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अध्याय 53

सुननेवालों का हौसला बढ़ाकर उन्हें मज़बूत कीजिए

आपको क्या करने की ज़रूरत है?

अपने सुननेवालों के दिल में उम्मीद जगाइए या उन्हें हिम्मत दिलाइए। उनमें नया जोश पैदा कीजिए और उन्हें मज़बूत कीजिए।

इसकी क्या अहमियत है?

लोगों पर दुनिया के हालात की वजह से ज़बरदस्त दबाव है। बहुत-से लोग हिम्मत हार बैठते हैं। भाषण देनेवाला जो कहता है और जिस तरीके से कहता है, उसका सुननेवालों पर गहरा असर हो सकता है।

परमेश्‍वर के सेवकों को चाहे कैसी भी मुसीबतों से क्यों न गुज़रना पड़े, मसीही कलीसिया में आकर उनका हौसला ज़रूर बढ़ना चाहिए। यही बात मन में रखते हुए खासकर प्राचीनों को अपने भाषण और सलाह इस तरह पेश करने चाहिए कि सुननेवालों का हौसला मज़बूत हो। प्राचीनों को मानो “आंधी से छिपने का स्थान, और बौछार से आड़” होना चाहिए, “या निर्जल देश में जल के झरने, व तप्त भूमि में बड़ी चट्टान की छाया” होना चाहिए।—यशा. 32:2.

अगर आप एक प्राचीन हैं, तो क्या आप इस तरह से भाषण देते हैं कि सुननेवालों के मन को ताज़गी और सुकून मिले? जो यहोवा की सेवा वफादारी से करने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें क्या आपके भाषणों से हिम्मत मिलती है? क्या उन्हें लोगों की बेरुखी या विरोध के बावजूद, परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करने में लगे रहने की शक्‍ति मिलती है? क्या आपके सुननेवालों में से कुछ लोग मायूस हैं, क्या वे पैसे की तंगी के बोझ तले दबे हुए हैं या किसी लाइलाज बीमारी से जूझ रहे हैं? आप ‘अपने वचनों से अपने भाइयों को हियाव दिला सकते हैं।’—अय्यू. 16:5.

भाषण देने के सुअवसर का इस्तेमाल करके, अपने भाइयों की मदद कीजिए कि वे यहोवा और उसके इंतज़ामों से आशा पाएँ और मज़बूत हों।—रोमि. 15:13; इफि. 6:10.

यहोवा के उपकारों की याद दिलाइए। अपने सुननेवालों में हिम्मत पैदा करने का एक खास तरीका है, उन्हें बताना कि बीते समय में यहोवा ने अपने लोगों को मुश्‍किलों के दौर में कैसे मदद दी थी।—रोमि. 15:4.

जब वादा किया देश इस्राएलियों के दुश्‍मनों के कब्ज़े में था और इस्राएली उसमें कदम रखनेवाले ही थे, तब यहोवा ने मूसा से कहा कि वह यहोशू की “हौसलाअफज़ाई करके उसे मज़बूत” करे। मूसा ने यह कैसे किया? मूसा ने यहोशू की मौजूदगी में पूरी इस्राएल जाति को याद दिलाया कि उनके मिस्र से निकलते समय यहोवा ने उनकी खातिर क्या-क्या भले काम किए। (व्यव. 3:28, किताब-ए-मुकद्दस; 7:18) मूसा ने यह भी याद दिलाया कि यहोवा ने इस्राएलियों को अमोरियों पर कितनी बार जीत दिलायी। यह सब बताने के बाद, मूसा ने यहोशू को उकसाया: “मज़बूत हो जाओ, और हौसला रखो।” (किताब-ए-मुकद्दस) (व्यव. 31:1-8) क्या आप भी अपने भाइयों का हौसला बढ़ाने के लिए, उन्हें यहोवा के वे सारे काम याद दिलाते हैं, जो उसने उनकी खातिर किए हैं?

कभी-कभी लोग अपनी समस्याओं से इस कदर दब जाते हैं और मायूस हो जाते हैं कि वे परमेश्‍वर के राज्य की आशीषें पाने की उम्मीद खोने लगते हैं। ऐसे लोगों को याद दिलाइए कि यहोवा के वादे, पूरी तरह भरोसे के लायक हैं।—यहो. 23:14.

कुछ देशों में, सरकार ने सुसमाचार के प्रचार पर पाबंदी लगा दी है जिससे हमारे भाइयों के लिए काफी समस्याएँ खड़ी हो गयी हैं। ऐसी जगहों पर, प्यार से रखवाली करनेवाले प्राचीन, अपने संगी विश्‍वासियों की हिम्मत बँधाने के लिए, यीशु मसीह के प्रेरितों के अनुभव बता सकते हैं। (प्रेरि. 4:1–5:42) और जैसे एस्तेर की किताब में बताया गया है, परमेश्‍वर ने अपनी मरज़ी के हिसाब से कैसे घटनाओं को एक नया मोड़ दिया, यह बताने पर भाइयों में ज़रूर साहस पैदा होगा।

कुछ लोग, मसीही सभाओं में हाज़िर होते तो हैं, मगर इससे आगे कोई तरक्की नहीं करते। वे शायद सोचते हैं कि उन्होंने बीती ज़िंदगी में जो पाप किए हैं, उनकी वजह से परमेश्‍वर उन्हें कभी माफ नहीं करेगा। ऐसे लोगों को आप राजा मनश्‍शे के बारे में बता सकते हैं कि यहोवा उसके साथ कैसे पेश आया था। (2 इति. 33:1-16) या आप प्राचीन कुरिन्थ के उन लोगों के बारे में बता सकते हैं जिन्होंने अपनी ज़िंदगी में बदलाव किए, मसीही बने और परमेश्‍वर ने उन्हें धर्मी ठहराया।—1 कुरि. 6:9-11.

क्या कुछ लोग ऐसा महसूस करते हैं कि उन पर मुसीबतें इसलिए टूट पड़ी हैं क्योंकि परमेश्‍वर उनसे खुश नहीं है? ऐसे लोगों को आप अय्यूब की याद दिला सकते हैं कि उस पर क्या-क्या बीती और उसकी खराई की वजह से यहोवा ने उसे कैसे ढेरों आशीषें दीं। (अय्यू. 1:1-22; 10:1; 42:12, 13; भज. 34:19) सिर्फ नाम के लिए अय्यूब का दुःख बाँटने आए उसके दोस्तों ने, अय्यूब पर यह झूठा इलज़ाम लगाया कि ज़रूर उसने कोई पाप किया होगा जिसकी वजह से उसे सज़ा भुगतनी पड़ रही है। (अय्यू. 4:7, 8; 8:5, 6) इसके उलटे, जब पौलुस और बरनबास ने चेलों को मज़बूत किया और ‘विश्‍वास में स्थिर बने रहने के लिए प्रोत्साहित किया’ (NHT) तो उन्होंने कहा: “हमें बड़े क्लेश उठाकर परमेश्‍वर के राज्य में प्रवेश करना होगा।” (प्रेरि. 14:21, 22) उसी तरह, आज जो लोग परीक्षाओं का सामना करते हैं, उन्हें आप यह बताकर हिम्मत दिला सकते हैं कि सभी मसीहियों से क्लेश के दौरान धीरज धरने की माँग की जाती है और उनका यह धीरज, परमेश्‍वर की नज़र में अनमोल है।—नीति. 27:11; मत्ती 24:13; रोमि. 5:3, 4; 2 तीमु. 3:12.

अपने सुननेवालों को यह याद रखने का बढ़ावा दीजिए कि उन्होंने अपने जीवन में किन-किन तरीकों से यहोवा के वादों को पूरा होते देखा है। इस तरह थोड़ा उकसाने पर, वे समझ पाएँगे कि यहोवा ने अपने वादे के मुताबिक उनकी खातिर क्या-क्या किया है। भजन 32:8 में हम पढ़ते हैं: “मैं तुझे बुद्धि दूंगा, और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उस में तेरी अगुवाई करूंगा; मैं तुझ पर कृपादृष्टि रखूंगा और सम्मति दिया करूंगा।” अपने सुननेवालों को यह याद दिलाइए कि यहोवा ने कैसे उनको सही राह दिखायी है या उन्हें मज़बूत किया है। तब उनका दिल उनसे कहेगा कि यहोवा वाकई उनकी परवाह करता है और वह उनकी मदद करेगा, फिर चाहे वे कैसी भी परीक्षाओं से क्यों न गुज़रें।—यशा. 41:10, 13; 1 पत. 5:7.

आज यहोवा जो कर रहा है, उसमें खुश होइए। अपने भाइयों का हौसला बढ़ाते वक्‍त, उनका ध्यान इस बात की तरफ दिलाइए कि आज यहोवा क्या कर रहा है। इस बारे में बात करते वक्‍त अगर आप अपनी खुशी ज़ाहिर करेंगे, तो आपकी खुशी देखकर सुननेवालों के दिल में भी ज़रूर उन कामों के लिए खुशी पैदा होगी।

ध्यान दीजिए कि जीवन में आनेवाली समस्याओं को सहने और उनका अच्छी तरह सामना करने में यहोवा कैसे हमारी मदद करता है। वह हमें जीने का सबसे बेहतरीन तरीका सिखाता है। (यशा. 30:21) वह हमें समझाता है कि संसार में हो रहे अपराध, अन्याय, गरीबी, बीमारी और मौत की वजह क्या है। साथ ही, वह हमें यह भी बताता है कि वह कैसे इन सारे दुःखों को मिटा डालेगा। यहोवा ने हमें भाइयों की ऐसी बिरादरी दी है जिसमें सभी भाई-बहन एक-दूसरे से प्यार करते हैं। उसने हमें प्रार्थना का अनमोल वरदान दिया है। उसने हमें उसके साक्षी होने का गौरव दिया है। उसने हमारे मन की आँखें खोल दी हैं ताकि हम देख सकें कि मसीह, स्वर्ग में विराजमान है और इस पुराने संसार के अंतिम दिन बस खत्म होनेवाले हैं।—प्रका. 12:1-12.

इन सारी आशीषों के अलावा, यहोवा ने हमारे लिए कलीसिया की सभाओं, सम्मेलनों और अधिवेशनों का भी इंतज़ाम किया है। यहोवा के इन इंतज़ामों के बारे में दूसरों से बात करते वक्‍त, उनके लिए सच्ची कदरदानी ज़ाहिर कीजिए। तब आप दूसरों का यह इरादा मज़बूत कर पाएँगे कि उन्हें अपने भाइयों के साथ इकट्ठा होने की बात को कभी-भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।—इब्रा. 10:23-25.

यहोवा ने हमारे प्रचार काम पर जो आशीषें दी हैं, उनके बारे में अच्छी रिपोर्ट बताकर भी दूसरों का हौसला बढ़ाया जा सकता है। पहली सदी में, जब पौलुस और बरनबास, यरूशलेम की तरफ जा रहे थे, तब उन्होंने सब भाइयों को पूरी जानकारी दी कि अन्यजाति के लोग कैसे मसीही बने हैं। ये रिपोर्टें बताकर उन्होंने “भाइयों को बहुत आनन्दित किया।” (प्रेरि. 15:3) आप भी अपने भाइयों को अच्छे अनुभव बताकर उनको आनंदित कर सकते हैं।

इसके अलावा, अगर आप दूसरों को बताएँगे कि वे जो कर रहे हैं, वह क्या मायने रखता है, तो उन्हें काफी हिम्मत मिलेगी। वे मसीही सेवा में जितना भाग लेते हैं, उसके लिए उनकी सराहना कीजिए। जो लोग बुढ़ापे और बीमारी की वजह से बहुत कम सेवा कर पाते हैं, फिर भी पूरी वफादारी के साथ धीरज धर रहे हैं, उनकी तारीफ कीजिए। उन्हें याद दिलाइए कि उन्होंने यहोवा के नाम की खातिर जो मेहनत की है, उसे यहोवा कभी नहीं भूलेगा। (इब्रा. 6:10) हमारे भाइयों को इस बात की याद दिलाने की ज़रूरत है कि परीक्षाओं में भी टिकनेवाला विश्‍वास, एक अनमोल धन है।—1 पत. 1:6, 7.

भविष्य की आशा के बारे में यकीन के साथ बोलिए। परमेश्‍वर ने भविष्य के लिए जो वादे किए हैं, खासकर उनके ज़रिए परमेश्‍वर से प्रेम करनेवालों का हौसला मज़बूत होता है। आपके सुननेवालों में से ज़्यादातर ने इन वादों के बारे में शायद कई बार सुना होगा। फिर भी, इन वादों के बारे में बात करते वक्‍त, आप जो कदरदानी ज़ाहिर करेंगे उससे आप इनमें जान डाल सकते हैं, इनके पूरा होने का यकीन दिला सकते हैं, साथ ही इन वादों के लिए उनका दिल एहसानमंदी की भावना से भर सकता है। परमेश्‍वर की सेवा स्कूल से मिली तालीम को अमल में लाने से, आप इस तरीके से बात कर पाएँगे।

अपने लोगों का हौसला बढ़ाने और उन्हें मज़बूत करने में यहोवा ने सबसे बेहतरीन मिसाल कायम की है। लेकिन आप भी उसके लोगों का हौसला बढ़ाने और उन्हें मज़बूत करने में हिस्सा ले सकते हैं। जब कभी आप, कलीसिया के सामने बात करते हैं, तो हौसला बढ़ाने के इस मौके का अच्छा इस्तेमाल कीजिए।

यह कैसे करें

  • भाषण की तैयारी करते वक्‍त, याद कीजिए कि आपके सुननेवाले किन समस्याओं का सामना करते हैं। इस बारे में गहराई से विचार कीजिए कि आप किस तरीके से उनका हौसला बढ़ाएँगे और उन्हें मज़बूत करेंगे।

  • परमेश्‍वर के वचन का अच्छा इस्तेमाल कीजिए। दिखाइए कि उसमें कैसे उन समस्याओं के बारे में बताया है जिनका हम सामना करते हैं।

  • गहरी भावनाओं के साथ बात कीजिए।

अभ्यास: इस हफ्ते बाइबल की पढ़ाई या निजी अध्ययन करते वक्‍त, उसमें से एक ऐसा भाग चुनिए जिसका ज़िक्र करके आप दूसरों का हौसला बढ़ा सकते हैं। कलीसिया के किसी भाई या बहन को उसके बारे में बताइए।

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