्शनों में हिस्सा लेते हैं, उन्हें खासकर इस मामले में एक अच्छी मिसाल कायम करनी चाहिए। खुद के रूप और ढंग का ख्याल रखना, यहोवा और उसके संगठन के लिए आदर दिखाना है।
दूसरा, बाइबल हमें शालीन और संयमी होने के लिए उकसाती है। प्रेरित पौलुस ने मसीही स्त्रियों को उकसाया कि वे “संकोच [“शालीनता,” NHT] और संयम के साथ . . . अपने आप को संवारे; न कि बाल गूंथने, और सोने, और मोतियों, और बहुमोल कपड़ों से, पर भले कामों से। क्योंकि परमेश्वर की भक्ति ग्रहण करनेवाली स्त्रियों को यही उचित भी है।” (1 तीमु. 2:9, 10) पुरुषों को भी कपड़ों और बनाव-श्रृंगार के मामले में शालीन और संयमी होना ज़रूरी है।
एक शालीन इंसान, बेवजह दूसरों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचाता, न ही लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचने की कोशिश करता। एक संयमी इंसान, खूब सोच-समझकर और सबकुछ जाँच करने के बाद फैसले करता है। इन गुणों को दिखानेवाला, परमेश्वर के स्तरों का आदर करता है, इसलिए वह अपना संतुलन बनाए रख पाता है। लेकिन ये दोनों गुण दिखाने का यह मतलब हरगिज़ नहीं कि हम सुंदर दिखने के लिए अपने रूप को सँवार नहीं सकते। इसके बजाय, ये हमें समझदारी से काम लेने में मदद करते हैं, ताकि हम भड़कीले किस्म के कपड़े पहनने और हद-से-ज़्यादा या अजीबो-गरीब तरीके से सजने-सँवरने से दूर रहें। (1 यूह. 2:16) हम इन सिद्धांतों पर हमेशा अमल करना चाहते हैं, फिर चाहे हम उपासना के लिए इकट्ठा हों, प्रचार कर रहे हों या किसी दूसरे काम में लगे हों। यहाँ तक कि हमारे साधारण कपड़ों से भी शालीनता और संयम झलकना चाहिए। हमें, स्कूल में या नौकरी की जगह पर दूसरों को गवाही देने के कई मौके मिलते हैं। ऐसे वक्त पर, हालाँकि हमारा पहनावा सभाओं, सम्मेलनों और अधिवेशनों के पहनावे जैसा नहीं होगा, मगर फिर भी हमारे कपड़े साफ-सुथरे और शालीन होने चाहिए।
यह सच है कि हम सब एक ही किस्म के कपड़े नहीं पहनते, ना ही हमसे इसकी उम्मीद की जाती है। लोगों की अपनी-अपनी पसंद होती है और अपनी पसंद का कपड़ा पहनना कोई गलत बात नहीं। लेकिन ऐसे में भी, हमें हर वक्त बाइबल के सिद्धांतों को ध्यान में रखने की ज़रूरत है।
प्रेरित पतरस ने बताया कि बाल सँवारने के स्टाइल और पहनावे से कहीं बढ़कर सजावट, हमारे “मन का भीतरी व्यक्तित्व होना चाहिये।” (1 पत. 3:3, 4, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) जब हम अपने दिल में प्रेम, आनन्द, शांति, कृपा और विश्वास जैसे गुण पैदा करते हैं, जिसकी नींव मज़बूत है, तब ये गुण हमारे आध्यात्मिक वस्त्र होते हैं। और इनसे परमेश्वर का सही मायनों में आदर होता है।
तीसरा, बाइबल हमें यह जाँच करने की प्रेरणा देती है कि क्या हमारा रूप सुहावना है या नहीं। पहला तीमुथियुस 2:9 में “सुहावने वस्त्रों” का ज़िक्र किया गया है। इस आयत में प्रेरित पौलुस, स्त्रियों के पहनावे के बारे में बात कर रहा था, लेकिन यही सिद्धांत पुरुषों पर भी लागू होता है। सुहावने वस्त्रों का यहाँ मतलब है, सही ढंग के सलीकेदार कपड़े। हम चाहे अमीर हों या गरीब, खुद को साफ-सुथरा रखना मुमकिन है।
जब हमारे रूप की बात आती है, तो सबसे पहले लोगों की नज़र हमारे बालों पर जाती है। इसलिए हमारे बालों को अच्छी तरह कंघी करना और सही ढंग से सँवारना चाहिए। एक इंसान अपने बाल किस तरह बनाता है, यह उसके इलाके के दस्तूर पर और आनुवंशिक बातों पर निर्भर करता है। पहला कुरिन्थियों 11:14, 15 में, प्रेरित पौलुस ने बालों के स्टाइल पर जो सलाह दी, उसमें उसने भी इन दोनों बातों को मन में रखा। लेकिन जब एक पुरुष, स्त्रियों की तरह दिखने के लिए बाल बनाता है, या फिर एक स्त्री, पुरुषों के जैसे बाल बनाती है, तो यह बाइबल के सिद्धांतों के खिलाफ है।—व्यव. 22:5.
पुरुषों के लिए साफ-सुथरा रूप बनाए रखने में हजामत बनाना भी शामिल है। जिन इलाकों में पुरुषों के लिए मूँछें रखना शान की बात मानी जाती है, वहाँ जो कोई मूँछ रखता है, तो उसे अपनी मूँछें ढंग से काटनी चाहिए।
चौथा, हम जिस तरह से अपने रूप को सँवारते हैं, उससे यह ज़ाहिर नहीं होना चाहिए कि हमें संसार और उसके तौर-तरीकों से लगाव है। प्रेरित यूहन्ना ने आगाह किया: “तुम न तो संसार से और न संसार में की वस्तुओं से प्रेम रखो।” (1 यूह. 2:15-17) यह संसार बुरी लालसाओं से भरा पड़ा है। यूहन्ना ने बताया कि इन बुरी लालसाओं में से कुछ हैं, पापी शरीर की अभिलाषाएँ और अपने धन-दौलत का दिखावा। इसके अलावा, बाइबल संसार की बगावत करने की आत्मा या जो अधिकार के पद पर हैं, उनकी आज्ञाओं को तोड़ने के रवैए के बारे में भी बताती है। (नीति. 17:11; इफि. 2:2) इस तरह के रवैए और लालसाएँ, अकसर लोगों के कपड़ों और बनाव-श्रृंगार से साफ नज़र आते हैं। इसलिए वे बेहूदे, अश्लील, भड़कीले, बेढंगे, गंदे या भद्दे किस्म के कपड़े पहनते हैं। यहोवा के सेवक होने के नाते हैं, हम ऐसे रंग-ढंग या स्टाइल से दूर रहते हैं, जिनके ज़रिए परमेश्वर को पसंद न आनेवाले तौर-तरीके झलकते हों।
दुनिया के साँचे में ढलने के बजाय, यह कितना अच्छा होगा कि अपने पहनावे और बनाव-श्रृंगार में, हम मसीही कलीसिया के उन स्त्री-पुरुषों की बढ़िया मिसाल पर चलें जो आध्यात्मिक तरीके से प्रौढ़ हैं! जवान भाई, जो आगे चलकर, भाषण देने के योग्य बनना चाहते हैं, उन्हें उन भाइयों के पहनावे पर गौर करना चाहिए जो जन भाषण देने के काबिल हो चुके हैं। असल में, हम सब उन लोगों से काफी कुछ सीख सकते हैं, जिन्होंने वफादारी के साथ लोगों को प्रचार करने में कई साल बिताए हैं।—1 तीमु. 4:12; 1 पत. 5:2, 3.
पाँचवा, बनाव-श्रृंगार और पहनने-ओढ़ने में क्या सही है, इसका फैसला करते वक्त हमें ध्यान रखना चाहिए कि “मसीह ने अपने आप को प्रसन्न नहीं किया।” (रोमि. 15:3) यीशु ने अपनी ज़िंदगी में परमेश्वर की इच्छा पूरी करने को सबसे पहला स्थान दिया था। उसने अपनी सुख-सुविधा के बारे में सोचने के बजाय दूसरों की मदद करने को ज़्यादा अहमियत दी। अगर किसी किस्म के पहनावे और बनाव-श्रृंगार से हमारे और उन लोगों के बीच दीवार खड़ी हो जाती है जहाँ हम सेवा कर रहे हैं, तो हमें क्या करना चाहिए? अगर हम मसीह की तरह नम्र स्वभाव के होंगे, तो हम सही फैसला कर पाएँगे। प्रेरित पौलुस ने यह सिद्धांत दिया: “हम किसी बात में ठोकर खाने का कोई भी अवसर नहीं देते।” (2 कुरि. 6:3) इस वजह से हम ऐसे ढंग से अपने बाल नहीं बनाएँगे या ऐसे कपड़े नहीं पहनेंगे जिससे कि लोग, हमारा संदेश सुनने से इनकार कर दें।
मुद्रा। अच्छे रूप और ढंग में मुद्रा भी शामिल है। बेशक, हम सभी की उठने-बैठने, खड़े होने की मुद्राएँ अलग-अलग होती हैं और हम कोई खास मुद्रा अपनाने की कोशिश भी नहीं करते। लेकिन यह गौर करने लायक बात है कि बाइबल के मुताबिक जब एक व्यक्ति सीधा खड़ा होता है, तो उससे पता चलता है कि उसमें आत्म-सम्मान है और वह कभी उम्मीद नहीं खोता। (लैव्य. 26:13; लूका 21:28) फिर भी, कुछ भाई-बहन हैं जो सालों झुककर काम करने की वजह से या फिर ढलती उम्र या किसी शारीरिक कमज़ोरी की वजह से सीधे खड़े नहीं हो सकते या शायद उन्हें किसी सहारे की ज़रूरत होती है। मगर जो सीधे खड़े हो सकते हैं, उनके लिए हमारी यही सलाह है कि वे दूसरों से बात करते वक्त सीधे खड़े रहें। वरना ऐसा लगेगा मानो उन्हें बात करने में कोई दिलचस्पी नहीं हैं या वे किसी बात के लिए माफी माँग रहे हैं। उसी तरह, भाषण देते वक्त अगर एक भाई कभी-कभार स्पीकर स्टैंड पर हाथ रखता है, तो यह कोई गलत बात नहीं है। फिर भी, देखा गया है कि जब वह स्पीकर स्टैंड का सहारा नहीं लेता, तो भाषण का सुननेवालों पर और अच्छा असर पड़ता है।
सामान को तरतीब से रखना। हमें न सिर्फ अपना रूप और ढंग साफ-सुथरा रखना है बल्कि हम प्रचार में जो-जो सामान इस्तेमाल करते हैं, उन्हें भी साफ-सुथरा और तरतीब से रखना चाहिए।
अपनी बाइबल लीजिए। जब हमारी बाइबल बहुत पुरानी हो जाती है, तो हममें से हरेक के लिए एक नयी बाइबल हासिल करना मुमकिन नहीं है। इसलिए हमारी बाइबल चाहे कितनी भी पुरानी क्यों न हो, इससे यह पता लगना चाहिए कि इसे सँभालकर इस्तेमाल किया गया है।
प्रचार के लिए ब्रीफकेस या बैग में साहित्य रखने के बेशक कई तरीके हैं। हम जो भी तरीका अपनाएँ, वह सलीकेदार होना चाहिए। क्या आपने कभी देखा है कि एक प्रचारक किसी को गवाही देते वक्त या एक भाई कलीसिया के सामने भाषण देते वक्त, जब आयत पढ़ने के लिए अपनी बाइबल खोलता है, तो उसमें से कुछ कागज़-पर्चे गिरते हैं? इससे आपका ध्यान भटक गया होगा, है ना? अगर बाइबल में से कागज़ गिरने की वजह से दूसरों का ध्यान भटक सकता है, तो अच्छा होगा अगर आप उन कागज़ों को अपने बैग में कहीं और ढंग से रखें। और हाँ, यह मत भूलिएगा कि बाइबल या किसी और धार्मिक ग्रंथ के फर्श पर रखना, कुछ संस्कृतियों में बहुत अनादर की बात समझा जाता है।
अच्छे रूप और ढंग पर ध्यान देना, हमारे लिए बहुत मायने रखता है। इसके आधार पर दूसरे हमारे बारे में राय कायम करते हैं। लेकिन इस मामले पर ध्यान देने की हमारी सबसे बड़ी वजह यह है कि हम “सब बातों में हमारे उद्धारकर्त्ता परमेश्वर के उपदेश को शोभा” देना चाहते हैं।—तीतु. 2:10.