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  • “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” सच्चा और फायदेमंद (यिर्मयाह–मलाकी)
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“सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” सच्चा और फायदेमंद (यिर्मयाह–मलाकी)
bsi07 पेज 23-24

बाइबल की किताब नंबर 35—हबक्कूक

लेखक: हबक्कूक

लिखने की जगह: यहूदा

लिखना पूरा हुआ: लगभग सा.यु.पू. 628 (?)

हबक्कूक, इब्रानी शास्त्र के महत्वहीन भविष्यवक्‍ताओं या छोटे नबियों की किताबों में से एक और किताब है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि इसमें ईश्‍वर-प्रेरणा से लिखे दर्शन और न्यायदंड, परमेश्‍वर के लोगों के लिए कम महत्व रखते हैं। यह किताब परमेश्‍वर के उन सेवकों की हौसला-अफज़ाई करती है और उन्हें मज़बूत भी करती है जो तनाव से गुज़र रहे हैं। हबक्कूक की किताब दो महान सच्चाइयों को उजागर करती है: यहोवा परमेश्‍वर पूरे विश्‍व का महाराजाधिराज है और धर्मी अपने विश्‍वास से जीवित रहता है। इसके अलावा, इसमें लिखी बातें न सिर्फ परमेश्‍वर के सेवकों के विरोधियों के लिए एक चेतावनी हैं, बल्कि उन लोगों के लिए भी जो उसके सेवक होने का खोखला दावा करते हैं। यह किताब एक आदर्श कायम करती है कि हम कैसे यहोवा पर मज़बूत विश्‍वास रख सकते हैं, जो हमारी हर स्तुति के योग्य है।

2 हबक्कूक की किताब इस तरह शुरू होती है: “भारी वचन जिसको हबक्कूक नबी ने दर्शन में पाया।” (हब. 1:1) हबक्कूक (इब्रानी में, खवाक्कूक) नाम का मतलब है “आलिंगन।” मगर यह नबी कौन था? हबक्कूक के माता-पिता, उसके गोत्र, उसकी ज़िंदगी के हालात और उसकी मौत के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी है। किताब की आखिरी आयत के बाद ये शब्द पाए जाते हैं: “प्रधान बजानेवाले के लिए मेरे तारवाले बाजों के साथ।” इससे यह अंदाज़ा लगाया गया है कि हबक्कूक मंदिर में सेवा करनेवाला एक लेवी संगीतकार था। मगर यह पूरे यकीन के साथ नहीं कहा जा सकता।

3 हबक्कूक ने न्यायदंड की भविष्यवाणी कब की? ऊपर बतायी आखिरी आयत के बादवाले शब्द और ये शब्द कि “यहोवा अपने पवित्र मन्दिर में है,” इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि यरूशलेम का मंदिर उस वक्‍त तक मौजूद था। (2:20) इन शब्दों से और भविष्यवाणी के संदेश से भी कहा जाता है कि हबक्कूक ने न्यायदंड की भविष्यवाणी, सा.यु.पू. 607 में यरूशलेम के विनाश से कुछ ही साल पहले की थी। लेकिन कितने साल पहले? उसने यह भविष्यवाणी ज़रूर परमेश्‍वर के भय माननेवाले राजा योशिय्याह की हुकूमत (सा.यु.पू. 659-629) के बाद की होगी। भविष्यवाणी से भी इसका एक सुराग मिलता है। उसके मुताबिक यहोवा एक ऐसा काम करने जा रहा था जिसके बारे में अगर यहूदा के लोगों को बताया भी जाता, तो भी वे विश्‍वास नहीं करते। वह काम क्या था? यहोवा अविश्‍वासी यहूदियों को दंड देने के लिए कसदियों (बाबुलियों) को उभारने जा रहा था। (1:5, 6) मूर्तिपूजा करनेवाले राजा यहोयाकीम की हुकूमत के शुरूआती सालों में यहूदा में चारों तरफ अन्याय का बोलबाला था और यहोवा पर लोगों को विश्‍वास नहीं था। यहोयाकीम को फिरौन-नको ने राजा ठहराया था और यहूदा, शक्‍तिशाली मिस्र के अधीन था। इन हालात में यहूदा के लोगों को लगा कि बाबुल का उन पर धावा बोलना नामुमकिन है। लेकिन सा.यु.पू. 625 में नबूकदनेस्सर ने कर्कमीश के युद्ध में फिरौन-नको को परास्त किया और मिस्र की हुकूमत को खत्म कर दिया। इसलिए कहा जा सकता है कि हबक्कूक ने अपनी भविष्यवाणी इस घटना के पहले की होगी। इन सारी बातों से पता चलता है कि हबक्कूक ने यहोयाकीम की हुकूमत (जो सा.यु.पू. 628 में शुरू हुई थी) की शुरूआत में भविष्यवाणी की थी। यानी उस वक्‍त जब यिर्मयाह भी भविष्यवक्‍ता के तौर पर सेवा कर रहा था।

4 हम कैसे जान सकते हैं कि यह किताब ईश्‍वर-प्रेरित है? इब्रानी शास्त्र की प्राचीन सूचियाँ साबित करती हैं कि हबक्कूक, बाइबल के संग्रह का हिस्सा है। हालाँकि ये सूचियाँ इस किताब के नाम का ज़िक्र नहीं करतीं, मगर ज़ाहिर है कि ‘12 छोटे नबियों’ की किताबों के उनके हवालों में हबक्कूक को शामिल किया गया था। वरना हबक्कूक के बगैर 12 किताबें कैसे बनतीं? प्रेरित पौलुस इस किताब को ईश्‍वर-प्रेरित किताबों का हिस्सा मानता था और उसने हबक्कूक 1:5 का सीधे-सीधे हवाला देने से पहले कहा कि यह हवाला “भविष्यद्वक्‍ताओं की पुस्तक में आया है।” (प्रेरि. 13:40, 41) पौलुस ने कई बार अपनी पत्रियों में इस किताब से हवाले दिए थे। इसमें कोई शक नहीं कि यहूदा और बाबुल के खिलाफ की गयी हबक्कूक की भविष्यवाणियों का पूरा होना दिखाता है कि वह यहोवा का सच्चा नबी था, जिसने उसके नाम से और उसकी महिमा करने के लिए भविष्यवाणी की थी।

5 हबक्कूक की किताब में तीन अध्याय हैं। पहले दो अध्याय, लेखक और यहोवा की आपस में होनेवाली बातचीत का ब्यौरा देते हैं। ये अध्याय कसदियों की ताकत के बारे बताते हैं। इसके अलावा, ये उस बाबुल पर आनेवाली विपत्ति के बारे में भी बात करते हैं, जो पराया धन छीनकर धनवान हो जाता है, जो अपने घर के लिए अन्याय के लाभ का लोभी है, जो हत्या करके नगर को बनाता है और जो खुदी हुई मूरत को पूजता है। तीसरा अध्याय बताता है कि कैसे युद्ध के दिन यहोवा का प्रताप जग-ज़ाहिर होगा। इस अध्याय की लेखन-शैली बहुत ही रोमांचक है और इसमें जो दम और जान है, वह किसी और किताब में नहीं पायी जाती। यह अध्याय शोकगीत के रूप में की गयी एक प्रार्थना है, जिसे “तमाम इब्रानी कविताओं में से सबसे खूबसूरत कविता” कहा गया है।a

क्यों फायदेमंद है

12 प्रेरित पौलुस हबक्कूक की किताब को शिक्षा के लिए फायदेमंद मानता था, इसलिए उसने इसके अध्याय 2 की आयत 4 का, तीन अलग-अलग मौकों पर हवाला दिया। जब पौलुस रोम के मसीहियों को लिखते वक्‍त इस बात पर ज़ोर दे रहा था कि सुसमाचार, हरेक विश्‍वास करनेवाले के उद्धार के लिए परमेश्‍वर की सामर्थ है, तो उसने कहा: “क्योंकि उस में परमेश्‍वर की धार्मिकता विश्‍वास से, और विश्‍वास के लिये प्रगट होती है; जैसा लिखा है, कि विश्‍वास से धर्मी जन जीवित रहेगा।” गलतिया के मसीहियों को लिखते वक्‍त, पौलुस ने इस बात पर ज़ोर दिया कि विश्‍वास रखने से ही आशीषें मिलती हैं। उसने लिखा: “व्यवस्था के द्वारा परमेश्‍वर के यहां कोई धर्मी नहीं ठहरता क्योंकि धर्मी जन विश्‍वास से जीवित रहेगा।” पौलुस ने इब्रानी मसीहियों को भी लिखा कि उनमें प्राणों को बचाए रखनेवाला जीवित विश्‍वास होना चाहिए और उस मौके पर उसने एक बार फिर हबक्कूक को मिले यहोवा के शब्दों का हवाला दिया। उस वक्‍त उसने न सिर्फ हबक्कूक के इन शब्दों का हवाला दिया कि “मेरा धर्मी जन विश्‍वास से जीवित रहेगा” बल्कि उसने हबक्कूक के आगे के शब्दों का भी हवाला दिया जो यूनानी सेप्टुआजेंट में पाए जाते हैं: “यदि वह पीछे हट जाए तो मेरा मन उस से प्रसन्‍न न होगा।” फिर उसने आखिर में, अपनी बातों का निचोड़ देते हुए कहा: “हम हटनेवाले नहीं, कि नाश हो जाएं पर विश्‍वास करनेवाले हैं, कि प्राणों को बचाएं।”—रोमि. 1:17; गल. 3:11; इब्रा. 10:38, 39.

13 हबक्कूक की किताब आज के मसीहियों के लिए बहुत फायदेमंद है जिन्हें बल या ताकत की सख्त ज़रूरत है। यह किताब सिखाती है कि उन्हें ताकत के लिए परमेश्‍वर पर भरोसा रखना चाहिए। इसके अलावा, यह दूसरों को परमेश्‍वर के न्यायदंडों के बारे में खबरदार करने के लिए भी फायदेमंद है। किताब बड़े ज़बरदस्त तरीके से यह चेतावनी देती है: इस गलतफहमी में मत रहिए कि परमेश्‍वर के न्यायदंडों के आने में बहुत देर हो रही है; ‘वे निश्‍चय पूरे होंगे।’ (हब. 2:3) बाबुल के हाथों यहूदा के विनाश होने की भविष्यवाणी निश्‍चय पूरी हुई थी और खुद बाबुल का मादी-फारस के हाथों शिकस्त खाने की भविष्यवाणी भी सा.यु.पू. 539 में निश्‍चय पूरी हुई थी। परमेश्‍वर के वचनों पर विश्‍वास करने की यह क्या ही ज़बरदस्त चेतावनी है! इसलिए प्रेरित पौलुस ने अपने ज़माने के यहूदियों को विश्‍वास न दिखाने के बारे में खबरदार करते वक्‍त हबक्कूक का हवाला देना ज़रूरी समझा: “चौकस रहो, ऐसा न हो, कि जो भविष्यद्वक्‍ताओं की पुस्तक में आया है, तुम पर भी आ पड़े, कि हे निन्दा करनेवालो, देखो, और चकित हो, और मिट जाओ; क्योंकि मैं तुम्हारे दिनों में एक काम करता हूं; ऐसा काम, कि यदि कोई तुम से उसकी चर्चा करे, तो तुम कभी प्रतीति न करोगे।” (प्रेरि. 13:40, 41; हब. 1:5, LXX [यानी सेप्टुआजेंट]) अविश्‍वासी यहूदियों ने पौलुस की बात नहीं मानी, ठीक जैसे उन्होंने यरूशलेम के विनाश के बारे में यीशु की चेतावनी पर विश्‍वास नहीं किया था। उन्हें अपने अविश्‍वास का अंजाम सा.यु. 70 में भुगतना पड़ा जब रोमी सेना ने आकर यरूशलेम को तहस-नहस कर दिया।—लूका 19:41-44.

14 आज भी, हबक्कूक की किताब मसीहियों को बढ़ावा देती है कि वे हिंसा से भरी इस दुनिया में अपने विश्‍वास को मज़बूती से थामे रहें। इस किताब से मसीही दूसरों को सिखा पाते हैं और इस सवाल का जवाब दे पाते हैं जो दुनिया में हर कहीं लोग पूछते हैं कि ‘क्या वह दिन आएगा जब परमेश्‍वर बुरे लोगों को सज़ा देगा?’ ज़रा भविष्यवाणी के इन शब्दों पर दोबारा ध्यान दीजिए: “उसकी बाट जोहते रहना; क्योंकि वह निश्‍चय पूरी होगी और उस में देर न होगी।” (हब. 2:3) धरती पर चाहे कैसी भी खलबली क्यों न मचे, राज्य के वारिसों में से बचे हुए अभिषिक्‍त जन, हबक्कूक के उन शब्दों को याद करते हैं जो उसने यहोवा के बीते समयों के पलटा लेनेवाले कामों के बारे में कहे थे: ‘तू अपनी प्रजा के उद्धार के लिये निकला, अपने अभिषिक्‍त के उद्धार के लिये निकला।’ (3:13) यहोवा सचमुच अनादिकाल से उनका “पवित्र परमेश्‍वर” है। और वह “चट्टान” भी है, जो अधर्मियों को दंड देगा मगर उन लोगों को जीवन देगा जिन्हें वह अपने प्रेम में आलिंगन करता है। ऐसा हो कि धार्मिकता से प्यार करनेवाले सभी, परमेश्‍वर के राज्य और उसकी हुकूमत के अधीन रहकर खुशी-खुशी कहें: “मैं यहोवा के कारण आनन्दित और मगन रहूंगा, और अपने उद्धारकर्त्ता परमेश्‍वर के द्वारा अति प्रसन्‍न रहूंगा। यहोवा परमेश्‍वर मेरा बलमूल है।”—1:12; 3:18, 19.

[फुटनोट]

a बारह छोटे नबियों की किताब (अँग्रेज़ी), सन्‌ 1868, ई. हेनडरसन, पेज 285.

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