उकाब या गिद्ध?
वह चिन्ह
“जहाँ लोथ हो, वहीं उकाब इकट्ठे होंगे।” (मत्ती २४:२८) इस दृष्टान्त से सीखने के बजाय, कुछ लोग इसका दोष निकालते हैं। वे कहते हैं कि उकाब निःसंग शिकारी है जो लोथ नहीं, ज़िंदा शिकार खाता है। इस प्रकार, कुछ बाइबल “गिद्ध” शब्द इस्तेमाल करते हैं। लेकिन विचाराधीन यूनानी शब्द, ए·ई·टॉसʹ, का अनुवाद ठीक-ठीक “उकाब” किया गया है।
इस्राएल में पाया गया एक जाति कपिल उकाब है। “अनेक शिकारी पक्षियों के जैसे,” जॉन सिंक्लेर और जॉन मेंडलसोन ग़ौर करते हैं, “कपिल उकाब सड़े-गले माँस खाने को अनिच्छुक नहीं और अक़्सर ताज़े शिकार पर पहले आगन्तुकों में है।” एक और प्रेक्षक ने अफ्रीका के कालाहारी मरुस्थल में ६० बैटलर (अफ्रीकी उकाब) और कपिल उकाबों के भीड़ के विषय बताया। उसने आगे कहा: “जब सड़े-गले माँस के पास मिलते हैं, कपिल उकाब प्रमुख होता है। कई जगहों पर दो पक्षी, अनुमानतः एक जोड़ा, शिकार को बाँटकर खाते हुए नज़र आए हैं।”
समुद्री उकाब मेडिटरेनियन महासागर के इर्द-गिर्द के देशों में भी सामान्य हैं। पिछली सदियों में, समुद्री उकाब और स्थल उकाब युद्ध में मारे गए घोड़ो की लोथों को खाया करते थे। “यह प्रसिद्ध है . . . कि वे उसी कारण सेनाओं के पीछे उड़ते हैं,” मर्क्लिटॉक और स्ट्रॉन्ग के साइक्लोपीड़िया में कहा गया है।
तेज़ और तीक्ष्णदृष्टि पाकर, उकाब कभी-कभी ताज़े शिकार के पास आनेवाले पहले पक्षी हैं। यीशु उस विवरण से अच्छी तरह परिचित था जिस में यहोवा परमेश्वर ने अय्यूब को यह घमण्ड तोड़ देनेवाला प्रश्न पूछा: “क्या उकाब तेरी आज्ञा से ऊपर चढ़ जाता है, और ऊँचे स्थान पर अपना घोंसला बनाता है, . . . और चट्टान की चोटी और दृढ़स्थान पर बसेरा करता है? वह अपनी आँखों से दूर तक देखता है, वहाँ से वह अपने आहार को ताक लेता है। . . . जहाँ घात किए हुए लोग होते वहाँ वह भी होता है।”—अय्यूब ३९:२७-३०.
इस प्रकार, यीशु ने भली-भाँति चित्रित किया कि केवल वही जिन्हें उकाब की प्रतीकात्मक आँख थी, चिन्ह से लाभ प्राप्त करते।