बाइबल की किताब नंबर 21—सभोपदेशक
लेखक: सुलैमान
लिखने की जगह: यरूशलेम
लिखना पूरा हुआ: सा.यु.पू. 1000 से पहले
सभोपदेशक की किताब लिखने के पीछे एक महान उद्देश्य था। सुलैमान एक ऐसी प्रजा का राजा था जो यहोवा को समर्पित थी, इसलिए उसकी ज़िम्मेदारी थी कि वह उन सबको अपने समर्पण के मुताबिक यहोवा के वफादार बने रहने में मदद करे। अपनी इस ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए उसने लोगों को सभोपदेशक की किताब के ज़रिए बुद्धि-भरी सलाह दी।
2 सभोपदेशक 1:1 में वह खुद को “उपदेशक” कहता है। इब्रानी भाषा में यह शब्द है कोहेलेथ और इब्रानी बाइबल में इस किताब का नाम यही है। कोहेलेथ का सही अनुवाद है “सभाकार” और सुलैमान के लिए यह उपाधि ज़्यादा सही है। इससे पता चलता है कि सुलैमान ने यह किताब किस मकसद से लिखी थी।
3 राजा सुलैमान किस मायने में एक सभाकार था और उसने किस लिए सभा इकट्ठी की? वह अपनी प्रजा, इस्राएल का और जो परदेशी कुछ वक्त के लिए उसके देश में रहते थे, उनका सभाकार था। उसने इन सभी को अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना के लिए इकट्ठा किया। पहले उसने यरूशलेम में यहोवा का मंदिर बनाकर उसके समर्पण के वक्त इन सभी को आने का न्यौता दिया था, ताकि वे परमेश्वर की उपासना करें। (1 राजा 8:1) और अब सभोपदेशक किताब के ज़रिए, उसने अपनी प्रजा को अच्छे कामों के लिए इकट्ठा किया, और इस तरह दुनिया के व्यर्थ और बेकार कामों से उन्हें दूर ले आया।—सभो. 12:8-10.
4 हालाँकि इस किताब में यह नहीं लिखा है कि इसे सुलैमान ने लिखा है, फिर भी इसके ज़्यादातर भागों से साफ पता चलता है कि वही इसका लेखक था। सभाकार ने अपना परिचय देते हुए कहा है कि वह ‘दाऊद का पुत्र’ और “यरूशलेम में इस्राएल का राजा” है। यह सिर्फ राजा सुलैमान का परिचय हो सकता था, क्योंकि उसके बाद यरूशलेम में राज करनेवाले राजाओं ने सिर्फ यहूदा पर हुकूमत की थी। इसके अलावा, सभाकार यह भी लिखता है: “जितने यरूशलेम में मुझ से पहिले थे, उन सभों से मैं ने बहुत अधिक बुद्धि प्राप्त की है; और मुझ को बहुत बुद्धि और ज्ञान मिल गया है।” (1:1, 12, 16) यह बात सुलैमान पर सही बैठती है। सभोपदेशक 12:9 (NHT) कहता है कि ‘उसने चिन्तन किया, खोजबीन की और बहुत से नीतिवचन क्रम में संजोए।’ राजा सुलैमान ने 3,000 नीतिवचन कहे थे। (1 राजा 4:32) सभोपदेशक 2:4-9 में लेखक ने अपनी बनवायी इमारतों, दाख की बारियों, बाग-बगीचों, सिंचाई व्यवस्था, नौकर-नौकरानियों के इंतज़ाम, सोने-चाँदी के भंडार और दूसरी कई कामयाबियों के बारे में बताया है। यह सब सुलैमान के बारे में सच था। जब शीबा की रानी ने सुलैमान की बुद्धि और धन-दौलत देखी तो उसने कहा: “इसका आधा भी मुझे न बताया गया था।”—1 राजा 10:7.
5 किताब बताती है कि सभाकार ‘यरूशलेम का राजा’ था, जिससे पता चलता है कि इसे यरूशलेम में लिखा गया था। यह वक्त सा.यु.पू. 1000 से पहले का रहा होगा जब सुलैमान की हुकूमत के 40 साल में से ज़्यादातर साल बीत चुके थे और वह उन ढेरों कामों को कर चुका था जिनका ज़िक्र इस किताब में किया गया है। मगर तब तक वह मूर्तिपूजा के फंदे में नहीं फँसा था। इस किताब को जब उसने लिखा, तब तक उसने इस बारे में काफी कुछ जान लिया होगा कि दुनिया किस तरह के काम-धंधों में लगी रहती है और दौलत के पीछे कैसे अंधाधुंध भागती है। यह वह समय था जब उसे परमेश्वर की मंज़ूरी हासिल थी और उसी की प्रेरणा से उसने यह किताब लिखी।
6 हम कैसे यकीन कर सकते हैं कि सभोपदेशक की किताब “परमेश्वर की प्रेरणा” से लिखी गयी थी? कुछ लोग इसके प्रेरित होने पर सवाल उठा सकते हैं क्योंकि इसमें एक बार भी परमेश्वर का नाम, यहोवा नहीं आता। मगर इस किताब में परमेश्वर की सच्ची उपासना की पैरवी ज़रूर की गयी है और इसके इब्रानी पाठ में कई बार हा’इलोहीम शब्द आया है, जिसका मतलब है “सच्चा परमेश्वर।” इसके ईश्वर-प्रेरित होने पर सवाल करने की एक और वजह यह हो सकती है कि बाइबल की दूसरी किताबों में सभोपदेशक की किताब से सीधे-सीधे कोई हवाला नहीं दिया गया है। लेकिन, इस किताब में सिखायी बातें और सिद्धांत बाकी पवित्रशास्त्र के साथ पूरी तरह से मेल खाते हैं। क्लार्क की कॉमेंट्री, भाग 3, पेज 799 कहती है: “यहूदी और ईसाई चर्च, दोनों ने इस बात को कबूल किया कि कोहेलेथ या सभोपदेशक नाम की किताब सर्वशक्तिमान की प्रेरणा से लिखी गयी थी; और सही कारणों से इसे पवित्र संग्रह का हिस्सा माना जाता था।”
7 दुनिया में समझदार माने जानेवाले बाइबल के “आलोचक” दावा करते हैं कि सभोपदेशक की किताब सुलैमान ने नहीं लिखी थी, और यह “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” का हिस्सा भी नहीं है। वजह बताते हुए वे कहते हैं कि इसकी भाषा और इसमें बताया गया फलसफा बाद के ज़माने का है। मगर वे इस बात को नज़रअंदाज़ करते हैं कि सुलैमान ने इस्राएल और दूसरे देशों के बीच व्यापार और उद्योग को बढ़ावा दिया था और इस दौरान विदेश से इस्राएल आनेवाली महान हस्तियों और दूसरे लोगों से उसने ज्ञान का भंडार हासिल किया होगा। (1 राजा 4:30, 34; 9:26-28; 10:1, 23, 24) जैसा कि एफ. सी. कुक अपनी किताब बाइबल कॉमेंट्री, भाग 4, पेज 622 में लिखते हैं: “इब्री लोगों के इस नामी बादशाह के रोज़मर्रा के काम-काज और उसके शौक बिलकुल अलग थे, जिस वजह से उसने ऐसे कई मामलों पर जानकारी हासिल की, जो इब्री लोगों की आम ज़िंदगी, खयालात और उनकी ज़बान से काफी हटकर हैं।”
8 लेकिन, क्या यह साबित करने के लिए कि सभोपदेशक वाकई बाइबल के संग्रह का हिस्सा है, हमें बाहरी सबूतों की ज़रूरत है? अगर हम इस किताब की ही जाँच करें, तो हमें न सिर्फ इसके अंदरूनी तालमेल का पता चलता है बल्कि बाकी पवित्रशास्त्र के साथ भी इसका तालमेल नज़र आता है, जिसका यह सचमुच एक हिस्सा है।
क्यों फायदेमंद है
15 सभोपदेशक की किताब, इसे पढ़नेवालों को मायूस नहीं करती। इसके बजाय, इसमें परमेश्वर की बुद्धि के चमकते रत्न जड़े हुए हैं। जब सुलैमान ने ढेरों कामयाबियों का ज़िक्र करके उन्हें व्यर्थ बताया, तो उसने यहोवा का मंदिर बनाने के काम को इसमें शामिल नहीं किया जो यरूशलेम में मोरिय्याह पर्वत पर था, न ही उसने यहोवा की शुद्ध उपासना को व्यर्थ बताया। उसने यह नहीं कहा कि परमेश्वर का दिया ज़िंदगी का तोहफा बेकार है, मगर उसने समझाया कि इंसान को ज़िंदगी इसलिए दी गयी है कि वह इसका लुत्फ उठाए और भले काम करे। (3:12, 13; 5:18-20; 8:15) इस किताब में उन कामों की निंदा की गयी है जिनमें परमेश्वर को नज़रअंदाज़ किया जाता है। एक पिता शायद अपने बेटे के लिए खूब दौलत जमा करे, मगर हो सकता है किसी हादसे में उसका सबकुछ लुट जाए और बेटे के हाथ कुछ भी न लगे। इसलिए कितना बेहतर होगा कि माँ-बाप अपने बच्चों को आध्यात्मिक दौलत की विरासत दें जो हमेशा कायम रहती है। ढेर सारा धन जमा करना, मगर उसका मज़ा न ले पाना कितने दुःख की बात है। दुनिया के सभी धनवानों पर एक-न-एक-दिन मुसीबत आन पड़ती है, क्योंकि वे मरने पर खाली हाथ ‘लौट जाते’ हैं।—5:13-15; 6:1, 2.
16 मत्ती 12:42 में, मसीह यीशु ने खुद के बारे में बताया कि वह “सुलैमान से भी बड़ा” है। सुलैमान ने यीशु को दर्शाया था। तो क्या कोहेलेथ की किताब में दर्ज़ सुलैमान के शब्द यीशु की शिक्षाओं से मेल खाते हैं? जी हाँ, कई बार दोनों ने एक ही बात सिखायी! मिसाल के लिए, यीशु ने बताया कि परमेश्वर किस कदर काम करता रहता है। उसने कहा: “मेरा पिता अब तक काम करता है, और मैं भी काम करता हूं।” (यूह. 5:17) सुलैमान भी परमेश्वर के कामों का ज़िक्र यूँ करता है: “तब मैं ने परमेश्वर का सारा काम देखा जो सूर्य के नीचे किया जाता है, उसकी थाह मनुष्य नहीं पा सकता। चाहे मनुष्य उसकी खोज में कितना भी परिश्रम करे, तौभी उसको न जान पाएगा; और यद्यपि बुद्धिमान कहे भी कि मैं उसे समझूंगा, तौभी वह उसे न पा सकेगा।”—सभो. 8:17.
17 यीशु और सुलैमान, दोनों ने सच्चे उपासकों को साथ इकट्ठा होने के लिए उकसाया। (मत्ती 18:20; सभो. 4:9-12; 5:1) यीशु ने “जगत के अन्त” और ‘अन्य जातियों के [“ठहराए गए,” NW] समय’ के बारे में जो बताया, वह सुलैमान की इस बात से मेल खाता है कि “हर एक बात का एक अवसर और प्रत्येक काम का, जो आकाश के नीचे होता है, एक समय है।”—मत्ती 24:3; लूका 21:24; सभो. 3:1.
18 सबसे बढ़कर, यीशु और उसके चेलों ने दौलत और ऐशो-आराम के लालच से खबरदार करते हुए जो सलाह दी, वह सुलैमान की सलाह से मिलती-जुलती है। सुलैमान कहता है कि बुद्धि से सही मायनों में सुरक्षा मिलती है, क्योंकि इसके “रखनेवालों के प्राण की रक्षा होती है।” यीशु ने कहा: “इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी।” (सभो. 7:12; मत्ती 6:33) सभोपदेशक 5:10 में लिखा है: “जो रुपये से प्रीति रखता है वह रुपये से तृप्त न होगा; और न जो बहुत धन से प्रीति रखता है, लाभ से: यह भी व्यर्थ है।” इसी से मिलती-जुलती सलाह पौलुस ने 1 तीमुथियुस 6:6-19 में दी है कि “रुपये का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है।” बाइबल की और भी कई आयतें वही शिक्षाएँ देती हैं जो सभोपदेशक किताब में मिलती हैं।—सभो. 3:17—प्रेरि. 17:31; सभो. 4:1—याकू. 5:4; सभो. 5:1, 2—याकू. 1:19; सभो. 6:12—याकू. 4:14; सभो. 7:20—रोमि. 3:23; सभो. 8:17—रोमि. 11:33.
19 परमेश्वर का प्यारा बेटा यीशु मसीह, धरती पर बुद्धिमान राजा सुलैमान के वंश से पैदा हुआ था। यीशु मसीह के राज में इस धरती पर एक नया इंसानी समाज बसाया जाएगा। (प्रका. 21:1-5) सुलैमान का राज, परमेश्वर के राज्य की एक झलक था। इसलिए सुलैमान ने अपनी प्रजा को सही राह दिखाने के लिए जो लिखा था, वह आज हम सबके लिए बहुत ज़रूरी है जो परमेश्वर के उस राज्य पर आस लगाए हुए हैं जिसका राजा मसीह यीशु है। इस राज्य की हुकूमत में इंसान उन्हीं बुद्धिमानी भरे सिद्धांतों के मुताबिक जीएँगे जो सभाकार ने सिखाए थे और वे परमेश्वर से सुखी ज़िंदगी का तोहफा पाकर हमेशा-हमेशा के लिए उसका लुत्फ उठाएँगे। अगर हम परमेश्वर के राज्य की ये खुशियाँ पाना चाहते हैं, तो अभी वक्त है कि हम यहोवा की उपासना के लिए इकट्ठे हों।—सभो. 3:12, 13; 12:13, 14.