वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • w89 7/1 पेज 19-24
  • कैसे बपतिस्मा हमें बचा सकता है

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • कैसे बपतिस्मा हमें बचा सकता है
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1989
  • उपशीर्षक
  • मिलते-जुलते लेख
  • बपतिस्मा कैसे बचाता है
  • बपतिस्मा के लिए योग्य बनना
  • जवानी में बपतिस्मा
  • माता-पिताओं की भूमिका
  • बपतिस्मा के आगे देखना
  • बपतिस्मा हमें बचा सकता है
  • बपतिस्मा क्यों लें?
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2002
  • बपतिस्मा—मसीहियों के लिए एक ज़रूरी कदम
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2018
  • बपतिस्मा और परमेश्‍वर के साथ आपका रिश्‍ता
    बाइबल असल में क्या सिखाती है?
  • र्स्वदा परमेश्‍वर की सेवा करना अपना लक्ष्य बनाइए
    ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है
और देखिए
प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1989
w89 7/1 पेज 19-24

कैसे बपतिस्मा हमें बचा सकता है

“निमज्जन . . . हमें बचाता है।”​—१ पतरस ३:२१, दि एम्फॅटिक डायग्लॉट

१, २. एक व्यक्‍ति जल बपतिस्मा लेने से पहले क्या जरूरी है?

उद्धार की खोज करनेवालों से यहोवा की स्पष्ट अपेक्षाएं हैं। उन्हें सही ज्ञान पाना है, विश्‍वास करना है, उनके पापों का पश्‍चाताप करना है, परिवर्तित होना है, परमेश्‍वर को समर्पण करना है, और विश्‍वासियों के रूप में बपतिस्मा लेना है। (यूहन्‍ना ३:१६; १७:३; प्रेरित ३:१९; १८:८) बपतिस्मा के प्रत्याशियों को यह खुले आम मानना है कि यीशु के बलिदान के आधार पर उन्होंने उनके पापों का पश्‍चाताप किया है और अपने आप को यहोवा के लिए समर्पित किया है। उन्हें यह भी समझना है कि समर्पण और बपतिस्मा उन्हें यहोवा के गवाहों के रूप में पहचान करते हैं।

२ यह सम्पूर्ण बपतिस्मा की व्यवस्था, जिसमें विश्‍वास का यह आम अभिव्यंजन भी सम्बद्ध है, उद्धार के लिए आवश्‍यक है। (रोमियों १०:१०) यह तब सुदृढ़ हुआ जब प्रेरित पतरस ने लिखा: “निमज्जन . . . हमें बचाता है।” (१ पतरस ३:२१, एम्फॅटिक डायग्लॉट) लेकिन हम इन शब्दों को वास्तव में, किस तरह समझना चाहिए? सन्दर्भ क्या बताता है?

बपतिस्मा कैसे बचाता है

३. अपने ही शब्दों में, आप १ पतरस ३:१८-२१ का सार कैसे प्रस्तुत करेंगे?

३ पतरस ने सूचित किया, कि एक पुनर्जीवित आत्मा के रूप में यीशु ने कैदखाने की दुष्ट आत्माओं से एक निन्दात्मक संदेश का प्रचार किया, दुष्ट आत्माएं जो यहोवा के महान दिन के न्याय के लिए अनन्त बन्धनों में रखे हुए हैं। वे शारीरिक रूपों का धारण करने और स्त्रियों के साथ सहवास करने के द्वारा अवज्ञा की, “जब परमेश्‍वर नूह के दिनों में धीरज धरकर ठहरा रहा, और वह जहाज़ बन रहा था, जिस में बैठकर थोड़े लोग अर्थात्‌, आठ प्राणी [नूह, उसकी पत्नी, उसके बेटे, और उनकी पत्नियाँ] पानी के द्वारा बच गए।” पतरस ने आगे कहा: “उसके अनुरूप में यह, अर्थात्‌ बपतिस्मा (उस से शरीर के मैल को दूर करने का अर्थ नहीं है, परन्तु शुद्ध विवेक से परमेश्‍वर के वश में हो जाने का अर्थ है) यीशु मसीह के जी उठने के द्वारा, अब तुम्हें बचाता है।”​—१ पतरस ३:१८-२१, न्यू.व. उत्पत्ति ६:१, २; २ पतरस २:४; २ कुरिन्थियों ७:१.

४. पतरस ने कहा “उसके अनुरूप में यह” तब वह किस बात की ओर संकेत कर रहा था?

४ जब पतरस ने कहा, “उसके अनुरूप में यह,” तब वे क्या सूचित कर रहे थे? उन्होंने यह सूचित किया कि विश्‍वास पर आधारित बपतिस्मा नूह और उसके परिवार के संरक्षण के अनुरूप था, जो उस प्रलय के पानी में, कुशलपूर्वक सँभाले गए जो जहाज़ के बाहर के सभों को नाश किया। जिस तरह नूह को जहाज़ का निर्माण करने के लिए विश्‍वास की आवश्‍यकता थी, वैसे ही उन सब को, जो यीशु मसीह का बपतिस्मा पाए हुए शिष्य और यहोवा के गवाह बनते हैं, इस विश्‍वासहीन संसार और उसके ईश्‍वर, शैतान के द्वारा उनके विरुद्ध लाए गए दबावों का सामना करने का विश्‍वास होना चाहिए।​—इब्रानियों ११:६, ७; १ यूहन्‍ना ५:१९.

५. उद्धार “यीशु मसीह के जी उठने के द्वारा” है, इसका क्या अर्थ है?

५ बपतिस्मा स्वयं बचाता नहीं। और यद्यापि हमें ‘शरीर के मैल को दूर करना’ ही है, केवल ऐसा करना ही हमें नहीं बचाता। बल्कि उद्धार “यीशु मसीह के जी उठने के द्वारा” है। बपतिस्मा के प्रत्याशियों को विश्‍वास होना चाहिए कि उद्धार केवल इसलिए सम्भव है क्योंकि परमेश्‍वर के पुत्र की बलि-मृत्यु हुई और पुनर्जीवित किया गया। उन्हें यीशु को उनके प्रभु के रूप में स्वीकार करना था जिस के पास जीवितों और मृतकों का न्याय करने का अधिकार है। पतरस ने कहा, “वह स्वर्ग पर जाकर परमेश्‍वर के दाहिनी ओर बैठ गया और स्वर्गदूत और अधिकारी और सामर्थी उसके अधीन किए गए है।”​—१ पतरस ३:२२.

६. एक अच्छा अन्तःकरण पाने के लिए बपतिस्मा के एक प्रत्याशी को क्या करना चाहिए था?

६ पतरस “शुद्ध विवेक के लिए परमेश्‍वर से की गई प्रार्थना” के साथ भी बपतिस्मा को सम्बन्धित करता है। एक अच्छा अन्तःकरण पाने के लिए एक निमज्जन प्रत्याशी को अपने पापों का पश्‍चाताप करना चाहिए, गलत मार्ग को छोड़ देना है और प्रार्थना में यीशु मसीह के द्वारा यहोवा परमेश्‍वर को एक निष्कपट समर्पण करना है। अगर एक बपतिम्सा पाया हुआ व्यक्‍ति परमेश्‍वर के स्तरों के अनुसार चलने के द्वारा उस अच्छे अन्तःकरण को बनाए रखता है, तो वह एक सुरक्षित स्थिति में रहता है, जो यहोवा के निन्दात्मक न्याय की माँग नहीं करती।

बपतिस्मा के लिए योग्य बनना

७. बपतिस्मा के विषय में मसीहीजगत के मिशनरियों ने क्या किया है?

७ जब यीशु ने अपने चेलों को शिष्यों को बपतिस्मा देने का आदेश दिया, उसने उनसे अविश्‍वासियों पर, हज़ारों की तायदाद में, पानी छिड़कने के लिए नहीं कहा। लेकिन मसीहीजगत के मिशनरियों ने क्या किया है? भारत के सम्बन्ध में, १५४५ में जेसूट फ्रॅन्सिस जेवियर ने लिखा: “ट्रावन्कोर के राज्य में . . . कुछ महीनों के दौरान मैंने दस हज़ार से भी अधिक पुरुषों, स्त्रियों और बच्चों को बपतिस्मा दिया। . . . मैं गाँव-गाँव गया और उन्हें मसीही बनाया।” ‘मसीही बनाने’ का यह तरीका यीशु का नहीं है। लोगों को बपतिस्मा के लिए योग्य बनना ही है।

८. जो अपने आप को बपतिस्मा के लिए प्रस्तुत करते हैं, उनके बारे में पौलुस के तथाकथित सिद्धान्त क्या कहते हैं?

८ उत्तर प्रेरितिक काल के कुछ तथाकथित मसीहियों ने भी विश्‍वास किया कि जो बपतिस्मा के लिए अपने आप को प्रस्तुत कर रहे हैं, उन्हें सख्त अपेक्षाओं को पूर्ण करनी थी। बपतिस्मा के ऐसे प्रत्याशियों के बारे में, गैर-बाइबलीय सिद्धान्त जिनका श्रेय गलत रीति से पौलुस को दिया गया है, बताते हैं: “उनके आचरण और उनकी जिन्दगी की जाँच की जाए . . . अगर वे अविवाहित हैं, तो यह सीखें कि व्यभिचार में न जाए, बल्कि विधिसम्मत विवाह में प्रवेश करें . . . अगर एक वेश्‍या आती है, उसे उसकी वेश्‍यावृत्ती छोड़ने दो, अन्यथा उसे अस्वीकृत किया जाए। अगर कोई मूर्तियों का बनानेवाला आए, तो उसे उसकी नौकरी छोड़ने दो, नहीं तो अस्वीकार किया जाए। . . . वह जो पापों का दोषी है, नामांकित न किया जाए, . . . एक जादूगर, एक मायावी, एक ज्योतिषी, एक शगुनिया, मायिक पदों का उपयोग करनेवाला . . . एक व्यक्‍ति जो तावीज़ बनाता है, एक सम्मोहक, एक निमितज्ञ, एक दैवज्ञ, हस्तरेखाशास्त्र का माननेवाला . . . इनका कुछ समय के लिए परीक्षण किया जाए . . . और अगर वे इन व्यवसायों को छोड़ दिया हो, तो उन्हें स्वीकार किया जाए; लेकिन अगर वे इससे सहमत नहीं होते तो उन्हें अस्वीकृत किया जाए।’

९. मण्डली के प्राचीन उस व्यक्‍ति से जो बपतिस्मा लेना चाहता है विचार-विमर्श क्यों करते हैं?

९ यहोवा के गवाह गैर-शास्त्रीय लेखों का, जैसे यह जो ठीक अभी उल्लेख किया गया, पालन नहीं करते, लेकिन जो बपतिस्मा लेना चाहते हैं, उनके साथ प्राचीन अवश्‍य विचार-विमर्श करते हैं। क्यों? यह निश्‍चित करने के लिए कि ये व्यक्‍तियाँ विश्‍वासी हैं, जो ईश्‍वरीय आवश्‍यकताओं को पूरा करते हैं और जो यहोवा को अपना समर्पण कर चुके हैं। (प्रेरित ४:४; १८:८; २ थिस्सलुनीकियों ३:२) ऑर्गनाइज़ड्‌ टू अकम्पिलश अवर मिनिस्ट्री इस पुस्तक के प्रश्‍नों की चर्चा करना यह निश्‍चित करने के लिए सहायक है कि एक व्यक्‍ति बपतिस्मा के योग्य है या नहीं। अगर उसके लिए कुछ बातें स्पष्ट नहीं या उसने अपने जीवन को दैवी स्तरों के अनुरूप न लाया हो, तो उसे आध्यात्मिक मदद देने के लिए प्राचीन प्रसन्‍न है।

१०. अगर हम बपतिस्मा लेना चाहते हैं, तो हमारी मनोवृत्ति क्या होनी चाहिए?

१० अगर हम उसके उद्देश्‍यों के बारे में सीखने के लिए मदद देने की परमेश्‍वर की दयालुता का मूल्यांकन करते हैं तो हम उन लोगों के समान होंगे जिन से पौलुस ने अन्ताकिया और एशिया मायनर में प्रचार किया था। यहूदी विरोध के बावजूद “यह सुनकर [परमेश्‍वर द्वारा स्वीकृत किए जाने के बारे में] अन्य जाति [गैर-यहूदी] आनन्दित हुए, और परमेश्‍वर के वचन की बड़ाई करने लगे, और जितने अनन्त जीवन के लिए ठहराए गए थे, उन्होंने विश्‍वास किया।” (प्रेरित १३:४८) ऐसे विश्‍वासियों ने बपतिस्मा पाया।

जवानी में बपतिस्मा

११. क्या एक जवान व्यक्‍ति होने के नाते परमेश्‍वर को अपना समर्पण करना उचित है, और आप ऐसा क्यों कहते हैं?

११ “अनन्त जीवन के लिए सही रूप से झुके” हुओं में युवजन भी शामिल है। इस पर ध्यान दिया जा सकता है कि यद्यपि शमूएल और बपतिस्मा देनेवाला यूहन्‍ना जन्म से पहले ही परमेश्‍वर के लिए समर्पित थे, माता-पिता अपने बच्चों के लिए एक समर्पण नहीं कर सकते। (१ शमूएल १:११, २४-२८; २:११, १८, १९; लूका १:१५, ६६) लेकिन एक अच्छी बाइबल शिक्षण के परिणामस्वरूप कई जवान लोग बपतिस्मा की ओर बढ़े हैं। एक मिशनरी बहन जो किशोरावस्था में बपतिस्मा पाया था, लिखती है: “ऐसे प्रतीत होता है कि मैं अपने सृष्टिकर्ता की सेवा करने के लिए उस उम्र से समर्पित थी, जब से उसके अस्तित्व का बोध हुआ, लेकिन उसके और उसके उद्देश्‍यों के बारे में कुछ यथार्थ ज्ञान पाने पर, मैं इस तथ्य का बाहरी प्रमाण के रूप में बपतिस्मा लेना चाहती थी। फिर भी, माँ को इस पर संदेह था कि मैं क्या कर रही थी, यह मैं जानती थी या नहीं इसलिए उसने सुझाव दिया कि मैं तब तक रूकूँ जब तक कोई और बपतिस्मा के लिए तैयार न हो।” एक स्त्री जो बपतिस्मा चाहती थी पायी गयी और वह बहन आगे कहती है: “उन दिनों प्रत्याशियों के लिए विशेष शिक्षण के कोई कार्यक्रम नहीं थे, यद्यपि सोसायटी द्वारा नियुक्‍त सेवकाई निर्देशक ने कृपापूर्वक मुझ से उस कदम की गम्भीरता के बारे में बात की, जो मैं लेने जा रही थी। मैंने उत्सुकतापूर्वक सभी निर्धारित शर्तों को स्वीकार किया और मई १९२१ के एक शुभ इतवार सुबह को वह स्त्री ने और मैंने बपतिस्मा लिया।”

१२. भाई रज़ल ने एक नाबालिग द्वारा समर्पण किस तरह देखा?

१२ सी. टी. रज़ल (वॉचटावर सोसायटी के उस समय के प्रेसिडेन्ट) ने १९१४ में एक खत पाया जिस में एक सह-मसीही ने पूछा था कि उसके १२ वर्षीय बेटे को परमेश्‍वर को अपना समर्पण करने के लिए उकसाया जाना चाहिए या नहीं। “अगर मैं तुम्हारे स्थान में होता,” रज़ल ने जवाब दिया, “मैं उस पर प्रतिष्ठान [समर्पण] का दबाव नहीं डालता, लेकिन मैं उसके मन के सामने इसे उस एकमात्र मार्ग के रूप में दिखलाऊँगा जो सभी बद्धिमान लोगों के लिए है जो परमेश्‍वर के और उसके कृपालु उद्देश्‍यों के बारे में जानते हैं . . . प्रतिष्ठान के बिना कोई भी अनन्त जीवन नहीं पाएगा . . . आपका बेटा प्रतिष्ठान के द्वारा अपकृत नहीं होगा, बल्कि अत्यधिक रूप से सहायता पाएगा . . . कौन कह सकता है कि एक दस वर्षीय बच्चा पूर्णतया और सम्पूर्ण रूप से एक पूर्ण प्रतिष्ठान का विचार, और शब्द और क्रिया में मूल्यांकन नहीं कर सकता? स्मरण करने पर, मैं देख रहा हूँ कि मेरा सम्पूर्ण प्रतिष्ठान पहली बार कुछ बढती के बाद हुआ​—बारह वर्ष से अधिक।”

१३. इस मासिक ने कुछ ९५ वर्ष पहले जवान व्यक्‍तियों से क्या कहा?

१३ जुलाई १, १८९४ के ज़ायन्स वॉचटावर ने कहा: “सभी प्रिय बच्चों और युवजनों को जिन्होंने अपना मन परमेश्‍वर को दे दिया और जो दैनिक रूप से यीशु का अनुकरण करने की कोशिश कर रहे हैं, वॉच टावर अपना प्रणाम भेज रहे हैं। हम कुछ बहुत छोटे बच्चे को जानते हैं जो यीशु से प्रेम करते हैं, और जो उसके पक्ष में अपना स्थान लेने के लिए उन बच्चों के बीच में, जो उससे प्रेम नहीं करते या उसे प्रसन्‍न करने की कोशिश नहीं करते, लज्जित नहीं है, और जो उनके सहपाठियों द्वारा जिनसे वे राज्य का सुसमाचार बताते हैं, मजाक उड़ाए जाने पर और उन्हें बेमेल समझे जाने पर भी साहसी है और परमेश्‍वर की ओर सच्चे हैं। और हम कुछ ऐसे युवा लोगों को देखने पर आनन्दित हैं, जो साहसपूर्वक संसार को और उसकी आकांक्षाओं और उसके सुखों को त्याग दिया है, उन में के सब से अधिक विश्‍वासियों में वे हैं जिन्होंने अपने जीवन को प्रभु के लिए समर्पित किए हैं। हमारे दफ्तर के कुछ सहायक, साथ ही कई सफल पायनियर लोग अब भी उम्र में बहुत छोटे हैं।” अगर आप अब भी बहुत छोटे हैं, क्यों न यहोवा परमेश्‍वर को आपके समर्पण के बारे में, अपने माता-पिता से विचार करें?

माता-पिताओं की भूमिका

१४. जवान लोग जो यहोवा को अपना समर्पण करते हैं, उनके द्वारा कौनसे लाभों का अनुभव किया गया है?

१४ बपतिस्मा की ओर ले जानेवाले पैतृक मार्गदर्शन पानेवाले बच्चों द्वारा अनुभव किए गए लाभों पर विचार कीजिए। (इफिसियों ६:४) आध्यात्मिक विषयों पर सोचना उन्हें सांसारिक फन्दों और उलझनों से बचे रहने के लिए सहायक होता है। (१ यूहन्‍ना २:१५-१७) वे ‘शरीर के लिए बोने’ से उत्पन्‍न होनेवाले दुःखद फसल नहीं काटते हैं। (गलतियों ६:७, ८) क्योंकि उन्हें एक दैवी जीवन बिताने के लिए सिखाए गए हैं, वे परमेश्‍वर की आत्मा के फल प्रदर्शित करते हैं। (गलतियों ५:२२, २३) यहोवा के लिए समर्पित होने के कारण, वे उसके साथ एक निकट सम्बन्ध का अनुभव करते हैं। और इसलिए कि उन्होंने “यहोवा पर भरोसा” रखना सीखा है, वे स्वर्गीय बुद्धि के द्वारा चलाए जाते हैं और सुख और शान्ति के मार्गों में चलते हैं।​—नीतिवचन ३:५, ६, १३, १७.

१५. उनके बच्चों की ज़िन्दगियों को रूप देने के लिए माता-पिता क्या कर सकते हैं?

१५ चूँकि यहोवा को समर्पण जवान लोगों के लिए इतना लाभदायक है, मसीही माता-पिता अपने बच्चों की ज़िन्दगियों को रूप देने के लिए, जो भी हो सके करना चाहिए। तीमुथियुस के समान छोटे बच्चों को शैशव से शास्त्रों को सिखाया जा सकता है ताकि वे ‘उन बातों पर जो उन्होंने सीखी हैं और प्रतीत की थी, बने रहें।’ (२ तीमुथियुस ३:१४, १५) ईश्‍वरीय माता-पिता अपने बच्चों को ऐसे ज्ञान जो परमेश्‍वर के साथ के उनके सम्बन्ध अनुभव और प्रौढ़ न्याय प्रदान कर सकता है, देने के द्वारा अपने बच्चों को उनके अपने अनुकरणीय जीवन के प्रभाव से घेर सकते हैं। जब सही रूप से निर्देशित किया गया, जवानों पर ये प्रयत्न व्यर्थ नहीं है।​—नीतिवचन २२:६.

१६. आपके उदाहरण और शिक्षण में बच्चे क्या देखना चाहिए?

१६ उदाहरण और शिक्षण के द्वारा अपने बच्चों को यह देखने में मदद दें कि कितने स्पष्ट रूप से यहोवा की संस्था और शैतान की संस्था के बीच रेखा खींची गयी हैं। उन्हें दिखाइए कि इस संसार के साथ कोई भी समझौता नहीं हो सकता, कि मसीहियों को उसके चोरी-छिपी बातें, अधार्मिक सुख, अकांक्षाएं, और संबन्धों को त्याग देना है। (१ कुरिन्थियों १५:३३; २ कुरिन्थियों ४:२) आपकी मनोवृत्ति, और साथ ही आपके शिक्षण और उदाहरण के द्वारा अपने बच्चों को यह देखने दो कि सांसारिक खुशियाँ कितने निरर्थक हैं और यहोवा के गवाहों के साथ तुलना पर संसार के लोग कितने धोखे में हैं। यह बताइए कि कैसे परमेश्‍वर ने आपको उसकी पवित्र आत्मा के द्वारा चलाया, कैसे आपको उन मार्गों में बहकने न दिया जो दुःख की ओर ले जाते, कैसे कष्ट और संकट के कालों में आपको सँभाला। ऐसे विचार करने की गलती कभी न करें, कि अगर आपके बच्चों को गर्व, महत्वाकांक्षा, छिछोरापन, और मूर्खता के सांसारिक मार्गों में चलने की अनुमति दी जाए, तो वे विश्‍वासी बनेंगे। यह संसार आपके बच्चों को फँसाने से पहले, उन्हें उसके नीच प्रभावों से बचाइए और यहोवा में उनके झुकावों और उनकी आशाओं को केंद्रित करने में मदद दें।

बपतिस्मा के आगे देखना

१७. (अ) कुछ बपतिस्मा पाए हुए मसीही एक आध्यात्मिक पुनःपतन का अनुभव क्यों करते हैं? (ब) हमें हमारे समर्पण को किस तरह से देखना चाहिए?

१७ चाहे जवान हो या बूढ़ा, बपतिस्मा के प्रत्याशी, बेशक, यहोवा की ओर वफादार रहना चाहता है। तो फिर कुछ बपतिस्मा पाए मसीही एक आध्यात्मिक पुनःपतन का अनुभव क्यों करते हैं? भले ही विभिन्‍न तत्व शामिल हैं एक मूलभूत कारण​—समर्पण के द्वारा सूचित सभी बातों के मतलब को समझने की असफलता है। यह एक कार्य के लिए अपने आप को समर्पित करने का विषय नहीं है। वह हमें व्यस्त रखेगा लेकिन हमें आध्यात्मिक व्यक्‍तियाँ नहीं बनाते। हमें यह याद रखने की आवश्‍यकता है कि हम किसी कार्य के लिए नहीं बल्कि एक व्यक्‍ति​—यहोवा परमेश्‍वर​—के लिए समर्पित हैं। यह हमें हमारे समर्पण को एक कार्य को आरम्भ करने के पहले लिए गए एक औपचारिक कदम के रूप में देखने की गलती करने से दूर रहने में मदद करता है। समर्पण करना एक महत्त्वपूर्ण सम्बन्ध में प्रवेश करने के रूप में देखा जाना चाहिए जिसे हमेशा सुरक्षित रखना है और बनाए रखना है। इस के विषय में, हमारे पास यीशु मसीह का उदाहरण है। ये भविष्यसूचक शब्द, यहोवा के लिए अपने आप को प्रस्तुत करते समय उसकी निष्कपट मनोवृत्ति को व्यक्‍त करते हैं: “मैं आया हूँ . . . हे मेरे परमेश्‍वर, मैं तेरी इच्छा पूरी करने से प्रसन्‍न हूँ, और तेरी व्यवस्था मेरे भीतरी अंगों में बनी है।”​—भजन ४०:६-८, न्यू.व.; इब्रानियों १०:५-१०.

१८. परमेश्‍वर की व्यवस्था यीशु के “भीतरी अंगों” में किस तरह बनी है?

१८ परमेश्‍वर की व्यवस्था यीशु के “भीतरी अंगों” में किस तरह बनी थी? उसने एक यहूदी शास्त्री से कहा कि यहोवा हमारा परमेश्‍वर एक है और उसे छोड़ कोई और नहीं, इस तरह यहोवा की सर्वोच्चता पर बल दिया। फिर यीशु ने दिखाया कि परमेश्‍वर की व्यवस्था का सार यहोवा से हमारे पूर्ण हृदय से, समझ से और शक्‍ति से प्रेम रखना और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना है। (मरकुस १२:२८-३४) यही है वह मूलभूत कारण जिसके कारण यीशु कह सका, ‘मैं परमेश्‍वर की इच्छा करने से प्रसन्‍न हूँ।’ बृहत्तम परीक्षाओं और कष्टों के बावजूद वह अपने मार्ग में सच्चाई से लगा रह सका, जो केवल इसलिए नहीं था कि उसने इसे एक अच्छे कार्य के रूप में देखा बल्कि इसलिए कि उसे यहोवा परमेश्‍वर के साथ एक निकट सम्बन्ध था। अगर हम इसी तरह यहोवा की सर्वोच्चता को मानेंगे और अटूट लगाव के साथ प्रेम करेंगे तो हम हमारे समर्पण और बपतिस्मा के अनुसार आचरण कर रहे हैं।

१९. हमारे और यहोवा के बीच के सम्बन्ध और हम जो कार्य कर रहे हैं, इनके बीच क्या सम्बन्ध है?

१९ अवश्‍य, यहोवा के साथ के हमारे सम्बन्ध और जो कार्य हम कर रहे हैं इनके बीच एक सम्बन्ध है। यहोवा के लिए हमारे प्रेम को हम राज्य-प्रचार कार्य करने के द्वारा व्यक्‍त करते हैं। इस सम्बन्ध में, गत ग्रॅन्ट सूटर, यहोवा के गवाहों के शासी निकाय के एक भूतपूर्व सदस्य, ने एक बार लिखा: “जब मैंने [एक अमुक यात्रा-ओवरसियर] को यहोवा की सेवा करने के विशेषाधिकारों और उसे करने की जिम्मेदारी के बारे में कहते हुए सुना, तो मैंने यह स्पष्ट रूप से जान पाया कि मुझे क्या करना है और मैं क्या करना चाहता हूँ। इस तरह मैंने यहोवा को एक वैयक्‍तिक समर्पण किया और करीब इसी समय मेरे परिवार के बाकी सदस्यों ने भी ऐसे ही किया। अक्‍तूबर १०, १९२६ में, कॅलिफोर्निया, सॅन होसे में हम सभों ने मिलकर यहोवा परमेश्‍वर के लिए हमारे समर्पण को जल निमज्जन के द्वारा प्रकट किया . . . बपतिस्मा के बाद . . . मेरे पिता ने बपतिस्मा का निरीक्षण करनेवाले प्राचीन से कहा: ‘तुम लोग साहित्यों के साथ बाहर जाते हैं, है ना? हम भी वही काम करना चाहते हैं, अभी।’ इस तरह हमारे परिवार ने क्षेत्र सेवकाई में निकलना आरम्भ किया।” आज, योग्य व्यक्‍तियाँ बपतिस्मा लेने से पहले ही क्षेत्र सेवकाई में एक अर्थपूर्ण भाग लेते हैं।

बपतिस्मा हमें बचा सकता है

२०, २१. (अ) यहोवा के सेवक किस अर्थ से ‘चिन्हित’ है? (ब) यह “चिन्ह” क्या है, और उसका पास होने का क्या अर्थ है?

२० हमारे कार्यों के द्वारा हम दिखा सकते हैं कि “हम यहोवा ही के हैं।” क्यों! उद्धार उसके समर्पित सेवकों के रूप में सच्चाई से कार्य करने पर निर्भर है। (रोमियों ६:२०-२३; १४:७, ८, न्यू.व.) प्राचीन कालों में बहुधा सेवकों को माथे पर चिन्हित किया जाता था। प्रचार कार्य के द्वारा, आज वह प्रतिरूपी ‘सन का वस्त्र पहिना पुरुष’​—यीशु के अभिषिक्‍त शिष्य का अवशेष​—उन्हें चिन्हित कर रहा है जो इस व्यवस्था के अन्त से बच निकलेंगे। इस कार्य में अभिषिक्‍त वर्ग उनके सहयोगियों, “दूसरी भेड़” के द्वारा सहायता-प्राप्त हैं। (यहेजकेल ९:१-७; यूहन्‍ना १०:१६) और यह चिन्ह क्या है? यह इसका प्रमाण है कि हम यहोवा को समर्पित हैं और यीशु के बपतिस्मा पाए हुए शिष्य हैं जिनके पास एक मसीह रूपी व्यक्‍तित्व है।

२१ विशेष रूप से, अब यह महत्त्वपूर्ण है कि हमारे पास यह चिन्ह हो और उसे सुरक्षित रखें, क्योंकि हम “अन्त समय” की गहराई में पहुँच चुके हैं। (दानिय्येल १२:४) बचाए जाने के लिए हमें हमारे वर्तमान जीवन के या इस व्यवस्था के ‘अन्त तक धीरज धरे’ रहना है। (मत्ती २४:१३) केवल तब ही बपतिस्मा हमें बचाएगा जब हम यहोवा के गवाहों के रूप में इस तरह वफादार बने रहेंगे।

समीक्षा के प्रश्‍न

◻ रक्षा पाने के लिए हम से क्या अपेक्षित है?

◻ प्राचीन, उन व्यक्‍तियों से जो बपतिस्मा लेना चाहते हैं, विचार-विमर्श क्यों करते हैं?

◻ माता-पिता अपने बच्चों को बपतिस्मा की ओर ले जानेवाले आध्यात्मिक मार्गदर्शन देने के लिए क्या कर सकते हैं?

◻ क्या हम एक कार्य के लिए अपना समर्पण करते हैं?

◻ बपतिस्मा हमारी रक्षा कैसे कर सकता है?

[पेज 20 पर तसवीरें]

क्या आप जानते हैं कि बपतिस्मा कैसे जहाज़ में नूह और उसके परिवार के रक्षण के अनुरूप है?

[पेज 22 पर तसवीरें]

समर्पण और बपतिस्मा जवान लोगों के लिए लाभदायक है। क्या आप जानते हैं कि यह किस प्रकार है?

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें