क्या ईमानदारी पुरानी हुई है?
ईमानदारी को एक जीवन-क्रम के तौर से बनाए रखना—क्या आधुनिक दुनिया में यह पुरानी हुई है, तथा अब और व्यावहारिक या कोई असली क़ीमत की न होने के तौर से परित्यक्त हुई है? यह ऐसा ही लगता है। बेईमानी कितनी व्याप्त है, यह कौनसे रूप धारण करती है, यह किन स्तरों की तह तक पहुँची है, और यह एक कितना महँगा बोझ बन गयी है, इसके विषय कुछेक उदाहरणों पर ग़ौर करें।
हाल के वर्षों में, पश्चिम जर्मनी के कर-धोखा का मूल्य १५० करोड़ रुपये प्रति वर्ष पर अनुमानित किया गया है, और स्वीडेन में सालाना मूल्य १०,८०० रुपये प्रति व्यक्ति होता है। तो अगर आप दोनों में से कोई एक देश में रहते हों, बेईमानी उस रक़्म पर प्रभाव डालती है जो आप कर के तौर से भरते हैं। यूनाइटेड स्टेटस् में आयकर किस्तों में ठगी करना इतना प्रचलित है कि सरकार राजकीय आय में अनुमानित १,५०० करोड़ रुपये प्रति वर्ष खोती है। यह सोचिए कि इतना सारा पैसा संघीय बजट के चौंका देनेवाले घाटे को चुकता करने में कितना मददपूर्ण साबित हो सकता है! इसके अतिरिक्त, ग़ैर-कानूनी व्यापार यू.एस. सरकार से एक और १५० करोड़ रुपये ठगते हैं। केवल यूनाइटेड स्टेटस् में उठाईगीरी और उच्चकागीरी की वजह से, दुकानों को प्रति वर्ष ६० करोड़ रुपयों का ख़र्च पड़ता है, जिसकी वजह से वस्तुओं की दामें बढ़ती हैं। बेईमानी से ट्रंककॉल के पैसे किसी और के फोन नंबर पर लगवाने की वजह से अमरीका वासियों को सालाना १५० लाख रुपये भरने पड़ रहे हैं।
कॅनाडा में “समय के बटमार,” जो नौकरी पर समय बरबाद करते हैं, उनकी वजह से उनके नियोक्ताओं को प्रति वर्ष १८७ करोड़ रुपयों का नुक़्सान होता है, जो कि “हथलपक कर्मचारियों, ग़बन, बीमा कपट, कलाकृति ध्वंसन, घूसखोरी, अग्निकांड और व्यापार के ख़िलाफ़ दूसरे वास्तविक अपराध के ज़रिए खोए कुल जोड़ से तीन गुणा ज़्यादा” है। १९८६ के एक अध्ययन के अनुसार, युनाइटेड स्टेटस् में समय की चोरी का बोझ प्रति वर्ष २,५५० करोड़ रुपये है।
करोड़ों-डॉलर में व्यापार करनेवाले फलते-फूलते व्यापारिक प्रतिष्ठान लोभी होकर अपने खुद के सरकार से चोरी करते हैं। कैसे? बेहिसाब क़ीमतों पर उन्हें पुरज़ें और औज़ार बेचकर: १.८० रुपये वाले ॲल्लेन रिंच १,४४,०९० रुपयों के दाम पर; १० रुपये वाले ट्रांज़िस्टर १२,२१० रुपये के लिए; स्टूल के पैरों पर लगनेवाले २.५५ रुपये वाले प्लास्टिक के जूते १६,७७० रुपये के दाम पर। “आप” सरकार को पहँचे “करोड़ों डॉलर के” नुक़्सान की “बात कर रहे हैं,” एक यू.एस. सीनेटर ने कहा।
ऊपरोक्त के अतिरिक्त, हर तरफ़ विख्यात व्यक्तियों के बुरे उदाहरण बेईमानी को प्रोत्साहित करते हैं। जैसे आपने ग़ौर किया होगा, कुछ देशों के नेता झूठ बोलते, ग़लत विवरण देते, छिपाते, और अपनी ज़िम्मेदारी टाल जाते हैं—जी हाँ, अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों का खून भी करते हैं और दिखाते हैं कि दोषी कोई और है।
तो क्या ईमानदार होना पुराना हुआ है? क्या यह अब और सबसे बेहत्तर नीति नहीं? क्या ईमानदारी सबसे बेहत्तर सिर्फ़ इसीलिए है कि परमेश्वर का वचन हमें कहता है कि हमें अवश्य ईमानदार होना चाहिए? अगर आपको इन प्रश्नों का उत्तर चाहिए तो अगला लेख आपके लिए महत्त्वपूर्ण है।