बाइबल की किताब नंबर 29—योएल
लेखक: योएल
लिखने की जगह: यहूदा
लिखना पूरा हुआ: लगभग सा.यु.पू. 820 (?)
एक-के-बाद-एक कीड़ों के झुंड देश को उजाड़ देते हैं। उनके आगे-आगे आग तबाही मचाती है और उनके पीछे-पीछे ज्वाला सबकुछ भस्म करती जाती है। चारों तरफ अकाल पड़ा है। सूरज अंधकार में और चंद्रमा लहू में बदल जाता है क्योंकि यहोवा का महान और भयानक दिन निकट है। वह हँसिया लगाने और देशों को विनाश के लिए इकट्ठा करने की आज्ञा देता है। मगर इससे कुछ लोग ‘छुटकारा पाएँगे।’ (योए. 2:32) इन सनसनीखेज़ घटनाओं पर गौर करने से योएल की भविष्यवाणियाँ हमारे लिए न सिर्फ बहुत रोमांचक साबित होंगी बल्कि इनसे हमें बढ़िया फायदे भी मिलेंगे।
2 इस किताब की शुरूआत इन शब्दों से की गयी है: “यहोवा का वचन जो पतूएल के पुत्र योएल के पास पहुंचा।” बाइबल इससे ज़्यादा योएल के बारे में और कुछ नहीं बताती, क्योंकि इसमें लेखक पर नहीं बल्कि उसकी भविष्यवाणी के संदेश पर ज़ोर दिया गया है। “योएल” (इब्रानी में, योहएल) नाम का मतलब है, “यहोवा ही परमेश्वर है।” योएल ने यरूशलेम, उसके मंदिर और उसकी सेवाओं की बारीकियों के बारे में जो जानकारी दी, उससे पता चलता है कि वह उन जगहों से अच्छी तरह वाकिफ था और शायद उसने यरूशलेम या यहूदा में ही अपनी किताब लिखी होगी।—योए. 1:1, 9, 13, 14; 2:1, 15, 16, 32.
3 योएल की किताब कब लिखी गयी थी? यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता। विद्वान, सा.यु.पू. 800 से पहले से लेकर लगभग सा.यु.पू. 400 के बीच अलग-अलग तारीख बताते हैं। इस किताब में यह ब्यौरा दिया गया है कि कैसे यहोवा ने यहोशापात की तराई में देशों पर न्यायदंड लाकर यहूदा के राजा यहोशापात को अपने दुश्मनों पर जीत दिलायी थी। इससे पता चलता है कि योएल ने अपनी किताब उस महान जीत के कुछ समय बाद लिखी थी। तो ज़ाहिर है कि यह समय यहोशापात के सा.यु.पू. 936 में राजा बनने के बाद ही हो सकता है। (योए. 3:2, 12; 2 इति. 20:22-26) भविष्यवक्ता आमोस, जिसने करीब सा.यु.पू. 829 और सा.यु.पू. 804 के बीच भविष्यवाणी की थी, उसने शायद योएल की किताब से हवाला दिया था। इसका मतलब है कि योएल की किताब आमोस की किताब से पहले लिखी गयी थी। (योए. 3:16; आमो. 1:2) एक और बात से पता चलता है कि योएल की किताब पहले लिखी गयी थी। वह यह कि इब्रानी संग्रह में योएल की किताब, होशे और आमोस के बीच आती है। इसलिए माना जाता है कि इस किताब को लगभग सा.यु.पू. 820 में लिखा गया था।
4 योएल की किताब सच्ची है, यह इस बात से साबित होता है कि मसीही यूनानी शास्त्र में उसकी भविष्यवाणियों से सीधे-सीधे हवाले दिए गए हैं और उनकी तरफ इशारा भी किया गया है। पतरस ने पिन्तेकुस्त के दिन “योएल भविष्यद्वक्ता” का ज़िक्र किया और उसकी एक भविष्यवाणी को लागू किया। पौलुस ने उसी भविष्यवाणी का हवाला देकर बताया कि कैसे यह भविष्यवाणी यहूदियों और गैर-यहूदियों पर पूरी हुई। (योए. 2:28-32; प्रेरि. 2:16-21; रोमि. 10:13) योएल ने आस-पास के देशों के खिलाफ जो भी भविष्यवाणियाँ की थीं, वे सब पूरी हुईं। सोर महानगरी पर नबूकदनेस्सर ने कब्ज़ा कर लिया और उसके बाद, उस महानगरी के बचे हुए हिस्से को सिकंदर महान ने खाक में मिला दिया। सोर की तरह, पलिश्तीन का भी नामो-निशान मिट गया और एदोम एक उजाड़ स्थान बन गया। (योए. 3:4, 19) यहूदियों ने कभी इस बात पर शक नहीं किया कि योएल की किताब, बाइबल का हिस्सा है। उन्होंने इसे छोटे नबियों की किताबों में दूसरी जगह पर रखा।
5 योएल अपनी किताब में सजीव भाषा का इस्तेमाल करने के साथ-साथ अपनी भावनाओं को खुलकर ज़ाहिर करता है। वह ज़ोर देने के लिए विचारों को दोहराता है और अनोखे किस्म की उपमाओं का इस्तेमाल करता है। जैसे, टिड्डियों को एक देश, एक जाति और एक सेना बताया गया है। उनके दाँत सिंहों के दाँतों के समान हैं, उनका रूप घोड़ों के समान और उनकी आवाज़ लड़ाई के लिए तैयार सेना के रथों के समान है। द इंटरप्रिटर्स बाइबल, टिड्डियों की रोकथाम करनेवाले एक विशेषज्ञ का हवाला देकर कहती है: “योएल ने जिस बारीकी से और जिस रोमांचकारी ढंग से टिड्डियों के धावा बोलने का ब्यौरा दिया है, वह इतना अनूठा है कि वैसा ब्यौरा और कहीं नहीं पाया जाता।”a आइए यहोवा के भयानक दिन के बारे में योएल की भविष्यवाणियों पर ध्यान दें।
क्यों फायदेमंद है
12 कुछ टीकाकारों का कहना है कि योएल विनाश और तबाही का पैगाम सुनानेवाला नबी है। लेकिन परमेश्वर के लोगों की नज़रों में वह छुटकारे की खुशखबरी सुनानेवाला नबी है। प्रेरित पौलुस ने रोमियों 10:13 में इसी विचार पर ज़ोर देते हुए कहा: “जो कोई प्रभु [यहोवा] का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा।” (योए. 2:32) सामान्य युग 33 के पिन्तेकुस्त के दिन, योएल की एक भविष्यवाणी हैरतअँगेज़ तरीके से पूरी हुई। उस मौके पर जब मसीह के चेलों पर परमेश्वर की आत्मा उँडेली गयी, तब पतरस ने ईश्वर-प्रेरणा से समझाया कि इससे योएल की भविष्यवाणी पूरी हुई है। (प्रेरि. 2:1-21; योए. 2:28, 29, 32) पतरस ने ज़ोर दिया कि योएल की भविष्यवाणी के इन शब्दों को मानना कितना ज़रूरी है: “और जो कोई प्रभु [यहोवा] का नाम लेगा, वही उद्धार पाएगा।”—प्रेरि. 2:21, 39, 40.
13 टिड्डियों द्वारा लायी विपत्ति के बारे में योएल का ब्यौरा, प्रकाशितवाक्य अध्याय 9 में बतायी विपत्ति के ब्यौरे से बहुत मिलता-जुलता है। उस अध्याय में भी बताया गया है कि सूर्य अँधियारा हो जाता है, टिड्डियों का रूप लड़ाई के लिए तैयार घोड़ों जैसा है, वे रथों की तरह आवाज़ करती हैं, और उनके दाँत सिंहों के दाँतों के समान हैं। (योए. 2:4, 5, 10; 1:6; प्रका. 9:2, 7-9) योएल 2:31 में सूर्य के अँधियारा होने की भविष्यवाणी, यशायाह 13:9, 10 और प्रकाशितवाक्य 6:12-17 के साथ-साथ मत्ती 24:29, 30 में बतायी घटनाओं से भी मेल खाती है, जिसमें यीशु ने बताया था कि यह भविष्यवाणी तब पूरी होगी जब वह मनुष्य के पुत्र की हैसियत से बड़ी सामर्थ और ऐश्वर्य के साथ आएगा। ऐसा मालूम होता है कि मलाकी 4:5 में योएल 2:11 के इन शब्दों का हवाला दिया गया है: “यहोवा का दिन बड़ा और अति भयानक है।” ‘घोर अन्धकार और काली घटा के इस दिन’ का एक-जैसा ब्यौरा योएल 2:2 और सपन्याह 1:14, 15 में भी पाया जाता है।
14 प्रकाशितवाक्य की किताब उस समय के बारे में भविष्यवाणी करती है, जब यहोवा के प्रकोप का “भयानक दिन” आएगा। (प्रका. 6:17) योएल भी उस समय की भविष्यवाणी करते हुए बताता है कि जब देश-देश पर ‘यहोवा का महान दिन’ आएगा, तो जो कोई हिफाज़त और उद्धार के लिए यहोवा को पुकार लगाएगा, वह “छुटकारा पाएगा।” ‘यहोवा अपनी प्रजा के लिये शरणस्थान ठहरेगा।’ धरती को अदन के बगीचे की तरह दोबारा बहाल किया जाएगा, जैसा कि लिखा है: “और उस समय पहाड़ों से नया दाखमधु टपकने लगेगा, और टीलों से दूध बहने लगेगा, और यहूदा देश के सब नाले जल से भर जाएंगे; और यहोवा के भवन में से एक सोता फूट निकलेगा।” योएल बहाली के इन वादों से न सिर्फ हमारे मन में उमंग भरता है, बल्कि यहोवा की हुकूमत की भी बड़ाई करता है। वह उसकी बड़ी दया की बिना पर सच्चे दिल के लोगों से गुज़ारिश करता है: ‘अपने परमेश्वर यहोवा की ओर फिरो; क्योंकि वह अनुग्रहकारी, दयालु, विलम्ब से क्रोध करनेवाला, और करुणानिधान है।’ ईश्वर-प्रेरणा से दर्ज़ इस गुज़ारिश के माननेवालों को हमेशा-हमेशा के फायदे मिलेंगे।—योए. 2:1, 32; 3:16, 18; 2:13.
[फुटनोट]
a सन् 1956, भाग 6, पेज 733.