विषय-सूची
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परिचय
1. ‘जाओ और लोगों को मेरा चेला बनना सिखाओ’ 6
भाग 1—“तुमने सारे यरूशलेम को अपनी शिक्षाओं से भर दिया है”
2. ‘तुम मेरे बारे में गवाही दोगे’ 14
3. ‘वे पवित्र शक्ति से भर गए’ 21
4. “कम पढ़े-लिखे, मामूली आदमी” 28
5. “परमेश्वर को अपना राजा जानकर उसकी आज्ञा मानना ही हमारा फर्ज़ है” 37
भाग 2—“मंडली पर बहुत ज़ुल्म होने लगे”
6. “स्तिफनुस पर परमेश्वर की बड़ी कृपा थी और वह उसकी शक्ति से भरपूर था” 45
7. फिलिप्पुस ने “यीशु के बारे में खुशखबरी” सुनायी 52
8. मंडली के लिए “शांति का दौर शुरू” होता है 60
भाग 3—‘गैर-यहूदियों ने परमेश्वर का वचन स्वीकार किया’
9. “परमेश्वर भेदभाव नहीं करता” 69
10. “यहोवा का वचन फैलता गया” 77
भाग 4—वे ‘पवित्र शक्ति के मार्गदर्शन के मुताबिक गए’
11. “आनंद और पवित्र शक्ति से भरपूर” 85
12. ‘यहोवा से मिले अधिकार की वजह से वे निडर होकर वचन सुनाते रहे’ 93
भाग 5—‘प्रेषित और प्राचीन इकट्ठा हुए’
13. ‘उनके बीच लंबी चर्चा होती है’ 101
14. “हम सबने एकमत होकर तय किया” 108
भाग 6—‘चलो, हम उन शहरों में दोबारा जाएँ और भाइयों को देख आएँ’
15. ‘वे मंडलियों को मज़बूत करते गए’ 117
17. ‘वह पवित्र शास्त्र से उनके साथ तर्क-वितर्क करता है’ 133
18. ‘परमेश्वर को ढूँढ़ो और वाकई तुम उसे पा लोगे’ 140
19. “प्रचार किए जा, चुप मत रह” 148
भाग 7—‘सरेआम और घर-घर जाकर सिखाना’
20. विरोध के बावजूद “यहोवा का वचन फैलता गया” 157
21. “मैं सब लोगों के खून से निर्दोष हूँ” 165
22. “यहोवा की मरज़ी पूरी हो” 173
भाग 8—‘वह बिना किसी रुकावट के परमेश्वर के राज का प्रचार करता रहा’
23. “मैं अपनी सफाई में जो कहने जा रहा हूँ, वह सुनो” 181
25. “मैं सम्राट से फरियाद करता हूँ!” 196
26. “तुममें से एक की भी जान नहीं जाएगी” 203
27. उसने “अच्छी तरह गवाही दी” 211