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  • यीशु बहुत लोगों को दिखायी देता है
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यीशु—राह, सच्चाई, जीवन
jy अध्या. 135 पेज 306-पेज 307 पैरा. 5
यीशु ज़िंदा होने के बाद थोमा को दिखायी दे रहा है

अध्याय 135

यीशु बहुत लोगों को दिखायी देता है

लूका 24:13-49 यूहन्‍ना 20:19-29

  • इम्माऊस जाने के रास्ते में यीशु चेलों को दिखायी देता है

  • वह कई बार आयतों के बारे में खुलकर समझाता है

  • थोमा शक करना छोड़ देता है

यह नीसान 16 रविवार का ही दिन है और चेले बहुत निराश हैं। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि कब्र क्यों खाली पड़ी है। (मत्ती 28:9, 10; लूका 24:11) उसी दिन बाद में क्लियुपास नाम का चेला और एक और चेला यरूशलेम से इम्माऊस जा रहे होते हैं जो यरूशलेम से 11 किलोमीटर दूर है। रास्ते में एक अजीब घटना घटती है।

जो हुआ है उस बारे में वे दोनों चलते-चलते बात कर रहे होते हैं। तब एक अजनबी उनके साथ-साथ चलने लगता है। वह उनसे पूछता है, “तुम चलते-चलते एक-दूसरे से किस बारे में बहस कर रहे हो?” क्लियुपास उससे कहता है, “क्या तू यरूशलेम में अकेला रहनेवाला कोई परदेसी है और नहीं जानता कि इस शहर में इन दिनों क्या-क्या हुआ है?” अजनबी कहता है, “क्या हुआ है?”—लूका 24:17-19.

वे कहते हैं, ‘क्या तूने नहीं सुना कि यीशु नासरी के साथ क्या-क्या हुआ? हम तो यह उम्मीद लगाए बैठे थे कि यह वही है जो इसराएल को छुटकारा दिलाएगा।’—लूका 24:19-21.

दोनों चेले अजनबी को बताते हैं कि उस दिन जब कुछ औरतें यीशु की कब्र के पास गयीं, तो उन्होंने देखा कि कब्र खाली है। उन औरतों ने वहाँ एक अजीब घटना भी देखी। वहाँ स्वर्गदूत आए और उन्होंने बताया कि यीशु ज़िंदा हो गया है। और कुछ और लोग जब कब्र के पास गए, तो उन्होंने देखा कि औरतों ने जो कहा बिलकुल वैसा ही हुआ है।—लूका 24:24.

अजनबी जान जाता है कि दोनों चेले उलझन में हैं और समझ नहीं पा रहे हैं कि यह सब क्या हो रहा है। अजनबी कहता है, “अरे नासमझ लोगो, तुम्हें भविष्यवक्‍ताओं की सब बातों पर विश्‍वास करना इतना मुश्‍किल क्यों लग रहा है! क्या मसीह के लिए यह ज़रूरी नहीं था कि वह ये सारे दुख झेले और फिर महिमा पाए?” (लूका 24:25, 26) फिर वह मसीहा के बारे में ऐसी कई बातें बताता है जो शास्त्र में लिखी गयी थीं।

चलते-चलते जब तीनों इम्माऊस पहुँचनेवाले होते हैं, तो चेले अजनबी से कहते हैं, “हमारे साथ रुक जा क्योंकि दिन ढल चुका है और अँधेरा होनेवाला है।” वे चाहते हैं कि वह आदमी उन्हें इस तरह की बातें और बताए। अजनबी मान जाता है। वह उनके साथ ठहरता है और सब साथ में खाना खाते हैं। जब अजनबी प्रार्थना करता है, रोटी तोड़ता है और उन्हें देता है, तो वे समझ जाते हैं कि यह यीशु है। मगर फिर वह उनके सामने से गायब हो जाता है। (लूका 24:29-31) अब उन्हें पक्का यकीन हो जाता है कि यीशु ज़िंदा हो गया है।

दोनों चेले बहुत खुश हो जाते हैं कि उन्होंने यीशु को देखा है। वे एक-दूसरे से कहते हैं, “जब वह सड़क पर हमसे बात कर रहा था और हमें शास्त्र का मतलब खोल-खोलकर समझा रहा था, तो क्या हमारे दिल की धड़कनें तेज़ नहीं हो गयी थीं?” (लूका 24:32) फिर वे वापस यरूशलेम जाते हैं और वहाँ प्रेषितों और बाकी चेलों से मिलते हैं। मगर इससे पहले कि क्लियुपास और दूसरा चेला उन्हें बताते कि उन्होंने यीशु को देखा है, बाकी लोग उनसे कहते हैं, “यह बात सच है कि प्रभु ज़िंदा हो गया है। वह शमौन को दिखायी दिया है!” (लूका 24:34) फिर क्लियुपास और दूसरा चेला उन्हें बताते हैं कि यीशु उन्हें भी दिखायी दिया है।

जब वे सब एक कमरे में बात कर रहे होते हैं, तो अचानक कमरे में यीशु आ जाता है! सब दंग रह जाते हैं। उन्हें अपनी आँखों पर विश्‍वास नहीं हो रहा है। उन्होंने यहूदियों के डर से दरवाज़ा बंद कर रखा है, फिर भी यीशु अचानक उनके बीच आकर खड़ा हो गया है। यीशु उनसे कहता है, “तुम्हें शांति मिले।” मगर वे सब डरे हुए हैं। वे यीशु को पहचानते नहीं, जैसे वे पहले भी एक बार उसे पहचान नहीं पाए थे।—लूका 24:36, 37; मत्ती 14:25-27.

यीशु उन्हें यकीन दिलाना चाहता है कि वे जो सोच रहे हैं वैसा नहीं है बल्कि उसका सच में हाड़-माँस का शरीर है। वह उन्हें अपने हाथ और पैर दिखाता है और उनसे कहता है, “तुम क्यों परेशान हो रहे हो और क्यों अपने दिलों में शक कर रहे हो? मेरे हाथ और मेरे पैर देखो कि यह मैं ही हूँ। मुझे छूओ और देखो क्योंकि स्वर्गदूत का हाड़-माँस नहीं होता, जैसा कि तुम मेरा देख रहे हो।” (लूका 24:36-39) वे बहुत खुश हो जाते हैं और हैरान रह जाते हैं। मगर कुछ चेले अब भी यकीन नहीं कर पा रहे हैं।

यीशु उन्हें फिर से यकीन दिलाने की कोशिश करता है कि वह सच में ज़िंदा हो गया है। वह उनसे कहता है, “क्या तुम्हारे पास खाने के लिए कुछ है?” वे उसे भुनी हुई मछली का एक टुकड़ा देते हैं और वह उसे खाता है। फिर वह कहता है, “याद है, ये सारी बातें मैंने [अपनी मौत से पहले] तुम्हें उस वक्‍त बतायी थीं जब मैं तुम्हारे साथ था। मैंने बताया था, किस तरह मूसा के कानून, भविष्यवक्‍ताओं की किताबों और भजनों में मेरे बारे में जो कुछ लिखा है, वह सब पूरा होना ज़रूरी है।”—लूका 24:41-44.

यीशु ने कुछ देर पहले क्लियुपास और दूसरे चेले को शास्त्र की कुछ बातें समझायी थीं। अब वह कमरे में इकट्ठा लोगों को भी समझाता है: “लिखा है कि मसीह दुख झेलेगा और तीसरे दिन मरे हुओं में से ज़िंदा हो जाएगा। फिर यरूशलेम से शुरू करते हुए सब राष्ट्रों में प्रचार किया जाएगा कि पापों की माफी पाने के लिए उसके नाम से पश्‍चाताप करो। तुम्हें इन बातों की गवाही देनी है।”—लूका 24:46-48.

इस वक्‍त यहाँ किसी वजह से प्रेषित थोमा नहीं है। बाद में जब दूसरे लोग थोमा को खुशी-खुशी बताते हैं कि “हमने प्रभु को देखा है,” तो वह कहता है, “जब तक मैं उसके हाथों में कीलों के निशान न देख लूँ और उनमें अपनी उँगली न डालूँ और उसकी पसली में अपना हाथ डालकर न देख लूँ, तब तक मैं यकीन नहीं करूँगा।”—यूहन्‍ना 20:25.

आठ दिन बाद चेले फिर से एक कमरे में इकट्ठा होते हैं और दरवाज़ा बंद रहता है। इस बार उनके साथ थोमा भी है। तब अचानक उनके बीच यीशु प्रकट होता है। वह हाड़-माँस का शरीर धारण किए हुए है। वह यह कहकर उन्हें सलाम करता है, “तुम्हें शांति मिले।” फिर वह थोमा से कहता है, “अपनी उँगली मेरे हाथों पर लगाकर देख और अपना हाथ मेरी पसली में लगाकर देख। शक करना छोड़ दे बल्कि यकीन कर।” तब थोमा कहता है, “हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्‍वर!” (यूहन्‍ना 20:26-28) थोमा शक करना छोड़ देता है और मान लेता है कि यीशु ज़िंदा है। वह अब एक शक्‍तिशाली अदृश्‍य प्राणी है जिसे यहोवा परमेश्‍वर ने भेजा है।

यीशु थोमा से कहता है, “क्या तू इसलिए यकीन कर रहा है क्योंकि तूने मुझे देखा है? सुखी हैं वे जिन्होंने देखा नहीं फिर भी यकीन करते हैं।”—यूहन्‍ना 20:29.

  • इम्माऊस के रास्ते में एक अजनबी दो चेलों से क्या पूछता है?

  • दोनों चेलों के दिल की धड़कनें क्यों तेज़ हो जाती हैं?

  • बाकी चेले क्लियुपास और दूसरे चेले को क्या बताते हैं? इसके बाद क्या होता है?

  • थोमा को कब जाकर यकीन होता है कि यीशु ज़िंदा हो गया है?

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