बाइबल की किताब नंबर 24—यिर्मयाह
लेखक: यिर्मयाह
लिखने की जगह: यहूदा और मिस्र
लिखना पूरा हुआ: सा.यु.पू. 580
कब से कब तक का ब्यौरा: सा.यु.पू. 647-580
भविष्यवक्ता यिर्मयाह एक ऐसे दौर में जीया था, जो भारी संकट का समय था और जहाँ चारों तरफ उथल-पुथल मची हुई थी। यहोवा ने उसे सा.यु.पू. 647 में भविष्यवाणी करने का काम सौंपा था, यानी उस वक्त जब यहूदा पर राजा योशिय्याह की हुकूमत का 13वाँ साल चल रहा था। योशिय्याह परमेश्वर का भय माननेवाला राजा था। जब यहोवा के भवन की मरम्मत की जा रही थी, तो उस दौरान यहोवा की व्यवस्था की पुस्तक बरामद हुई, जो राजा को पढ़कर सुनायी गयी थी। हालाँकि योशिय्याह ने व्यवस्था को लागू करवाने में एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा दिया था, मगर वह सिर्फ कुछ समय के लिए लोगों को मूर्तिपूजा से दूर रखने में कामयाब रहा। खुद योशिय्याह के दादा, मनश्शे (जिसने 55 साल तक राज किया था) और पिता, आमोन ने (जिसे हुकूमत किए 2 साल ही हुए थे कि उसकी हत्या कर दी गयी थी) बहुत ही घिनौने काम किए थे। उन्होंने लोगों को नीच लैंगिक काम करने और दिल दहलानेवाले रीति-रिवाज़ों को मानने का बढ़ावा दिया। नतीजा यह हुआ कि लोग यहोवा को छोड़, “स्वर्ग की रानी” के लिए धूप जलाने और पिशाच देवताओं को इंसानों की बलि चढ़ाने लगे थे। मनश्शे ने तो यरूशलेम को मासूमों के खून से भर दिया था।—यिर्म. 1:2; 44:19; 2 राजा 21:6, 16, 19-23; 23:26, 27.
2 यिर्मयाह का काम हरगिज़ आसान नहीं था। उसे यहोवा का नबी बनकर अपने ही लोगों के खिलाफ ऐसी विपत्तियों की भविष्यवाणियाँ करनी थीं, जिन पर उन्हें विश्वास करना नामुमकिन लगता। वह ये थीं कि यहूदा और यरूशलेम तबाह हो जाएँगे, यहोवा का आलीशान मंदिर जलकर राख हो जाएगा और उसके लोग बंधुआई में चले जाएँगे। यिर्मयाह ने 40 साल तक यरूशलेम में भविष्यवाणी का काम किया और इस दौरान यहूदा पर कई दुष्ट राजाओं ने हुकूमत की। जैसे, यहोआहाज, यहोयाकीम, यहोयाकीन (कोन्याह) और सिदकिय्याह। (यिर्म. 1:2, 3) इसके बाद, जब यिर्मयाह मिस्र में था, तब उसे वहाँ पनाह ले रहे यहूदियों के खिलाफ भविष्यवाणी करनी थी जो मूर्तिपूजा में लगे हुए थे। यिर्मयाह ने सा.यु.पू. 580 में अपनी किताब को लिखना पूरा किया। इस किताब में 67 सालों के दौरान हुई सनसनीखेज़ घटनाओं का ब्यौरा दर्ज़ है।—52:31.
3 इब्रानी भाषा में, यिर्मयाह और उसकी किताब का नाम, यिरमेयाह या यिरमेयाहू है। और इसका मतलब हो सकता है, “यहोवा ऊँचा करता है; या, यहोवा [शायद कोख से] ढीला करता है।” इब्रानी शास्त्र की जितनी भी सूचियाँ मौजूद हैं, उन सभी में इस किताब का नाम शामिल है और इसे आम तौर पर बाइबल के संग्रह का हिस्सा माना जाता है। यिर्मयाह के जीते-जी उसकी कई भविष्यवाणियों का हैरतअँगेज़ ढंग से पूरा होना इस बात का पक्का सबूत है कि उसकी किताब सच्ची है। इसके अलावा, मसीही यूनानी शास्त्र में यिर्मयाह के नाम का ज़िक्र कई बार आता है। (मत्ती 2:17, 18; 16:14; 27:9) यीशु ने भी यिर्मयाह की किताब का अध्ययन किया था। यह इस बात से ज़ाहिर होता है कि जब उसने मंदिर से व्यापारियों को खदेड़ा था, तब उसने यिर्मयाह 7:11 और यशायाह 56:7 में दिए शब्दों को दोहराया था। (मर. 11:17; लूका 19:46) यीशु की निडरता और हिम्मत को देखकर कुछ लोग तो यह भी सोच बैठे थे कि वही यिर्मयाह है। (मत्ती 16:13, 14) नयी वाचा (यिर्म. 31:31-34) के बारे में यिर्मयाह ने जो भविष्यवाणी की थी, उसका ज़िक्र पौलुस इब्रानियों 8:8-12 और इब्रा 10:16, 17 में करता है। पौलुस यिर्मयाह 9:24 का हवाला देते हुए कहता है: “जो घमण्ड करे वह [यहोवा] में घमण्ड करे।” (1 कुरि. 1:31) प्रकाशितवाक्य 18:21 बताता है कि बाबुल के पतन के बारे में यिर्मयाह का दृष्टांत (यिर्म. 51:63, 64) और भी ज़बरदस्त तरीके से कैसे पूरा होगा।
4 पुरातत्व की खोज भी इस बात को पुख्ता करती है कि यिर्मयाह की किताब सच्ची है। मिसाल के लिए, बाबुल का एक शिलालेख बताता है कि सा.यु.पू. 617 में नबूकदनेस्सर (नबूकदरेस्सर) यरूशलेम पर चढ़ाई करके उसके राजा (यहोयाकीन) को बंदी बनाकर ले गया था और उसकी जगह अपनी पसंद के एक शख्स (सिदकिय्याह) को राजा बनाया था।—24:1; 29:1, 2; 37:1.a
5 मूसा को छोड़, किसी और भविष्यवक्ता ने अपनी ज़िंदगी के बारे में उतनी जानकारी नहीं दी जितनी कि यिर्मयाह ने दी है। उसने अपने बारे में साथ ही, अपने विचारों और जज़बातों के बारे में काफी कुछ लिखा है। उसकी किताब को पढ़ने से पता चलता है कि वह निडर और साहसी होने के साथ-साथ नम्र और कोमल स्वभाव का भी था। वह सिर्फ भविष्यवक्ता ही नहीं बल्कि एक याजक, शास्त्र का संग्रह करनेवाला और एक अचूक इतिहासकार भी था। उसका पिता, हिल्किय्याह एक याजक था जो अनातोत का रहनेवाला था। यह शहर यरूशलेम के उत्तर में, यानी “बिन्यामीन देश” में याजकों का शहर था। (1:1) यिर्मयाह की लेखन-शैली स्पष्ट और समझने में आसान है और वह बातों को घुमा-फिराकर नहीं लिखता। उसकी किताब में ढेरों उदाहरण और ऐसे वर्णन दिए गए हैं जिनसे मन में जीती-जागती तसवीरें उभर आती हैं। उसने अपनी किताब में आम भाषा के साथ-साथ काव्य शैली भी इस्तेमाल की है।
क्यों फायदेमंद है
36 ईश्वर-प्रेरणा से लिखी यह किताब हमारी हौसला-अफज़ाई करती है और हमें फायदा पहुँचाती है। गौर कीजिए कि खुद यिर्मयाह ने साहस दिखाने में हमारे लिए क्या ही बढ़िया मिसाल कायम की है। उसने बड़ी निडरता से भक्तिहीन लोगों को ऐसा पैगाम सुनाया जिसे वे पसंद नहीं करते। उसने दुष्टों की दोस्ती को ठुकरा दिया। उसने इस बात को समझा कि यहोवा का पैगाम जल्द-से-जल्द सुनाया जाना है, इसलिए उसने इस काम में अपना तन-मन लगा दिया और मुसीबतों के बावजूद भी हार नहीं मानी। उसने पाया कि परमेश्वर का वचन उसकी हड्डियों में धधकती हुई आग की तरह है और उसके मन के हर्ष और आनन्द का कारण है। (यिर्म. 15:16-20; 20:8-13) आइए हम भी यहोवा के वचन के लिए यिर्मयाह जैसा जोश दिखाएँ! और जिस तरह बारूक ने यिर्मयाह का साथ दिया था, हम भी परमेश्वर के सेवकों का वफादारी से साथ दें। आज्ञा मानने के मामले में रेकाबियों ने भी हमारे लिए उम्दा मिसाल कायम की है। और हम एबेदमेलेक से भी सबक सीख सकते हैं जिसने ज़ुल्म सह रहे यिर्मयाह के लिए प्यार-भरी परवाह दिखायी थी।—36:8-19, 32; 35:1-19; 38:7-13; 39:15-18.
37 यिर्मयाह को यहोवा की तरफ से जितनी भविष्यवाणियाँ मिली थीं, उनकी एक-एक बात अचूक तरीके से पूरी हुई। इससे हमारा इस बात पर विश्वास बढ़ता है कि सिर्फ यहोवा ही सच्ची भविष्यवाणियाँ करने की काबिलीयत रखता है। मिसाल के लिए, गौर कीजिए कि खुद यिर्मयाह ने अपने जीते-जी किन भविष्यवाणियों को पूरा होते देखा था: सिदकिय्याह को बंदी बनाया गया और यरूशलेम की ईंट-से-ईंट बजायी गयी (21:3-10; 39:6-9), राजा शल्लूम (यहोआहाज) से उसकी राजगद्दी छीन ली गयी और बंधुआई में उसकी मौत हो गयी (यिर्म. 22:11, 12; 2 राजा 23:30-34; 2 इति. 36:1-4), राजा कोन्याह (यहोयाकीन) को बंधुआ बनाकर बाबुल ले जाया गया (यिर्म. 22:24-27; 2 राजा 24:15, 16), और एक ही साल के अंदर झूठे भविष्यवक्ता, हनन्याह की मौत हो गयी (यिर्म. 28:16, 17)। इन भविष्यवाणियों के अलावा, और भी कई भविष्यवाणियाँ ठीक वैसे ही पूरी हुईं जैसे यहोवा ने कहा था। यिर्मयाह के बाद आनेवाले भविष्यवक्ताओं और सेवकों ने भी पाया कि उसकी भविष्यवाणियाँ सच्ची और फायदेमंद हैं। उदाहरण के लिए, नबी दानिय्येल ने यिर्मयाह की भविष्यवाणियों से समझ लिया था कि यरूशलेम को 70 साल तक उजाड़ पड़े रहना होगा। और जब 70 साल खत्म हुए, तब एज्रा ने बताया कि यिर्मयाह के ये शब्द कैसे पूरे हुए।—दानि. 9:2; 2 इति. 36:20, 21; एज्रा 1:1; यिर्म. 25:11, 12; 29:10.
38 जब यीशु ने अपने चेलों के साथ प्रभु के संध्या भोज की शुरूआत की थी, तब उसने इस बात की तरफ इशारा किया था कि नयी वाचा के बारे में यिर्मयाह की भविष्यवाणी पूरी हुई है। इसलिए उसने कहा: ‘यह मेरे लहू में एक नई वाचा है।’ (NHT) इस वाचा की बदौलत यीशु के चेलों के पाप माफ किए जाते और उन्हें यहोवा की आत्मिक जाति बनने के लिए इकट्ठा किया जाता। (लूका 22:20; यिर्म. 31:31-34) मसीह नयी वाचा में शामिल किए जानेवाले आत्मा से अभिषिक्त जनों के साथ राज्य की वाचा बाँधता है और वादा करता है कि वे उसके साथ स्वर्ग में राज करेंगे। (लूका 22:29; प्रका. 5:9, 10; 20:6) यिर्मयाह की भविष्यवाणी में इस राज्य का कई बार ज़िक्र किया गया है। जहाँ एक तरफ यिर्मयाह ने विश्वासघाती यरूशलेम को यहोवा का न्यायदंड सुनाया, वहीं दूसरी तरफ उसने यह उम्मीद भी दी: “यहोवा की यह भी वाणी है, देख ऐसे दिन आते हैं जब मैं दाऊद के कुल में एक धर्मी अंकुर उगाऊंगा, और वह राजा बनकर बुद्धि से राज्य करेगा, और अपने देश में न्याय और धर्म से प्रभुता करेगा।” इस राजा का नाम, “यहोवा हमारी धार्मिकता” (NHT) होगा।—यिर्म. 23:5, 6.
39 यिर्मयाह एक बार फिर बहाली की भविष्यवाणी करता है: “वे अपने परमेश्वर यहोवा और अपने राजा दाऊद की सेवा करेंगे जिसको मैं उन पर राज्य करने के लिये ठहराऊंगा।” (30:9) बहाली की भविष्यवाणी के आखिर में, यिर्मयाह बताता है कि इस्राएल और यहूदा के बारे में यहोवा ने यह अच्छी बात कही है कि “उन्हीं दिनों में और उसी समय [यहोवा] दाऊदवंशी एक धर्मी डाली को प्रस्फुटित” करेगा। इससे दाऊद का वंश आगे बढ़ेगा और ‘उसकी राजगद्दी पर विराजने के लिए एक राजकुमार’ होगा। (33:15, 21, NHT) जी हाँ, जिस तरह बचे हुए यहूदियों के बाबुल से लौटने की भविष्यवाणी पूरी हुई थी, उसी तरह यह भविष्यवाणी भी पूरी होगी कि उस धर्मी “डाली” का राज्य सारी धरती पर न्याय और धार्मिकता से प्रभुता करेगा।—लूका 1:32.
[फुटनोट]
a इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्, भाग 2, पेज 326, 480.